"प्लेट विवर्तनिकी": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Plates tect2 en.svg|thumb|300px|२०वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में विश्व के प्लेट विवर्तिनिकी की स्थिति को दिखाता चित्र]] |
[[चित्र:Plates tect2 en.svg|thumb|300px|२०वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में विश्व के प्लेट विवर्तिनिकी की स्थिति को दिखाता चित्र]] |
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[[चित्र:Quake epicenters 1963-98.png|thumb|300px|सन् १९६३ से १९९८ तक के भूकम्पों के केंद्र - साफ़ दिख रहा है के भूकंप अक्सर तख़्तों के किनारों पर आते हैं]] |
[[चित्र:Quake epicenters 1963-98.png|thumb|300px|सन् १९६३ से १९९८ तक के भूकम्पों के केंद्र - साफ़ दिख रहा है के भूकंप अक्सर तख़्तों के किनारों पर आते हैं]] |
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[[Image:Tectonic plates Serret.png|thumb|300px|Tectonic plates (preserved surfaces) [http://mappamundi.free.fr/pageF.php Mappamundi]]] |
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'''प्लेट विवर्तनिकी''' (Plate tectonics) एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है जो [[पृथ्वी]] के लिथ़ोस्फ़ीयर (ज़मीनी हिस्सा जिसमें समुद्र के नीचे का फ़र्श और समुद्र के बाहर की ज़मीन दोनों शामिल हैं) के बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है। यह सिद्धान्त बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में विकसित 'कान्टिनेन्टल ड्रिफ्ट' (continental drift) नामक कांसेप्ट से विकसित हुई है। इसके अनुसार सारी ज़मीन कुछ भौगोलिक तख़्तों (या प्लेटों) में बंटी हुई है। यह तख़्ते नीचे की ज़्यादा घनी परत पर "तैर" रहे हैं। देखा गया है के जब यह तख़्ते हिलते हैं तो भूकंप आते हैं। अक्सर भूकंप इन तख़्तों की सीमाओं पर ही आते हैं। |
'''प्लेट विवर्तनिकी''' (Plate tectonics) एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है जो [[पृथ्वी]] के लिथ़ोस्फ़ीयर (ज़मीनी हिस्सा जिसमें समुद्र के नीचे का फ़र्श और समुद्र के बाहर की ज़मीन दोनों शामिल हैं) के बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है। यह सिद्धान्त बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में विकसित 'कान्टिनेन्टल ड्रिफ्ट' (continental drift) नामक कांसेप्ट से विकसित हुई है। इसके अनुसार सारी ज़मीन कुछ भौगोलिक तख़्तों (या प्लेटों) में बंटी हुई है। यह तख़्ते नीचे की ज़्यादा घनी परत पर "तैर" रहे हैं। देखा गया है के जब यह तख़्ते हिलते हैं तो भूकंप आते हैं। अक्सर भूकंप इन तख़्तों की सीमाओं पर ही आते हैं। |
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11:32, 19 फ़रवरी 2012 का अवतरण
प्लेट विवर्तनिकी (Plate tectonics) एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है जो पृथ्वी के लिथ़ोस्फ़ीयर (ज़मीनी हिस्सा जिसमें समुद्र के नीचे का फ़र्श और समुद्र के बाहर की ज़मीन दोनों शामिल हैं) के बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है। यह सिद्धान्त बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में विकसित 'कान्टिनेन्टल ड्रिफ्ट' (continental drift) नामक कांसेप्ट से विकसित हुई है। इसके अनुसार सारी ज़मीन कुछ भौगोलिक तख़्तों (या प्लेटों) में बंटी हुई है। यह तख़्ते नीचे की ज़्यादा घनी परत पर "तैर" रहे हैं। देखा गया है के जब यह तख़्ते हिलते हैं तो भूकंप आते हैं। अक्सर भूकंप इन तख़्तों की सीमाओं पर ही आते हैं।
मुख्य तख़्ते
पृथ्वी पर सात मुख्य भौगोलिक तख़्ते हैं -
- अफ़्रीकी तख़्ता
- अंटार्कटिक तख़्ता
- हिन्द-ऑस्ट्रेलियाई तख़्ता, जिसे कभी-कभी दो अलग तख़्तों में बांटा जाता है -
- यूरेशियाई तख़्ता
- उत्तर अमेरिकी तख़्ता
- दक्षिण अमेरिकी तख़्ता
- प्रशांत तख़्ता
छोटे तख़्ते
पृथ्वी पर दर्ज़नों छोटे तख़्ते हैं जिनमें से सात सब से बड़े इस प्रकार हैं -
- अरबी तख़्ता
- कैरीबियाई तख़्ता
- हुआन दे फ़ूका तख़्ता
- कोकोस तख़्ता
- नाज़का तख़्ता
- फ़िलिपीन सागर तख़्ता
- स्कोश्या तख़्ता