केरल हिन्दी साहित्य मण्डल

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केरल हिंदी साहित्य मण्डल भारत के केरल राज्य के कोच्चि नगर की एक प्ंजीकृत हिन्दीसेवी संस्था है। इसकी स्थापना सन् 1969 में हुई थी। सन् 1971 में इसका पंजीकर्ण हुअ। कोच्चिन विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष तथा हिंदी के यशस्वी निबंधकार और अनुवादक डॉ. एन. ई. विश्वनाथ अय्यर केरल हिंदी साहित्य मंडल के संस्थापक अध्यक्ष हैं। के.एन. मेनन संस्थापक सचिव और के. आर. वारियर कोषाध्यक्ष रहे । डॉ. एन. ई. विश्वनाथ अय्यर के बाद भाषाविज्ञान के प्रकांड पंडित प्रोफ. ईच्चर वारियर, के. जे. जोण, प्रसिद्ध समाज सेवी जी. एस. धारा सिंह और हिंदी के विख्यात लघु कथाकार एवं व्यंग्यकार डॉ. गोविन्द शेनाय ने अध्यक्ष पद अलंकृत किया। साहित्य मंडल के वर्तमान अध्यक्ष कोच्चिन विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व – अध्यक्ष और हिंदी साहित्य के जाने – माने कवि डॉ. पी.वी. विजयन हैं । डॉ. टी. एन. विश्वंभरन, पी. एन. नारायणन नायर, बालकृष्णन नायर, डॉ. एच. परमेश्वरन, प्रोफ. वी. डी कृष्णन नम्बियार, पी.के.पी कर्ता, डॉ. के. जी. प्रभाकरन और प्रोफ. ऋषिकेशन तम्पी इसके सचिव रहे। पी.वी. जार्ज, के.एम मत्तायी, के.जी.वाध्यार और के.के. मणि मण्डल के कोषाध्यक्ष रहे। मण्डल के वर्तमान सचिव कालिकट विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व – आचार्य एवं अध्यक्ष तथा समस्त केरल साहित्य परिषद् के महासचिव डॉ. टी.एन. विश्वंभरन हैं और समुद्री उत्पाद निर्यात प्राधिकरण के राजभाषा विभाग के पूर्व उपनिदेशक श्री. के. जी. मुरलीधरन कोषाध्यक्ष हैं।

कार्य[संपादित करें]

भारत जैसे बहुभाषी राष्ट्र में विभिन्न भाषा-भाषियों के माध्यम से राष्ट्र – भाषा हिन्दी की सेवा से संबंधित जानकारी देना अत्यंत आवश्यक है। भारतीय आत्मा की भाषा ‘हिन्दी’ के लिए अहिन्दी प्रान्तों का योगदान कम नहीं है। इस में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि हिन्दी प्रचार-प्रसार में अहिन्दी भाषियों ने ही विशेष परिश्रम किया है। गांधीजी की प्रेरणा से दक्षिण भारत के चार राज्यों से अनेक लोगों ने हिन्दी प्रचार-प्रसार करके राष्ट्रीय एकता में अपना योगदान दिया है। विभिन्न अहिन्दी प्रान्तों में हिंदी भाषा तथा साहित्य के विकास से संबंधित जानकारी देने का कार्य अभी-अभी शुरु हुआ है। इसी श्रृंखला में मलयालम के प्रसिद्ध हिन्दी रचनाकार डॉ. एन.ई. विश्वनाथ अय्यर द्वारा विरचित “केरल में हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास” प्रथम एवं पथप्रदर्शक ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में पाँच खण्ड हैं 1) केरल एवं हिन्दी भाषा, 2) हिन्दी प्रचार, 3) हिन्दी शिक्षण-प्रशिक्षण, 4) उच्चतर हिन्दी अधययन एवं शोध, 5) केरल में मौलिक और अनूदित हिन्दी साहित्य; हिन्दी पत्रिकाएँ।

केरल हिंदी साहित्य भवन ट्रस्ट, केरल हिंदी साहित्य मण्डल, कोच्चि के अधीन कार्यरत न्यास है । साहित्य मंडल के पास जो भूमि है, उसमें केरल हिंदी साहित्य भवन का निर्माण कर उसमें एक पुस्तकालय व शोध केंद्र स्थापित करना ट्रस्ट का उद्देश्य है ।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]