सदस्य:Charithranayak/प्रयोगपृष्ठ

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मेरा नाम छरित्रा अजय नायक है। मैं बेंगलुरु, भारत की रहने वाली हूँ। मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी,बेंगलुरु में बीए(पीएसईको) में पहले साल के अपने पहले सेमेस्टर में हूँ। मैं अपनी भूमिका,परिवार,रुचियों,उपलब्धियों और अपने लक्ष्यों से आपका परिचय करवाना चाहती हूँ।


भूमिका[संपादित करें]

मैं बेंगलुरु में पैदा हुई थी। मैने अपना सारा बचपन बेंगलुरु में ही बिताया हैं। बेंगलुरु अपनी हरियाली और अपने आईटी सेकटर के लिये जाना जाता है। बेंगलुरु को "सिलिकॉन वैली" के नाम से भी बुलाया जाता है। बेंगलुरु को दक्षिण भारत में कर्नटक की राजधानी माना जाता है। असल में मेरी माताजी मुंबई से हैं और मेरे पितजी मेंगलुरु से हैं। मेरी मात्रभाषा कोंकनी है।

परिवार[संपादित करें]

मैं एक साहित्यिक परिवार में रह्ती हूँ। मेरे परिवार में मेरे माता-पिता,दादा-दादी,नानी और मेरी छोटी बहन रह्ते हैं। मेरे पिताजी का नाम अजय नायक है। वे पेशे से इंजीनियर हैं। मेरी माताजी का नाम आर्ती अजय नायक है। वे एक कुशल गृहिणी हैं। मेरी दादीजी का नाम श्रीमती नायक है और मेरे दादाजी का नाम यश्वंत नायक है।मेरी नानीजी का नाम मीरा राओ है। मेरी छोटी बहन का नाम जाहानवी नायक है और वह पाँचवी कक्षा में पढती है। हम १८ वर्षों से एक साथ रह्ते आ रहे हैं और हर मुसीबत का सामना साथ में करते हैं और हर खुशी को साथ में मनाते हैं।

शिक्षा[संपादित करें]

हमारे जीवन में शिक्षा का बहुत महत्त्व होता है और हम सबका लक्ष्य ज्ञान प्रप्त करना होना चाहिये। मैने अपनी प्रारंभिक शिक्षा न्यू होराईजन पब्लिक स्कूल,बेंगलुरु से प्राप्त की है। अब मैं बीए(मनोविज्ञान,नागरिक सास्त्र और अर्थशास्त्र),क्राइस्ट यूनिवर्सिटी से प्रप्त कर रही हूँ। यह विश्वविद्यालय भारत में बहुत सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

रुचियाँ[संपादित करें]

मैं हमेशा से ही जीवन के हर पहलू के बारे में सकारात्मक रही हूँ। मेरी रुचि हमेशा से नाच-गाने और नुक्कड नाटक में ही रही है। मुझे कविताएँ पढने का भी बहुत शौक है। मुझे बच्चों को पढाना भी बहुत अच्छा लगता है। मुझे हर रोज नयी रुचियों को पालने का शौक भी है।

लक्ष्य[संपादित करें]

मैं मनोविज्ञान,नागरिक सास्त्र और अर्थशास्त्र में बीए प्रप्त करने का लक्ष्य रखती हूँ। मैं आगे जाकर मनोविज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अपना योगदान देना चाह्ती हूँ। मैं लोगों की मानसिक स्तिथि को सुधारना चह्ती हूँ और मेरी यह मनोकामना है कि मैं इसमें सफल हो जाऊँ और अपने माता-पिता का नाम रोशन करुँ और इस देश को आगे बढाने में अपना योगदान दूँ।

उपलब्धियाँ[संपादित करें]

मैने अपने जीवन में कई सारे लक्ष्यों को हासिल किया है। कुछ उपलब्धियों ने मुझे खुशी दी है और मैने उससे अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है। मैं बारवी में अपने कालेज(क्राइस्ट जूनियर कॉलेज) में अवल आयी और रज्य रैंक भी प्राप्त किया। इससे मेरे माता-पिता को मुझपर गर्व है। यह मेरे जीवन की सबसे बडी उपलब्धि थी। मैने कई नुक्कड नाटक पेश करके बहुत इनाम जीते हैं और प्रशंसा भी पायी है। कठिन परिश्रम से ही मैं अपने लक्ष्यों को प्रप्त कर पायी हूँ। मेरे स्यफलता का यश मैं अपने परिवार,अध्यपक और अध्यापिकाओं,स्कूल्,क्राइस्ट जूनियर कॉलेज को देना चाहूँगी। ये उपलब्धियाँ मुझे प्रेरणा देती हैं जिस्से मुझे आगे मेह्न्त करने में मदद मिलती है।

वुथा मेला[संपादित करें]

परिचय[संपादित करें]

वुथा मेला, गुजरात के सबसे बडे ग्रमीण मेलों में से एक है। यह मेला नवंबर के महीने में आयोजित किया जाता है, और पाँच दिनों तक चलता है। इस मेले का पौरणिक एवं आर्थिक मह्त्त्व भी है।वुथा मेला गुजरात का सबसे प्रमुख पशु व्यापार का मेला माना जाता है। यह मेला वुथा में आयोजित होता है, ठीक वहाँ जहाँ साबर्मती और वर्तक नदियों का संगम पाया जाता है, जिसे सप्तसंगम भी केहते हैं।

इतिहास[संपादित करें]

धर्मिक रूप से वुथा को ७ नदियों की मातृभूमि माना जाता है। किवंदतियों के प्रति शिवजी के बेटे कार्तिकेय ने इस जगह पर अपनी उपस्थिति दिखायी थी। इसी वजह से कार्तिक पूर्णिमा(पूर्ण चंद्र की रात) पर इस मेले का आयोजन होता है। कई तीर्थयात्री इस दिवस को शुभ मानते हैं और पूर्णिमा की रात को पवित्र नदी में डुबकी लगाकर पूजा की प्रर्थना करते हैं जिससे उनका यह मनना है कि उनके सारे पाप धुल जायेंगे। कुछ यत्रि तो नदि के किनारे पर दिया जलाकर प्रर्थना करते हैं।

गतिविधियाँ[संपादित करें]

इस मेले के अवसर पर कई पशुओं को व्यापार के तौर पर बेचने के लिये लाया जाता है। दिन में बडे पैमाने पर व्यापार देखने को मिलता है। गधों का व्यापार इस मेले का सबसे बडा आकर्षण है। हर साल बंजारा जनजाति के द्वारा ४००० गधों का व्यपार होता है। गधों को इस अवसर के अनुसार रंग-बिरंगे कपडों से सजाया जाता है।एक तरफ यत्री इस दिन ट्रैक्टरों,ट्रकों और जीपों पर इस मेले का हिस्सा बनने आते हैं तो दूसरी तरफ कुछ यात्री खाने-पीने का इंतज़ाम करने में लगे रहते हैं। बाकी यत्री तो नाच-गाने में सक्रिय साझेदारी दिखाते हैं जिससे मेले की रौनक बढती है।आसपास के कृषि क्षेत्रों जैसे अहमदाबाद जिले के भाल और नलकन्था और खेड़ा जिले के चरोतर से ग्रामीण अधिक संख्या में नज़र आते हैं। यह गाँव सडकों की रखारख करता है जिससे यत्रियों को आने-जाने में कोइ दिक्कत नहीं होती है। चौबीसों घंटे परिवाहनों की सुविधा पायी जाती है। किसान से लेकर मज़दूर तक हर जाति और वर्ग मेले का हिस्सा बनने आते हैं। सारे यात्री, खासकर कि बंजारा जनजाति के लोग एकत्रित होते हैं।

लोकप्रिय पकवान[संपादित करें]

वे तीन मील की दूरी पर तंबू लगाते हैं और यहाँ स्टाल की भी व्यवस्था करते हैं, जिसमें भोजन और हस्तलिपि से सबका मनोरंजन होता है। इस मेले के सबसे लोकप्रिय पकवान लड्डु,कचरियु और 'खिचु'है,(जो चावल के आटे से बना है)। कई देहाती समूहों को मेले में भाग लेते देखा जाता है, विशेष रूप से "जथ वंजरा" समुदाय को देखा जाता है।

परिवर्तन[संपादित करें]

शुरू-शुरु में मेले में केवल हिंदुओं को भाग लेते देखा जाता था लेकिन अब तो मुसलमान भी बड़ी संख्या में भाग लेते नज़र आते हैं। दिन के दौरान वहाँ पर एक तेज़ हवा चलती है, लेकिन जब सूर्यास्त होता है,वास्तविक क्रिया शुरू होती है, स्टॉल जीवित होते हैं, संगीत-पार्टियाँ चलती हैं, सवारियाँ खुलती हैं और तब लोगों को असली मज़ा उठाते देखा जाता है।अद्भुत व्यवस्था की वजह से इस मेले की लोकप्रियता हर वर्ष दुगनी होती जा रही है।

निष्कर्ष[संपादित करें]

आधुनिक प्रौद्योगिकी एव्ं गुजरात पर्यटन वेबसाइट के निर्माण के कारण इसकी च्रर्चा खूब की जाती है। आमतोर पर वुथा में २००० लोगों की आबादी रेह्ती है, पर मेले के समय में तो २ लाख से ज़्यादा लोग इकट्ठा होते हैं। राजस्थान के 'पुश्कर मेले' कि प्रतिक्रिति के रूप से शुरु हुआ यह मेला आज गुजरात का सबसे मशहूर और सबसे अच्छी तरह संगठित मेलों में से एक माना जाता है।

कहा जाता है कि, गुजरात का वुथा मेला नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा!

सन्दर्ब[संपादित करें]

http://www.gujarattourism.com/fairs-festivals/major-festivals/vautha-fair

http://www.gujaratindia.com/about-gujarat/vautha-melo.htm

https://www.tourmyindia.com/states/gujarat/vautha-fair.html


व्यक्तित्व प्रकार[संपादित करें]

परिचय[संपादित करें]

[1] व्यक्तित्व प्रकार विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों के मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण को संदर्भित करता है। लोगों के बीच गुणात्मक मतभेदों को शामिल करने के लिए व्यक्तित्व के प्रकार का निर्माण किया गया है. प्रभावशाली व्यक्तित्व टाइपोग्राफी व्यक्तियों के ज्ञान और समझ को प्रकट करती है प्रभावी टाइपोग्राफी, लोगों के बारे में चिकित्सकीय रूप से प्रासंगिक जानकारी इकट्ठा करने में भी काम आती है। इससे प्रभावी उपचार रणनीतियों  का चयन भी किया गया है। ये वर्गीकरण प्रणाली सामान्य स्वभाव और व्यक्तित्व का वर्णन करने और विभिन्न स्वभाव और व्यक्तित्व प्रकारों की प्रमुख विशेषताओं पर जोर देने का प्रयास करती हैं. सारे व्यक्तित्व प्रकारon का, DSM में उल्लेख किया गया है। जंग ने लोगों को प्राथमिक प्रकार के मनोवैज्ञानिक कार्य में वर्गीकृत किया।

प्रकार[संपादित करें]

जुंग ने लोगों को प्राथमिक प्रकार के मनोवैज्ञानिक कार्य में वर्गीकृत किया। १)सनसनी- विषय और वस्तु के बीच दृश्य संबंधों की तत्काल आशंका के माध्यम से धारणा

२)सहज बोध- पृष्ठभूमि में प्रक्रियाओं की धारणा

३)विचारधारा- बौद्धिक संज्ञान का कार्य; तार्किक निष्कर्षों का गठन

४)अनुभूति- मूल्य उन्मुख सोच। सनसनी और सहज बोध सूचना एकत्रण कार्य हैं।

वे नई जानकारी को समझने की प्रक्रिया को दर्शाते हैं।विचारधारा और अनुभूति निर्णय लेने की प्रक्रिया को दर्शाते हैं।

विवरण[संपादित करें]

[2] [3] टाइप ए और टाइप बी व्यक्तित्व परिकल्पना दो विपरीत व्यक्तित्व प्रकारों का वर्णन करती है।फ्राइडमैन और रोजेनमैन (दोनों कार्डियोलॉजिस्ट) ने वास्तव में टाइप ए व्यवहार को दुर्घटना से खोज लिया जब उन्हें एहसास हुआ कि उनके प्रतीक्षा कक्ष कुर्सियों को अनुमानित से जल्द से जल्द पुनर्निर्मित करने की आवश्यकता है।टाइप ए व्यक्तित्व परिकल्पना अत्यधिक महत्वाकांक्षा, आक्रामकता, प्रतिस्पर्धात्मकता, ड्राइव, अधीरता, नियंत्रण की आवश्यकता, गुणवत्ता पर मात्रा और तत्काल अवास्तविक भावना पर केंद्रित है. टाइप ए व्यक्तियों को क्रोध या शत्रुता के लिए आसानी से उत्तेजित किया जा सकता है.ऐसे व्यक्ति दूसरों में बदतर, क्रोध, ईर्ष्या और करुणा की कमी प्रदर्शित करते हैं।

परिकल्पना टाइप बी व्यक्तियों को परिभाषा के अनुसार टाइप ए टाइप बी व्यक्तित्व के विपरीत के रूप में वर्णित करती है, कम तनाव स्तर पर रहने के लिए नोट किया जाता है। वे उपलब्धियों का आनंद लेते हुए तेजी से काम करते हैं, लेकिन जब वे हासिल नहीं होते हैं तो तनाव में नजर नहीं आते हैं। जब प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, तो उन्हें हारने से खास फर्क नहीं पड़ता. वे या तो गेम का आनंद लेते हैं या पीछे हट जाते हैं। वे रचनात्मक हो सकते हैं और विचारों और अवधारणाओं का पता लगाने का आनंद ले सकते हैं। वे बाहरी और आंतरिक दुनिया के बारे में सोचते हुए अक्सर प्रतिबिंबित होते हैं।

निष्कर्ष[संपादित करें]

[4] फ्राइडमैन और रोजेनमैन ने उनकी परिकल्पना का परीक्षण करने के लिए एक अनुदैर्ध्य अध्ययन का आयोजन किया था। निष्कर्ष बताते हैं कि टाइप ए लोग टाइप बी लोगों की तुलना में कोरोनर हृदय रोग विकसित करने के लिए प्रवण होने के दो गुना से अधिक थे।अध्ययन की सीमाओं में बाहरी वैधता से जुडी समस्याएँ शामिल थी। अध्ययन ने सभी पुरुष नमूने का इस्तेमाल किया, यह अज्ञात है अगर परिणाम महिला आबादी के लिए सामान्यीकृत किए जा सकते हैं। अध्ययन धूम्रपान और जीवनशैली जैसे अन्य महत्वपूर्ण चरों को नियंत्रण  में  रखने में सक्षम था। संकीर्ण मानकों का उपयोग कर जटिल मानव अनुभवों का वर्णन करने के प्रयास के लिए,इन दृष्टिकोणों की आलोचना की गई है।

  1. www.psychologydiscussion.net
  2. https://www.simplypsychology.org/personality-a.html
  3. changingminds.org
  4. https://www.simplypsychology.org