उस्मान सेराजुद्दीन

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उस्मान सेराजुद्दीन (बांग्ला: উসমান সিরাজউদ্দীন  ; 1258-1357), जिन्हें अनुयायी प्यार से अखी सिराज कहते थे, 14वीं सदी के बंगाली मुस्लिम विद्वान थे। वह चिश्ती संप्रदाय के सूफी थे और निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। निज़ामुद्दीन औलिया के साथ वह दिल्ली लंबे समय तक रहे। आईना-ए-हिंद ( फ़ारसी: آینه هند ), भारत का दर्पण की उपाधि अर्जित की। [1] उनका मज़ार पिराने पीर पश्चिम बंगाल के गौर में हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। [2] सिराज और उनके उत्तराधिकारी अलाउल हक ने बंगाल में इस्लाम को फैलाया। [3]

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा[संपादित करें]

बाद का जीवन[संपादित करें]

यह भी देखें[संपादित करें]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "Biography of Akhi Siraj Aainae Hind Sufi from Gour Lakhnauti". www.akhisirajuddin.simplesite.com. अभिगमन तिथि 22 February 2019.[मृत कड़ियाँ]
  2. "Gaur". bharatonline.com. अभिगमन तिथि 25 July 2013.
  3. Mudassar, MHK (संपा॰), حیات قطب عالمؒ [Life of Qutb Alam] (उर्दू में)