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तीतर

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तीतर
Pheasant
मंगोलिया में तीतर
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी (Chordata)
वर्ग: पक्षी (Aves)
गण: गैलीफोर्मीस (Galliformes)
कुल: फेसियेनिडाए (Phasianidae)
उपकुल: फेसियेनिनाए (Phasianinae)पैवोनिनाए (Pavoninae)
हॉर्सफील्ड, 1821 व राफिनेस्क, 1815
वंश
  • Argusianus
  • Catreus
  • Chrysolophus
  • Crossoptilon
  • Ithaginis
  • Lophura
  • Phasianus
  • Polyplectron
  • Pucrasia
  • Rheinardia
  • Syrmaticus

तीतर (Pheasant) पक्षियों के कुछ जीववैज्ञानिक वंशों का समूह है जो फेसियेनिडाए कुल के अंतर्गत आते हैं। यह कुल स्वयं गैलीफोर्मीस गण के अधीन संगठित है। तीतर दो उपकुलों में मिलते हैं - फेसियेनिनाए और पैवोनिनाए। तीतरों का मूल निवास यूरेशिया था लेकिन अब यह विश्वभर में मिलते हैं। तीतरों में लैंगिक द्विरूपता दिखती है - नर पक्षी मादाओं की तुलना में अधिक रंग-बिरंगे और आकार में बड़े होते हैं।[1][2][3]

तीतर आमतौर पर खेतों मे,जंगलों में या उँचे स्थानों पर घोसला बनाती हैं । खेतों में कीटनाशकों का उपयोग , कृषि के मशीनीकरण के कारण इनको भोजन हेतु कीटों तथा घोसलों एक के नष्ट होने के कारण इनकी संख्या लगातार घट रही है।ये एक बार में 4 से 10 अंडे देते हैं । इनके चूजें पंद्रह दिन में उड़नें लगते हैं। भारत की भाषाओं में फ़्रैंकोलिन और पार्ट्रिज में कोई भेद नहीं है और इन दोनों को तीतर ही कहा जाता है। विश्व भर में इसकी कई प्रजातियाँ हैं और इनमें से कुछ प्रजातियाँ सिर्फ़ भारत में ही पाई जाती हैं।

संस्कृति में

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यजुर्वेद की दो प्रमुख शाखाओं में से एक तैत्तिरीय शाखा कहा जाता है जो तीतर की तरह ज्ञान चुनने (चुगने) के लिए नामित है। उसी शाखा के द्वारा तैत्तरीय उपनिषद लिखा गया है।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Crowe, Timothy M.; Bloomer, Paulette; Randi, Ettore; Lucchini, Vittorio; Kimball, Rebecca T.; Braun, Edward L. & Groth, Jeffrey G. (2006a): Supra-generic cladistics of landfowl (Order Galliformes). Acta Zoologica Sinica 52(Supplement): 358–361.
  2. Madge, Steve; McGowan, J. K.; Kirwan, Guy M. (2002). Pheasants, Partridges and Grouse: A Guide to the Pheasants, Partridges, Quails, Grouse, Guineafowl, Buttonquails and Sandgrouse of the World. A. C. Black. ISBN 9780713639667.
  3. Bent, Arthur C. 1963. Life Histories of North American Gallinaceous Birds, New York: Dover Publications, Inc.