चिन शी हुआंग
चिन शी हुआंग दी 秦始皇帝 | |||||
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चिन राज्य के महाराज | |||||
शासनावधि | ७ मई २४७ – २२० ईसापूर्व | ||||
पूर्ववर्ती | महाराज झुआंगशिआंग | ||||
चीन का सम्राट | |||||
Reign | २२० ईसापूर्व – १० सितंबर २१० ईसापूर्व | ||||
उत्तरवर्ती | चिन एर शी | ||||
जन्म | ७ फरवरी २६० ईसापूर्व | ||||
निधन | १० अगस्त २१० ईसापूर्व (५० वर्ष[2]) | ||||
संतान | Crown Prince Fusu चिन एर शी Prince Gao | ||||
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घराना | चिन राजवंश | ||||
पिता | महाराज झुआंगशिआंग | ||||
माता | Lady Zhao |
चिन शी हुआंग जिसे चिन शी हुआंगदी ( 秦始皇帝, हिंदी : चीन का प्रथम सम्राट) (जिसका असली नाम यिंग जेंग था )के नाम से भी जाना जाता है, चीन का प्रथम सम्राट था। इसी ने चिन राजवंश की स्थापना कि थी। उसने चीन के बाकि झगड़ते राज्यों को चिन देश के अधीन किया था।
उसने शांग राजवंश और झोऊ राजवंश की पारंपरिक उपाधि महाराज (王, wáng ) को त्याग कर सम्राट (皇帝 huáng dì) को अपनाया जो की उसकी मृत्यु के २००० वर्ष तक चीन के शासकों ने धारण कि।
चिन शी के सेनापतियो ने चू राज्य के दक्षिण में स्थित युएझ़ी काबिले को हराकर हुनान और गुआंगदोंग क्षेत्र को चिन राज्य में सम्मिलित किया। उन्होंने शियोंगनु काबिले से बीजिंग के पश्चिम की भूमि प्राप्त कि। पर इसके उत्तर में शियोंगनु काबिले ने मोदू चानयू के नेतृत्व में एक संघ बनाया चिन राज्य से लड़ने के लिए। चिन शी हुआंग ने अपने मंत्रीली सी के साथ मिलकर चीन के आर्थिक और राजनैतिक स्थिति सुधारने और उसके मानकीकरण के हेतु कई नियम बनाये जिस कारण कई ग्रंथो को जलाया गया और विद्वानों को जिन्दा दफनाया गया। उसने अपनी जनता के लिए विशाल राजमार्गो की प्रणाली स्थापित की और अपनी जनता की सुरक्षा के लिए सभी राज्यों की दीवारों को जोड़कर चीन की महान दीवार बनवाई। उसने खुदके लिए एक नगर के आकार की समाधी बनवाई और उसकी रक्षा के लिए टेराकोटा सेना खड़ी की। अपने अमृत की खोज के निरर्थक प्रयास के बाद २१० ईसापूर्व में उसकी मृत्यु हो गयी, पारे के अत्यधिक सेवन के कारण।