पंडित राम प्रसाद बैरागी

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पंडित राम प्रसाद बैरागी हिमाचल प्रदेश के कसौली कस्बे के सुबाथु मन्दिर के पुजारी थे रामप्रसाद बैरागी को अम्बाला की जेल सर्वप्रथम फाँसी पर चढ़ाया गया था।[1] सुबाथू के क्रांतिकारी राम प्रसाद बैरागी ने देश‌ की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह जन क्रांति गतिविधियों का आयोजन करके अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना चाहते थे। इसलिए गदर को सफल बनाने के लिए हिमाचल में एक जासूसी संगठन बनाया गया। इसके नेता राम प्रसाद बैरागी थे।[2] 1857 की क्रांति में बैरागी को कसौली के क्रांतिकारियों का अंग्रेज़ों के खिलाफ युद्ध में पूरा समर्थन मिला। पूरे देश में क्रांति के संचालन के लिए एक गुप्त संगठन बनाया गया था। पहाड़ों में इसके नेता पंडित राम प्रसाद वैरागी थे।[3] संगठन पूरे देश में पत्रों के माध्यम से क्रान्ति का संचालन कर रहा था। 12 जून 1857 को इस संगठन के कुछ पत्र अंबाला के कमिश्नर जीसी बार्नस के हाथ लग गए। इनमें दो पत्र राम प्रसाद वैरागी के भी थे, जिससे संगठन का भेद खुल गया। अन्त में वैरागी को पकड़ कर अंबाला जेल में फाँसी पर चढ़ा दिया।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  1. https://m.tribuneindia.com/2008/20081123/spectrum/book4.htm
  2. https://www.divyahimachal.com/2017/12/%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A4%B9-%E0%A4%B2%E0%A4%97%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%B8-%E0%A4%95%E0%A5%80/
  3. https://m.jagran.com/himachal-pradesh/solan-15886085.html