बुरख़ान ख़लदुन
बुरख़ान ख़लदुन Бурхан Халдун Burkhan Khaldun | |
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मंगोलिया में स्थिति | |
उच्चतम बिंदु | |
ऊँचाई | 2,452 मी॰ (8,045 फीट) [1] |
निर्देशांक | 48°45′43″N 109°00′37″E / 48.7619601°N 109.0102959°Eनिर्देशांक: 48°45′43″N 109°00′37″E / 48.7619601°N 109.0102959°E |
भूगोल | |
स्थान | मंगोलिया |
मातृ श्रेणी | ख़ेन्ती पर्वत शृंखला |
आधिकारिक नाम: Great Burghan Khaldun Mountain and its surrounding sacred landscape | |
प्रकार: | Cultural |
मापदंड: | iv, vi |
अभिहीत: | 2015 (39th session) |
सन्दर्भ क्रमांक | 1440 |
State Party: | Mongolia |
Region: | Asia-Pacific |
बुरख़ान ख़लदुन (मंगोल: Бурхан Халдун, अंग्रेज़ी: Burkhan Khaldun) मंगोलिया के ख़ेन्ती प्रांत में ख़ेन्ती पर्वत शृंखला में स्थित एक पर्वत है। मंगोलिया में लोकमान्यता है कि मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान का जन्म इसी पहाड़ पर या इसके इर्द-गिर्द कहीं हुआ था और उसका गुप्त मक़बरा भी यहीं-कहीं है। यह पर्वत १९९२ में मंगोलियाई सरकार द्वारा स्थापित १२,००० वर्ग किमी के 'ख़ान ख़ेन्ती अति-संरक्षित क्षेत्र' में आता है।
बुरख़ान ख़लदुन मंगोलिया का सबसे पवित्र पर्वत माना जाता है। यह चंगेज़ ख़ान से पहले भी धार्मिक महत्व रखता था लेकिन उसके द्वारा पवित्र घोषित किये जाने के बाद इसकी अहमियत और मान्यता बहुत अधिक बढ़ गई। मंगोल भाषा में 'बुरख़ान ख़लदुन' का मतलब 'प्रभु पर्वत' है।[2]
नाम का उच्चारण
[संपादित करें]'बुरख़ान ख़लदुन' में 'ख़' अक्षर के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह बिना बिन्दु वाले 'ख' से ज़रा भिन्न है। इसका उच्चारण 'ख़राब' और 'ख़रीद' के 'ख़' से मिलता है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Kublai Khan, John Man, pp. 402, Random House, 2012, ISBN 978-1-4464-8615-3, ... At this point Burkhan Khaldun comes into view: 2,452 metres, not very high, but a Schwarzenegger shoulder-muscle of a mountain, a sort of Mongolian Ayers Rock, but seven times the size ...
- ↑ Genghis Khan and the Making of the Modern World, Jack Weatherford, pp. 33, Random House Digital, Inc., 2005, ISBN 978-0-609-80964-8, ... As the tallest mountain, Burkhan Khaldun, literally “God Mountain," was the khan of the area ... And as the source of three rivers, Burkhan Khaldun was also the sacred heart of the Mongol world ...