नक्षत्र मंडल
यह वर्णन हिन्दू धर्म के विष्णु पुराण के अनुसार वर्णित है।हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार, कृतक त्रैलोक्य -- भूः, भुवः और स्वः – ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं।
भूः, भुवः आदि सात ऊर्ध्व लोकों का वर्णन
[संपादित करें]जितनी दूर तक सूर्य, चंद्रमा आदि का प्रकाश जाता है, वह पृथ्वी प्रदेश कहलाता है।
पृथ्वी लोक से एक लाख योजन दूर सूर्य मण्डल है।
सूर्यमण्डल से एक लाख योजन ऊपर चंद्रमण्डल है।
चंद्र मण्डल से एक लाख योजन ऊपर नक्षत्र मण्डल है।
नक्षत्र मण्डल से एक लाख योजन ऊपर बुद्ध मण्डल है।
बुद्ध मण्डल से एक लाख योजन ऊपर शुक्र मण्डल है।
नक्षत्र मण्डल से एक लाख योजन ऊपर मंगल मण्डल है।
मंगल मण्डल से एक लाख योजन ऊपर बृहस्पति मण्डल है।
बृहस्पति मण्डल से एक लाख योजन ऊपर शनि मण्डल है।
शनि मण्डल से एक लाख योजन ऊपर सप्तर्षि मण्डल है।
सप्तर्षि मण्डल से एक लाख योजन ऊपर ध्रुव मण्डल है।
पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान को भुवर्लोक कहते हैं।
सूर्य और ध्रुव के बीच जो चौदह लाख योजन का अन्तर है, उसे स्वर्लोक कहते हैं।