मंगोल भाषा
मंगोल भाषा अलताइक भाषाकुल की तथा योगात्मक बनावट की भाषा है। यह मुख्यत: अनतंत्र मंगोल, भीतरी मंगोल के स्वतंत्र प्रदेश, बुरयात (Buriyad) मंगोल राज्य में बोली जाती है। इन क्षेत्रों के अरिरिक्त इसके बोलनेवाले मंचूरिया, चीन के कुछ क्षेत्र और तिब्बत तथा अफगानिस्तान आदि में भी पाए जाते हैं। अनुमान है कि इन सब क्षेत्रों में मंगोल भाषा बोलनेवालों की संख्या कोई 40 लाख होगी।
इन विशाल क्षेत्रों में रहनेवाले मंगोल जाति के सब लोगों के द्वारा स्वीकृत कोई एक आदर्श भाषा नहीं है। परंतु तथाकथित मंगोलिया के अंदर जनतंत्र मंगोल की हलहा (Khalkha) बोली धीरे-धीरे आदर्श भाषा का पद ग्रहण कर रही है। स्वयं मंगोलिया के लोग भी इस हलहा बोली को परिष्कृत बोली मानते हैं और इसी बोली के निकट भविष्य में आदर्श भाषा बनने की संभावना है।
प्राचीन काल में मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक मंगोल पढ़े-लिखे लोगों में आदर्श भाषा मानी जाती थी। परंतु अब यह मंगोल लिपि जनतंत्र मंगोलिया द्वारा त्याग दी गई है और इसकी जगह रूसी लिपि से बनाई गई नई मंगोल लिपि स्वीकार की गई है। इस प्रकार अब मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक भाषा कम और नव मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली हलहा बोली अधिक मान्य समझी जाने लगी है।
बोलियाँ
[संपादित करें]मंगोल भाषा अनेक बोलियों में विभक्त है। मुख्य बोलियाँ निम्नलिखित हैं:
(1) पूर्वी मंगोल
(क) उत्तरी शाखा- बुरयात बोलियाँ (Buriyad) उत्तरी बोली त्तरी बोली (बैकल झील के उत्तर ओर पश्चिम में) पूर्वी बोली (बैकल झील के पूर्व में सेलेंगा बोली) (Selenga)
(ख) दक्षिणी शाखा- चहर बोली (Tshakhar)
- ओरत बोली (Urad)
- ओरदूस बोली (Urdus)
- बर्गु बोली (Bargu)
(2) पश्चिमी मंगोल
(क) ओइरात शाखा (Uirad)-
- क्लमुइक बोली (Kalmuk)
- दोर्बोद बोली (Dorbod)
- तोर्गूत बोली (Torgud)
(ख) कोब्त की ओइरात (Kobd)
- बैत बोली (Bayid)
- कोब्त की दोर्बोद बोली (Dorbod)
- अलताई की तोर्गूत बोली) (Altai Torgud
- उरियन्हाई बोली (Uryangxai)
- मिन्गत बोली (Mingad)
(3) फुटकर बोलियाँ
(क) दगोर (Dagur) हइलर (Xailar) बोली; चिचिहर (Chichixar) बोली
(ख) मोन्गुओर (Monguor) बोली (चीन के कंसू प्रांत की बोली)
(ग) मोगोल (Moghol) बोली (अफगानिस्तान की बोली)
(घ) अन्य बोलियाँ
मंगोली साहित्य
[संपादित करें]मंगोलिया के लोगों की घूमन्तू परम्परा का मंगोली साहित्य पर गहरा प्रभाव है। आधुनिक साहित्य के जन्म से पूर्व 1920 तक की सात शताब्दियों में तीन महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे गए- मंगोलिया के रहस्य का इतिहास, गेजेर खाँ की कथा (Geserin tuuji) और जनगर (Janggar)। इन्हें मंगोली साहित्य के तीन शिखर कहा जाता है। ये तीनों ही यूरेशियाई घास के मैदानों की लम्बी परम्परागत नायकत्वपूर्ण परम्परा का दर्शन कराने वाले महाकाव्य हैं।
मंगोल भाषा का इतिहास प्राचीन, मध्य तथा आधुनिक, इन तीन कालों में विभाजित किया जा सकता है। 12वीं शताब्दी तक की भाषा को प्राचीन मंगोल, 13वीं से 16वीं शताब्दी की भाषा को मध्यकालीन मंगोल तथा 17वीं शताब्दी के बाद की भाषा को आधुनिक मंगोल कहते हैं। मध्यकालीन और आधुनिक मंगोल में बहुत अंतर नहीं है। प्राचीन मंगोल के बारे में स्पष्ट ज्ञात नहीं है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- Ethnologue report for Khalkha Mongolian
- Monumenta Altaica. Grammars, Texts, Dictionaries, Bibliographies of Mongolian and other Altaic languages
- "Mongolian dictionary with etymologies" by Andras Rajki
- Lingua Mongolia Information on classical Mongolian, including an online dictionary for Classical Mongolian
- Webster's Mongolian English Dictionary
- Mongolian English Russian German dictionary
- Mongolian bilingual dictionaries
- GB18030 Support Package for Windows 2000/XP, including Chinese, Tibetan, Yi, classical Mongolian and Thai font by Microsoft
- Bolor Mongolian English dictionary