एहोल अभिलेख

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एहोल के एक जैन मंदिर की दीवारों में वातापी के चालुक्य शासकों का प्रारंभिक इतिहास एवं इस वंश के महान शासक पुलकेशिन द्वितीय (610-643 ई.) की विभिन्न विजयों की सूची उत्कीर्ण की गई है। यह एक प्रशस्ति रूप है, जिसे ‘एहोल प्रशस्ति‘ या ‘एहोल अभिलेख‘मिथक के रूप मैं ऐसा कहा जाता है पुल्केशिन द्वितीय के ऐहोल अभिलेख में गुर्जर जाति' का सर्वप्रथम उल्लेख से मिलती है। पर इस अभीलेख मैं उल्लेख मिलता है कि लाटो मालवो और गुर्जरों को सामंत बना लिया। कलिंगो और कोशलो को भयभीत कर दिया। जिस से पता चलता हैl इसमे गुर्जर देश के लोगों को गुर्जरो लाट देश के लोगों को लाटो और मालव देश के लोगों को मालवो कहा हैं। ऐसे ही कलिंग और कोशल का वर्णन हैं। सब से बड़ी बात तो लाट पर भी प्रतिहारो का राज था और गुर्जर क्षेत्र पर भी प्रतिहारो का राज था l लाट पर भी प्रतिहारो का अधिकार था। ,,,,,,अभिलेख संस्कृत भाषा मे ७वी सदी मे रवि कीर्ति ने लिखा।[1] इसमें पुल्केशन द्वितिया वा हर्ष वर्धन के मध्य हुए युद्ध का वर्णन मिलता है। जिसमे हर्ष पराजय हुआ। इसी अभिलेख मे संस्कृत के महान कवि कालिदास का उल्लेख मिलता है।

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सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "ऐहोल अभिलेख किससे संबंधित है, एहोल प्रशस्ति में किस युद्ध का वर्णन है, राजा हर्ष की पराजय का संदर्भ किस अभिलेख में मिलता है". अभिगमन तिथि 2 अप्रैल 2022.