केप्लर के ग्रहीय गति के नियम
खगोल विज्ञान में केप्लर के ग्रहीय गति के तीन नियम इस प्रकार हैं - सभी ग्रहों की कक्षा की कक्षा दीर्घवृत्ताकार होती है तथा सूर्य इस कक्षा के नाभिक (focus) पर होता है।
- ग्रह को सूर्य से जोड़ने वाली रेखा समान समयान्तराल में समान क्षेत्रफल तय करती है।
- ग्रह द्वारा सूर्य की परिक्रमा के कक्षीय अवधि का वर्ग, अर्ध-दीर्घ-अक्ष (semi-major axis) के घन के समानुपाती होता है।
- किसी ग्रह की कक्षीय अवधि का वर्ग उसकी कक्षा के अर्ध-प्रमुख अक्ष के घन के सीधे आनुपातिक है।
इन तीन नियमों की खोज जर्मनी के गणितज्ञ एवं खगोलविद् योहानेस केप्लर (Johannes Kepler 1571–1632) ने की थी। और सौर मंडल के ग्रहों की गति के लिये वह इनका उपयोग करते थे। वास्तव में ये नियम किन्ही भी दो आकाशीय पिण्डों की गति का वर्णन करते हैं जो एक-दूसरे का चक्कर काटते हैं।
केप्लर द्वारा उपयोग में लाए गए आंकडे
[संपादित करें]केप्लर ने अपने तृतीय नियम के लिए निम्नलिखित सारणी में दर्शाए गए आंकड़ों का उपयोग किया था।
ग्रह | सूर्य से माध्य दूरी |
आवर्तकाल (दिन) |
|
---|---|---|---|
बुध | 0.389 | 87.77 | 7.64 |
शुक्र | 0.724 | 224.70 | 7.52 |
पृथ्वी | 1 | 365.25 | 7.50 |
मंगल | 1.524 | 686.95 | 7.50 |
बृहस्पति | 5.2 | 4332.62 | 7.49 |
शनि | 9.510 | 10759.2 | 7.43 |
उपरोक्त पैटर्न को देखते हुए केप्लर ने लिखा:[1]
"पहले मुझे लगा कि मैं स्वप्न देख रहा हूँ… लेकिन यह पूर्णतः असंदिग्ध और सुनिश्चित है कि दो ग्रहों के आवर्त काल के बीच जो अनुपात है वही अनुपात उनकी सूर्य से माध्य दूरियों के (3/2)वें घात के अनुपात के बराबर है।
नीचे की सारणि में उपरोक्त आंकड़ों के आधुनिक अनुमानित मान दिए गए हैं:
ग्रह | अर्ध-दीर्घ अक्ष | आवर्तकाल (दिन) |
|
---|---|---|---|
बुध | 0.38710 | 87.9693 | 7.496 |
शुक्र | 0.72333 | 224.7008 | 7.496 |
पृथ्वी | 1 | 365.2564 | 7.496 |
मंगल | 1.52366 | 686.9796 | 7.495 |
बृहस्पति | 5.20336 | 4332.8201 | 7.504 |
शनि | 9.53707 | 10775.599 | 7.498 |
युरेनस | 19.1913 | 30687.153 | 7.506 |
नेप्चून | 30.0690 | 60190.03 | 7.504 |