क़ाजी अजीजुल हक़

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क़ाज़ी अज़ीज़ुल हक़

विहार में हक़ के तस्वीर, 1929
जन्म ल. 1872
पैग्राम कस्बा, फुलतला, खुलना, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत
(वर्तमान बांग्लादेश)
मौत 1935 (आयु 62–63)

खान बहादुर क़ाज़ी अज़ीज़ुल हक़(1872 - 1935) ब्रिटिशकालीन भारत के (वर्तमान बांग्लादेश के) एक आविष्कारक और पुलिस अधिकारी थे। वे हेनरी क्लासिफिकेशन सिस्टम (अब फिंगरप्रिंट) के विकास के लिए जाने जाते हैं, जो अभी भी उपयोग में हैं।[1] उन्होंने इस प्रणाली को गणितीय आधार प्रदान किया।[2]

प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

हक़ का जन्म 1872 में पैग्राम कस्बा, फुलतला, खुलना जिला, बंगाल प्रेसीडेंसी (अब बांग्लादेश) में हुआ था।[3] जब वह छोटा था तब उसके माता-पिता की एक नाव दुर्घटना से मृत्यु हुई थी।उन्होंने 12 साल की उम्र में अपने घर छोड़ा और कोलकाता चले आए, जहाँ उन्होंने एक ऐसे परिवार से दोस्ती की जो उनके गणितीय कौशल से प्रभावित हुए और उनके लिए औपचारिक शिक्षा की व्यवस्था की।[4]

शिक्षाप्राप्ति और पुलिस कैरियर[संपादित करें]

हक़ ने प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता में गणित और विज्ञान के अध्ययन किया।कलकत्ता पुलिस के एडवर्ड हेनरी ने साल 1892 में उस कॉलेज के प्रिंसिपल को पत्र लिखकर अपने फिंगरप्रिंट प्रोजेक्ट में मदद करने के लिए एक मजबूत सांख्यिकी छात्र की सिफारिश करने के लिए कहा, और प्रिंसिपल ने हक को नामांकित किया।[5] हेनरी ने हक़ को एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर के रूप में चुना, और शुरुआत में उन्हें बंगाल में मानवशास्त्रीय प्रणाली स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गई। जब बिहार बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग हुआ तो हक़ ने बिहार पुलिस सेवा में शामिल होने का विकल्प चुना था।[6]

व्यक्ति जीवन[संपादित करें]

सेवा से सेवानिवृत्त होने पर, हक़ मोतिहारी, बिहार प्रांत में बस गए, जहां उनके मृत्यु हो गई और उनकी दफन हुई हैं। उनकी पत्नी, जुबेन्नेसा के साथ उनके आठ जीवित बच्चे थे, जिनमें चार बेटे, अमीनुल असीरुल, एकरामुल, और मोतिउर, और चार बेटियां, अकीफा, आमेना, अरीफा और अबीदा शामिल थे। उनकी पत्नी, और बच्चे और उनके परिवार भारत के विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिम पाकिस्तान चले आए। वर्तमान में उनके वंशजों बांग्लादेश, पाकिस्तान, यूके, ऑस्ट्रेलिया, मिडल इस्ट और उत्तरी अमेरिका में बसे हैं।[7]

और देखें[संपादित करें]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. Khan, Waqar A. (10 May 2017). "Qazi Azizul Haque, mathematical genius from Bengal". Dawn (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 15 February 2019.
  2. "Indelible Imprints: The Genius from Khulna". The Daily Star (अंग्रेज़ी में). 8 May 2017. अभिगमन तिथि 18 December 2017.
  3. SK Said Baksh (14 August 1963). "Historical Survey on Fingerprints". The Detective. खण्ड VI अंक. 1. Dacca. पृ॰ 114. मूल (PDF) से 26 October 2009 को पुरालेखित.
  4. "Indelible Imprints: The Genius from Khulna | The Daily Star". archive.ph. 2022-02-27. मूल से पुरालेखित 27 फ़रवरी 2022. अभिगमन तिथि 2022-02-27.सीएस1 रखरखाव: BOT: original-url status unknown (link)
  5. Colin Beavan (2001). Fingerprints: The Origins of Crime Detection and Murder Case that Launched Forensic Science. Hyperion, NY, USA.
  6. "Indelible Imprints: The Genius from Khulna". The Daily Star (अंग्रेज़ी में). 2017-05-08. अभिगमन तिथि 2022-02-27.
  7. Khan, Waqar A. (2017-05-10). "Qazi Azizul Haque, mathematical genius from Bengal". DAWN.COM (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-02-27.