दूब घास

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दूब घास
Cynodon dactylon
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: Plantae
विभाग: Tracheophyta
वर्ग: Liliopsida
गण: Poales
कुल: Poaceae
वंश: Cynodon
जाति: Cynodon dactylon
द्विपद नाम
Cynodon dactylon
(L.) Pers.
पर्यायवाची
जमीन पर पसरी दूब घास
हरी भरी दूब घास

दूब या दुर्वा (वानस्पतिक नाम : Cynodon dactylon) एक घास है जो जमीन पर पसरती है। हिन्दू संस्कारों एवं कर्मकाण्डों में इसका उपयोग किया जाता है। मारवाडी भाषा में इसे ध्रो कहा जाता हैँ।

शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जो दूब को नहीं जानता होगा। हाँ यह अलग बात है कि हर क्षेत्रों में तथा भाषाओँ में यह अलग अलग नामों से जाना जाता है। हिंदी में इसे दूब, दुबडा, संस्कृत में दुर्वा, सहस्त्रवीर्य, अनंत, भार्गवी, शतपर्वा, शतवल्ली, मराठी में पाढरी दूर्वा, काली दूर्वा, गुजराती में धोलाध्रो, नीलाध्रो, मारवाड़ी में ध्रो, अंग्रेजी में कोचग्रास, क्रिपिंग साइनोडन, बंगाली में नील दुर्वा, सादा दुर्वा आदि नामों से जाना जाता है। इसके आध्यात्मिक महत्वानुसार प्रत्येक पूजा में दूब को अनिवार्य रूप से प्रयोग में लाया जाता है।

इसके औषधीय गुणों के अनुसार दूब त्रिदोष को हरने वाली एक ऐसी औषधि है जो वात कफ पित्त के समस्त विकारों को नष्ट करते हुए वात-कफ और पित्त को सम करती है। दूब सेवन के साथ यदि कपाल भाति की क्रिया का नियमित यौगिक अभ्यास किया जाये तो शरीर के भीतर के त्रिदोष को नियंत्रित कर देता है, यह दाह शामक, रक्तदोष, मूर्छा, अतिसार, अर्श, रक्त पित्त, प्रदर, गर्भस्राव, गर्भपात, यौन रोगों, मूत्रकृच्छ इत्यादि में विशेष लाभकारी है। यह कान्तिवर्धक, रक्त स्तंभक, उदर रोग, पीलिया इत्यादि में अपना चमत्कारी प्रभाव दिखाता है। श्वेत दूर्वा विशेषतः वमन, कफ, पित्त, दाह, आमातिसार, रक्त पित्त, एवं कास आदि विकारों में विशेष रूप से प्रयोजनीय है। सेवन की दृष्टि से दूब की जड़ का 2 चम्मच पेस्ट एक कप पानी में मिलाकर पीना चाहिए। लान (Lawn) के रूप में भी दूब घास का प्रयोग किया जाता है। घर के आगे खाली जगह में इसे लगा कर सुंदरता देखी जा सकती है।

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