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अनुर्वरता

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अनुर्वरता, नपुंसकता या बाँझपन (अंग्रेज़ी: Infertility) मूलरूप में संतानोत्पत्ति की स्थायी अक्षमता की अवस्था है। मनुष्यों में एक वर्ष तक प्रयास करते रहने के बाद अगर गर्भधारण नहीं होता तो उसे बन्ध्यता या अनुर्वरता कहते हैं। यह केवल स्त्री के कारण नहीं होती। केवल एक तिहाई मामलों में अनुर्वरता स्त्री के कारण होती है। दूसरे एक तिहाई में पुरूष के कारण होती है। शेष एक तिहाई में स्त्री और पुरुष के मिले जुले कारणों से या अज्ञात कारणों से होती है।[1]

पुरूषों में अनुर्वरता के क्या कारण

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पुरूषों में अनुर्वरता के कारण हैं

  • शुक्राणु बनने की समस्या

बहुत कम शुक्राणू या बिलकुल नहीं।

  • अण्डे तक पहुंच कर उसे उर्वर बनाने में शुक्राणु की असमर्थता –

शुक्राणु की असामान्य आकृति या बनावट उसे सही ढंग से आगे बढ़ पाने में रोकती है।

  • जन्मजात समस्याएं

कई बार पुरूषों में जन्मजात ऐसी समस्या होती है जो कि उनके शुक्राणुओं को प्रभावित करती है। अन्य सन्दर्भों में किसी बीमारी या चोट के परिणाम स्वरूप समस्या शुरू हो जाती है।

बन्ध्यता के कारण (यूके २००९ के आंकड़े)

पुरूष के सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं जीवन शैली का प्रभाव शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है। जिन चीज़ों से शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता घटती है उस में शामिल हैं - मदिरा एवं ड्रग्स, वातावरण का विषैलापन जैसे कीटनाशक दवाएं, धूम्रपान, मम्पस का इतिहास, कुछ विशिष्ट दवाँएं तथा कैंसर के कारण रेडिएशन।

औरतों में अनुर्वरता के कारण हैं - अण्डा देने में कठिनाई, बन्द अण्डवाही ट्यूबें, गर्भाशय की स्थिति की समस्या, युटरीन फाइवरॉयड कहलाने वाले गर्भाशय के लम्पस। बच्चें को जन्म देने में बहुत सी चीजें प्रभाव डाल सकती हैं। इनमें शामिल हैं, बढ़ती उम्र, दबाव, पोषण की कमी, अधिक वज़न या कम वज़न, धूम्रपान, मदिरा, यौन संक्रमिक रोग, हॉरमोन्स में बदलाव लाने वाली स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं।

यौनपरक संक्रमण से अनुर्वरकता

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यौनपरक संक्रमण के कारणभूत जीवाणु गर्भाशय और ट्यूबों की ग्रीवा में प्रवेश पा सकते हैं और अण्डवाही ट्यूबों के अन्दर की त्वचा को अनावृत (नंगा) कर देते हैं हो सकता है कि अन्दर पस बन जाए। एन्टीबॉयटिक बगैरह खा लेने से यदि वह ठीक भी हो जाए तो भी हो सकता है कि ट्यूब के अन्दर की नंगी दीवारें आपस में जुड़कर टूयूब को बन्द कर दें और अण्डे को या वीर्य को आगे न बढ़ने दें सामान्यतः गर्भ धारण के लिए अण्डा और वीर्य ट्यूबों में मिलते हैं तो उर्वरता होती है।

अधिक आयु

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बच्चे को जन्म देने की सम्भावनाएं बढ़ती उम्र के साथ निम्न कारणों से घटती है

  • उर्वरण के लिए तैयार अण्डे के निष्कासन की सामर्थ्य में बढ़ती उम्र के साथ कमी आ जाती है।
  • बढ़ती उम्र के साथ ऐसी स्वास्थ्यपरक समस्याएं हो सकती है जिनसे उर्वरकता में बाधा पड़े।
  • साथ ही गर्भपात की सम्भावनाएं भी बहुत बढ़ जाती हैं।

चिकित्सा

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अधिकतर ३० से कम उम्र वाली स्वस्थ महिला को गर्भधारण की चिन्ता नहीं करनी चाहिए जब तक कि इस प्रयास में कम से कम वर्ष न हो जाए। 30 वर्ष की वह महिला जो पिछले छह महीने से गर्भ धारण का प्रयास कर रही हो, गर्भ धारण न होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श ले। तीस की उम्र के बाद गर्भ धारण की सम्भावनाएं तेजी से घटने लगती है। उचित समय पर और पूर्ण उर्वरकता के लिए अपनी जाँच करवा लेना महत्त्वपूर्ण होता है। अनुर्वरकता का इलाज कराने वाले दो तिहाई दम्पत्ति सन्तान पाने में सफल हो जाते हैं।

परीक्षण

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पुरुष

पुरूषों के लिए, डॉक्टर सामान्यतः उसके वीर्य की जांच से शुरू करते हैं वे शुक्राणु की संख्या, आकृति और गतिविधि का परीक्षण करते हैं। कई बार डॉक्टर पुरूष के हॉरमोन्स के लैवल की जांच की भी सलाह देते हैं।

स्त्रियां

महिला की अनुर्वरकता को परखने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण कर सकते हैं।

  • अण्डकोश के अल्ट्रासाऊण्ड और रक्त की जाँच द्वारा अण्डनिष्कासन का परीक्षण
  • हिटेरोसाल्पिगोग्राफी यह अण्डवाही नलियों की कार्यपद्धति की जांच करने वाली एक एक्सरे तकनीक हैं
  • लैपेरोस्कोपी यह शल्यक्रिया की एक तकनीक है जिसके माध्यम से पेट के अन्दर का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर लैपेरोस्कोप नामक यन्त्र का उपयोग करते हैं। इस यन्त्र से वे अण्डकोश, अण्डवाही नलियों और गर्भाशय के रोग और भौतिक समस्याओं की जांच करते हैं।

अनुर्वरकता का उपचार दवाओं से, शल्यक्रिया से, कृत्रिम वीर्य प्रदान करके अथवा सहायक प्रजनन तकनीक द्वारा किया जाता है। कई बार इन उपचारों को मिला भी लिया जाता है।

  • टैस्ट परिणामों
  • कितने समय से गर्भ धारण का प्रयास किया जा रहा है।
  • स्त्री और पुरुष की आयु
  • दोनों के स्वास्थ्य की स्थिति
  • दम्पती की चाहत के आधार पर डॉक्टर अनुर्वरकता का निश्चित उपचार भी बताते हैं।

पुरुषों की अनुर्वरकता का आमतौर पर डॉक्टर निम्नलिखित तरीकों से उपचार करते हैं।

  • यौनपरक समस्याएँ - यदि पुरुष नपुंसक हो या अपरिपक्व स्खलन की समस्या हो तो इस समस्या के समाधान में डॉक्टर मदद कर पाते हैं। इन सन्दर्भों में दवाएं और व्यवहारपरक थैरेपी काम कर सकती है।
  • बहुत कम शुक्राणु - यदि पुरूष में बहुत ही कम शुक्राणु उत्पन्न होते हों तो उसका समाधान शल्यक्रिया द्वारा किया जा सकता है। शुक्राणुओं की गणना को प्रभावित करने वाले इन्फैक्शन को ठीक करने के लिए एन्टीवॉयटिक भी दिए जा सकते हैं।

आमतौर पर औरतों की अनुर्वरकता का डॉक्टर निम्नलिखित तरीके से उपचार करते हैं

  • अण्डोत्सर्ग की समस्या वाली औरतों का इलाज करने के लिए विविध उर्वरक औषधियों का प्रयोग किया जाता है
  • अनुर्वरकता के कुछ कारणों का उपचार करने के लिए डॉक्टर शल्यक्रिया का प्रयोग भी करते हैं। स्त्री के अण्डाशय, अण्डवाही नलियों या गर्भाशय की समस्याएं शल्यक्रिया द्वारा सुलझाई जा सकती है।

कृत्रिम वीर्य प्रदान

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इस प्रक्रिया में, विशेष रूप से तैयार किए गए वीर्य को महिला के अन्दर इंजैक्शन द्वारा पहुँचाया जाता है। कृत्रिम वीर्य़ का उपयोग सामान्यतः तब किया जाता है

  1. अगर पुरुष साथी अनुर्वरक हो
  2. ग्रीवा परक म्यूक्स में महिला को कोई रोग हो
  3. या दम्पती में अनुर्वरकता का कारण पता न चल रहा हो।

सहायक प्रजनन तकनीक

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सहायक प्रजनन तकनीक में अनुर्वरित दम्पतियों की मदद के लिए अनेकानेक वैकल्पिक विधियां बताई गई हैं। आर्ट के द्वारा स्त्री के शरीर से अण्डे को निकालकर लैब्रोटरी में उसे वीर्य से मिश्रित किया जाता है और एमबरायस को वापस स्त्री के शरीर में डाला जाता है। इस प्रक्रिया में कई बार दूसरों द्वारा दान में दिए गए अण्डों, दान में दिए वीर्य या पहले से फ्रोजन एमबरायस का उपयोग भी किया जाता है। दान में दिए गए अण्डों का प्रयोग उन औरतों के लिए किया जाता है है जो कि अण्डा उत्पन्न नहीं कर पातीं। इसी प्रकार दान में दिए गए अण्डों या वीर्य का उपयोग कई बार ऐसे स्त्री पूरूष के लिए भी किया जाता है जिन्हें कोई ऐसी जन्मजात बीमारी होती है जिसका आगे बच्चे को भी लग जाने का भय होता है।

35 वर्ष तक की आयु की औरतों में इस की सफलता की औसत दर 37 प्रतिशत देखी गई है। आयु वृद्धि के साथ साथ सफलता की दर घटने लगती है। आयु के अतिरिक्त भी सफलता की दर बदलती रहती है और अन्य कई बातों पर भी निर्भर करती है। आर्ट की सफलता की दर बदलती रहती है और अन्य कई बातों पर भी निर्भर करती है। आर्ट की सफलता दर को प्रभावित करने वाली चीज़ों में शामिल है

  1. अनुर्वरकता का कारण
  2. आर्ट का प्रकार
  3. अण्डा ताज़ा है या फ्रोज़न
  4. एमब्रो (भ्रूण) ताज़ा है या फ्रोज़न।

तकनीक के सामान्य प्रकारों में शामिल हैं -

  • इन बिटरो उर्वरण
  • जीएगोटे इन्टराफैलोपियन टांस्फर (जेड आई एफ टी)
  • गेमेटे इन्टराफैलोपियन टांस्फर (जी आई एफ टी)
  • इन्टरासाईटोप्लास्मिक स्परम इंजैक्शन (आई सी एस आई)

इन विटरों फरटिलाइज़ेशन (आई वी एफ)

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इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन का सरलीकृत चित्रण

आई वी एफ का अर्थ है शरीर के बाहर होने वाला उर्वरण। आई वी एफ सबसे अधिक प्रभावशाली आर्ट है। आमतौर पर इसका प्रयोग तब करते हैं जब महिला की अण्डवाही नलियाँ बन्द होने हैं या जब पुरुष बहुत कम स्परम पैदा कर पाता है। डॉक्टर स्त्री को ऐसी दवाएं देते हैं जिससे कि वह मलटीपल अण्डे दे पाती है। परिपक्व होने पर, उन अण्डों को महिला के शरीर से निकाल लिया जाता है। लेब्रोटरी के एक वर्तन में उन्हें पुरूष के वीर्य से उर्वरित होने के लिए छोड़ दिया जाता है तीन या पांच दिन के बाद स्वास्थ्य/स्वस्थ भ्रूण को महिला के गर्भ में रख दिया जाता है।

ज़िगोटे इन्टराफैलोपियन ट्रांस्फर (जेड आई एफ टी)

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जेड आई एफ टी भी आई वी एफ के सदृश होता है। उर्वरण लेब्रोटरी में किया जाता है। तब अति सद्य भ्रूण को गर्भाशय की अपेक्षा फैलोपियन ट्यूब में डाल दिया जाता है।

गैमेटे इन्टरफैलोपियन ट्रांस्फर

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जी आई एफ टी के अन्तर्गत महिला की अण्डवाही ट्यूब में अण्डा और वीर्य स्थानान्तरित किया जाता है। उर्वरण महिला के शरीर में ही होता है।

इन्टरासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजैक्शन

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आई सी एस आई में उर्वरित अण्डे में मात्र एक शुक्राणु को इंजैक्ट किया जाता है। तब भ्रूण को गर्भाशय या अण्डवाही ट्यूब में ट्रांस्फर (स्थानान्तरित) किया जाता है। इसका प्रयोग उन दम्पतियों के लिए किया जाता है जिन्हें वीर्य सम्बन्धी कोई घोर रोग होता है। कभी कभी इसका उपयोग आयु में बड़े दम्पतियों के लिए भी किया जाता है या जिनका आई वी एफ का प्रयास असफल रहा हो।

बांझपन के इलाज के तरीके चिकित्सा और वैकल्पिक तरीके दोनों में विभाजित किए जा सकते हैं।[2][3] कुछ तरीकों को एक दूसरे के साथ उपयोग किया जा सकता है।[4] महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं में शामिल[5][6] हैं क्लोमीफेनी सिट्रेट, मैनोपॉज़ल गोनाडोट्रोपिन (hMG), फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH), ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG), गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन (GnRH) ऐनालॉग्स, एरमाटेज़ इनहिबिटर और मेटफार्मिन।

चिकित्सकीय इलाज

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बांझपन के इलाज में आमतौर पर बांझपन की दवाओं, चिकित्सा उपकरणों, सर्जिकल हस्तक्षेप या उनके संयोजन का उपयोग शामिल होता है।[7][8] यदि शुक्राणु की गुणवत्ता अच्छी है और महिला की प्रजनन संरचनाओं के तंत्र सही हैं (फैलोपियन ट्यूब्स साफ हैं, कोई चिपकाव या दाग नहीं है), तो ओव्यूलेशन इंडक्शन का कोर्स उपयोग किया जा सकता है। डॉक्टर या WHNP गर्भाधान के लिए कैप का उपयोग करने का सुझाव भी दे सकते हैं, जिसे रोगी घर पर उपयोग करती है, शुक्राणु को कैप में रखती है और गर्दन पर गर्भाधान उपकरण को रखती है, या अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (IUI) का उपयोग करती है।[9]

अन्य चिकित्सकीय तरीकों में, उदाहरण के लिए, टूबोप्लास्टी, सहायक हैचिंग और प्रयास से पहले आनुवांशिक निदान शामिल हैं।

स्टेम सेल थेरेपी

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वर्तमान में स्टेम सेल थेरेपी से जुड़े कई इलाज (अब भी परीक्षा चरण में हैं) उपलब्ध हैं।[10][11] यह केवल उन जोड़ों के लिए एक नई संभावना नहीं है जिनके पास गामेट की कमी है, बल्कि समलैंगिक जोड़ों और अकेले लोगों के लिए भी है जो संतान चाहते हैं। सैद्धांतिक रूप से, इस थेरेपी की सहायता से हम इन विट्रो में कृत्रिम गामेट्स प्राप्त कर सकते हैं। महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए विभिन्न शोध मौजूद हैं।[12]

सन्दर्भ

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  1. डॉ॰ प्रकाश कोठारी (24 जुलाई 2011). "नपुंसकता क्या है? इसका इलाज क्या है?". नवभारत टाइम्स. मूल से 6 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अक्टूबर 2013.
  2. "Infertility treatments". patient.info. अभिगमन तिथि 2024-09-17.
  3. "Types of Infertility and Treatment Options – A Complete Guide". www.beingtheparent.com. अभिगमन तिथि 2024-09-17.
  4. "From Diagnosis to Treatment: Understanding the Different Paths to Infertility Management". drvinitakhemani.com. अभिगमन तिथि 2024-09-17.
  5. "Hormone Therapy for Infertility in Men and Women". www.hgha.com. अभिगमन तिथि 2024-09-17.
  6. "Male Fertility". conceiveplus.co.uk. अभिगमन तिथि 2024-09-17.
  7. "Fertility Treatment Options: A Comprehensive Guide". vpfw.com. अभिगमन तिथि 2024-09-17.
  8. "Infertility in women". iliveok.com. अभिगमन तिथि 2024-09-17.
  9. "At-Home Artificial Insemination Using a Cervical Cap". www.ihr.com. अभिगमन तिथि 2024-09-17.
  10. "Stem Cell Treatment for Female Infertility 2024: Key Insights". www.clinicspots.com. अभिगमन तिथि 2024-09-17.
  11. "Stem Cells in Infertility Treatment: Role of Stem Cells in Treating Infertility and Reproductive Disorders". diversedaily.com. अभिगमन तिथि 2024-09-17.
  12. "Is It Possible to Treat Infertility with Stem Cells?". pubmed.ncbi.nlm.nih.gov. अभिगमन तिथि 2024-09-17.

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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