दुआ
दुआ : इस्लाम में, दुआ (अरबी : دعاء , बहुवचन: आदिया ), का शाब्दिक अर्थ अल्लाह से विनती या " आह्वान " है, यह प्रार्थना या अनुरोध की प्रार्थना है। [1][2] मुसलमान इसे उपासना का गहरा कार्य मानते हैं। मुहम्मद ने कहा है, "दुआ इबादत का सार है।"
कबूलिय्यते दुआ[संपादित करें]
अवक़ात कबूलिय्यते दुआ (Dua) की ताख़ीर में काफी मस्लहतें भी होती हैं जो हमारी समझ में नहीं आतीं । हुजूर , सरापा नूर , फैज़ गन्जूर सल्ललाहो अलय वसल्लम का फ़रमाने पुर सुरूर है , (Dua Hindi)
जब अल्लाह का कोई प्यारा दुआ (Dua) करता है (पोस्ट जारी है आगे पढ़ने के लिए क्लिक करे )
इस्लाम में दुआ की अहमियत[संपादित करें]
हिकायत हज़रते सय्यदुना यहूया बिन सईद बिन कत्तान ने अल्लाह को ख़्वाब में देखा , अर्ज की , इलाही ! मैं अक्सर दुआ करता हूं । और तू क़बूल नहीं फ़रमाता ? हुक्म हुवा ," ऐ यहूया ! मैं तेरी आवाज़ को पसंद करता हु दोस्त रखता हूं । इस वासिते तेरी दुआ (Dua) की कबूलिय्यत में ताख़ीर करता हूं ।
अभी जो हदीसे पाक और हिकायत गुज़री. (पोस्ट जारी है आगे पढ़ने के लिए क्लिक करे )
हदीस शरीफ़ में है कि खुदाए तआला तीन आदमियों की दुआ क़बूल नहीं करता[संपादित करें]
- एक वोह कि गुनाह की दुआ मांगे । (आगे जारी है क्लिक करे)
- दूसरा वोह कि ऐसी बात चाहे कि कत्ए रेहूम हो । (आगे जारी है क्लिक करे)
- तीसरा वोह कि क़बूल में जल्दी करे कि मैं ने दुआ मांगी अब तक क़बूल नहीं हुई । इस हदीस में फ़रमाया गया है कि ना जाइज़ काम की दुआ न मांगी जाए कि वोह क़बूल नहीं होती । नीज़ किसी रिश्तेदार का हक़ जाएअ होता हो ऐसी दुआ भी न मांगें और दुआ की क़बूलिय्यत के लिये जल्दी भी न करें वरना दुआ कबूल नहीं की जाएगी । (आगे जारी है क्लिक करे).
" दुआ मोमिन का हथियार है " के सत्तरह 17 हुरूफ की निस्बत से दुआ मांगने के सत्तरह हुरूफ[संपादित करें]
( 1 ) हर रोज़ कम अज़ कम बीस बार दुआ करना वाजिब है । नमाजियों का येह वाजिब , नमाज़ में सू - रतुल फ़ातिहा से अदा हो जाता है कि ( तर - जमए कन्जुल ईमान : हम को सीधा रास्ता चला ) भी दुआ और ( तर - जमए कन्जुल ईमान : सब खूबियां अल्लाह को जो मालिक सारे जहान वालों का ) कहना भी दुआ है ।
( 2 ) दुआ में हद से न बढ़े । म - सलन अम्बियाए किराम का मर्तबा मांगना या आस्मान पर चढ़ने की तमन्ना करना । नीज़ दोनों जहां की सारी भलाइयां और सब की सब खूबियां मांगना भी मन्अ है कि इन खूबियों में मरातिबे अम्बिया भी हैं जो नहीं मिल सकते । (12 हुरूफ़ आगे जारी है क्लिक करे)
( 3 ) जो मुहाल ( या'नी ना मुम्किन ) या क़रीब ब मुहाल हो उस की दुआ न मांगे लिहाजा हमेशा के लिये तन्दुरुस्ती आफ़िय्यत मांगना कि आदमी उम्र भर कभी किसी तरह की तक्लीफ़ में न पड़े येह मुहाले आदी की दुआ मांगना है । यूंही लम्बे कद के आदमी का छोटा क़द होने या छोटी आंख वाले का बड़ी आंख की दुआ करना मम्नूअ है कि येह ऐसे अम्र की दुआ है जिस पर क़लम जारी हो चुका है ।
( 4 ) गुनाह की दुआ न करे कि मुझे पराया माल मिल जाए कि गुनाह की तलब गुनाह | ( स . 82 )
( 5 ) कत्ए रेहूम ( म - सलन फुलां करना भी रिश्तेदारों में लड़ाई हो जाए ) की दुआ न करे । (12 हुरूफ़ आगे जारी है क्लिक करे)
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "Dua". The Oxford Dictionary of Islam। (2014)। संपादक: John L. Esposito। Oxford: Oxford University Press। अभिगमन तिथि: 22 अप्रैल 2020
- ↑ Gardet, L. (2012)। “Duʿāʾ”। Encyclopaedia of Islam (2nd)। Brill। DOI:10.1163/1573-3912_islam_COM_0195.
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
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अंग्रेज़ी विकिस्रोत पर इस लेख से संबंधित मूल पाठ उपलब्ध है: |
- दुआ का सुन्नत तरीका / Dua Ka Sunnat Tarika
- 49 दुआ रोज मर्रा की ज़िन्दगी में पढ़ी जाने वाली दुआए
- 15 क़ुरआनी दुआए
- दुआ ऐ क़ुनूत
- Dua Corner - Collection of Dua
- Du'a Kumayl
- Maker Dua to Allah
- Dua and Supplication from Quran and Ahlulbayt (as) (Shia)
- Duas
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