कठपुतली
कठपुतली विश्व के प्राचीनतम रंगमंच पर खेला जाने वाले मनोरंजक कार्यक्रमो में से एक है। कठपुतलियों को विभिन्न प्रकार की गुड्डे गुड़ियों, जोकर आदि पात्रों के रूप में बनाया जाता है। इसका नाम कठपुतली इस कारण पड़ा क्योंकि पूर्व में भी लकड़ी अर्थात काष्ठ से बनाया जाता था। इस प्रकार काष्ठ से बनी पुतली का नाम कठपुतली पड़ा। प्रत्येक वर्ष २१ मार्च [1] को विश्व कठपुतली दिवस भी मनाया जाता है।
इतिहास
[संपादित करें]कठपुतली के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में महाकवि पाणिनी के अष्टाध्याई ग्रंथ हमें पुतला नाटक का उल्लेख मिलता है। इसके जन्म को लेकर कुछ पौराणिक मत इस प्रकार भी मिलते हैं कि भगवान शिव जी ने काठ की मूर्ति में प्रवेश कर माता पार्वती का मन बहला कर इस कला को प्रारंभ किया इसी प्रकार उज्जैन नगरी के राजा विक्रमादित्य के सिंहासन में जड़ित 32 पुतलियों का उल्लेख सिंहासन बत्तीसी नामक कथा में भी मिलता है [2]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "UNION INTERNATIONALE DE LA MARIONNETTE". Archived from the original on 5 अप्रैल 2017. Retrieved 4 अप्रैल 2017.
- ↑ "भारतीय राज्यों के प्रमुख कठपुतली परंपराओं की सूची". Jagranjosh.com. 2018-07-31. Retrieved 2020-06-26.