परहुल देवी मंदिर
परहुल देवी मंदिर परहुल देवी मंदिर मंदिर | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
अवस्थिति जानकारी | |
ज़िला | कानपुर देहात |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
देश | India |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | हिन्दू वास्तुकला |
वेबसाइट | |
परहुल देवी मंदिर [1] यह मंदिर उत्तर प्रदेश में कानपुर देहात जिले के रूरा -शिवली रोड के उत्तर दिशा में लगभग ३ किलोमीटर दूर ग्राम लम्हरा में रिन्द नदी के दाएं तट पर स्थित है।[2][3] यह मंदिर आल्हा -उदल के समय भी था। इससे मंदिर की प्राचीनता का पता चलता है। परमाल रासो (आल्हा ) में इस मंदिर उल्लेख मिलता है।[4] [5]
स्थिति
[संपादित करें]इस मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन रूरा है। रेलवे स्टेशन रूरा से लगभग 9 किलोमीटर दूर उत्तर- पूर्व में रूरा -शिवली रोड के निकट ग्राम लम्हारा में रिन्द नदी के दाएं तट पर स्थित है। रूरा से बस या टेम्पो से यहां पंहुचा जा सकता है।शिवली से इस मंदिर की दूरी 14 किलोमीटर है। रूरा -शिवली रोड से उत्तर दिशा में 1.2 किलोमीटर रिन्द नदी के दाहिने तट पर स्थित है। रूरा से जाने पर रिन्द नदी के पहले बायीं ओर पक्का संपर्क मार्ग है।
इतिहास
[संपादित करें]मंदिर परिसर में परहुल देवी और महादेव की स्थापना १२ वीं शताव्दी में परहुल के राजा सिंघा ने की थी। आल्ह खंड (परमाल रासो ) में निम्न पंक्ति का उल्लेख मिलता है।
- लाल भगत का मुर्गा मारो ,परहुल दिया बुझायो जाय।।
वीर योद्धा आल्हा ने विजय कामना की दृष्टि से इस मंदिर में सोने का ज्योति कुंड बनवाया था। इस कुंड में जलने वाली ज्योति का प्रकाश कन्नौज के राजमहल तक पहुचता था। इसके प्रकाश से रानी पद्मावती की नींद में विघ्न पड़ता था फलस्वरूप उदल ने इस ज्योति कुंड को रिन्द नदी में फेंक दिया था।[1][5]
मंदिर में मूर्तियां
[संपादित करें]परहुल देवी
[संपादित करें]इस मंदिर का निर्माण १२ वीं शताव्दी में हुआ था। मंदिर के मुख्य भवन में उत्तरी सिरे पर बने गुम्बद के नीचे माता परहुल देवी विराजमान हैं.5 फ़ीट ऊँचे और लगभग १.५ फ़ीट चौड़ी शिला के निचले सिरे पर माता परहुल देवी (काली देवी ) की तीन मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। ये तीनों मूर्तियां भाव पूर्ण मुद्रा में हैं जो दर्शकों को मोहित करने वाली हैं। मूर्तियां जिस शैली में उत्कीर्ण हैं उससे इनकी प्राचीनता का पता लगता है। इस मंदिर में प्रवेश के लिए रिन्द नदी के तट की ओर सीढ़ियां बनी हुयी है।
महादेव
[संपादित करें]मंदिर परिसर में ही दक्षिण दिशा की ओर स्थित दूसरे गुम्बद के नीचे देवोँ के देव महादेव विराजमान हैं। इस मंदिर में भगवान् भोलेनाथ का भव्य शिव लिंग स्थापित है। इस मंदिर में प्रवेश के लिए दक्षिण दिशा में बनी सीढ़ियों से प्रवेश करते है।
मेला
[संपादित करें]शारदीय नवरात्रि और बासन्ती नवरात्रि के अवसर पर यहां मेला लगता है। परहुल देवी का मंदिर ऐतिहासिक ख्याति लिए हुए है। इस मेले में दूर -दूर से आये भक्तों का जमघट रहता है।शारदीय नवरात्रि और बासन्ती नवरात्रि के अवसर पर यहां मेला लगता है। परहुल देवी का मंदिर ऐतिहासिक ख्याति लिए हुए है। इस मेले में दूर -दूर से आये भक्तों का जमघट रहता है। अपनी मनौती के पूर्ण होने पर घंटे और झंडे चढ़ाये जाते हैं।
चित्र दीर्घा
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रूरा रेलवे स्टेशन
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परहुल देवी मंदिर
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परहुल देवी मंदिर
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परहुल के राजा सिंघा की गढ़ी
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 18 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अगस्त 2016.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अगस्त 2016.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 19 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अगस्त 2016.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 28 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अगस्त 2016.
- ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 16 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अगस्त 2016.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- http://www.kdzp.uppr.gov.in/hi/hidden/-/asset_publisher/YfObwleC63Bq/content/mopr-का-सचनापतर-panchayati-raj-newsletter-of-the-mopr-aug-sep-2013-/google.com[मृत कड़ियाँ]
- https://web.archive.org/web/20160821172551/https://books.google.co.in/books?id=ZOPUZo4fNLAC&pg=PA214&lpg=PA214&dq=%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%B2+%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80+%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0&source=bl&ots=-9bLGNVoAU&sig=jJkUBz8tLtD2LRCH2Gtb_mP6V7w&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjZhqWJ15_