कान्धार का द्विभाषी शिलालेख

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कान्धार का द्विभाषी शिलालेख/
(अशोक का कान्धार शिलालेख)
कान्धार में प्राप्त सम्राट अशोक का द्विभाषी शिलालेख जिसमें ग्रीक और अरामी में सन्देश उत्कीर्ण किया हुआ है।
सामग्रीशिला
आकारH55xW49.5cm[1]
लेखनग्रीक और अरैमिक
कृति२६० ईसापूर्व
कालतीसरी शताब्दी ईसा पूर्व
खोज31°36′56.3N 65°39′50.5E
स्थानचेहल जिला, कंधार, अफगानिस्तान
अवस्थितिकाबुल संग्रहालय, अफगानिस्तान
कान्धार का द्विभाषी शिलालेख is located in South Asia
कान्धार का द्विभाषी शिलालेख
अफगानिस्तान में अशोक के द्विभाषी शिलालेख की स्थिति
कान्धार का द्विभाषी शिलालेख is located in अफ़ग़ानिस्तान
कान्धार का द्विभाषी शिलालेख
कान्धार का द्विभाषी शिलालेख (अफ़ग़ानिस्तान)

कान्धार का द्विभाषी शिलालेख, सम्राट अशोक द्वारा २६० वर्ष ईसापूर्व शिला पर दो भाषाओं (ग्रीक तथा अरामी) में उत्कीर्ण कराया गया प्रसिद्ध शिलालेख है। यह अशोक द्वारा निर्मित पहला शिलालेख है जो उसके शासन के १०वें वर्ष में उत्कीर्ण कराया गया था (260 ईसापूर्व),[2] यह शिलालेख प्राचीन ग्रीक और अरामी भाषा में है। इसकी खोज सन १९५८ ई में हुई थी।[1]

कान्धार से प्राप्त यह द्विभाषीय शिलालेख "धर्म" शब्द का अनुवाद यूनानी के "युसेबेइया" (εὐσέβεια, Eusebeia) शब्द में करता है, जिसका अर्थ "निष्ठा" भी निकलता है। यूनानी में लिखित सन्देश का यह है-

कान्धार का द्विभाषी शिलालेख
हिंदी अनुवाद मूल ग्रीक लेख मूल अरामी लेख
दस साल का राज पूर्ण होने पर, सम्राट पियोदासॅस (प्रियदर्शी)(Πιοδάσσης, Piodasses, 'प्रियदर्शी' का यूनानी रूपान्तरण) ने पुरुषों को
युसेबेइया (εὐσέβεια, धर्म/निष्ठा) का ज्ञान दिया
और इस क्षण से पुरुषों को अधिक धार्मिक बनाया और पूरे संसार में समृद्धि है।
सम्राट जीवित प्राणियों को मारने से स्वयं को रोकता है और अन्य पुरुष जो सम्राट के शिकारी और मछुआरे हैं, वह भी शिकार नहीं करते।
अगर कुछ पुरुष असंयमी हैं तो वह यथाशक्ति अपने असंयम को रोकते हैं
और अपने माता-पिता और बड़ों की प्रति आज्ञाकारी हैं,
जो भविष्य में भी होगा और जो भूतकाल से विपरीत है
और जैसा हर समय करने से वे बेहतर और अधिक सुखी जीवन जियेंगे।

δέκα ἐτῶν πληρη[....]ων βασι[λ]εὺς
Πιοδασσης εὐσέβεια[ν ἔδ]ε[ι]ξεν τοῖς ἀν-
θρώποις, καὶ ἀπὸ τούτου εὐσεβεστέρους
τοὺς ἀνθρώπους ἐποίησεν καὶ πάντα
εὐθηνεῖ κατὰ πᾶσαν γῆν• καὶ ἀπέχεται
βασιλεὺς τῶν ἐμψύχων καὶ οἱ λοιποὶ δὲ
ἀνθρωποι καὶ ὅσοι θηρευταὶ ἤ αλιείς
βασιλέως πέπαυνται θηρεύοντες καὶ
εἲ τινες ἀκρατεῖς πέπαυνται τῆς ἀκρα-
σίας κατὰ δύναμιν, καὶ ἐνήκοοι πατρὶ
καὶ μητρὶ καὶ τῶν πρεσβυτέρων παρὰ
τὰ πρότερον καὶ τοῦ λοιποῦ λῶιον
καὶ ἄμεινον κατὰ πάντα ταῦτα
ποιοῦντες διάξουσιν.
שנן 10 פתיתו עביד זי מראן פרידארש מלכא קשיטא מהקשט
מן אדין זעיר מרעא לכלהם אנשן וכלהם אדושיא הובד
ובכל ארקא ראם שתי ואף זי זנה כמאכלא למראן מלכא זעיר
קטלן זנה למחזה כלהם אנשן אתהחסינן אזי נוניא אחדן
אלך אנשן פתיזבת כנם זי פרבסת הוין אלך אתהחסינן מן
פרבסתי והופתיסתי לאמוהי ולאבוהי ולמזישתיא אנסן
איך אסרהי חלקותא ולא איתי דינא לכלהם אנשיא חסין
זנה הותיר לכלהם אנשן ואוסף יהותר.


सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Dupree, L. (2014). Afghanistan. Princeton University Press. पृ॰ 286. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781400858910. मूल से 6 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2016-11-27.
  2. Valeri P. Yailenko Les maximes delphiques d'Aï Khanoum et la formation de la doctrine du dharma d'Asoka Archived 2019-06-12 at the वेबैक मशीन Dialogues d'histoire ancienne vol.16 n°1, 1990, pp.243

इन्हें भी देखें[संपादित करें]