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आप (जल)

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'आप' वैदिक संस्कृत में जल के लिए एक शब्द है

आप वैदिक संस्कृत में जल के लिए शब्द है। प्राचीन वैदिक संस्कृत जब शास्त्रीय संस्कृत में परिवर्तित हो गई तो यह शब्द केवल बहुवचन रूप में देखा जाने लगा, जो 'आपस' है। इसी शब्द का अवस्ताई भाषा में सजातीय रूप आपो और फ़ारसी में रूप आब है।

क्योंकि फ़ारसी और संस्कृत दोनों हिन्द-ईरानी भाषा-परिवार की बहने हैं इसलिए इसी का सजातीय शब्द फ़ारसी में 'आब' के रूप में मिलता है जो हिन्दी में बहुत शब्दों में इस्तेमाल होता है, जैसे कि 'पंजाब' (अर्थ: पाँच पानी/नदियाँ), 'गुलाब' (अर्थ: पानी का गुल/फूल), 'आबोहवा' (अर्थ: पानी और हवा) तथा 'आबजौ' (अर्थ:जौ का पानी, यानि बियर)।

वेदों और अन्य हिन्दू धर्म से सम्बंधित ग्रंथों में कई स्थानों पर 'आप' शब्द का प्रयोग होता है। मसलन ऋग्वेद में 'जल देवता' को 'आपो देवता' या 'आपः देवता' बुलाया गया है और 'आपो देवता सूक्त ४७' में कहा गया है कि:[1]

वैदिक संस्कृत हिंदी अनुवाद

आपः पृणीत भेषजं वरुथं तन्वे ऽ मम।।
ज्योक् च सूर्यं दृशे।। २१।।

हे आप (जल), मेरे शरीर में रक्षक औषधियों को स्थित करें।।
ताकि मैं लम्बे काल तक सूर्य देवता के दर्शन करता रहूँ।।

अन्य शब्दों की उत्पत्ति में

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'आप' और इसके 'अप' रूप का प्रयोग संस्कृत के कई अन्य शब्दों को बनाने के लिए भी हुआ है। उदाहरण के लिए 'अब्ज' शब्द कमल के फूल के लिए और शंख के लिए भी, प्रयोग होता है (अप+ज = पानी में जन्मा हुआ)।[2] इसी तरह 'अप्सरा' का अर्थ 'पानी (अप) का झाग/मूल (सार)' से आया है क्योंकि अप्सराएँ पानी और जलग्रस्त बादलों से उत्पन्न हुई समझी जाती थीं।[3]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. वेदों में जल-सूक्त Archived 2012-10-25 at the वेबैक मशीन, महेश कुमार मिश्र ‘मधुकर’, India Water Portal, Accessed: 19 अक्टूबर 2012
  2. अब्ज - शब्द का अर्थ[मृत कड़ियाँ], pustak.org, Accessed: 19 अक्टूबर 2012, ... अब्ज, पुं० [सं० अप्√जन् (उत्पत्ति)+ड] १. जल से उत्पन्न वस्तु। २. कमल। ३. शंख। ...
  3. Annales and antiquities of Rajasthan, James Tod, pp. 561, Smith, 1829, ... Apsara, because born from the froth or essence, 'sara', of the waters, 'ap' ...