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कृत्रिम श्वसन

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कृत्रिम श्वसन एक नक़ल श्वसन की तरह है जो की शरीर में सम्पूर्ण वायुसंचार[1] करवाता है। इसका मतलब यह होता है कि जब कोई इन्सान खुद साँस नहीं[2] ले पा रहा है या खुद से साँस लेने की कोशिश नहीं कर रहा है (ये धड़कते ह्रदय या {2 } हृद्फुफ्फुसीय पुनर्जीवन बीमार लोगों के लिए भी) तब हम ये प्रक्रिया करते है। फुफ्फुसीय वायुसंचार कोई भी हस्तचालित तरीके से किया जा सकता है -या तो बीमार आदमी के मुह से हवा भरो उसके फेप्रोन में या फिर किसी यंत्र के द्वारा साँस की विधि यह प्रभावी तरीके से किया है और साबित कर दिया गया है जो विधि के रूप में शामिल Silvester यांत्रिक गड़बड़ी की, इस तरह के हथियार या रोगियों छाती.[3] ये विधि ज्यादा लाभकारी है दुसरे विधियों के तुलनात्मक- जैसे की सिल्वेस्टर विधि[3].इसको मुँह-से-मुँह पुनर्जीवन या चलती भाषा में जीवन चुम्बन भी कहते हैं।

कृत्रिम श्वसन हृद्फुफ्फुसीय पुनर्जीवन का एक महत्वपूर्ण[4] विधि[4] है -इसलिए ये प्राथमिक चिकित्सा सहायता का एक[5] आवश्यक[5] विद्या है। कुछ स्थितियों में, कृत्रिम श्वसन अलग से भी प्रदर्शन किया जा सकता है, जैसे की प्रायः डूब जाने जैसी स्तिथि या पीड़ाहर दवाईकी अतिमात्रा. कृत्रिम श्वसन आज-कल स्वास्थ्य पेशेवरों तक ही सिमित कर दिया गया है जबकि आम आदमी को सलाह दिया जाता है कि ह्रदय को दबा के पुनः होश में लाने का कोशिश करना चाहिए। ये उन लोगों पे करना चाहिए जो ठीक से साँस न ले पा रहे हों या जिनको दिक्कत हो रही हो साँस लेने में. यांत्रिक वायुसंचार में यन्त्र श्वासयंत् का उपयोग से वायु को फेफड़ों के अन्दर और बहार किया जाता है (जब वो इन्सान साँस नहीं ले पता तब)। जैसे की जब शल्‍य चिकित्‍सक किया जाता है सामान्य संज्ञाहरण के उपयोग से या जब एक व्यक्ति अचेतनावस्था में रहता है।

वायुसंचार

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इस तरीके को 'बचावसाँस ' के नाम से भी जाना जाता है जिसमें यांत्रिक तरीके से वायु बीमार आदमी के श्वसन प्रणाली में भेजा जाता है। ये विबिन्न तरकीबों से किया जा सकता है जो की तरह-तरह की स्तिथियों पर निर्भर होता है। सारे विधियाँ सही वायु संचरण के ऊपर निर्भर होती हैं। इससे पता चलता है कि कौन सी विधि कितनी प्रभावकारी है। इन तरीकों में शामिल हैं:

मुँह से मुँह उच्छवाल
  • मुँह से मुँह - इसमें बचने वाले का मुह रोगी के मुहं से जोड़ के वायु रोगी के शारीर में भेजी जाती है।
  • नाक से मुँह - कुछ स्तिथियों में, बचानेवाला रोगी के नाक के साथ एक सम्बन्ध करता हैं। इसके कुछ विशेष कारण है ऊर्ध्वहनु घातक जिसमें विधि को पानी में या मुंह पे बचे उलटी में किया जाता है
  • मुंह से मुंह और नाक - शिशुओं पर प्रयोग किया जाता है (आमतौर पर लगभग 1 वर्ष तक), यह सबसे प्रभाव शाली विधि है।
  • मुँह से नकाब - ज्यादातर संगठनों में बचानेवाला और मरीज के बीच अवरोध का उपयोग किया जाता है ताकि पार-संक्रमण जोखिम न हो।

एक लोकप्रिय प्रकार है-'जेब मुखौटा'. ये ज्यादा ज्वार की मात्रा प्रदान करता है बैग वाल्व मास्क[6] के अपेक्षा .

  • बैग वाल्व मुखौटा - इसमें एक थैली को पिचक कर रोगी के अन्दर वायु भेजा जाता है।
  • यांत्रिक वायुसंचार - एक बिजली इकाई जोकि रोगी के लिए साँस लेता है

अद्जुन्क्ट्स के लिए साँस

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मामले को ले जाने के साथ एक जेब सीपीआर मुखौटा,

अधिकांश प्रशिक्षण संगठनों सलाह देते हैं, जहाँ मुहं और रोगी शामिल होता हैं वहां एक सुरक्षित नकाब इस्तेमाल किया जाता है ताकि पार-संक्रमण कम हो (संक्रमण के पार)। [7]

बचाव में पोच्केट नकाब और छोटे चेहरे नकाब इस्तेमाल किये जाते हैं। ये बाधाएं उदाहरण है व्यक्तिगत सुरक्षा के उपकरण की जो की चेहरे को खून की चिट्टों, फुहार या विभव संक्रामक से बचाता है।

ये बाधाएन एक तरफा फिल्टर वाल्व की तरह कम करता है जिसमें बचानेवाले से हवा रोगी तक जाता है पर रोगी से कुछ भी बचानेवाले तक नहीं जाता बहुत से साधनें एक बार व्यवहार करने के लिए हैं। जो बार-बार व्यवहार कर सकते हैं, उनको धोके, औतोक्लावेकरके और फिल्टर को बदल के इस्तेमाल कर सकते हैं।

सीपीआर मुखौटा ज़्यादातर व्यवहार किया जाता है जब एक रोगी होता है। कई सुविधा 18mm inlets पूरक ऑक्सीजन, जो किया जा रहा है 40-50% के आसपास लगभग 17 से बचानेवाला के समाप्त हो गई है हवा में उपलब्ध% से बढ़ जाती है ऑक्सीजन दिया समर्थन है।

त्रचेअल नाली के प्रवेश ज्यादा तर छोटे सत्ररों के लिए उपयोग किया जाता है। एक नाली मुहं या नक् से घुसा के श्वासप्रणाल तक लेके जाते हैं। ज्यादातर मामलों में इन्फ्लाताब्ले मणिबन्ध का उपयोग किया जाता है टपकन से बचने के लिए। नालिप्रवेशन को सबसे बहेतर बचाव तरीका मन जाता है चूषण के लिए। त्रचेअल नाली अनिवार्य रूप से दर्द और खांसी उत्पाद करते हैं। इसलिए, जब तक एक मरीज बेहोश या संग्यहरिक नहीं होता, तब उसको शांतिकर दवाइयां दिया जाता है ताकि नाली के घुसने को सहन कर सके। दुसरे असुविधाएं हैं मुकोसल धरी नासा-ग्रसनीकी ख्याति, या ओरोफर्य्नक्स अस्तर की ख्याति.

अति ज़रूरत के समय क्रीकोथाइरोटोमी का इस्तेमाल स्वास्थ्य अधिकारी कर सकते हैं, जहाँ एक वयुसंचरण का जगह खोला जाता है शल्य चिकित्सा करके. ये त्रचेस्तोमी से एकसमान है लेकिन क्रीकोथाइरोटोमी असुविधाजनक मामलों के लिय इस्तेमाल किया जाता है। ये तभी इस्तेमाल किया जाता है जब फर्यन्क्स पूरी तरह से बंद हो जाता है या तोह भारी[8] ऊर्ध्वहनु[8] ख्याति हुई हो।

मुँह के मरीज को साँस क्षमता

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सामान्य वायुमंडलीय हवा फेफड़ों में लगभग 21 शामिल करने के साथ विशेष रूप से कार्बन डाइऑक्साइड(अपशिष्ट उत्पादों खून से स्थानांतरित ),% ऑक्सीजन जब बनाया अंदर बाद गैसीय विनिमय फेफड़ों लिया है जगह में है, किया जा रहा है हवा exhaled मनुष्यों द्वारा सामान्य रूप से ऑक्सीजन के आसपास हैं 17% . इसका मतलब है कि मानव शरीर ऑक्सीजन का इस्तेमाल केवल 19% के आसपास करता है, और 70% छोड़ देता है।[9]

इसका मतलब यह है कि बहुत ओक्स्य्गें रोगी के शरीर में होता है जो की ओक्स्य्हेमोग्लोबिं बनता है।

आक्सीजन

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प्रगति में resuscitation के आम उपयोग में एक BVM के साथ विचार

कृत्रिम श्वसन की क्षमता बहुत ऑक्सीजन थेरेपी के एक साथ उपयोग करके बढ़ाया जा सकता है। लगभग १६% ऑक्सीजन दिया जाता है रोगी को मुंह के द्वारा. यदि उसको पोच्केट नकाब के साथ किया जाता है तोह ४०% ज्यादा ऑक्सीजन रोगी को दे सकते हैं। यदि एक बैग वाल्व मास्क या यांत्रिक श्वासयंत्र इस्तेमाल करें तोह ९९% एक ऑक्सीजन की मात्र होती है। अधिक से अधिक ऑक्सीजन एकाग्रता और अधिक कुशल गैसीय विनिमय फेफड़ों में होगा।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Tortora, Gerard J; Derrickson, Bryan (2006). Principles of Anatomy and Physiology. John Wiley & Sons Inc.
  2. "Artificial Respiration". Encyclopaedia Britannica. Archived from the original on 14 जून 2007. Retrieved 2007-06-15.
  3. "Artificial Respiration". Microsoft Encarta Online Encyclopedia 2007. Archived from the original on 30 अक्तूबर 2009. Retrieved 2007-06-15. {{cite web}}: Check date values in: |archivedate= (help)
  4. "Decisions about cardiopulmonary resuscitation model information leafler". British Medical Association. 2002. Archived from the original on 5 जुलाई 2007. Retrieved 2007-06-15.
  5. "Overview of CPR". American Heart Association. 2005. Archived from the original on 27 जून 2007. Retrieved 2007-06-15.
  6. Dworkin, Gerald M (Winter 1987). "Mouth to Mouth rescue breathing and comparisons of personal resuscitation masks". Rescue Squad Quarterly. Archived from the original on 2 जून 2007. Retrieved 2007-06-15.
  7. "Emergency Cardiovascular Care Revisions for the professional rescuer". American Red Cross. Archived from the original (DOC) on 5 दिसंबर 2006. Retrieved 2007-06-15. {{cite web}}: Check date values in: |archive-date= (help)
  8. Carley SD, Gwinnutt C, Butler J, Sammy I, Driscoll P. (2002). "Rapid sequence induction in the emergency department: a strategy for failure". Emergency Medicine Journal. 19 (2): 109–113. doi:10.1136/emj.19.2.109. PMC 1725832. PMID 11904254. Archived from the original on 30 जून 2006. Retrieved 2007-05-19. {{cite journal}}: Unknown parameter |month= ignored (help)CS1 maint: PMC format (link) CS1 maint: multiple names: authors list (link)
  9. "Physical Intervention: Life Support (Rescue Breathing)". Archived from the original on 25 जनवरी 2006. Retrieved December 29, 2005.

बाहरी कड़ियाँ

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