गुरुत्वानुवर्तन

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एक चीड़ के पौधे को टेढ़ा करने के तुरंत बाद के २४ घंटों में तनों में ऋण-गुरुत्वानुवर्तन से चोटियों की दिशा में बदलाव

गुरुत्वानुवर्तन (gravitropism, geotropism) किसी जीव की ऐसी वृद्धि होती है जो गुरुत्वाकर्षक बल के उद्दीपन से प्रभावित हो। यदी बढ़ाव गुरुत्वाकर्षण की ओर हो तो इसे धन-गुरुत्वानुवर्तन (positive gravitropism) कहते हैं और यदि यह गुरुत्वाकर्षण से विपरीत दिशा में हो तो इसे ऋण-गुरुत्वानुवर्तन (negative gravitropism) कहते हैं। पौधों और फफूंद (फ़ंगस) के तनों में ऋण-गुरुत्वानुवर्तन होता है जिस कारणवश वे ऊपर की दिशा में उगते हैं जबकि उनकी जड़ों में धन-गुरुत्वानुवर्तन होता है।[1][2]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Darwin, Charles; Darwin, Francisc (1881). The power of movement in plants. New York: D. Appleton and Company. मूल से 15 फ़रवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 April 2018.
  2. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर