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डनिंग-क्रूगर प्रभाव

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अनुभव और वास्तविक ज्ञान के आधार पर किसी विषय के संबंध में व्यक्तिगत क्षमता का आकलन।

मनोविज्ञान के क्षेत्र में, डनिंग-क्रूगर प्रभाव (अंग्रेज़ी: Dunning–Kruger effect) एक संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह (cognitive bias) है जिसमें लोग अपनी संज्ञानात्मक क्षमता (cognitive ability) का ग़लत आकलन करते हैं। यह भ्रमपूर्ण श्रेष्ठता (illusory superiority) के संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह से संबंधित है और लोगों की क्षमता (की कमी) को पहचानने में असमर्थता के कारण होता है। मेटाकॉग्निशन की आत्म-जागरूकता के बिना, लोग निष्पक्ष रूप से अपनी क्षमता या अक्षमता का मूल्यांकन नहीं कर सकते।[1]

जैसा कि सामाजिक मनोवैज्ञानिकों डेविड डनिंग और जस्टिन क्रूगर बताते हैं, भ्रम की श्रेष्ठता का संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह कम क्षमता वाले लोगों में आंतरिक भ्रम (internal illusion) और ज़्यादा क्षमता वाले लोगों में बाहरी गलत धारणा (external misperception) से उत्पन्न होता है। इसके मुताबिक़, "अक्षम लोग अपनी क्षमता को वास्तविक से अधिक मानने की ग़लती करते हैं, जबकि अत्यधिक सक्षम लोग दूसरों की क्षमता असल से ज़्यादा मान लेते हैं"। यह प्रभाव इसी त्रुटि की उपज है।[1]


The fundamental cause of the trouble is that in the modern world the stupid are cocksure while the intelligent are full of doubt. — Bertrand Russell

« आधुनिक दुनिया की मूल समस्या यह है कि बेवक़ूफ़ आत्मविश्वास से भरे हुए हैं और बुद्धिमान शंका से। - बर्ट्रैंड रसल »

आत्म-धारणा में सांस्कृतिक अंतर

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इस प्रभाव के अध्ययन आमतौर पर उत्तरी अमेरिकियों के होते हैं, लेकिन जापानी लोगों पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि प्रभाव की घटना में सांस्कृतिक कारकों की भूमिका भी है।[2] अध्ययन Divergent Consequences of Success and Failure in Japan and North America: An Investigation of Self-improving Motivations and Malleable Selves" (2001) ने संकेत दिया कि जापानी लोग अपनी क्षमताओं को कम आंकते हैं, और असफलता को अवसर के रूप में देखने की प्रवृत्ति रखते हैं। इस अवसर का प्रयोग वे किसी दिए गए कार्य में उनकी क्षमताओं में सुधार करने के लिए करते हैं, जिससे उनके सामाजिक समूह के लिए उनका मूल्य बढ़ जाता है।[3]

इन्हें भी देखें

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  1. Kruger, Justin; Dunning, David (1999). "Unskilled and Unaware of It: How Difficulties in Recognizing One's Own Incompetence Lead to Inflated Self-Assessments". Journal of Personality and Social Psychology. 77 (6): 1121–1134. CiteSeerX 10.1.1.64.2655. PMID 10626367. डीओआइ:10.1037/0022-3514.77.6.1121.
  2. DeAngelis, Tori (February 2003). "Why We overestimate Our Competence". Monitor on Psychology. 34 (2): 60. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1529-4978. मूल से 23 फ़रवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2011.
  3. Heine, S.J.; Lehman, D.R.; Ide, E.; Leung, C.; Kitayama, S.; Takata, T.; Matsumoto, H. (October 2001). "Divergent Consequences of Success and Failure in Japan and North America: An Investigation of Self-improving Motivations and Malleable Selves". Journal of Personality and Social Psychology. 81 (4): 599–615. PMID 11642348. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0022-3514. डीओआइ:10.1037/0022-3514.81.4.599.

आगे की पढाई

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बाहरी कड़ियाँ

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