अनुषंगी लाभ कर (भारत)

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प्रणाभ मुखारजी

भारत में 2005 के वित्त अधिनियम ने एक नए शुल्क की शुरुआत की, जिसे अनुषंगी लाभ कर या फ्रिंज बेनेफिट टैक्स (एफबीटी) कहा गया। यह आयकर अधिनियम, 1961 के अध्याय 12 एच (अनुच्छेद 115डब्लू से 115डब्लूएल तक) में अंतर्निहित है। एफबीटी की उत्पत्ति उस निगम प्रवृत्ति से विकसित हुई, जिसके तहत कर्मचारी को दिया जाने वाला वेतन कम होता है परंतु उसे प्राप्त अनुलाभ काफी अधिक होते हैं।

अनुषंगी लाभ कर (एफबीटी) नियोक्ता कंपनी द्वारा देय वह अतिरिक्त कर होता है, जो नियोक्ता कंपनी द्वारा अपने नियुक्तों को प्रदान किये गए या प्रदान किये हुए माने गए अनुषंगी लाभों के मूल्य पर देय होता है। अनुषंगी लाभ कर उन नियोक्ताओं द्वारा देय होता है जो एक कंपनी, एक फर्म, व्यक्तियों का एक संगठन (न्यासों और व्यक्तियों के निकाय को छोड़ कर) , एक स्थानीय प्राधिकरण, एकल व्यापारी या कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति है। यह कर उस अवस्था में भी देय होता है, जहां नियोक्ता की अन्यथा करपात्र आय नहीं है। अनुषंगी लाभों को, नियोक्ता द्वारा अपने नियुक्तों को (भूतपूर्व नियुक्तों सहित) उनकी नियुक्ति के कारण से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रदान किये गए कोई भी विशेषाधिकार, सेवा, सुविधा या सुख-साधन, के रूप में परिभाषित किया किया जाता है। इनमें कुछ विशष्ट मदों पर किये गए व्ययों और भुगतानों का भी समावेश किया जाता है। एफबीटी के दायरे में आने के लिए यह लाभ प्रत्यक्ष रूप से प्रदान करना अनिवार्य नहीं है। यदि यह लाभ किसी तीसरे व्यक्ति, या नियोक्ता के किसी सहयोगी या नियोक्ता के साथ किये गए किसी समझौते के माध्यम से भी प्रदान किया जाता है फिर भी इस पर एफबीटी लागू होगा।

अनुषंगी लाभ के मूल्य की गणना अनुच्छेद 115डब्लूसी के तहत प्रावधानों के अनुसार की जाती है। अनुषंगी लाभ के करपात्र मूल्य के निर्दिष्ट प्रतिशत पर एफबीटी देय होता है। इसके अलावा, घरेलू और विदेशी, दोनों प्रकार की कंपनियों के मामले में एफबीटी पर अधिभार भी अधिरोपित किया जायेगा, और इसपर शिक्षा उपकार भी देय होगा। अनुच्छेद 115डब्लूडी के प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक कंपनी को निर्धारण वर्ष की 31 अक्टूबर तक निर्दिष्ट प्रारूप में कर निर्धारण अधिकारी को अनुषंगी लाभ का कर विवरण भी प्रस्तुत करना होगा। वर्तमान कानून के अनुसार स्टॉक ऑप्शन (अंष योजना) को भी अनुषंगी लाभ माना गया है, और वह भी करपात्र है। नियुक्त द्वारा विकल्प को स्वीकार करने के दिनांक के अंश भाग के निष्पक्ष बाजार मूल्य में से नियुक्त द्वारा वास्तविक भुगतान किये गए मूल्य को घटाने से जो राशि आएगी उसे अनुषंगी लाभ माना जायेगा। निष्पक्ष बाजार मूल्य का निर्धारण केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा निर्धारित पद्धति के अनुसार किया जायेगा।