सदस्य:Manjusha m nair/रामनवमी

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राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान

रामनवमी एक लोकप्रिय हिन्दू त्योहार हैं। यह शुक्ल पक्ष या चाँद वैक्सिंग में हिन्दू चांद्र वर्ष की चैत्र महिने के नौवें दिन को मनाया जाता हैं। यह त्योहार आदेश मर्यादा पुरुषोत्तम राम, भगवान विष्णु के अवतार के जन्म के उपलक्ष्य मे मनाया जाता हैं। इस दिन को श्री रामनवमी के रूप में भी मनाया जाता हैं, और यह दिन नौ दिवसीय चैत्र नवरात्री समारोह के अंत का प्रतीक हैं। रमनवमी का त्योहार उच्च संबंध न केवल भारत के लोगों के द्वारा बल्कि दुनिया के अन्य भागों में रहने वाले हिन्दु समुदाय द्वारा आयोजित किया जाता हैं। त्योहार बेहद खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। इस अवसर पर कई श्रद्धालु उपवास रखते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि जो श्रद्धालु इस दिन पर उपवास रखते है उन पर श्री राम के द्वारा अपार खुशी और अच्छी किस्मत प्रदान किया जाता हैं।

रामनवमी की उत्पत्ति[संपादित करें]

महान महाकाव्य रामायण के अनुसार एक बार एक समय के अयोध्या के राजा दशरथ और उनके तीन पत्नियाँ कौशल्य, सुमित्रा और कैकेई रहते थे। शादी के लंबे समय होने के बावजुद भी राजा दशरथ को एक भी बच्चे का धन्य नही हुआ था, यह उनके लिए चिंता का विषय बन गाया था। यहाँ तक की आयोध्या के लोगों को भी निराशा हुई थी क्योंकि उनके राज्य को संभालने के लिये कोई भी वारिस नहीं था। इस स्तर पर ऋशि वशिष्ठ ने सुझाव दिया कि राजा दशरथ को पुत्र कमैस्ति यज्ञ प्रदर्शन करे, जिससे उनहें पुत्र योग होगा।

राम और सीता की प्रतिमा

जल्द ही राजा दशरथ यज्ञ करने के लिये सहमत हुए और यज्ञ करने के लिये महर्षि रुश्या श्रुंगा के आश्राम की ओर चल पडें। मह्रर्षि ने समहति व्यक्त कि और आयोध्या राजा दशरथ के साथ पुत्र कमैस्ति यज्ञ करने के लिये साथ गए। यज्ञ के परिणाम के रुप में, यगनैश्वर दिखाई दिया और उनके हाथ मे खीर का खटोरा दिया और अपने तीन पत्नियों को खिलाने के लिये कहा। दशरथ ने वही किया। उन्होने अपनी बडे पत्नि कौशल्य को आधा खीर दिया और उनके छोटे पत्नि कैकेयी को और एक आधा खीर दिया। इन दोनों ने सुमित्रा को अपना आधा-आधा खीर दे दिया। कुछ दिनो बाद तीनों रानियों ने बच्चों की कल्पना करने लगे। नौंवें दिन चैत्रा महिने के दोपहर में कौशल्य ने श्री भगवान राम को जन्म दिया, कैकेई ने भरत को जन्म दिया और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुग्न को जन्म दिया। यह दिन आयोध्या मे खुशी का समारोह था। तब से इस दिन भक्तों द्वारा एक शुभ अवसर के रुप में मनाया जाता हैं।

सूर्य राम राजवन्श के पूर्वज माना जाता हैं। राम को रघुनाथ,रघुपती,राघवेद्र आदि के रुप में भी माना जाता हैं।यह भी माना जाता हैं कि जिस घंटे प्रभु राम का जन्म हुआ तब सूर्य भुमि के ऊपर हैं और अधिकतम प्रतिभा पर हैं।कुछ हिन्दु संप्रदाय में रामनवमी के दिन पर प्राथना राम के लिए,बल्कि सूर्य के लिए एक मंगलाचरण के साथ शुरु करते हैं।

रामनवमी का महत्व[संपादित करें]

राम कथा एक क्लासिक,अनन्त,धर्म बनाम अधर्म,अच्छाई बनाम बुराई की सार्वभौमिक संदेश देते हैं।

रावन एक ब्राह्मण था,वह एक महान विद्वान थे जिनोने शास्रीय दर्शन पर काम किए थे।वह शक्तिशाली,गतिशील,और दिखने में सुंदर राजा थे।श्रीलंखा के शानदार और सुंदर राजा के रूप में,उनके पास सब कुछ था जिससे वह खुश और शांतिपूर्ण जिवन बीता सकते थे।फिर भी वह अभिमानी,अह्ंकारी,लालची और लंपट थे। उनके लालची इच्छाओं के कारण उन्हें अपनी हर चींज को पाने के लिए अधिक से अधिक शक्ति,अधिक से अधिक पैसा और अधिक से अधिक महिलाओं की लालसा थी। वहाँ एक मुख्य अंतर यह है:भगवान राम के दिल मे देवत्व,प्रेम,उदारता,विनम्रता और कर्तव्य की भवना उमड़ थी। रावन के दिल में इस के विपरीत लोभ,घृणा और अहंकार बरा हुआ था। भगवान राम के दिव्य स्पर्श के तहत जानवर उनके भक्त और दिव्य सहायक बन जाते हैं। अपने महान और दिव्य विक्लपों के माध्यम से,वह दुनिया भर में सिखाता हैं कि लोगों को अर्थ के ऊपर धर्म को चुने और काम देव के ऊपर मोक्ष का चयन करे।

उत्सव[संपादित करें]

रामनवमी यज्ञ

रामनवमी भजन कार्यक्रमों और पूजा के रथ यात्राएं और पंडाल कार्यक्रमों को लेकर तरीकों की एक किस्म मे मनाया जाता हैं। भजन कार्यक्रमों घरों के साथ साथ घर में भी मनाया जाता हैं। इन कार्यक्रमो। के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के गुणगान भजन गाए जाते हैं। मंदिर में इन कार्यक्रमों में अक्सर रामायण कथा, इसमे रामायण का विश्लेषण किया जाता हैं या पुरे रामायण का जप किया जाता हैं। लोग अपने घरों को साफ करते हैं और पूजा के लिए भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के तस्वीरें डालते हैं। फूल और धूप देवताओं के सामने रखा जाता है। पूजा क्षेत्र के यहाँ दो थाली रखा जाता हैं। एक थाली में प्रसाद और पूजा के लिए अन्य वस्तुएँ जैसे रोली, ऐपून, चावल, जल, फूल, एक घंटी और एक शंख रखा जाता हैं। पूजा का आरंभ परिवार की छोटी महिला सदस्य सभी पुरूष सदस्यों को टीका लगाने से शुरु होती हैं। एक लाल बिंदी सभी महिला सदस्यों के माथे पर लगाया जाता हैं। हर कोई पानी, रोली और देवताओं ऐपून छिडंकते है और फिर देवताओं पर मुट्ठि भर चावल की वर्षा करते हैं। इसके बाद सभी लोग आरती करने के लिए खड़े हो जाते हैं और अंत में गंगा जल और सादे पानी छिडका जाता हैं। पूजा खत्म होने तक भक्त भजन गाते हैं और अंत में प्रसाद बांटा जाता हैं।

लोकप्रिय भजन[संपादित करें]

कुछ लोकप्रिय भजन यह है:

"हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे"


"श्री राम राम रामेती रामे रामे मनोरामे

सहरा नाम टट टुल्यम राम नाम वारानाने

श्री राम नम वारानाने इति"

संदर्भ[संपादित करें]

http://www.rudraksha-ratna.com/articles/ram-navami

http://www.indiacelebrating.com/festivals/ram-navami/

http://sivanandaonline.org/newsupdates/significance-of-ramnavami/

http://festivals.iloveindia.com/ram-navami/history.html