फ्लाईबैक कन्वर्टर
पठन सेटिंग्स
फ्लाईबैक कन्वर्टर (flyback converter) AC/DC तथा DC/DC दोनों प्रकार के परिवर्तनों के लिये उपयोग में लाया जाता है।
मुख्य विशेषताएँ
[संपादित करें]- (१) इनपुट और आउटपुट में आइसोलेशन मिलता है।
- (२) यह एक बक-बूस्ट कन्वर्टर है।
क्रियाविधि
[संपादित करें]फ्लाईबैक कन्वर्टर की संरचना ऐसी है कि जब इसके ट्रान्सफॉर्मर की प्राइमरी में धारा बहती है तब सेकेण्डरी में नहीं; और जब सेकेण्डरी में बहती है तो प्राइमरी में नहीं। कुछ समय के लिये दोनों में धारा शून्य हो सकती है (डिस्काण्टिन्यूअस मोड)
कन्ट्रोल
[संपादित करें]फ्लाईबैक कन्वर्टर दो प्रकार से काम लिया जाता है-
- (क) सतत मोड (Continuous mode)
- (ख) असतत मोड (discontinuous mode)
आउटपुट के कन्ट्रोल के लिये दो विधियाँ प्रयोग की जातीं है-
- (१) करेण्ट मोड कन्ट्रोल
- (२) वोल्टेज मोड कण्ट्रोल
इन दोनों ही विधियों में आउटपुट से एक फीडबैक सिगनल लेना पड़ता है। यह कार्य तीन प्रकार से किया जा सकता है-\
- (१) आउटपुट का फीडबैक आप्टोकपुलर से लेकर कन्ट्रोल परिपथ को दिया जाय,
- (२) फ्लाईबैक कन्वर्टर के लिये उपयोग लिये गये ट्रान्सफार्मर में एक तीसरी वाइण्डिंग लगायी जाय और इससे सिगनल लिया जाय।
- (३) प्राइमरी का वोल्टेज उस अवधि में सैम्पल किया जाय, जब ट्रान्सफॉर्मर के प्राइमरी में धारा शून्त है जबकि सेकेण्डरी में धारा है।
उपयोग
[संपादित करें]- मोबाईल फोन की बैटरी चार्ज करने के लिये,
- पीसी की शक्ति आपूर्ति (पावर सप्लाई) बनाने के लिये,
- टीवी और मॉनिटर की कैथोड रे ट्यूब (सी आर टी) के लिये उच्च वोल्टता पैदा करने के लिये,
- अन्तर्दहन इंजन के इग्नीशन सिस्टम में (उच्च वोल्टता पैदा करने हेतु)।
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