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अनौचित्य

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अनौचित्य (inappropriateness या impropriety) व्यवहार के ऐसे मानक होते हैं जिन्हें समाज में बुरा समझा जाता है।[1] यह न्याय द्वारा वर्जित व्यवहार से भिन्न है क्योंकि बहुत से व्यवहार ग़ैर-कानूनी न होते हुए भी हानिकारक या बुरे माने जाते हैं।[2]

स्पष्ट रूप से हानि पहुँचाने वाले कार्य, जैसे कि चोरी और अपहरण, न्याय व्यवस्था में वर्जित होते हैं और उनके करने पर औपचारिक रूप से दण्ड दिया जाता है। लेकिन ऐसे बहुते से व्यवहार हैं जिनपर न्यायिक नियम नहीं बनाये जाते और व्यक्तियों को उन्हें करने अथवा न करने की न्यायिक स्वतंत्रता तो है लेकिन इन्हें करने पर समाज के अन्य सदस्यों द्वारा लगभग निश्चित रूप से आपत्ति उठाई जाती है या घृणात्मक दृष्टि से देखा जाता है।[3] उदाहरण के लिये सम्भव है कि:

  • किसी स्थान पर थूकना वर्जित न हो लेकिन उसे बुरा समझा जाये[4]
  • वृद्धों की उपस्थिति में अपशब्द प्रयोग करना ग़ैर-न्यायिक न हो लेकिन अनौचित्य समझा जाये
  • किसी क्षेत्र में पौधों से फूल तोड़ना किसी न्यायिक नियम का उल्लंघन न हो लेकिन प्राकृतिक सौन्दर्य बिगाड़ने के लिये आपत्तिजनक समझा जाये

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Encyclopedia of Special Education, Elaine Fletcher-Janzen - 2007, p 143
  2. Handbook of Social Psychology - Page 564, Amanda Ward - 2013
  3. Policing Citizens: Authority and Rights - Page 31, P. A. J. Waddington - 1999
  4. "How to Fix (just About) Everything," Bill Marken, Simon and Schuster, 2002, ISBN 9780743234689