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कांस्य पदक

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१९८० ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक का एक काँस्य पदक।
पिसानेलो (1438) द्वारा निर्मित विभिन्न पदार्थों लेकिन मुख्यत: काँसे का बनाया हुआ सम्राट जॉन अष्टम का पदक (Medal of John VIII Palaeologus) काँसे का स्मारक

कांस्य पदक आमतौर पर किसी स्पर्धा में जैसे ओलंपिक खेल, राष्ट्रमंडल खेल इत्यादि में तीसरे स्थान पर रहने वाले खिलाड़ी को दिया जाता है। विजेता को स्वर्ण पदक व दूसरा स्थान पाने वाले को रजत पदक दिया जाता है। तीसरे स्थान पर रहने वाले खिलाडी को काँस्य पदक देने कि प्रथा सेंट लुईस मिसौरी[1] में आयोजित १९०४ के ओलंपिक खेलों से शुरु हुई।

ओलंपिक खेल

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ओलंपिक खेलों में देने के लिये पदक बनाना मेज़बान देश कि जिम्मेदारी होती है। १९२८ के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक से लेकर १९६८ के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक तक काँस्य पदक की रूपरेखा लगभग एक जैसी रही। सामने का हिस्से का रेखाँकन फ्लोरेंस के एक कलाकार गिसेपी कैसियोली ने बनाया था जिसमें नीचे मेज़बान शहर का नाम लिखा होता था। जबकि पीछे का हिस्से पर एक ओलंपिक विजेता का रेखाचित्र होता था। १९७२ से २००० तक एक छोटे परिवर्तन के साथ सामने की तरफ कैसियोली का ही रेखाँकन बना रहा जबकि पीछे की तरफ मेज़बान शहर से सम्बन्धित कलाकृति बनी होती थी। कैसियोली के रेखाकंन में यूनानी खेल को आयोजित कर रहे रोम के एक अखाड़े की तसवीर बनी होती थी। एथेंस में हुए २००४ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में ६० मीमी के व्यास वाले पदक के दोनों तरफ एलेना वोत्सी [2] द्वारा बनाई गई एक नई कलाकृति का प्रयोग किया गया।
कुछ खेलों जैसे की मुक्केबाजी, ताईक्वांडो, जूडो, कराटे इत्यादि में सेमी फाइनल मुकाबला हारने वाले दोनों खिलाडियों को एक, एक यानी कुल २ काँस्य पदक दिए जाते हैं।

बाहरी कड़ियाँ

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"गो फॉर गोल्ड: हिस्ट्री ऑफ ओलंपिक मेडल्स". dictionary.com. २०१४-०३-०२. मूल से 6 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २०१५-०४-०६. (अंग्रेज़ी में)

सन्दर्भ

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  1. "ओलंपिक पदकों का इतिहास". olympic.org. मूल से 12 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २०१५-०४-०६. 
  2. "एथेंस २००४ मेडल्स". olympic.org. मूल से 12 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २०१४-०६-०४.