तोरु दत्त
तोरु दत्त | |
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जन्म |
तरुलता दत्त 4 मार्च 1856 |
मृत्यु |
30 अगस्त 1877 कोलकाता, बंगाल प्रेसीडेंसी बंगाल, ब्रिटिश भारत | (उम्र 21)
राष्ट्रीयता | भारतीय ब्रिटिश अमेरिकन |
व्यवसाय | कवि |
धार्मिक मान्यता | Christian |
माता-पिता | गोविंद चंद्र दत्त (Father), क्षेत्रमौनी दत्त (मां) |
अंतिम स्थान | मणिकताल ईसाई कब्रिस्तान, कोलकाता |
तोरु दत्त (बांग्ला: তরু দত্ত) (4 मार्च 1856 – 30 अगसत 1877) एक भारतीय कवि थी जो अंग्रेजी और फ्रेंच में लिखती थी।[1] उनका जन्म रामगोपाल दत्त परिवार के पिता गोविंद चंदर दत्त और मां क्षेत्रमौनी से हुआ था। बहन अरु और भाई अबू के बाद तोरू सबसे कम उम्र की थी। रोमेश चन्दर दत्त, लेखक और भारतीय सिविल सेवक, उनके चचेरे भाई थे। उनका परिवार 1862 (तोरु दत्त जब केवल 6 वर्ष की थी) में ईसाई बन गया।[2]
प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]
तोरु दत्त का जन्म 4 मार्च 1856 को बंगाल में एक हिन्दू परिवार में हुआ था। 1868 ई. में तोरु के परिवार ने यूरोप की यात्रा की। फ्रांस में तोरु को फ्रेंच भाषा सीखने का अवसर मिला।1871-73 के बीच इंग्लैंड में कैम्ब्रिज में अंग्रेज़ी का अध्ययन करते उस ने अपनी उच्च फ्रांसीसी अध्ययन जारी रखा। कैम्ब्रिज में रहते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय में महिलाओं के लिए उच्च व्याख्यान में भाग लिया। तोरू दत्त ने सिडनी ससेक्स कॉलेज के रेवरेंड जॉन मार्टिन की बेटी मैरी मार्टिन से मुलाकात की और मैत्री की। 1873 में तोरू के भारत लौटने के बाद इस समय दोनों लड़कियों के बीच विकसित दोस्ती उनके पत्राचार में जारी रही। तोरू दत्त के पत्राचार का एक संग्रह भारत में अपने चचेरे भाईओं के लिए इंग्लैंड से लिखे गए पत्रों में शामिल है।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Gosse, Edmund (1913). "Toru Dutt." Archived 2017-07-15 at the Wayback Machine In: Critical Kit-kats. London: William Heinemann, pp. 197–212.
- ↑ University of Toronto Libraries RPO "Biography of Toru Dutt" Archived 2017-07-01 at the Wayback Machine