सदस्य:Dipam.Sharma/प्रयोगपृष्ठ

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मेरा नाम दीपम शर्मा है। मै तेज़पुर नामक एक छोटे से शहर का रहने वाला हु जो असम, भारत मै स्थित है। वर्तमन मै क्राइस्ट विश्वविद्यालय, मे बी ए मे पहले साल के पहले सेमिस्टर मई हु। अभी में अपने परिवार, शिक्षा, रुचिय एवं लक्ष्य के बारे मे आपको कुछ बताना चाहता हु।[संपादित करें]

परिवार[संपादित करें]

मेरा परिवार चार लोगो का है जिसमे मै मेरे पिताजी मेरी माँ एवं मेरा छोटा भाई है। मेरे पिताजी का नाम डॉ. प्रदीप कुमार सरमा है एवं माँ का नाम है डॉ. अरुन्ज्योती बरुः है। मेरे पिताजी तेजपुर मे डॉक्टर है एवं मेरी माँ नर्संग की अध्यापक है। मेरा छोटा भाई, शुभम शर्मा अभी ७ साल का है एवं कक्षा एक मई है। मै अपने माता पिता का बहुत आदर और सम्मान करता हु एवं इनके दिए गुणों का अपने मन से पालन करता हु। उन्होंने मुझे बचपन से ही यह सिखाया है की जब हम दुसरो का सम्मान करना सीखेंगे तभी दुसरे हमे भी सम्मान देंगे। उनके इस सिख को मै अपने उपलब्धियों का मूल कारण समझता हु।

शिक्षा[संपादित करें]

मैंने अपना प्रारंभिक शिक्षा तेजपुर मे केंद्रीय विद्यालय , तेजपुर से पूरा किया। मेरे स्कूल का मेरे व्यक्तित्व के निर्माण मे बहुत बड़ा योगदान है। १२ कक्षा के समाप्ति के बाद अपने डिग्री के पढाई के लिया वर्तमान मै बैंगलोर के क्राइस्ट विश्वविद्यालय मे पढ़ रहा हु जहा मेरे विषय मनोविज्ञान, नागरिक सास्त्र एवं अंग्रेज़ी है। यह विश्वविद्यालय भारत के सबसे उत्तम विश्वविद्यालयो मे से एक है।

रुचिय[संपादित करें]

मै जीवन मे किसी चीज़ को जाया नही जाने देता एवं जीवन के हर पहलु से कुछ ना कुछ सिखने की कोशिस करता हु। मेरी रुचिय विशेस कर पेंटिंग मई है एवं बैडमिंटन, फुटबॉल, खो-खो जैसे खेलो मे है। मुझे लगता है की लोगो को किताबी ज्ञान के साथ बाहरी रुचिय भी होनी चाहिये तभी इंसान का पूर्ण विकास होता है। खेल कूद इंसान को अन्दर से चुस्त तंदरुस्त रखता है जो मानव के अंदरूनी कलाओ के पूर्ण इस्तिमाल के लिए अत्यंत महत्यपूर्ण है। मै अपने खाली समयों मे पेंटिंग करना या खेलना पसंद करता हु।

लक्ष्य[संपादित करें]

जब मै छोटा था तब मै अपने माता-पिता को मनोविज्ञान एवं मनोविज्ञानिक रोग और उसके विकल्पों के बारे मे सुना करता था एवं तभी से एस विषय पर मेरी जागरूकता बढ़ी। अभी मेरे बी ए के समाप्ति के बाद मैंने नैदानिक मनोविज्ञान पर एमएससी करने की थान राखी है। मै एक नैदानिक मनोविज्ञानिक बनकर समाज मे यह जागरूकता फैलाना चाहता हु की मनोवाज्ञानिक रोग कोई अभिशाप नही है, बल्कि मनोवाज्ञानिक रोगियों को ठीक होने के लिए समाज के लोगो की ज़रूरत है। मै नैदानिक मनोवैज्ञानिक बनकर समाज के कल्याण के लिए काम करना चाहता हु। यह केवल मेरा ही नही बल्कि मेरे माता-पिता का भी सपना है।

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लोकोप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान[संपादित करें]

परिचय[संपादित करें]

लोकोप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (एलजीआरआईएमएचएच) भारत में सबसे पुरानी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में से एक है जो 1876 में स्थापित किया गया था। यह असम के सोनीितपुर जिले में तेजपुर में स्थित है। संस्थान एक हरे भरे परिसर के साथ 81 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है। वर्षों से, यह तृतीयक मानसिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थान देश के पूर्वोत्तर भाग की पूरी आबादी को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

भूमिका[संपादित करें]

अब तक, संस्थान इस क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में जनशक्ति आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से एक स्नातकोत्तर शिक्षण और अनुसंधान केंद्र है। पीजी स्तर पर मनोचिकित्सा, मनश्चिकित्सा नर्सिंग और मनश्चिकित्सीय सोशल वर्क में अकादमिक पाठ्यक्रम, और मनोचिकित्सा नर्सिंग (डीपीएन) पाठ्यक्रम में डिप्लोमा संस्थान में प्रदान किए जाते हैं। यह भारत के कुछ गिने चुने संस्था मे से है जो नैदानिक मनोविज्ञान मे एम पीएचएल की डिग्री प्रदान करता है। [1]

वातावरण एवं इतिहास[संपादित करें]

यह तेजपुर के कोलिबरी नमक जगह स्तिथ है एवं लोकोप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संसथान का आधारिक संरचना बेहत पुराना है परन्तु बेहत टिकाव और सुन्दर है । यहाँ कई हिरन भी पाए जाते है जो रोगियों का मन बेह्लिये रखते है । कहा जाता है की जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया था तब लोकोप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के दरवाज़े खोल दिए गए थे एवं सभी रोगियों को अपने घर लोट जाने दिया गया था, क्योकि सर्कार नही चाहती थी की किसी भी रोगी की जान चीन के आक्रमण के वजह से कुर्बान हो । परन्तु कई रोगी कही नही गए एवं वही रुख गए क्योकि, ऐसा मन जाता है की वे अपना घर का पता भूल गए थे ।[2]

सुख-सुविधाए[संपादित करें]

लोकोप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान मे मनोरंजन का भी अत्यंत ध्यान रखा जाता है एवं यहाँ सभी धर्मो के उत्सवो को धूम धाम से बनाया जाता है जो अनेकता मे एकता का प्रतिक को दर्शाता है । रोगियों को यहाँ के कर्मचारियों के द्वारा दवा दारू के अलावा बहत सारा प्यार भी मिलता है जो रोगियों के स्वास्थ्य के परिवर्तन का एक मुख्य कारण है । लोकोप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के वर्तमान निर्देशक एस. देवरी हैं, जो अपने कम को अपना कर्म मानते है एवं लोकोप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के विकास के लिए अत्यंत कार्य किये है । अपने विवेक के तहत लोकोप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान का नई इमारत परोसा जा रहा है । लोकोप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, मानसिक रोगियों के लिए एक वरदान स्वरुप है । मानसिक रोग को लोग बेहत गन्दी नज़र से देखते है एवं मानसिक रोगियों के साथ लोग बेहत गन्दा स्वभाव करते है । परन्तु ये सोच गलत है, वे लोग भी हमारे तेरह ही जीवित इंसान है, उनका भी समाज मे अधिकार है, बस उनको थोरे से प्यार की ज़रूरत है, थोरे से इलाज की ज़रूरत है । लोकोप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान लोगो के इसी सोच को बदलने के लिए एवं मानसिक रोगियों को उनके अधिकार को प्राप्त करने मे सहायता कर रही है । आज के समाज को इस विषय को महत्वा देते हुए मानसिक रोगियों के अधिकार के लिए आवाज़ उठाना कहिये ।

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  2. "LGBRIMH".