ऍनसॅलअडस (उपग्रह)

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२६ अगस्त १९८१ को वॉयेजर द्वितीय यान द्वारा ली गयी ऍनसॅलअडस की तस्वीर
ऍनसॅलअडस के दक्षिणी ध्रुव के पास के "शेर धारियाँ" क्षेत्र में पानी और बर्फ़ उगलते हुए ऊंचे फुव्वारे
ऍनसॅलअडस के दक्षिणी ध्रुव के पास की "शेर धारियाँ" इस तस्वीर में साफ़ नज़र आ रही हैं

ऍनसॅलअडस हमारे सौर मण्डल के छठे ग्रह शनि का छठा सब से बड़ा उपग्रह है।[1] ऍनसॅलअडस आकार में बहुत छोटा है - इसका व्यास (डायामीटर) केवल ४०० किमी है, जो शनि के सब से बड़े चद्रमा, टाइटन, का सिर्फ़ दसवाँ है। इस छोटे आकार के बावजूद इसकी सतह पर टीले-खाइयों से लेकर उल्कापिंडों के प्रहार से बने हुए गड्ढों तक तरह-तरह की चीजें देखी जाती हैं। ऍनसॅलअडस की सतह पर अधिकतर पानी की बर्फ़ की एक मोटी तह फैली हुई है। इस बर्फ़ीली सतह की वजह से ऍनसॅलअडस का ऐल्बीडो (सफ़ेदपन या चमकीलापन) १.३८ है, जो सौर मण्डल की किसी भी अन्य ज्ञात वस्तु से अधिक है। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने इस उपग्रह की सतह पर मौजूद बहुत से आकारों के नाम आलिफ़ लैला की कहानियों के पात्रों पर रखे हैं, जैसे की समरक़न्द खाइयाँ, अलादीन गड्ढा, सरान्दीब मैदान, वग़ैराह।

अन्य भाषाओँ में[संपादित करें]

ऍनसॅलअडस को अंग्रेज़ी में "Enceladus" लिखा जाता है। ऍनसॅलअडस प्राचीन यूनानी धार्मिक कथाओं का एक भीमकाय पात्र था।

फव्वारे[संपादित करें]

ऍनसॅलअडस हमारे सौर मण्डल के बाहरी इलाक़े में केवल तीन वस्तुओं में से है जिनपर सक्रीय रूप से ज्वालामुखीय रूप के उगलाव देखें गए हैं (बाक़ी दो वरुण/नॅप्ट्यून का उपग्रह ट्राइटन और बृहस्पति का उपग्रह आयो हैं)। ऍनसॅलअडस के दक्षिणी ध्रुव के पास पानी उगलते हुए फुव्वारे हैं। वैज्ञानिक मानते हैं के इनका कारण यह है के शनि का भयंकर गुरुत्वाकर्षण अपने ज्वारभाटा बल से ऍनसॅलअडस को गूँधता है जिस से उसकी काफ़ी बर्फ़ पिघली हुई रहती है और कुछ फट कर इन फव्वारों के रूप में देखी जाती है। कुछ वैज्ञानिकों का तो यह भी कहना है के संभव है के ऍनसॅलअडस की बर्फ़ीली सतह के नीचे एक पानी का समुद्र छुपा हुआ हो, जिसमें जीवों के पाए जाने की कुछ आशा की जा सकती है।[2]

दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र[संपादित करें]

कैसीनी यान ने १४ जुलाई २००५ को ऍनसॅलअडस के दक्षिण ध्रुव के इलाक़े के ऊपर से उड़ते हुए कुछ दिलचस्प चीजें देखीं - इस पूरे क्षेत्र में चट्टानों और खाईयों की शृंखलाएँ हैं। इन में से कुछ ज़मीन की आकृतियाँ ५ लाख साल के अन्दर-अन्दर बनी हैं जो भूवैज्ञानिक दृष्टि से बहुत ही नयी मानी जाती हैं। इसका अर्थ है के ऍनसॅलअडस की ज़मीन पर पृथ्वी की तरह हिलना-डुलना जारी है। इस क्षेत्र के बीच में बर्फ़ीली ज़मीन में चार गहरी ख़रोंचों जैसी खाइयाँ हैं जिनकी तुलना शेर की धारियों से की गयी है। इस क्षेत्र को "शेर की धारियों" वाला इलाक़ा कहा जाता है (अंग्रेज़ी में "टाइगर स्ट्राइप्स")।

परिक्रमा कक्षा[संपादित करें]

ऍनसॅलअडस की परिक्रमा की कक्षा शनि के छल्लों के दरम्यान "ई छल्ले" के अन्दर स्थित है। ई छल्ला जहाँ स्थित है वहाँ पर गुरुत्वाकर्षक प्रभाव कुछ ऐसे हैं के इस छल्ले में मौजूद टुकड़ों को १०,००० से १००,००० साल के अन्दर बिसर जाना चाहिए। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है के ई छल्ले का बहुत सा मलबा ऍनसॅलअडस के बर्फ़ के फुव्वारों से ही आता है। जैसे-जैसे इस छल्ले का पुराना मलबा बिखर जाता है, ऍनसॅलअडस के फुव्वारों से और मलबा आता रहता है और इस छल्ले को क़ायम रखता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Planetary Body Names and Discoverers". मूल से 17 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 मई 2011.
  2. "Cassini Images of Enceladus Suggest Geysers Erupt Liquid Water at the Moon's South Pole". मूल से 25 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 मई 2011.