केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (सितंबर 2014) स्रोत खोजें: "केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय | |
---|---|
स्थापित | 1993 |
प्रकार: | सार्वजनिक |
कुलाधिपति: | डॉ॰ मंगला राय |
अवस्थिति: | सेलीसीह, मिज़ोरम, भारत |
परिसर: | शहरी क्षेत्र |
जालपृष्ठ: | www.vetcolcau.org |
केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना संसद के अधिनियम केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम 1992 (1992 का सं.40) के द्वारा हुई है। अधिनियम भारत सरकार ने कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा विभाग द्वारा आवश्यक अधिसूचना जारी करके 26 जनवरी 1993 से लागू किया गया है।
विश्वविद्यालय में प्रथम कुलपति के कार्यालय ग्रहण करने के बाद 13 सितम्बर 1993 से आरंभ हो गया इस विश्वविद्यालय का क्षेत्राधिकार छ: पूर्वोत्तर राज्यों में है अर्थात् अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपूरा है तथा इसका मुख्यालय मणिपुर में इम्फाल में है।
मुख्य कैम्पस
[संपादित करें]विश्वविद्यालय अपने क्षेत्राधिकार में आनेवालें छ: राज्यों में निम्नलिखित सात प्रमुख परिसर स्थापित करने के लिए प्राधिकृत है:
- कृषि कालेज, इरोसेमवा, इम्फाल, मणिपुर
- पशु चिकित्सा विज्ञान और पशु पालन कालेज, सेलीशीह, आइज़ोल, मिजोरम
- मत्यिसिकी कालेज लेम्बुचरा, अगरतला, त्रिपुरा
- बागवानी तथा वानिकी कालेज, पासीघाट, अरुणाचल प्रदेश
- गृह विज्ञान कालेज, तुरा, मेधालय
- कृषि इंजिनियरिंग तथा पश्च कराई प्रौघोगिकी कालेज, सिक्किम
- स्नातकोत्तर अघ्ययन कालेज, बारापानी, मेधालय
अब तक 5पॉँच कालेज अर्थात् कृषि कालेज इम्फाल, मणिपुर, पशु चिकित्सा विज्ञान तथा पशु पालन कालेज, सेलिसीह, मिजोरम, मत्यिसिकी कालेज, लेम्बुचेरा, त्रिपूरा, बागवानी तथा वानिकी कालेज, पासीघाट, अरुणाचल प्रदेश और गृह विज्ञान कालेज, तुरा, मेघालय ने कार्य प्रारम्भ कर दिया है। दो अतिरिक्त कालेजों अर्थात् इंजिनियरिंग तथा पोस्ट हारवेस्ट प्रौघोगिकी कालेज सिक्किम और स्नातकोत्तर, अध्ययन कालेज, मेघालय अगले दो वित्तिय वर्षों में कार्य करने लगेगें।
कृषि कालेज इम्फाल, मणिपुर
[संपादित करें]यह कालेज स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तरों पर क्रमश: बी एस सी (कृषि) तथा एम एस सी (कृषि) में डिग्री प्रदान करने हेतु अनुदेश देता है विश्वविद्यालय की स्थापना से अबतक में बी एस सी (कृषि) में 298 विद्यार्थियों ने, तथा एम एस सी (कृषि) में 101 विद्यार्थियों ने सफलतापूर्वक अपने डिग्री कोर्स पूरे किए। वर्ष 2004 के दौरान इस कालेज के 12 विद्यार्थियों ने अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के द्वारा संचालित अखिल भारतीय परीक्षा के माध्यम से जे आर एफ/ एम एस सी (कृषि) में प्रवेश हेतु सफलता प्राप्त की। इस समय कृषि कालेज में 28 (कृषि) विघार्थियों सहित 191 विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर हैं।
पशु चिकित्सा विज्ञान और पशु पालन कालेज, सेलीसीह मिजोरम
[संपादित करें]यह कालेज 5 वर्षीय बी वी एस सी तथा पशु पालन डिग्री कार्यक्रम चलाता है। 2002-3 प्रथम बैच के 8 विद्यार्थियों ने यह पाठ्यक्रम पास किया। 2003-04 दूसरे बैच में शैक्षणिक सत्र में दस विद्यार्थी पास हुए। इन दस विद्यार्थियों में सें 8 (आठ) विघार्थियों ने भारतीय आधार पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित जे आर एफ/ स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा पास की।
मत्यिसिकी कालेज लेम्बुचर्रा, त्रिपूरा
[संपादित करें]कालेज 4 वर्षीय बी एफ एस सी डिग्री कार्यक्रम चलाता है। 2001-02 में पहले बैच में 5 विघार्थियों ने की बी एफ एस सी डिग्री सफलतापूर्वक प्राप्त की वर्ष 2002-3 में 10 विद्यार्थी सफल हुए। वर्ष 2003-4 में तीसरे बैच में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा ली गई जे आर एफ स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा पास की।
बागवानी तथा वानिकी कालेज पासीघाट, अरुणाचल प्रदेश
[संपादित करें]इस समय कालेज 4 वर्षीय बी एस सी (बागवानी) डिग्री कार्यक्रम प्रस्तुत करता है। 1 वर्ष 2003-04 शैक्षणिक सत्र के पहले बैच 16 विद्यार्थी पास हुए। इसमें से 13(तेरह) विद्यार्थियों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर ली गई जे आर एफ/ स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा पास की।
गृह विज्ञान कालेज, तुरा, पश्चिम गारो हिल्ज, मेघालय
[संपादित करें]कालेज 4 वर्षीय बी एस सी (गृह विज्ञान) डिग्री कार्यक्रम चलाता है, इसके शैक्षणिक सत्र 2005-06 में 10 विद्यार्थियों के नामाकंन से शुरू कर दिया।
कार्य प्रणाली
[संपादित करें]कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा विभाग देश में कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा के समन्वय और संवर्धन का कार्य करता है। डेयर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई सी ए आर) के लिए आवश्यक सरकारी संयोजन प्रदान करने का कार्य करता है। इस प्रमुख अनुसंधान संगठन में वैज्ञानिक क्षमता 6000 से अधिक है और इसका देशभर में 47 संस्थानों का देशव्यापी नेटवर्क है जिसमें समस्त 4 समकक्ष विश्वविद्यालय, 5 राष्ट्रीय कार्यालय, 31 राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र, 12 परियोजना निदेशालय, 89 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना और 38 कृषि विश्वविद्यालय शामिल हैं।
कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा विभाग भारत में कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए नोडल अभिकरण है। विभाग विदेशी सरकारों, संयुक्त राष्ट्र, सी जी आई ए आर तथा अन्य बहुपक्षीय अभिकरणों से कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए सम्पर्क स्थापित करता है। कृषि अनुसंधान व शिक्षा विभाग विभिन्न भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों / भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों में विदेशी विद्यार्थियों को प्रवेश दिलाने के लिए समन्वय का कार्य भी करता है।
प्रमुख कार्य
[संपादित करें]कृषि अनुसंधान व शिक्षा विभाग के मुख्य कार्य निम्न है:
- कृषि अनुसंधान और शिक्षा (जिसमें बागवानी, प्राकृतिक संसाधन प्रबंध, कृषि इन्जिनियरिंग, कृषि विस्तार, पशु विज्ञान, आर्थिक सांख्यिकी व विपणन तथा मात्स्यिकी शामिल है) के सभी पहलुओं को देखना जिसमें केन्द्रीय तथा राज्य अभिकरणों के बीच समन्वय करना भी शामिल है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबंधित सभी मामलों को देखना।
- कृषि, बागवानी, प्राकृतिक संसाधन प्रबंध, कृषि इन्जिनियरिंग, कृषि विस्तार, पशु विज्ञान, आर्थिक सांख्यिकी तथा मार्केटिंग और मात्स्यिकी में नई प्रौद्योगिकी के विकास से संबंधित सभी मामलों को देखना जिसमें पादप व पशुओं के परिचय और अन्वेषण तथा मृदा और भूमि उपयोग सर्वेक्षण तथा नियोजन जैसे कार्य भी सम्मिलित हैं।
- कृषि अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग देना जिसमें विदेश तथा अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान व शिक्षा संस्थाओं तथा संगठनों के साथ संबंध रखना और कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों संघों और अन्य निकायों में भाग लेना और ऐसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों आदि में लिए गए निर्णयों पर अनुवर्ती कारवाई करना शामिल है।
- कृषिवानिकी, पशुपालन, डेरी, मत्स्यिकी, कृषि सांख्यिकी, आर्थिक तथा विपणन सहित कृषि में ऐसे आधारभूत, व्यावहारिक और परिचालनात्मक अनुसंधान और उच्च शिक्षा जिसमें ऐसे अनुसंधान तथा उच्च शिक्षा का समन्वय करना भी शामिल है।
सातवीं सूची अनुसार
[संपादित करें]निम्नलिखित विषय भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-1 में शामिल हैं:
- कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सहायता करना, जिसमे विदेशी और अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा संस्थानों और संगठनों के साथ संबंध रखना और कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और अन्य निकायों में भाग लेना और ऐसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों आदि में लिए गये निर्णयो पर अनुवर्ती कार्यवाही शामिल है।
- कृषि वानिकी पशु पालन डेरी और मत्स्यिकी के साथ-2 कृषि सांख्यकी अर्थशास्त्र और विपणन सहित कृषि में मौलिक व्यावहारिक और परिचालानत्मक अनुसंधान और उच्चतर शिक्षा जिसमे ऐसे अनुसंधान और उच्चतर शिक्षा का समन्वय करना भी शामिल है।
- उच्चतर शिक्षा या अनुसंधान और वैज्ञानिक के लिए तकनीकी संस्थाओं में मानक निर्धारित करना और समन्वय करना क्योंकि ये अब तक पशु पालन, डेयरी उद्योग और मत्स्यिकी सहित खाद्द व कृषि से संबंधित रहा।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, साथ ही चाय, काफी तथा रबर से संबंधित अन्य जिंसो के गन्ना अनुसंधान कार्यक्रमों के लिए वित्तीय सहायता हेतु उपकर
- गन्ना अनुसंधान
अनुसूची का भाग-2
[संपादित करें]संध शासित क्षेत्र के लिए उपर्युक्त भाग 1 में दिये गये विषय, जो इन संघ शासित क्षेत्र में आते हैं और इसके अतिरिक्त निम्नलिखित विषय भारत के संविधान की 7वीं अनुसूची की सूची 2 में शामिल है।
- कृषि शिक्षा और अनुसंधान
अनुसूची का भाग-3
[संपादित करें]- सामान्य और आनुषंगिक
- पादप पशु और मत्स्य परिचय और अन्वेषण
- अनुसंधान, प्रशिक्षण, सह संबंध, वर्गीकरण मृदा मानचित्र और व्याख्या से संबंधित अखिल भारतीय मृदा और भू उपयोग सर्वेक्षण।
- कृषि अनुसंधान और शिक्षा योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए राज्य सरकारों और कृषि विश्वविद्यालयों को वित्तीय सहायता।
- राष्ट्रीय प्रदर्शन
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और उनके संघटक अनुसंधान संस्थान, राष्टीय अनुसंधान केन्द्र, परियोजना निदेशालय ब्यूरो और भारतीय समन्वित परियोजना।