अग्निदाह
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दाह-संस्कार या अग्निदाह किसी प्राणी (विषेशकर मानव) के मृत-शरीर को आग द्वारा जलाकर समाप्त कर देने की विधि को कहते हैं। हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन व कुछ अन्य धार्मिक समुदायों में इसी प्रक्रिया को परम्परागत रूप से करा जाता है।[1] यूरोप व उत्तर अमेरिका के ईसाई मान्यता वाले लोगों में भी अग्निदाह प्रचलित है, हालांकि उनमें दफ़नाने की ऐतिहासिक परम्परा भी है।[2] प्राचीन यूरोप में रोम व यूनान में अग्निदाह ही अधिक प्रचलित मृत्यु-परम्परा थी, और उस समय की कथायें व वर्णन इसकी पुष्टि करते हैं।[3][4] रासायनिक रूप से अग्निदाह में शरीर भस्म होकर राख, गैसें, धुआँ और कुछ हड्डीनुमा अस्तियाँ छोड़ जाता है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Dudi, Amar Singh. Ancient India History. Neha Publishers and Distributors (January 10, 2012). Ch. 9. Vedic Religion, Rituals. ISBN 978-93-80318-16-5.
- ↑ Gassmann, Günther; Larson, Duane H.; Oldenburg, Mark W. (4 April 2001). Historical Dictionary of Lutheranism. Scarecrow Press. p. 48. ISBN 9780810866201.
- ↑ Catullus, Carmen 101, line 4 (mutam … cinerem).
- ↑ Propertius 4.7.8–9.