उपलक्षण

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उपलक्षण, व्याकरणशास्त्र में ऐसे अलंकार को कहते हैं जिसमें किसी चीज़ को उसके अपने नाम से बुलाया जाने कि बजाय उस से सम्बंधित किसी लक्षण या अन्य चीज़ के नाम से बुलाया जाय। उदाहरण के लिए हिन्दी में 'रामपुर' या 'रामपुरी' का मतलब एक लम्बे प्रकार का चाक़ू को कहा जाता है, क्योंकि इस क़िस्म के छुरे अक्सर उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर से आया करते हैं। इसी तरह कभी-कभी भारत की केन्द्रीय सरकार को समाचारों में 'दिल्ली' कह दिया जाता है क्योंकि उसका मुख्यालय उस शहर में है, मसलन 'बंगाल सरकार यह क़दम उठाना चाहती है पर दिल्ली ने इसपर आपत्ति जतलाई है'।[1]

सिनेकडकी[संपादित करें]

सिनेकडकी (Synecdoche) एक विशेष प्रकार का मेटोनमी होता है जिसमें किसी वस्तु के एक भाग या अंग के नाम को पूरी वस्तु के लिए प्रयोग किया जाता है। मसलन अगर किसी गाने में अपनी प्रेमिका की प्रतीक्षा कर रहा प्रेमी कहे कि 'तरसती निगाहें इंतज़ार कर रहीं हैं' तो यह सिनेकडकी है। वास्तव में पूरा व्यक्ति (प्रेमी) ही तरस रहा है लेकिन क्योंकि वह प्रेमिका के आने की सूचना अपनी आँखों से पाएगा इसलिए केवल उन्हें 'तरसती निगाहें' कहता है। इसी तरह अगर किसी को अपने घर में चार लोगों के लिए कमाना हो तो वह कह सकता है कि उसे 'चार पेट' पालने हैं। एक और उदाहरण किसी कमरे में खिड़की खुलवाने के लिए 'शीशा खोल दो' कहना है, हालांकि खिड़की के खोले जाने वाले भाग में शीशे के साथ-साथ अक्सर लोहा या लकड़ी भी लगी होती है।[2]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Blindness and Therapy in Late Medieval French and Italian Poetry, Julie Singer, pp. 147, Boydell & Brewer Ltd, 2011, ISBN 978-1-84384-272-9, ... Metonymy is defined, in rhetoric, as 'the action of substituting for a word or phrase denoting an object, action, institution, etc., a word or phrase denoting a property or something associated with it' ...
  2. "Synecdoche - Definition from the Merriam-Webster Online Dictionary". मूल से 10 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 जनवरी 2013.