नामकरण (धारावाहिक)

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नामकरण
शैलीनाटक
लेखक
  • गौतम हेडगे
  • निकिता ढोंद
  • शिप्रा अरोड़ा
  • आयुष अग्रवाल
  • मिताली भट्टाचार्य
  • अरुंधति शर्मा
  • ईशान बाजपई
निर्देशक
  • महेश भट्ट[1]
  • लोकनाथ पांडे
  • फहेम इनामदार
  • संदीप विजय
  • जफर शैख
  • युसुफ अंसारी
अभिनीत
उद्गम देशभारत
मूल भाषा(एं)हिन्दी
सीजन कि संख्या1
एपिसोड कि संख्या536
उत्पादन
कार्यकारी निर्माताआयुष अग्रवाल
निर्माता
  • गुरौदेव भल्लन
  • धवल गढ़ा
छायांकन
  • संतोष सूर्यवंशी
  • राज पंथ
  • शिवशंकर अरोड़ा
संपादक
  • सुधीर
  • प्रवीण विश्वकर्मा
  • विनय मंडल
  • स्वप्निल नेरुकर
कैमरा सेटअपबहु-कैमरा
प्रसारण अवधि21 मिनट
निर्माता कंपनीधवल एंड गुरौदेव प्रॉडक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड
प्रदर्शित प्रसारण
नेटवर्कस्टार प्लस
प्रकाशित3 जनवरी 2015 (2015-01-03) –
2 जून 2018 (2018-06-02)[2]

नामकरण एक भारतीय हिन्दी धारावाहिक है, जिसका प्रसारण स्टार प्लस में 3 जनवरी 2015 से 2 जून 2018 से शुरू हुआ और कुल 463 एपिसोड पूरे करने के बाद 2 जून 2018 को इसका समापन हुआ। इस धारावाहिक को बनाने की प्रेरणा 1998 में बनी बॉलीवुड फिल्म जख्म से मिली थी, जिसे फिल्मकार महेश भट्ट की जिंदगी पर बनाया गया था।

इसे शुरू में बाल कलाकार अरशीन नामदार को लेकर बनाया गया था, जिसमें विरफ पटेल, बरखा सेनगुप्ता और रीमा लागू भी मुख्य किरदार निभा रहे थे। इसके बाद इसमें कहानी को 15 वर्ष आगे बढ़ा दिया जाता है और इसके बाद कहानी अवनी आएशा (अदिति राठोर) और नील खन्ना (ज़ैन इमाम) पर केन्द्रित होती है।

कहानी[संपादित करें]

कहानी की शुरुआत होती है 9 साल की बच्ची, अवनी आएशा से, जो अपनी माँ आएशा हैदर के साथ रहती है। उसके पिता आशीष मेहता एक बहुत प्रसिद्ध फिल्म निर्माता है। लेकिन यह रिश्ता आशीष की माँ, दयावन्ती को बिलकुल भी पसंद नहीं होता है, वो अपने बेटे की शादी जबर्दस्ती नीला पारेख से कराना चाहती है।

जब आएशा अपने दूसरे बच्चे, अमन को जन्म देती है तो दयावन्ती किसी तरह आएशा को मार कर अमन को ले आती है और उस हत्या के आरोप में अवनी को जिम्मेदार बना देती है। आशीष भी अपनी माँ की बात को मान लेता है और अवनी को गिरफ्तार होने देता है, पर नीला जा कर उसे छुड़ा लेती है और आशीष को तलाक दे देती है।

अंत में दयावन्ती अवनी को गोली मार देती है, जिसे बाद में नीला बचा लेती है। सभी को लगता है कि अवनी की मौत हो चुकी है।

15 साल बाद[संपादित करें]

अवनी अब बड़ी हो चुकी है और अब अनन्या वर्मा नाम से नीला के साथ रह रही है।

इस दौरान एसीपी नील खन्ना (ज़ैन इमाम) को अवनी से जुड़े मामले को हल करने का जिम्मा दिया जाता है, इसी मामले के दौरान अंजाने में दोनों एक दूसरे से मिल जाते हैं। वे लोग जंगल में अटक जाते हैं और इस दौरान एक दूसरे के बारे में काफी कुछ जानते हैं। अवनी को पता चलता है कि नील वहाँ का एसीपी है, जिसके कारण वो उससे दूरी बनाने का निश्चय करती है।

इस किस्से को नील अपने दोस्त अली को बताता है। अली एक कैफे का मालिक है, और नील का अच्छा दोस्त भी है। अली भी अपने बचपन की दोस्त, अवनी के बारे में बताता है। दोनों इस बात से अंजान रहते हैं कि वो दोनों एक ही लड़की की बात कर रहे हैं।

नील की शादी अवनि के चचेरी बहन रिया से तय हो जाती है। इसी बीच नील और अवनि की मुलाक़ात कई बार होती है। नील को इसी तरह पता चलता है कि अनन्या का असली नाम अवनी है और उस पर बचपन में मामला भी दर्ज हुआ था, पर नील को लगता है कि अवनी निर्दोष है और वो उसकी बिना उसको बताए ही मदद करने का फैसला करता है।

दयावन्ती किसी तरह रिया और नील की शादी कराना चाहती है, जिससे वे लोग कर्ज से मुक्ति पा सकें और नील के पैसे पर अपना कब्जा जमा पाएँ। नील को बचाने के लिए अवनी चुपके से रिया के जगह खुद आ जाती है और नील से शादी कर लेती है। नील की माँ को ये रिश्ता बिलकुल भी पसंद नहीं आता है, पर उसके पिता अवनि उर्फ अनन्या का घर में स्वागत करते हैं। धीरे धीरे वे दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं। वहीं नील को दयावन्ती से पता चलता है कि अवनी के पिता, आशीष को किसी तरह आएशा की हत्या का पता चल गया था, पर वो किसी को बताए, उससे पहले ही उसे उसके भाई, केतन ने मार दिया। अंत में अवनि के भाई को सारी सच्चाई पता चलती है। लेकिन दयावन्ती किसी तरह वापस आ कर अवनि को फिर से मारने की कोशिश करती है, पर अमन उसे मार देता है और पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है। अवनि अपने भाई अमन को माफ कर देती है।

नील और अवनि एक दूसरे से प्यार का इज़हार करने ही वाले होते हैं कि इसी बीच नील की पूर्व प्रेमिका जुही वहाँ आ जाती है और कहती है कि उसकी बेटी मिष्टि असल में नील की बेटी है। जिसे विद्युत नामक व्यक्ति अपने साथ ले गया है। अवनी किसी तरह मिष्टि को बचा लेती है। बाद में पता चलता है कि मिष्टि असल में जुही और विद्युत की बेटी है। बाद में जुही के मौत का आरोप अवनी पर लग जाता है।

लगभग 6 महीने तक अवनी जेल में रहती है और नील किसी तरह विद्युत से सच बाहर निकालने में सफल रहता है और अवनि को निर्दोष साबित कर लेता है। अंत में नील और अवनी एक दूसरे से वापस मिल जाते हैं और वे अपनी शादी को आगे बढ़ाते हैं।

लेकिन इसी बीच विद्युत के कारण नील के पिता को नील के ऊपर गोली चलाना पड़ता है, नील को बचाने के लिए नीला सामने आ जाती है और उसे गोली लग जाती है, जिससे उसकी मौत हो जाती है। नीला की मौत से अवनी काफी दुःखी होती है। इसी बीच विद्युत से जान बचाने के लिए अवनी घर को आग लगा देती है और ऐसा दिखाती है कि इसमें वो और मिष्टि जल कर मर चुके हैं। सभी को लगता है कि इस आग में अवनी भी मर चुकी है।

10 साल बाद[संपादित करें]

नील अब पद से इस्तीफा दे दिया है और एक रेडियो जॉकी में काम करने लगा है। अवनि अपना नाम बदल कर नीलांजना नाम से एक अनाथालय में काम कर रही है। वो अपने बेटे मौगली के साथ रह रही है। मिष्टि अब बड़ी हो चुकी है और गायिका बनने की राह पर काम कर रही है। उसे करन नामक व्यक्ति से प्यार हो जाता है और वे दोनों शादी भी कर लेते हैं।

10 सालों तक अवनी का इंतजार कर रहे नील को पता चलता है कि अवनि अभी भी जीवित है और मौगली उसका ही बेटा है। वो कई सारी कोशिश करता है कि उसे मौगली के परवरिश का हक मिले। पर स्थिति ऐसी बनती है कि नील की शादी मिताली से तय हो जाती है। वहीं नील को अपनी नई जिंदगी मिताली के साथ शुरू करने देने के लिए अवनि अपने बेटे के साथ हमेशा के लिए शहर छोड़ने का निर्णय लेती है।

आखिरी एपिसोड में मिताली नील को समझाती है कि वो अभी तक अवनी को भुला नहीं पाया है। उसे उसके साथ नहीं बल्कि अवनी और उनके बच्चे मौगली के साथ होना चाहिए। सिर्फ शादी तय हो गया, इस कारण उसे शादी करने की जरूरत नहीं है।

नील इस बात को समझ कर तुरंत अवनि और मौगली को शहर छोड़ने से पहले रोकने के लिए निकल पड़ता है। रास्ते में उनकी मुलाक़ात होती है, वे दोनों बाते करते हुए भावनाओं से ओतप्रोत हो जाते हैं। आखिर में अवनी भी उसकी बात मान लेती है।

वे तीनों एक दूसरे का हाथ पकड़े साथ चलते हुए दिखते हैं और इसी के साथ कहानी ये संदेश देते हुए खत्म हो जाता है कि वे इसके बाद कभी नहीं बिछड़ेंगे।

कलाकार[संपादित करें]

निर्माण[संपादित करें]

बॉलीवुड फ़िल्मकर महेशभट्ट पर बनी 1998 की फिल्म जख्म पर इस धारावाहिक की शुरुआती कहानी आधारित है।[3]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "The villain is a victim, whose story hasn't been told: Mahesh Bhatt". Hindustan Times. 10 September 2016.
  2. "Naamkarann goes off air: see pics from the last day of shoot". Times of India. 11 May 2018.
  3. "The villain is a victim, whose story hasn't been told: Mahesh Bhatt". Hindustan Times. 10 September 2016.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]