किरआर्ची
नरीवादी विमर्श मे किरआर्ची(kyriarchy) का अभिप्राय ऐसी सामाजिक व्यवस्था या परस्पर अन्तर्समबन्धित सामाजिक प्रणालियों के समुह से है जो वर्चस्व, उत्पीड़न, और समर्पण पर आधारित है। यह शब्द Elisabeth Schüssler Fiorenza द्वारा १९९२ मे गढ़ा गया था, जिसका उद्देश्य् वर्चस्व और अधीनता के जटिल और परस्पर जुड़े, अंतःक्रियात्मक और स्व-विस्तारित प्रणालियों से है जिसमें एक ही समय मे एक व्यक्ति कुछ समाजिक संबंधों मे शोषित और अन्य संबंधों मे शोषक/ विशेषाधिकार प्राप्त हो सकते/सकती/सकता है यह लिंग आधारित् पितृसत्ता के विचार का अन्त्रानुभागिय विस्तार् है। [1] Kyriarchy मे लिंगभेद, नस्लवाद, होमोफोबिया, विद्वेष, आर्थिक अन्याय, जेल-औद्योगिक परिसर, उपनिवेशवाद, सैनिक शासन, प्रजातिकेंद्रिकता, anthropocentrism, speciesism और एसे अन्य प्र्धान पदानुक्र्म् शामिल है जिसमे एक् व्यक्ति की अथवा समूह कि अधीनता का अंतःकरण और संस्थागत होता है। [2] [3]
विक्षनरी पर kyriarchy की परिभाषा
- ↑ Kwok Pui-lan (2009). "Elisabeth Schüssler Fiorenza and Postcolonial Studies". Journal of Feminist Studies in Religion. 25 (1). Indiana University Press: 191–197. doi:10.2979/fsr.2009.25.1.191. JSTOR 10.2979/fsr.2009.25.1.191.
- ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
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का गलत प्रयोग;teraudkalns
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ Stichele, Caroline Vander; Penner, Todd C. (2005). Her Master's Tools?: Feminist And Postcolonial Engagements of Historical-critical Discourse (in अंग्रेज़ी). BRILL. ISBN 9004130527. Archived from the original on 8 अप्रैल 2016. Retrieved 4 सितंबर 2019.