बहेड़ा

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बहेड़ा का वृक्ष
बहेड़ा (Terminalia bellirica) फल
बहेड़ा का फल

बहेड़ा या बिभीतकी (Terminalia bellirica) के पेड़ बहुत ऊंचे, फैले हुए और लंबे होते हैं। इसके पेड़ 18 से 30 मीटर तक ऊंचे होते हैं जिसकी छाल लगभग 2 सेंटीमीटर मोटी होती है। इसके पेड़ पहाडों और ऊंची भूमि में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इसकी छाया स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। इसके पत्ते बरगद के पत्तों के समान होते हैं तथा पेड़ लगभग सभी प्रदेशों में पाये जाते हैं। इसके पत्ते लगभग 10 सेंटीमीटर से लेकर 20 सेंटीमीटर तक लम्बे तथा और 6 सेंटीमीटर से लेकर 9 सेंटीमीटर तक चौडे़ होते हैं। इसका फल अण्डे के आकार का गोल और लम्बाई में 3 सेमी तक होता है, जिसे बहेड़ा के नाम से जाना जाता है। इसके अंदर एक मींगी निकलती है, जो मीठी होती है। औषधि के रूप में अधिकतर इसके फल के छिलके का उपयोग किया जाता है। बहेड़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ाता ही है, कब्ज को दूर भगाने में कारगर है| आमाशय को मजबूत बनाता है, इसके अन्य खासियत भूख बढ़ाना, पित्त दोष व सिरदर्द को दूर करता है| आँखों या दिमाग को स्वस्थ रखता है। देहरादून के वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक एके जैन के अनुसार आयुर्वेदिक औषधियों में इसका प्रयोग होता है। बहेड़ा के बीज का चूर्ण लगाने से घाव का रक्तस्राव रुक जाता है|

यह पतझड़ वाला वृक्ष है और इसकी औसतन ऊंचाई 30 मीटर होती है। इसके पत्ते अंडाकार और 10-12 सेमी लंबे होते हैं। इसके बीज स्वाद में मीठे होते हैं। बहेड़ा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि सभी प्रकार की मिट्टी में इसकी पैदावार की जा सकती है। हालांकि सबसे अच्छी पैदावार नम, रेतीली और में चिकनी बलुई मिट्टी में होती है।

मानसून आने से पहले गड्ढे खोदकर इस पौधे, को तीन मीटर के फासले पर लगा सकते हैं। नर्सरी में इसकी पौध जून-जुलाई में तैयार की जाती है। सामान्यत: यह ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में आसानी से मिलता है। इसे कम आर्द्रता वाले स्थान पर लगाया जाता है।

बहेड़ा के उपयोग व लाभ[संपादित करें]

हाथ-पैर की जलन में बहेड़े के बीज को पानी के साथ पीसकर लगाने से लाभ मिलता है।  बहेड़े के पत्ते और चीनी का काढ़ा बनाकर पीने से कफ से निजात मिलती है। छाल का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से भी खांसी और बलगम से छुटकारा मिलता है। बहेड़े का छिलका और मिश्री युक्त पेय पीने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है बहेड़े के आधे पके हुए फल को पीसकर पानी के साथ सेवन करने से कब्ज से छुटकारा मिलता है। बहेड़े को थोड़े से घी में पकाकर खाने से गले के रोग दूर होते हैं। बहेड़ा के चूर्ण का लेप बनाकर बालों की जड़ों पर लगाने से असमय सफेद होना रुक जाता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]