"शाकाहार": अवतरणों में अंतर

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:''शाकाहारी खाद्य पदार्थों की किस्मों के लिए, शाकाहारी भोजन देखें. '' ''जानवरों में वनस्पति आधारित आहार के लिए {0शाकाहारी{/0} देखें.''
'''शाकाहार''' मांस न खाने को कहा गया है। [[सनातन धर्म]] में शाकाहारी होना अनिवार्य नहीं, पर यह [[बुद्ध अवतार|प्रबुद्ध]] व्यक्ति, [[वेदव्यास]], [[भीष्म]], [[आदि शंकराचार्य]], [[पतञ्जलि]] ([[योगसूत्र]]), [[वल्लभाचार्य]], [[स्वामिनारायण]], [[महात्मा गांधी]] और बहुत-से [[स्वामी]] के आचरण से जोडा जाता है। अहिंसा और करुणा शाकाहार का तत्त्व हैं। अहिंसा को परम धर्म माना जाता है (अहिंसा पर्मो धर्म:) [http://www.youtube.com/watch?v=foOwmlDqiu0] ("माहिंस्यात सर्वभूतानि", ‒ [[वेद]])।
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दुग्ध उत्पाद और अंडे के साथ या उनके बिना ही फल, सब्जी, अनाज, बादाम आदि, बीज सहित वनस्पति-आधारित भोजन के अभ्यास को '''शाकाहार''' कहते हैं. एक '''शाकाहारी''' मांस नहीं खाता है, इसमें रेड मीट अर्थात पशुओं के मांस, शिकार मांस, मुर्गे-मुर्गियां, मछली, क्रस्टेशीअ अर्थात केंकड़ा-झींगा आदि और घोंघा आदि सीपदार प्राणी शामिल हैं; और शाकाहारी चीज और जिलेटिन में पाए जाने वाले प्राणी-व्युत्पन्न जामन जैसे मारे गये पशुओं के उपोत्पाद से बने खाद्य से भी दूर रह सकते हैं.<ref>परिभाषाएं सूचना शीट , शाकाहारी सोसाइटी, 2 मई 2010 को पुनःप्राप्त.</ref><ref name="Forrest">{{cite web|url=http://www.seriouseats.com/2007/12/is-cheese-vegetarian.html|title=Is Cheese Vegetarian?|last=Forrest|first=Jamie|date=December 18, 2007|publisher=[[Serious Eats]]|accessdate=9 July 2010}}</ref> हालांकि, इन्हें या अन्य अपरिचित पशु सामग्रियों का उपभोग अनजाने में कर सकते हैं.<ref name="vrg faq">{{cite web|url=http://www.vrg.org/nutshell/faqingredients.htm|title=Frequently Asked Questions - Food Ingredients|publisher=Vegetarian Resource Group|accessdate=9 July 2010}}</ref>


नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जा सकता है; और अनेक शाकाहारी आहार हैं. एक लैक्टो-शाकाहारी आहार में दुग्ध उत्पाद शामिल हैं लेकिन अंडे नहीं, एक [[ओवो-शाकाहारी]] के आहार में अंडे शामिल होते हैं लेकिन गोशाला उत्पाद नहीं, और एक [[ओवो-लैक्टो शाकाहारी]] के आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं. एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी आहार में कोई भी प्राणी उत्पाद शामिल नहीं हैं, जैसे कि दुग्ध उत्पाद, अंडे, और सामान्यतः शहद. अनेक वेगन प्राणी-व्युत्पन्न किसी अन्य उत्पादों से भी दूर रहने की चेष्टा करते हैं, जैसे कि कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन.
== वाह्य सूत्र ==


अर्द्ध-शाकाहारी भोजन में बड़े पैमाने पर शाकाहारी खाद्य पदार्थ हुआ करते हैं, लेकिन उनमें मछली या अंडे शामिल हो सकते हैं, या यदा-कदा कोई अन्य मांस भी हो सकता है. एक पेसेटेरियन आहार में मछली होती है, मगर मांस नहीं.<ref>पेसटारियन, मरियम वेबस्टर, 2 मई 2010 को पुनःप्राप्त.</ref> जिनके भोजन में मछली और अंडे-मुर्गे होते हैं वे "मांस" को स्तनपायी के गोश्त के रूप में परिभाषित कर सकते हैं और खुद की पहचान शाकाहार के रूप में कर सकते हैं.<ref>मरियम-वेबस्टर, "मीट": परिभाषा 2b, मरियम-वेबस्टर ऑनलाइन शब्दकोश, 2010. 5 जनवरी 2010 को पुनःप्राप्त.</ref><ref>छोटा ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी ''esp'' (2007) को परिभाषित करता है "शाकाहारी" (; खाना संज्ञा) के रूप में नहीं खाता सिद्धांत पर जो व्यक्ति "एक जानवर से ''cf..'' टाल एक जो मांस (मछली भी लेकिन उपभोग डेयरी उत्पादन और अंडे और कभी कभी शाकाहारी संज्ञा)."</ref><ref name="Barr">{{cite journal|last=Barr|first=Susan I.|coauthors=Gwen E. Chapman|date=March 2002|title=Perceptions and practices of self-defined current vegetarian and nonvegetarian women|journal=Journal of the American Dietetic Association|pmid=11902368|volume=102|issue=3|pages=354–360|doi=10.1016/S0002-8223(02)90083-0|accessdate=July 9, 2010}}</ref> हालांकि, शाकाहारी सोसाइटी जैसे शाकाहारी समूह का कहना है कि जिस भोजन में मछली और पोल्ट्री उत्पाद शामिल हों, वो शाकाहारी नहीं है, क्योंकि मछली और पक्षी भी प्राणी हैं.<ref name="www.vegsoc.org">शाकाहारीयां मछली नहीं खाते हैं, शाकाहारी सोसाइटी, 2 मई 2010 को पुनःप्राप्त.</ref>
*[http://www.abhivyakti-hindi.org/snibandh/drishtikone/2004/shakahar.htm शाकाहार : उत्तम आहार]
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/news/021216_vegetarian_at.shtml शाकाहार रोके दिल का दौरा]
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/news/030715_fastfood_nk.shtml शाकाहार का बढ़ता बाज़ार]
*[http://210.210.18.241/Ghar/detail.asp?id=252 शाकाहार करे कमाल]
*[http://www.merikhabar.com/fullstory.aspx?storyid=1106 '''शाकाहार''' कैंसर से लड़ने का हथियार है]
*[http://www.rawfoodwiki.org/index.php?pagename=Links Raw Food Links on RawfoodWiki]
*[http://goveg.com/vegetarian101.asp '''शाकाहार १०१''' (अंग्रेजी में)]
*[http://www.worldchanging.com/archives/008096.html Cows aren't part of a climate-healthy diet, study says] (WorldChangingDotCom)


==शब्द व्युत्पत्ति==
[[श्रेणी:भोजन]]
1847 में स्थापित शाकाहारी सोसाइटी ने लिखा कि इसने लैटिन "वेजिटस" अर्थात "लाइवली" (सजीव) से "वेजिटेरियन" (शाकाहारी) शब्द बनाया.<ref>सेलिब्रेट क्रिसमस, शाकाहारी सोसाइटी, 1 नवंबर 2000, 2 मई 2010 को पुनःप्राप्त.</ref> ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी (OED) और अन्य मानक शब्दकोश कहते हैं कि "वेजिटेबल" शब्द से यह शब्द बनाया गया है और प्रत्यय के रूप में "-एरियन" जोड़ा गया.<ref>ओइडी खंड 19, द्वितीय संस्करण (1989), पृष्ठ 476; वेबस्ट'र्स
थर्ड न्यू इंटरनैशनल डिक्शनरी पृष्ठ 2537; द ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ऑफ़ इंग्लिश एटीमलॉजी, ऑक्सफोर्ड 1966, पृष्ठ 972; द बर्न्हार्ट डिक्शनरी ऑफ़ एटीमलॉजी (1988), पृष्ठ 1196; कॉलिन स्पेंसर, द हेरेटिक्स फिस्ट.अ हिस्ट्री ऑफ़ वेजेटरीनिज़्म, लंडन 1993, पृष्ठ 252.</ref> OED लिखता हैं 1847 में शाकाहारी सोसायटी के गठन के बाद यह शब्द सामान्य उपयोग में आया, हालांकि यह 1839 और 1842 से उपयोग के दो उदाहरण प्रस्तुत करता है. <ref>
*1839: "यदि मुझे खुद अपना ही बावर्ची बनना पड़ता, तो मुझे निश्चित रूप से एक शाकाहारी हो जाना चाहिए था." (एफ. ए. केंबले, ''जर्नल.'' ''रेसिडेंस ऑफ़ ज्योर्जियन प्लांटेशन'' (1863) 251)
* 1842: "एक स्वस्थ शाकाहारी को बताना कि उसका आहार उसकी प्रकृति की आवश्यकताओं के बहुत ही अनुकूल है." ''(Healthian'' , अप्रैल. 34)</ ref>


==इतिहास==
{{Main|History of vegetarianism}}
(लैक्टो) शाकाहार के प्रारंभिक रिकॉर्ड ईसा पूर्व 6ठी शताब्दी में प्राचीन [[भारत|भारत]] और प्राचीन ग्रीस में पाए जाते हैं.<ref>स्पेन्सर, कॉलिन. द हेरेटिक्स फीस्ट: अ हिस्ट्री ऑफ़ वेजेटरीनिज़्म. चौथा एस्टेट शास्त्रीय हाउस, पीपी. 33-68, 69-84.</ref> दोनों ही उदाहरणों में आहार घनिष्ठ रूप से प्राणियों के प्रति ''नन-व्योयलेंस'' के विचार (भारत में ''अहिंसा'' कहा जाता है) से जुड़ा हुआ है, और धार्मिक समूह तथा दार्शनिक इसे बढ़ावा देते हैं.{{#tag:ref|[[Indian subcontinent|Indian]] emperor [[Ashoka]] has asserted protection to fauna , from his edicts we could understand, i.e. "Twenty-six years after my coronation various animals were declared to be protected -- parrots, mainas, //aruna//, ruddy geese, wild ducks, //nandimukhas, gelatas//, bats, queen ants, terrapins, boneless fish, //vedareyaka//, //gangapuputaka//, //sankiya// fish, tortoises, porcupines, squirrels, deer, bulls, //okapinda//, wild asses, wild pigeons, domestic pigeons and all four-footed creatures that are neither useful nor edible. Those nanny goats, ewes and sows which are with young or giving milk to their young are protected, and so are young ones less than six months old. Cocks are not to be caponized, husks hiding living beings are not to be burnt and forests are not to be burnt either without reason or to kill creatures. One animal is not to be fed to another."—[[Edict of Ashoka]] on Fifth Pillar<ref>''Religious Vegetarianism From Hesiod to the Dalai Lama'', ed. [[Kerry S. Walters]] and Lisa Portmess, Albany 2001, p. 13–46.</ref>|group="nb"}} प्राचीनकाल में रोमन साम्राज्य के ईसाईकरण के बाद शाकाहार व्यावहारिक रूप से यूरोप से गायब हो गया.<ref>पासमोरे, जॉन. "द ट्रीटमेंट ऑफ़ ऐनिमल्स," जर्नल ऑफ़ द हिस्ट्री ऑफ़ आईडियाज़ 36 (1975) p. 196–201.</ref> मध्यकालीन यूरोप में भिक्षुओं के कई नियमों के जरिये संन्यास के कारणों से मांस का उपभोग प्रतिबंधित या वर्जित था, लेकिन उनमें से किसीने भी मछली को नहीं त्यागा.<ref>लुटेर्बच, हुबर्टस. "Der Fleischverzicht im Christentum," सैकुलम 50/II (1999) पृष्ठ 202.</ref> [[पुनर्जागरण|पुनर्जागरण काल]] के दौरान यह फिर से उभरा,<ref>स्पेन्सर पृष्ठ. 180-200.</ref> 19वीं और 20वीं शताब्दी में यह और अधिक व्यापक बन गया. 1847 में, इंग्लैंड में पहली शाकाहारी सोसायटी स्थापित की गयी,<ref>स्पेन्सर पृष्ठ 252-253, 261-262.</ref> जर्मनी, नीदरलैंड, और अन्य देशों ने इसका अनुसरण किया. राष्ट्रीय सोसाइटियों का एक संघ, अंतर्राष्ट्रीय शाकाहारी संघ, 1908 में स्थापित किया गया. पश्चिमी दुनिया में, 20वीं सदी के दौरान पोषण, नैतिक, और अभी हाल ही में, पर्यावरण और आर्थिक चिंताओं के परिणामस्वरुप शाकाहार की लोकप्रियता बढ़ी.

==शाकाहार की किस्में==
[[File:Non eggetarian.jpg|thumb|300px|कुल्लू, भारत के पास सड़क के किनारे कैफे.]]
शाकाहार के अनेक प्रकार हैं, जिनमें विभिन्न खाद्य पदार्थ शामिल हैं या हटा दिए गये हैं.
*ओवो-लैक्टो-शाकाहार में अंडे, दूध और शहद जैसे प्राणी उत्पाद शामिल हैं.
*लैक्टो शाकाहार में दूध शामिल हैं, लेकिन अंडे नहीं.
*ओवो शाकाहार में अंडे शामिल हैं लेकिन दूध नहीं.
*वेगानिज्म दूध, शहद, अंडे सहित सभी प्रकार के प्राणी मांस तथा प्राणी उत्पादों का वर्जन करता है.<ref>शाकाहारी क्या है?, वेगन सोसाइटी (ब्रिटेन), 12 मई 2010 को पुनःप्राप्त.</ref>
*रौ वेगानिज्म में सिर्फ ताज़ा तथा बिना पकाए फल, बादाम आदि, बीज और सब्जियां शामिल हैं.<ref>अंतर्राष्ट्रीय शाकाहारी संघ (आईवीयु), 2 मई 2010 को पुनःप्राप्त.</ref>
*फ्रूटेरियनिज्म पेड़-पौधों को बिना नुकसान पहुंचाए सिर्फ फल, बादाम आदि, बीज और अन्य इकट्ठा किये जा सकने वाले वनस्पति पदार्थ के सेवन की अनुमति देता है.<ref>मंगेल्स, एआर. पोज़ीशन ऑफ़ द अमेरिकन डाय्टेरिक एसोसिएशन: वेजिटेरियन डाइट्स, जर्नल ऑफ़ द अमेरिकन डाय्टेरिक एसोसिएशन, 2009, खंड 109, प्रकाशन 7, पीपी 1266-1282.</ref>
*सु शाकाहार (जैसे कि [[बौद्ध धर्म|बौद्ध धर्म]]) सभी प्राणी उत्पादों सहित एलिअम परिवार की सब्जियों (जिनमें प्याज और लहसुन की गंध की विशेषता हो): प्याज, लहसुन, हरा प्याज, लीक, या छोटे प्याज को आहार से बाहर रखते हैं.
*मैक्रोबायोटिक आहार में अधिकांशतः साबुत अनाज और फलियां हुआ करती हैं.

कट्टर शाकाहारी ऐसे उत्पादों का त्याग करते हैं, जिन्हें बनाने में प्राणी सामग्री का इस्तेमाल होता है, या जिनके उत्पादन में प्राणी उत्पादों का उपयोग होता हो, भले ही उनके लेबल में उनका उल्लेख न हो; उदाहरण के लिए चीज में प्राणी रेनेट (पशु के पेट की परत से बनी एंजाइम), जिलेटिन (पशु चर्म, अस्थि और संयोजक तंतु से) का उपयोग होता है. कुछ चीनी को हड्डियों के कोयले से सफ़ेद बनाया जाता है (जैसे कि गन्ने की चीनी, लेकिन बीट चीनी नहीं) और अल्कोहल को जिलेटिन या घोंघे के चूरे और स्टर्जिओन से साफ़ किया जाता है.

कुछ लोग अर्द्ध-शाकाहारी आहार का सेवन करते हुए खुद को "शाकाहारी" के रूप में बताया करते हैं.<ref name="newsweek.com">याब्रोफ़, जेनी. "नो मोर स्केर्ड काउस", न्यूज़वीक, 31 दिसंबर 2009.</ref><ref>गाले, कैथेराइन आर. एट अल. "बचपन में बौद्धिक स्तर और वयस्कता में शाकाहारी: 1970 ब्रिटिश काउहोट अध्ययन", ब्रिटिश मेडिकल जर्नल, 15 दिसंबर 2006, खंड 333, प्रकाशित 7581, पृष्ठ 245.</ref> अन्य मामलों में, वे खुद का वर्णन बस "फ्लेक्सीटेरियन" के रूप में किया करते हैं.<ref name="newsweek.com"></ref> ऐसे भोजन वे लोग किया करते हैं जो शाकाहारी आहार में संक्रमण के दौर में या स्वास्थ्य, पर्यावरण या अन्य कारणों से पशु मांस का उपभोग घटाते जा रहे हैं. "अर्द्ध-शाकाहारी" शब्द पर अधिकांश शाकाहार समूहों को आपत्ति है, जिनका कहना है कि शाकाहारी को सभी पशु मांस त्याग देना जरुरी है. अर्द्ध-शाकाहारी भोजन में पेसेटेरियनिज्म (pescetarianism) शामिल है, जिसमे मछली और कभी-कभी समुद्री खाद्य शामिल होते हैं; पोलोटेरियनिज्म में पोल्ट्री उत्पाद शामिल हैं; और मैक्रोबायोटिक आहार में अधिकांशतः गोटे अनाज और फलियां शामिल होती हैं, लेकिन कभी-कभार मछली भी शामिल हो सकती है.

==स्वास्थ्य संबंधी लाभ और महत्व==
अमेरिकन डाएटिक एसोसिएशन और कनाडा के आहारविदों का कहना है कि जीवन के सभी चरणों में अच्छी तरह से योजनाबद्ध शाकाहारी आहार "स्वास्थ्यप्रद, पर्याप्त पोषक है और कुछ बीमारियों की रोकथाम और इलाज के लिए स्वास्थ्य के फायदे प्रदान करता है". बड़े पैमाने पर हुए अध्ययनों के अनुसार मांसाहारियों की तुलना में इस्कीमिक (स्थानिक-अरक्तता संबंधी) ह्रदय रोग शाकाहारी पुरुषों में 30% कम और शाकाहारी महिलाओं में 20% कम हुआ करते हैं.<ref>{{cite web| url=http://www.vrg.org/nutrition/2003_ADA_position_paper.pdf| title=Position of the American Dietetic Association and Dietitians of Canada: Vegetarian diets| date= June 2003| accessdate = 24 May 2010}}</ref><ref name="Key">कुंजी एट अल. शाकाहारियों में मृत्यु दर और मांसाहारी: 5 सहयोगी विश्लेषण की एक विस्तृत निष्कर्षों से भावी अध्ययन, पोषण, अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशियन, 70(3): 516S.</ref><ref>अस्वीकार मांस 'वजन रखता है', बीबीसी न्यूज़, 14 मार्च 2006.</ref> सब्जियों, अनाज, बादाम आदि, सोया दूध, अंडे और डेयरी उत्पादों में शरीर के भरण-पोषण के लिए आवश्यक पोषक तत्व, प्रोटीन, और अमीनो एसिड हुआ करते हैं.<ref>soyfoods.com पर सौमिल्क</ref> शाकाहारी आहार में संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और प्राणी प्रोटीन का स्तर कम होता है, और कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फोलेट, और विटामिन सी व ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट तथा फाइटोकेमिकल्स का स्तर उच्चतर होता है.<ref>शाकाहारी आहार स्थिति के अमेरिकी आहार जनित: कनाडा एसोसिएशन और आहार विशेषज्ञ, जर्नल ऑफ अमेरिकन एसोसिएशन आहार जनित, और कनाडा के आहार विशेषज्ञ, 2003, खंड 103, प्रकाशन 6, पीपी 748-65. doi 10.1053/jada.2003.50142.</ref>

शाकाहारी निम्न शारीरिक मास इंडेक्स, कोलेस्ट्रॉल का निम्न स्तर, निम्न रक्तचाप प्रवृत्त होते हैं; और इनमें ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह टाइप 2, गुर्दे की बीमारी, अस्थि-सुषिरता (ऑस्टियोपोरोसिस), अल्जाइमर जैसे मनोभ्रंश और अन्य बीमारियां कम हुआ करती हैं.<ref>मैट्सन, मार्क पी. आहार मस्तिष्क कनेक्शन: मेमोरी पर प्रभाव, मूड, उम्र बढ़ने और रोग. क्लुवर एकडेमिक प्रकाशक, 2002.</ref> खासकर चर्बीदार भारी मांस (Non-lean red meat) को भोजन-नलिका, जिगर, मलाशय और फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते खतरे के साथ सीधे तौर पर जुड़ा पाया गया है.<ref>मैगी फॉक्स, मीट रेसेज़ लंग कैंसर रिस्क, टू, स्टडी फाइंड्स, रायटर्स, 10 दिसंबर 2007; अ प्रोस्पेक्टिव स्टडी ऑफ़ रेड एंड प्रोसेस्स्ड मीट इंटेक इन रिलेशन टू कैंसर रिस्क, प्लोस (PLoS) मेडिसीन. 21 अप्रैल 2008.</ref> अन्य अध्ययनों के अनुसार प्रमस्तिष्‍कवाहिकीय (cerebrovascular) बीमारी, पेट के कैंसर, मलाशय कैंसर, स्तन कैंसर, या प्रोस्टेट कैंसर से होने वाली मृत्यु के मामले में शाकाहारी और मांसाहारियों के बीच में कोई उल्लेखनीय अंतर नहीं है; हालांकि शाकाहारियों के नमूने कम थे और उनमें पूर्व-धूम्रपान करने वाले ऐसे लोग शामिल रहे जिन्होंने पिछले पांच साल में अपना भोजन बदला है.<ref name="Key"></ref> 2010 के एक अध्ययन में सेवेंथ दे एडवेंटिस्ट्स के शाकाहारियों और मांसाहारियों के एक ग्रुप के बीच तुलना करने पर शाकाहारियों में अवसाद कम पाया गया और उन्हें बेहतर मूड का पाया गया.<ref>{{cite web|url=http://www.nutritionj.com/content/9/1/26 |title=Vegetarian diets are associated with healthy mood states: a cross-sectional study in Seventh Day Adventist adults|date= June 1, 2010|accessdate= 25 June 2010}}</ref>

===पोषक तत्व===
{{Main|Vegetarian nutrition}}
[[File:Fruit Stall in Barcelona Market.jpg|thumb|right|260px|एक फल और बार्सिलोना में सब्जी की दुकान]]

पश्चिमी शाकाहारी आहार कैरोटेनोयड्स में आम तौर पर उन्नत होते हैं, लेकिन अपेक्षाकृत लंबी-श्रृंखला एन-3 फैटी एसिड और विटामिन बी<sub>12</sub> में निम्न होते हैं. वेगान्स विशेष रूप से विटामिन बी और कैल्शियम का सेवन कम कर सकते हैं, अगर उन्होंने पर्याप्त मात्रा में कोलार्ड हरे पत्ते, पत्तेदार साग, टेम्पेह और टोफू (सोय) नहीं खाते हैं. फाइबर आहार, फोलिक एसिड, विटामिन सी और ई, और मैग्नेशियम के ऊंचे स्तर तथा संतृप्त वसा अर्थात चर्बी के कम उपभोग को शाकाहारी भोजन का लाभकारी पहलू माना जाता है.<ref name="Key2006">{{cite journal|title=Health effects of vegetarian and vegan diets|author=Timothy J Key, Paul N Appleby, Magdalena S Rosell|year=2006|journal=Proceedings of the Nutrition Society|pages=35–41|volume=65|doi=10.1079/PNS2005481|pmid=16441942|issue=1}}</ref><ref name="Davey">{{cite journal|title=EPIC-Oxford: lifestyle characteristics and nutrient intakes in a cohort of 33 883 meat-eaters and 31 546 non meat-eaters in the UK|author=Davey GK, Spencer EA, Appleby PN, Allen NE, Knox KH, Key TJ|year=2003|journal=Public Health Nutrition |pages=259–69|volume=6 | doi = 10.1079/PHN2002430|pmid=12740075|issue=3}}</ref>

====प्रोटीन====
शाकाहारी भोजन में प्रोटीन का सेवन मांसाहारी आहार से केवल जरा-सा ही कम होता है और व्यक्ति की दैनिक जरूरतों को पूरा कर सकता है. खिलाड़ियों और शरीर को गठीला बनाने वालों की आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकता है.<ref>{{cite book | last = Peter Emery| first = Tom Sanders| title = Molecular Basis of Human Nutrition| publisher = Taylor & Francis Ltd|year=2002| page = 32| isbn = 978-0748407538}}</ref> हार्वर्ड विश्वविद्यालय और [[संयुक्त राज्य अमेरिका|अमेरिका]], [[संयुक्त राजशाही (ब्रिटेन)|ब्रिटेन]], [[कनाडा|कनाडा]], [[ऑस्ट्रेलिया|ऑस्ट्रेलिया]], [[न्यूज़ीलैण्ड|न्यूजीलैंड]] तथा विभिन्न यूरोपीय देशों में किये गये अध्ययनों से इसकी पुष्टि होती है कि विभिन्न प्रकार के पौधों के स्रोतों से आहार उपलब्ध होते रहें और उनका उपभोग होता रहे तो शाकाहारी भोजन पर्याप्त प्रोटीन मुहैया करता है.<ref>{{cite book | last = Brenda Davis| first = Vesanto Melina| title = The New Becoming Vegetarian| publisher = Book Publishing Company|year=2003| pages = 57–58| isbn = 978-1570671449}}</ref> प्रोटीन अमीनो एसिड के प्रकृतिस्थ हैं, और वनस्पति स्रोतों से प्राप्त प्रोटीन को लेकर एक आम चिंता आवश्यक अमीनो एसिड के सेवन की है, जो मानव शरीर द्वारा संश्लेषित नहीं किया जा सकता है. जबकि डेयरी उत्पाद और अंडे लैक्टो-ओवो शाकाहारियों को सम्पूर्ण स्रोत उपलब्ध कराते हैं; ये एकमात्र वनस्पति स्रोत हैं जिनमें सभी आठ प्रकार के आवश्यक अमीनो एसिड महत्वपूर्ण मात्रा में हुआ करते हैं. ये हैं लुपिन, सोय, हेम्पसीड, चिया सीड, अमरंथ, बक व्हीट और क़ुइनोआ. हालांकि, आवश्यक अमीनो एसिड विविध प्रकार के पूरक वनस्पति स्रोतों को खाने से प्राप्त किये जा सकते हैं, सभी आठ आवश्यक अमीनो एसिड प्रदान करने वाले वनस्पतियों के संयोजन से ऐसा हो सकता है (जैसे कि भूरे चावल और बीन्स, या ह्यूमस और गोटे गेहूं का पिटा, हालांकि उस भोजन में प्रोटीन का संयोजन होना जरुरी नहीं है. 1994 के एक अध्ययन में पाया गया कि ऐसे विविध स्रोतों का सेवन पर्याप्त हो सकता है.<ref name="young">{{cite journal| author=VR Young and PL Pellett| title=Plant proteins in relation to human protein and amino acid nutrition| journal=Am. J. Clinical Nutrition| month=May| year=1994| issue=59| pages=1203S–1212S| pmid=8172124| url=http://www.ajcn.org/cgi/reprint/59/5/1203S.pdf|format=PDF|accessdate=2008-12-30| volume=59}}</ref>

====लौह====
शाकाहारी आहार में लौह तत्व आम तौर पर मांसाहारी भोजन के समान स्तर के होते हैं, लेकिन मांस स्रोतों से प्राप्त लौह की तुलना में इसकी बायो-उपलब्धता निम्न होती है, और इसके अवशोषण में कभी-कभी आहार के अन्य घटकों द्वारा रुकावट पैदा की जा सकती है. शाकाहारी खाद्य पदार्थ लौह से भरपूर होते है, इनमें काली सेम, काजू, हेम्पसीड, राजमा, मसूर दाल, जौ का आटा, किशमिश व मुनक्का, लोबिया, सोयाबीन, अनेक नाश्ते में खाये जानेवाला अनाज, सूर्यमुखी के बीज, छोले, टमाटर का जूस, टेमपेह, शीरा, अजवायन और गेहूं के आटे का ब्रेड शामिल हैं.<ref>{{cite web|url=http://goveg.com/essential_nutrients.asp#iron |title=// Health Issues // Optimal Vegan Nutrition |publisher=Goveg.com |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref> शाकाहारी भोजन की तुलना में संबंधित वेगन या शुद्ध शाकाहारी भोजन में अक्सर लौह की मात्रा अधिक हो सकती है, क्योंकि डेयरी उत्पादों में लौह कम हुआ करता है.<ref name="Davey"></ref> मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों में लौह भंडार का प्रवृत्त अक्सर कम होता है, और कुछ छोटे अध्ययनों में शाकाहारियों में लोहे की कमी की उच्च दर पायी गयी है. हालांकि, अमेरिकन डाएटिक एसोसिएशन का कहना है कि मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों में लौह कमी अधिक आम नहीं है (वयस्क पुरुषों में कभी-कभार ही लौह कमी पायी जाती है); लौह कमी रक्ताल्पता कदाचित होती है, आहार से कोई संबंध नहीं.<ref>{{cite journal|title=Dietary Iron Intake and Iron Status of German Female Vegans: Results of the German Vegan Study|author=Annika Waldmann, Jochen W. Koschizke, Claus Leitzmann, Andreas Hahn|year=2004|journal=Ann Nutr Metab|pages=103–108|volume=48|doi=10.1159/000077045|pmid=14988640|issue=2}}</ref><ref>{{cite journal|title=Influence of vegetarian and mixed nutrition on selected haematological and biochemical parameters in children|author=Krajcovicova-Kudlackova M, Simoncic R, Bederova A, Grancicova E, Magalova T|year=1997|journal=Nahrung|pages=311–14|volume=41|doi=10.1002/food.19970410513}}</ref><ref>http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/19562864</ref>

====विटामिन बी<sub>12</sub>====
पौधे आम तौर पर विटामिन बी<sub>12</sub> के महत्वपूर्ण स्रोत नहीं होते हैं.<ref name="moz">{{Cite news | last= Mozafar| first= A. | year= 1997| title= Is there vitamin B<sub>12</sub> in plants or not? A plant nutritionist's view| periodical= Vegetarian Nutrition: an International Journal| issue= 1/2| pages= 50–52 }}</ref> हालांकि, लैक्टो-ओवो शाकाहारी डेयरी उत्पादों और अंडों से बी<sub>12</sub> प्राप्त कर सकते हैं, और वेगांस दृढ़ीकृत खाद्य तथा पूरक आहार से प्राप्त कर सकते हैं.<ref>स्टैण्डर्ड टेबल्स ऑफ़ फ़ूड कौम्पोज़िशन इन जापान (STANDARD TABLES OF FOOD COMPOSITION IN JAPAN) से एल्गाए पांचवें संरचना के खाद्य और 2005 के संशोधित संस्करण</ref><ref>वेगंस (शुद्ध शाकाहारी) और विटामिन बी 12 की कमी</ref> चूंकि मानव शरीर बी<sub>12</sub> को सुरक्षित रखता है और इसके सार को नष्ट किये बिना इसका फिर से उपयोग करता है, इसीलिए बी<sub>12</sub> कमी के उदाहरण असामान्य हैं.<ref>{{cite journal|title=Vitamin B-12 status, particularly holotranscobalamin II and methylmalonic acid concentrations, and hyperhomocysteinemia in vegetarians|author=Herrmann W, Schorr H, Obeid R, Geisel J|year=2003|journal=Am J Clin Nutr|pages=131–6|volume=78|pmid=12816782|issue=1}}</ref><ref>{{cite journal|title=Vegetarianism and vitamin B-12 (cobalamin) deficiency|author=Antony AC|year=2003|journal=Am J Clin Nutr|pages=3–6|volume=78|pmid=12816765|issue=1}}</ref> बिना पुनः आपूर्ति के शरीर विटामिन को 30 वर्षों तक सुरक्षित रखे रह सकता है.<ref name="moz"></ref>

बी<sub>12</sub> के एकमात्र विश्वसनीय वेगान स्रोत हैं बी<sub>12</sub> के साथ दृढीकृत खाद्य (कुछ सोया उत्पादों और कुछ नाश्ता के अनाज सहित) और बी<sub>12</sub> के पूरक.<ref name="Vegan Society B12 factsheet">{{cite web | title=Vegan Society B12 factsheet | url=http://www.vegansociety.com/food/nutrition/b12/ | last=Walsh | first=Stephen, RD | publisher=Vegan Society | accessdate=2008-01-17}}</ref><ref name="donaldson">{{cite journal |title=Metabolic vitamin B12 status on a mostly raw vegan diet with follow-up using tablets, nutritional yeast, or probiotic supplements | last=Donaldson | first=MS |publisher=Ann Nutr Metab. 2000;44:229-234}}</ref> हाल के वर्षों में विटामिन बी<sub>12</sub> के स्रोतों पर शोधों में वृद्धि हुई है.<ref>{{cite web|url = http://www.unu.edu/unupress/food/8F052e/8F052E05.htm |title = Ch05 |accessdate = 2008-06-23}}</ref>

====फैटी एसिड====
ओमेगा 3 फैटी एसिड के पौधे-आधारित या शाकाहारी स्रोतों में सोया, अखरोट, कुम्हड़े के बीज, कैनोला तेल (रेपसीड), किवी फल, और विशेषकर हेम्पसीड, चिया सीड, अलसी, इचियम बीज और लोनिया या कुलफा शामिल हैं. किसी भी अन्य ज्ञात सागों की अपेक्षा कुलफा में अधिक ओमेगा 3 हुआ करता है. वनस्पति या पेड़-पौधों से प्राप्त खाद्य पदार्थ अल्फा-लिनोलेनिक एसिड प्रदान कर सकते हैं, लेकिन लंबी-श्रृंखला एन-3 फैटी एसिड ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) प्रदान नहीं करते, जिनका स्तर अंडों और डेयरी उत्पादों में कम हुआ करता है. मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों, और विशेष रूप से वेगांस में ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) का निम्न स्तर होता है. हालांकि ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) के निम्न स्तर का स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव अज्ञात है, लेकिन इसकी संभावना नहीं है कि अल्फा-लिनोलेनिक एसिड के अनुपूरण से इसके स्तर में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी.<ref>{{cite journal|title=Long-chain n-3 polyunsaturated fatty acids in plasma in British meat-eating, vegetarian, and vegan men|author=Rosell MS, Lloyd-Wright Z, Appleby PN, Sanders TA, Allen NE, Key TJ|year=2003|journal=Am J Clin Nutr|pages=327–34|volume=82|pmid=16087975|issue=2}}</ref> हाल ही में, कुछ कंपनियों ने समुद्री शैवाल के सत्त से भरपूर शाकाहारी डीएचए अनुपूरण की बिक्री शुरू कर दी है. ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) दोनों उपलब्ध कराने वाले इसी तरह के अन्य अनुपूरण भी आने शुरू हो चुके हैं.<ref>{{cite web | url = http://www.water4.net/ | title = Water4life: health-giving vegetarian dietary supplements | accessdate = 2008-05-17}}</ref> पूरा समुद्री शैवाल अनुपूरण के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि उनके उच्च आयोडीन तत्व सुरक्षित उपभोग की मात्रा को सीमित करते हैं. हालांकि, स्पाईरुलिना जैसे कुछ शैवाल गामा-लिनोलेनिक एसिड (जीएलए (GLA)), अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए (ALA)), लिनोलेनिक एसिड (एलए (LA)), स्टीयरिड़ोनिक एसिड (एसडीए (SDA)), आइकोसैपेंटेनोइक एसिड (ईपीए (EPA)), डोकोसहेक्सेनोइक एसिड (डीएचए (DHA)) और अरचिड़ोनिक एसिड (एए (AA)) के अच्छे स्रोत होते हैं.<ref name="uzbek">बाबाद्ज्हनोव, ए.एस., एट अल. "केमिकल कॉम्पोजीशन ऑफ़ स्पिरुलिना प्लेटेंसिस कल्टीवेटेड इन उज्बेकिस्तन." कैमेस्ट्री ऑफ़ नैचुरोल कंपाउंड्स. 40, 3, 2004.</ref><ref name="biomass">टोकुसोग्लू, ओ., उनल एम.के."बायोमॉस न्यूट्रीशन प्रोफाइल्स ऑफ़ थ्री माइक्रोलगए: स्पिरुलीना प्लाटेंसिस, ख्लोरेला वौल्गारिस और आइसोक्राइसिस गल्बना." ''जर्नल ऑफ़ फ़ूड साइंस'' 68, 4, 2003.</ref>

====कैल्शियम====
शाकाहारियों में [[कैल्शियम|कैल्शियम]] का सेवन मांसाहारियों के ही समान है. वेगांस में अस्थियों की कुछ दुर्बलता पायी गयी है जो हरे-पत्तेदार साग नहीं खाया करते, जिनमे प्रचूर कैल्शियम हुआ करता है.<ref>{{cite web|url=http://www.hsph.harvard.edu/nutritionsource/calcium.html |archiveurl=http://web.archive.org/web/20070825133156/http://www.hsph.harvard.edu/nutritionsource/calcium.html |archivedate=2007-08-25 |title=Calcium and Milk: Nutrition Source, Harvard School of Public Health |publisher=Web.archive.org |date=2007-08-25 |accessdate=2009-08-09}}</ref> हालांकि, लैक्टो-ओवो शाकाहारियों में यह नहीं पाया जाता.<ref>{{cite journal|title=Comparative fracture risk in vegetarians and nonvegetarians in EPIC-Oxford|author=P Appleby, A Roddam, N Allen, T Key|year=2007|pmid=17299475|journal=European Journal of Clinical Nutrition|doi=10.1038/sj.ejcn.1602659|volume=61|issue=12|page=1400}}</ref> कैल्शियम के कुछ स्रोतों में कोलार्ड साग, बोक चोय, काले (गोभी), शलगम के साग शामिल हैं.<ref>vrg.org</ref> पालक रसपालक और चुक़ंदर साग कैल्शियम से भरपूर हैं, लेकिन कैल्शियम ऑक्‍जेलेट होने के लिए बाध्य है और इसलिए अच्छी तरह से अवशोषित नहीं हो पाता है.<ref>{{cite web|url=http://www.vegansociety.com/food/nutrition/calcium.php|title=Vegan Sources of Calcium|accessdate=Nov 01 2009}}</ref>

====विटामिन डी====
शाकाहारियों में [[विटामिन डी|विटामिन डी]] का स्तर कम नहीं होना चाहिए (हालांकि अध्ययनों के अनुसार आम आबादी के अधिकांश में इसकी कमी है<ref>{{cite web|url=http://www.upi.com/NewsTrack/Health/2008/02/21/many_vitamin_d_deficient_in_winter/5452/|title=Many vitamin D deficient in winter |publisher=United Press International|accessdate=2008-04-23}}</ref>). पर्याप्त और संवेदी यूवी (UV) सूर्य धूप सेवन से विटामिन डी की आवश्यकताएं मानव शरीर के खुद के उत्पादन के जरिये पूरी हो सकती हैं. दूध सहित सोया दूध और अनाज के दाने जैसे उत्पाद विटामिन डी प्रदान करने के अच्छे दृढीकृत स्रोत हो सकते है;<ref>{{cite web|url=http://dietary-supplements.info.nih.gov/factsheets/vitamind.asp|title=Dietary Supplement Fact Sheet: Vitamin D|publisher=National Institutes of Health|accessdate=2007-09-10|archiveurl=http://www.webcitation.org/5Rl5u0LB5 |archivedate=2007-09-10}}</ref> और खुमी (मशरूम) 2700 आईयू से अधिक (लगभग 3 आउंस या आधा कप) विटामिन डी<sub>2</sub> प्रदान करता है, अगर एकत्र करने के बाद 5 मिनट यूवी प्रकाश में खुला छोड़ दिया जाय;<ref>{{cite news | first= | last= | coauthors= | title=Bringing Mushrooms Out of the Dark |date=April 18, 2006 | publisher= | url =http://www.msnbc.msn.com/id/12370708 | work =MSNBC | pages = | accessdate = 2007-08-06 | language = }}</ref> जो पर्याप्त धूप का सेवन नहीं करते हैं और/या जिन्हें खाद्य पदार्थों से प्राप्त नहीं होता है, उन्हें विटामिन डी के अनुपूरण की जरूरत पड सकती है.

===दीर्घायु===
पश्चिमी देशों के पांच अध्ययनों के एक 1999 के मेटाअध्ययन<ref name="AJCN metastudy">{{cite journal |title= "Mortality in vegetarians and nonvegetarians: detailed findings from a collaborative analysis of 5 prospective studies"|journal= American Journal of Clinical Nutrition|volume= 70|issue=3|pages=516S–524S|date= September 1999 |url=http://www.ajcn.org/cgi/content/full/70/3/516S|accessdate=30 October 2009|author= Timothy J Key, Gary E Fraser, Margaret Thorogood, Paul N Appleby, Valerie Beral, Gillian Reeves, Michael L Burr, Jenny Chang-Claude, Rainer Frentzel-Beyme, Jan W Kuzma, Jim Mann and Klim McPherson |pmid= 10479225}}</ref> के संयुक्त डेटा. मेटाअध्ययन ने मृत्यु दर अनुपात के बारे में बताया कि निम्न संख्या कम मौतों की सूचक है; मछली खाने वालों के लिए .82, शाकाहारियों के लिए .84, कभी-कभार मांस खाने वालों के लिए .84 की संख्या बतायी गयी. नियमित रूप से मांस खाने वाले और वेगांस सर्वाधिक 1.00 मृत्यु दर अनुपात की साझेदारी करते हैं. अध्ययन ने प्रत्येक श्रेणी में होने वाली मौतों की संख्या के बारे में बताया, और प्रत्येक अनुपात के लिए अपेक्षित त्रुटि अनुक्रम को देखते हुए, डेटा में समायोजन किया. हालांकि, "इस (शाकाहारी) आबादी वर्ग में मुख्य रूप से धूम्रपान की आदत अपेक्षाकृत कम होने कारण मृत्यु दर कम रही". मृत्यु के प्रमुख कारणों का अध्ययन करने पर आहार में अंतर की वजह से मृत्यु दर में फर्क का केवल एक ही कारण जिम्मेदार पाया गया, निष्कर्ष में कहा गया: "स्थानिक रक्ताल्पता संबंधी ह्रदय रोग से मृत्यु दर में मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों की संख्या 24% कम है; लेकिन मृत्यु के अन्य प्रमुख कारणों में शाकाहारी आहार का कोई जुड़ाव स्थापित नहीं किया गया."<ref name="AJCN metastudy"></ref>

"मोर्टेलिटी इन ब्रिटिश वेजिटेरीयंस" में,<ref name="AJCN British study">कीय, टिमोथी जे, एट अल., "ब्रिटिश मृत्यु दर में शाकाहारियां: समीक्षा और ऑक्सफोर्ड महाकाव्य प्रारंभिक परिणाम" अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रीशियन, खंड 78, नं. 3, 533S-538S, 2003 सितम्बर http://www.ajcn.org/cgi/content/full/78/3/533S</ref> एक समान निष्कर्ष निकाला गया है: "ब्रिटिश शाकाहारियों में आम आबादी की तुलना में मृत्यु दर कम है. उनकी मृत्यु दर उन लोगों के समान हैं जो मांसाहारियों के साथ तुलनीय हैं, कहा गया कि धूम्रपान के कम प्रचलन और आम तौर पर उच्च सामजिक-आर्थिक स्थिति जैसे गैर-आहारीय जीवनशैली के कारकों या मांस और मछली के परहेज से भिन्न आहार के अन्य पहलुओं के कारण यह लाभ मिलता हो सकता है."<ref>ऐपलबाई पीएन, कीय टीजे, थोरोगुड एम, बुर्र एमएल, मान जे, ब्रिटिश मृत्यु दर में शाकाहारियां, इम्पीरियल कैंसर रिसर्च फंड, कैंसर जानपदिक रोग विज्ञान यूनिट, रैडक्लिफ प्रग्णालय, ऑक्सफोर्ड, ब्रिटेन, फरवरी 2002. 9 जनवरी 2010 को पुनःप्राप्त.</ref>

सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट्स में एड्वेंटिस्ट स्वास्थ्य अध्ययन दीर्घायु जीवन का एक सतत अध्ययन है. दूसरों के बीच में यह एकमात्र अध्ययन है जिसमें वही कार्य पद्धति अपनायी गयी है जिससे शाकाहार के लिए अनुकूल लक्षण प्राप्त हुए. शोधकर्ताओं ने पाया कि अलग-अलग जीवन शैली विकल्पों का संयोजन दीर्घायु जीवन पर अधिक से अधिक दस साल का प्रभाव डाल सकता है. जीवन शैली विकल्पों की जांच में पाया गया कि शाकाहारी भोजन जीवन को अतिरिक्त 1-1/2 से 2 साल तक बढ़ा सकता है. शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि "कैलिफोर्निया एड्वेंटिस्ट पुरुषों और महिलाओं के जीवन की प्रत्याशा किसी भी अन्य भली-भांति वर्णित प्राकृतिक आबादी की तुलना में अधिक है"; पुरुषों के लिए 78.5 साल और महिलाओं के लिए 82.3 साल. 30 वर्ष के कैलिफोर्निया एड्वेंटिस्टस के जीवन की प्रत्याशा पुरुषों के लिए 83.3 साल और महिलाओं के लिए 85.7 साल आंकी गयी.<ref>लोमा लिंडा विश्वविद्यालय अद्वेंटिस्ट स्वास्थ्य विज्ञान केन्द्र, न्यू ऐद्वेंटिस्ट हेल्थ स्टडी रीसर्च नोटेड इन आर्काइव ऑफ़ इंटरनल मेडिसीन, लोमा लिंडा विश्वविद्यालय, 26 जुलाई 2001. 9 जनवरी 2010 को पुनःप्राप्त.</ref>

एड्वेंटिस्ट स्वास्थ्य अध्ययन को फिर से एक मेटाअध्ययन में शामिल किया गया है, जिसका शीर्षक है "क्या मांस का कम सेवन मानव जीवन को दीर्घायु बनाता है?" यह अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित हुआ, जिसका निष्कर्ष है कि अधिक मात्रा में मांस खाने वाले समूह की तुलना में, कम मांस भक्षण (सप्ताह में एक बार से कम) और अन्य जीवनशैली विकल्पों से उल्लेखनीय रूप से आयु बढ़ जाती है.<ref>क्या मनुष्य जीवन प्रत्याशा में वृद्धि की खपत मांस खाने से बढ़ा देती है?-सिंह इट अल. 78 (3): 526—अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन सार</ref> अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि "स्वस्थ वयस्कों के एक आबादी वर्ग में पाए गये निष्कर्षों ने यह संभावना बढ़ा दी कि एक लंबी अवधि (≥ 2 दशक) तक शाकाहारी भोजन के अवलम्बन से आयु में एक उल्लेखनीय 3.6-वाई (3.6-y) की वृद्धि हो सकती है." हालांकि, अध्ययन ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि "कनफाउंडर्स के अध्ययनों के बीच संयोजन में चिह्नित अंतर, शाकाहारी की परिभाषा, माप त्रुटि, आयु वितरण, स्वस्थ स्वयंसेवी प्रभाव, और शाकाहारियों द्वारा कोई ख़ास प्रकार की वनस्पति खाद्य का सेवन करने के कारण शाकाहारियों में उत्तरजीविता लाभ में कुछ भिन्नता हो सकती है." यह आगे कहता है कि "इससे यह संभावना बढती है कि कम मांस व अधिक शाकाहारी भोजन पैटर्न सही मायने में प्रेरणार्थक सुरक्षात्मक कारक हो सकता है, बजाय इसके कि भोजन से मांस को बस निकाल दिया जाय." सभी कारण से मृत्यु दर के लिए कम-मांस आहार से सबंधित हाल के एक अध्ययन में सिंह ने पाया कि "5 अध्ययनों में से 5 में ही यह जाहिर होता है कि जिन वयस्कों ने कम मांस और अधिक शाकाहारी आहार के पैटर्न का अनुसरण किया, उन्होंने सेवन के अन्य पैटर्न की तुलना में, महत्वपूर्ण या जरा कम महत्वपूर्ण रूप से मृत्यु के जोखिम में कमी को महसूस किया."

यूरोप में क्षेत्रीय तथा स्थानीय आहार के साथ दीर्घायु होने की तुलना जैसे सांख्यिकी अध्ययनों में भी पाया गया कि अधिक मांसाहारी उत्तरी फ़्रांस की तुलना में दक्षिणी [[फ़्रांस|फ्रांस]] में लोगों की आयु बहुत अधिक है, जहां कम मांस और अधिक शाकाहारी भूमध्यसागरीय भोजन आम है.<ref>तृचोपौलोऊ, एट अल. 2005 "संशोधित भूमध्य आहार और अस्तित्व: एपिक (EPIC)-एल्डरली प्रोस्पेक्टिव चोरोट स्टडी", ब्रिटिश मेडिकल जर्नल 330:991 (30 अप्रैल) http://bmj.bmjjournals.com/cgi/content/full/bmj;330/7498/991
<br>इस लेख पर आधारित समाचार: विज्ञान दैनिक, 25 अप्रैल 2005 "लंबा जीवन के लिए भूमध्य आहार" http://www.sciencedaily.com/releases/2005/04/050425111008.htm</ref>

इंस्टीटयूट ऑफ़ प्रिवेंटिव एंड क्लिनिकल मेडिसिन, तथा इंस्टीटयूट ऑफ़ सायक्लोजिक्ल केमिस्ट्री द्वारा किये गये अध्ययन में 19 शाकाहारियों (लैक्टो-ओवो) के एक समूह की तुलना उसी क्षेत्र के 19 सर्वभक्षी समूह से की गयी. अध्ययन में पाया गया कि शाकाहारियों (लैक्टो-ओवो) के इस समूह में इस मांसाहारी समूह की तुलना में प्लाज्मा कार्बोक्सीमिथेलीसाइन और उन्नत ग्लिकेशन एंडोप्रोडक्ट्स (AGEs) की मात्रा बहुत अधिक है.<ref>{{cite web | url = http://www.biomed.cas.cz/physiolres/2002/issue3/krajcovic.htm | work = PHYSIOLOGY RESEARCH | title = Advanced Glycation End Products and Nutrition | accessdate = 2008-04-11 }}</ref> कार्बोक्सीमिथेलीसाइन एक ग्लिकेशन उत्पाद है जो "ओक्सीडेटिव तनाव प्रौढावस्था, धमनीकलाकाठिन्य (atherosclerosis) और मधुमेह में प्रोटीन की क्षति के एक आम चिह्नक' का प्रतिनिधित्व करता है." "उन्नत ग्लिकेशन एंड उत्पाद (AGEs) धमनीकलाकाठिन्य, मधुमेह, प्रौढ़ावस्था और जीर्ण गुर्दे की खराबी की प्रक्रिया के मामले में एक महत्वपूर्ण प्रतिकूल भूमिका निभा सकता है."

आहार बनाम दीर्घायु तथा पश्चिमी रोगों के पोषक पर सबसे बड़ा अध्ययन चीनी परियोजना थी; यह एक "2,400 से अधिक काउंटी के उनके 880 मिलियन (96%) नागरिकों पर विभिन्न प्रकार के कैंसर से मृत्यु दर का सर्वेक्षण" था, इसका संयोजन विभिन्न मृत्यु दरों और अनेक प्रकार के आहार, जीवन शैली और पर्यावरणीय विशेषताओं के साथ संबंध के अध्ययन के साथ किया गया, यह अध्ययन चीन के 65 अधिकांशतः ग्रामीण काउंटियों में संयुक्त रूप से कोर्नेल विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और प्रिवेंटिव मेडिसिन की चीनी अकादमी द्वारा 20 वर्षों तक किया गया. चीन अध्ययन में भोजन में मांसाहार की मात्रा तथा पश्चिम में मौत के प्रमुख कारणों के बीच एक मजबूत खुराक-अनुक्रिया संबंध पाया गया है; पश्चिम में मृत्यु के कारण हृदय रोग, मधुमेह, और कैंसर हैं.

===खाद्य सुरक्षा===
यूएसए टुडे (USA Today) के ब्लॉग में लिब्बी सांडे ने कहा है कि शाकाहार ''ई. कोली'' (E. coli) संक्रमण को कम करता है,<ref>{{cite news
| last = Sande
| first = Libby
| title = Vegetarianism reduces ''E.&nbsp;coli'' infections
| publisher = USA Today
|date=2006-09-25
| url = http://blogs.usatoday.com/oped/2006/09/veggie_diet_red.html
| accessdate = 2007-04-28 }}</ref> और [[न्यू यॉर्क टाइम्स|द न्यू यॉर्क टाइम्स]] के एक आलेख में खाद्य में ''ई. कोली'' दूषण को औद्योगिक पैमाने के मांस और डेयरी फ़ार्म के साथ जोड़ा.<ref>{{cite news
| last = Sander
| first = Libby
| title = Source of Deadly ''E.&nbsp;Coli'' Is Found
| publisher = New York Times
|date=2006-10-13
| url = http://www.nytimes.com/2006/10/13/us/13spinach.html
| accessdate = 2006-10-13 }}</ref> 2006 के दौरान अमेरिका में ''ई. कोली'' संक्रमण के लिए पालक और प्याज को जिम्मेवार पाया गया.<ref>{{cite news | title = E.&nbsp;Coli Outbreak | pages = | publisher = NBC News |date=2006-09-15 | url = http://www.kpvi.com/index.cfm?page=nbcstories.cfm&ID=3034 | accessdate = 2006-12-13 }}</ref>{{Dead link|date=October 2009}}<ref>टैको बेल रिमूव्स ग्रीन ओनियंस आफ्टर आउटब्रेक 6 दिसम्बर 2006 एम्एसएनबीसी (MSNBC)</ref>

रोगजनक ''ई. कोली'' का प्रसार मलाशय-मुख संचरण के जरिये हुआ करता है.<ref name="Evans">{{cite web |url=http://www.gsbs.utmb.edu/microbook/ch025.htm |title=Escherichia Coli |accessdate=2007-12-02 |last=Evans Jr. |first=Doyle J. |coauthors=Dolores G. Evans |date= |work=Medical Microbiology, 4th edition |publisher=The University of Texas Medical Branch at Galveston}}</ref><ref name="haccp">{{cite web |url=http://www.cfsan.fda.gov/~dms/hret2-a3.html |title=Retail Establishments; Annex 3 - Hazard Analysis |accessdate=2007-12-02 |last= |first= |coauthors= |month=April | year=2006 |work=Managing Food Safety: A Manual for the Voluntary Use of HACCP Principles for Operators of Food Service and Retail Establishments |publisher=U.S. Department of Health and Human Services Food and Drug Administration Center for Food Safety and Applied Nutrition}}{{Dead link|date=October 2009}}</ref><ref>{{cite journal |last=Gehlbach |first=S.H. |coauthors=J.N. MacCormack, B.M. Drake, W.V. Thompson |year=1973 |month=April |title=Spread of disease by fecal-oral route in day nurseries |journal=Health Service Reports |volume=88 |issue=4 |pages=320–322 |pmid=4574421 |url= |quote= |pmc=1616047 }}</ref> संचरण के आम मार्गों में अस्वास्थ्यकर तरीके से भोजन बनाना<ref name="haccp"></ref> और फार्म संदूषण शामिल हैं.<ref name="spinach">{{cite news |author=Sabin Russell |coauthors= |title=Spinach E. coli linked to cattle; Manure on pasture had same strain as bacteria in outbreak |url=http://www.sfgate.com/cgi-bin/article.cgi?file=/c/a/2006/10/13/MNG71LOT711.DTL |publisher=San Francisco Chronicle |id= |date= October 13, 2006 |accessdate=2007-12-02 }}</ref><ref>{{cite journal |author=Heaton JC, Jones K |title=Microbial contamination of fruit and vegetables and the behaviour of enteropathogens in the phyllosphere: a review |journal=J. Appl. Microbiol. |volume=104 |issue=3 |pages=613–26 |year=2008 |month=March |pmid=17927745 |doi=10.1111/j.1365-2672.2007.03587.x |url=http://www3.interscience.wiley.com/resolve/openurl?genre=article&sid=nlm:pubmed&issn=1364-5072&date=2008&volume=104&issue=3&spage=613}}</ref><ref name="DeGregori">{{cite web |author=Thomas R. DeGregori |date=2007-08-17|url= http://www.cgfi.org/cgficommentary/maddening-media-misinformation-on-biotech-and-industrial-agriculture-part-5-of-5 |title=CGFI: Maddening Media Misinformation on Biotech and Industrial Agriculture |accessdate=2007-12-08 |work=}}</ref> डेयरी और बीफ मांस पशु मुख्य रूप से ''ई. कोली'' प्रजाति ''O157:H7'' के खजाना हैं,<ref name="bach"></ref> और वे इसे स्पर्शोन्मुख रूप से वहां कर सकते हैं और उनके मल में इसे बहा देते हैं.<ref name="bach">{{cite journal |last=Bach |first=S.J. |coauthors=T.A. McAllister, D.M. Veira, V.P.J. Gannon, and R.A. Holley |year=2002 |month= |title=Transmission and control of ''Escherichia coli'' O157:H7 |journal=Canadian Journal of Animal Science |volume=82 |issue= |pages=475–490 |id= |url=http://pubs.nrc-cnrc.gc.ca/aic-journals/2002ab/cjas02/dec02/cjas02-021.html |accessdate= |quote= }}</ref> ''ई. कोली'' प्रकोप के साथ जुड़े खाद्य उत्पादों में जमीन पर पड़ा कच्चा बीफ,<ref>{{cite book |last=Institute of Medicine of the National Academies |first= |authorlink= |coauthors= |editor= |others= |title=''Escherichia coli'' O157:H7 in Ground Beef: Review of a Draft Risk Assessment |url=http://www.nap.edu/catalog.php?record_id=10528 |edition= |series= |year=2002 |publisher=The National Academies Press |location=Washington, D.C. |isbn=0-309-08627-2 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote= }}</ref> कच्चे अंकुरित बीज या पालक,<ref name="spinach"></ref> कच्चा दूध, बिना पैशच्युरैज्ड जूस, और मलाशय-मुख के जरिये संक्रमित खाद्य कर्मियों द्वारा दूषित खाद्य शामिल हैं.<ref name="haccp"></ref> 2005 में, कुछ लोग जिन्होंने तिहरे-धोये पैक होने से पहले लेटस का सेवन किया था, वे ''ई. कोली'' से संक्रमित हो गये थे.<ref>{{cite web|url=http://www.foodnavigator-usa.com/news/ng.asp?n=63793-fda-lettuce-e-coli |title=FDA targets lettuce industry with '&#39;E. coli'&#39; guidance |publisher=Foodnavigator-usa.com |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref> 2007 में, पैक लेटस सलाद को वापस ले लिया गया था, जब उन्हें ''ई. कोली'' से संदूषित पाया गया.<ref>डोल लेट्स रिकौल्ड इन यु.एस., लिसा लेफ द्वारा कनाडा एसोसिएटेड प्रेस</ref> ''ई. कोली'' प्रकोप पैशच्युरैज्ड नहीं किये गये सेब,<ref>ऐपल साइडर और ई. कोलाई खाद्य सुरक्षा अद्यतन 26 जुलाई 2007</ref> संतरे के रस, दूध, रिजका या अल्फाल्फा के अंकुरों,<ref>एफडीए का कहना है कच्चे अंकुरित मुद्रा साल्मोनेला और ई. कोलाई 0157 जोखिम, मेडिकल रिपोर्टर 26 जुलाई 2007</ref> और पानी में पाया गया.<ref>{{cite web|author=health &amp; fitness |url=http://health.msn.com/dietfitness/articlepage.aspx?cp-documentid=100136394&wa=wsignin1.0 |title='&#39;E. coli'&#39;: Dangers of eating raw or undercooked foods |publisher=Health.msn.com |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>

साल्मोनेला का प्रकोप मूंगफली के मक्खन, जमे हुए पॉट पाई और कुरमुरे सब्जी अल्पाहार में पाया गया.<ref>{{cite news|url=http://www.cbsnews.com/stories/2008/04/10/health/webmd/main4007944.shtml|title=CDC: U.S. Food Safety Hasn't Improved|publisher=CBS News|date=11 April 2008}}</ref>
बीएसई, जिसे गाय रोग के नाम से भी जाना जाता है, को [[विश्व स्वास्थ्य संगठन|विश्व स्वास्थ्य संगठन]] ने मानव में क्रुत्ज़फेल्ट-जैकोब रोग से जोड़ा है.<ref>डब्ल्यूएचओ (WHO) 2002 "वेरियंट क्रूज़फेल्डट-जैकोब के रोग", तथ्य पत्रक N°180 http://www.who.int/mediacentre/factsheets/fs180/en/</ref>

भेड़ों में पांव-और-मुंह की बीमारी, फ़ार्म की सालमन मछली में पीसीबी, मछली में पारा, पशु उत्पादों में डायोक्सिन की मात्रा, कृत्रिम हारमोन वृद्धि, एंटीबायोटिक, सीसा, और पारा,<ref>{{cite book | last = Graham Farrell and John E. Orchard | first = Peter Golob| title = Crop Post-Harvest: Science and Technology: Principles and Practice: v. 1| publisher = Blackwell Science Ltd|year=2002| page = 29| isbn = 978-0632057238}}</ref> सब्जी और फल में कीटनाशकों की मात्रा, फलों को पकाने के लिए प्रतिबंधित रसायनों के इस्तेमाल की रिपोर्ट आ रही हैं.<ref>संयुक्त राज्य अमेरिका इंक उपभोक्ताओं संघ, क्या तुम जानते हो की तुम क्या खा रहे हो? - खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों के अवशेषों पर एक अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के विश्लेषण, फरवरी 1999. 9 जनवरी 2010 को पुनःप्राप्त.</ref><ref>{{cite web|url = http://www.ndtv.com/convergence/ndtv/story.aspx?id=NEWEN20070013183 |title = NDTV.com: Artificial ripeners used for mangoes |accessdate = 2008-06-23}}</ref><ref>{{cite web|url = http://www.thehindubusinessline.com/2005/05/16/stories/2005051600881500.htm |title = The Hindu Business Line : Something is rotten in fruit trade |accessdate = 2008-06-23}}</ref>

===चिकित्सकीय प्रयोग===
पश्चिमी दवा में, कभी-कभी मरीजों को शाकाहारी भोजन का पालन करने की सलाह दी जाती है.<ref name="diag">{{cite book | last = L M Tierney, S J McPhee
| first = M A Papadakis | title = Current medical Diagnosis & Treatment. International edition | publisher = Lange Medical Books/McGraw-Hill |year=2002
| location = New York | isbn = 0-07-137688-7}}</ref>
रुमेटी गठिया के लिए एक इलाज के रूप में शाकाहारी आहार का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह कारगर है या नहीं, इसके प्रमाण अनिर्णायक हैं.<ref>{{cite journal |author=Hagen KB, Byfuglien MG, Falzon L, Olsen SU, Smedslund G |title=Dietary interventions for rheumatoid arthritis |journal=Cochrane Database Syst Rev |volume= |issue=1 |pages=CD006400 |year=2009 |pmid=19160281 |doi=10.1002/14651858.CD006400.pub2}}</ref>
डॉ.डीन ओर्निश, एमडी, ने यूसीएसएफ (UCSF) में अनेक अच्छी तरह से नियंत्रित अध्ययन किये, जिसने कम वसा वाले शाकाहारी भोजन सहित जीवन शैली में हस्तक्षेप के जरिये कोरोनरी धमनी रोग को वास्तव में ठीक कर दिया.
[[आयुर्वेद|आयुर्वेद]] और सिद्ध जैसी कुछ वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में शाकाहारी भोजन की सलाह देती हैं.{{#tag:ref|Maya Tiwara notes that Ayurveda recommends small portions of meat for some people, though "the rules of hunting and killing the animal, practiced by the native peoples, were very specific and detailed. Now, that such methods of hunting and killing are not observed, she does not recommend the use of "any animal meat as food, not even for the Vata types."<ref>Maya Tiwari. ''Ayurveda: A Life of Balance'' Healing Arts Press. Rochester, VT. 1995.</ref> |group="nb"}}

===शरीर विज्ञान===
इंसान सर्वभक्षी होते हैं, मांस और शाकाहारी खाद्य पचाने की मानव क्षमता पर यह आधारित है.<ref>{{cite web|url=http://www.vrg.org/nutshell/omni.htm |title=www.vrg.org |publisher=www.vrg.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.beyondveg.com/billings-t/comp-anat/comp-anat-1a.shtml |title=www.beyondveg.com |publisher=www.beyondveg.com |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref> तर्क दिया जाता है कि शरीर रचना की दृष्टि से मनुष्य शाकाहारियों के अधिक समान हैं, क्योंकि इनकी लंबी आंत होती है, जो अन्य सर्वभक्षियों और मांसाहारियों में नहीं होती हैं.<ref>{{cite web|url=http://www.huffingtonpost.com/kathy-freston/shattering-the-meat-myth_b_214390.html|title=Shattering The Meat Myth: Humans Are Natural Vegetarians| publisher=Huffington Post|date=2009-06-11|accessdate=2010-02-21}}</ref> पोषण संबंधी विशेषज्ञों का मानना है कि प्रारंभिक होमिनिड्स ने तीन से चार मिलियन वर्ष पहले भारी जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप मांस खाने की प्रवृत्ति विकसित की, जब जंगल सूख गये और उनकी जगह खुले घास के मैदानों ने ले लिया, तब शिकार तथा सफाई के अवसर खुल गये.<ref name="milton">मिल्टन, कैथरीन, "एक परिकल्पना मानव विकास में खाने के लिए समझाने के मांस की भूमिका, विकासवादी नृविज्ञान मुद्दे", समाचार, और समीक्षाएं खंड 8, अंक 1, 1999, पेज: 11-21</ref><ref>{{cite web|url=http://www.abc.net.au/dimensions/dimensions_health/Transcripts/s792589.htm |title=ABC |publisher=ABC |date=2003-02-25 |accessdate=2009-08-09}}</ref>

=== जानवर-से-मानव रोग संक्रमण ===
{{POV-section|date=January 2010}}
मांस का उपभोग पशुओं से मनुष्यों में अनेक रोगों के संक्रमण का कारण हो सकता है.<ref name="hill">{{cite book |title= The case for vegetarianism |last= Hill |first= John Lawrence |authorlink= |coauthors= |year= 1996 |publisher= Rowman & Littlefield |location= |isbn= 0847681386 |page= 89 |pages= |url= http://books.google.com/?id=W-XR1T-pXFwC&printsec=frontcover#PPA89,M1 |accessdate= 2009-04-26}}</ref> साल्मोनेला के मामले में संक्रमित जानवर और मानव बीमारी के बीच संबंध की जानकारी अच्छी तरह स्थापित हो चुकी है; एक अनुमान के अनुसार एक संयुक्त राज्य अमेरिका में बिक रहे मुर्गे की एक तिहाई से आधा तक साल्मोनेला से संदूषित है.<ref name="hill"></ref> हाल ही में, वैज्ञानिकों ने संदेह करना शुरू किया है कि पशु मांस और मानव कैंसर, जन्म दोष, उत्परिवर्तन तथा मानवों की अनेक बिमारियों के बीच इसी तरह का संबंध है.<ref name="hill"></ref><ref name="stanley">{{cite book |title= Diet by Design |last= Stanley |first= Tyler |authorlink= |coauthors= |year= 1998|publisher= TEACH Services, Inc. |location= |isbn= 1572580968 |page= 14 |pages= |url= http://books.google.com/?id=MdS3x6Vn2q4C&printsec=frontcover#PPA14,M1 |accessdate= 2009-04-26}}</ref><ref name="trash1">{{cite book |title= Nutrition For Vegetarians |last= Trash |first= Agatha |authorlink= |coauthors= Calvin Trash |year= 1982 |publisher= New Lifestyle Books |location= Seale, Alabama |isbn= |page= |pages= 82–85 |url= |accessdate= 2009-04-26}}</ref><ref name="trash2">{{cite book |title= Nutrition For Vegetarians |last= Trash |first= Agatha |authorlink= |coauthors= Calvin Trash |year= 1982 |publisher= New Lifestyle Books |location= Seale, Alabama |isbn= |page= 84 |pages=|url= |accessdate= 2009-04-26}}</ref><ref name="oski">{{cite book |title= Don't Drink Your Milk |last= Oski |first= Frank |authorlink= |coauthors= |year= 1992 |publisher= TEACH Services Inc. |location= Brushton, New York |isbn= |page= |pages= 48–49 |url= |accessdate= 2009-04-26}}</ref><ref name="shelton">{{cite book |title= The Science and Fine Art of Food and Nutrition |last= Shelton |first= Herbert |authorlink= |coauthors= |year= 1984 |publisher= Natural Hygiene Press |location= Oldsmar, Florida |isbn= |page= 148 |pages= |url= |accessdate= 2009-04-26}}</ref><ref name="aflatoxins">{{cite book |title= Health Protection Branch Issues |last= "Aflatoxins" |first= |authorlink= |coauthors= |year= 1990 |publisher= Health Canada, May |location= Ottawa, Ontario |isbn= |page= |pages= 2–3 |url= |accessdate= 2009-04-26}}</ref> 1975 में, एक अध्ययन में सुपर मार्केट के गाय के दूध के नमूनों में 75 फीसदी और अंडों के नमूनों में 75 फीसदी ल्यूकेमिया (कैंसर) के वायरस पाए गये.<ref name="stanley"></ref> 1985 तक, जांच किये गये अंडों का लगभग 100 फीसदी, या जिन मुर्गियों से वे निकले हैं, में कैंसर के वायरस मिले.<ref name="hill"></ref><ref name="stanley"></ref> मुर्गे-मुर्गियों में बीमारी की दर इतनी अधिक है कि श्रम विभाग ने पोल्ट्री उद्योग को सबसे अधिक खतरनाक व्यवसायों में एक घोषित कर दिया.<ref name="hill"></ref> सभी गायों का २० फीसदी गोजातीय ल्यूकेमिया वायरस (BLV) नाम से ज्ञात विभिन्न प्रकार के कैंसर से पीड़ित है.<ref name="hill"></ref> अध्ययन तेजी से HTLV-1 के साथ BLV को जोड़ रहे हैं, यह खोजा गया पहला मानव रेट्रोवायरस है जिससे कैंसर होता है.<ref name="hill"></ref> वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक गोजातीय रोगक्षम-अपर्याप्तता वायरस (BIV), जो गायों में एड्स के वायरस के समान है, भी मानव कोशिकाओं को संक्रमित कर सकते हैं.<ref name="hill"></ref> यह माना जाता है कि मानव में अनेक घातक और धीमी गति के वायरस के विकास में BIV की भूमिका हो सकती है.<ref name="hill"></ref>

औद्योगिक पैमाने के पशु फार्मिंग में पशुओं की निकटता से रोग संक्रमण की दर में वृद्धि हुई है.{{Citation needed|date=April 2010}} मानव में इन्फ्लूएंजा के वायरस के संक्रमण के प्रमाण दर्ज हो चुके हैं, लेकिन ऐसे मामलों में हुई बीमारियों की तुलना अब मानव द्वारा अनुकूलित हो चुके आम पुराने इन्फ्लूएंजा वायरस के साथ कभी-कभार ही होती है,<ref name="brown">{{cite book |others= |title= Emerging diseases of animals |last= Brown |first= Corrie |authorlink= |coauthors= |year= 2000 |publisher= ASM Press |location= |isbn= 1555812015 |page= |pages= 116–117 |url= http://books.google.com/?id=yKgsMbsxtfEC&printsec=frontcover#PPA116,M1 |accessdate= 2009-04-26}}</ref> जो बिमारी बहुत पहले भूतकाल में पशुओं से मनुष्यों में संक्रमित हुई.{{#tag:ref|Sometimes a virus contains both avian adapted genes and human adapted genes. Both the [[H2N2]] and [[H3N2]] pandemic strains contained avian flu virus [[RNA]] segments. "While the pandemic human influenza viruses of 1957 (H2N2) and 1968 (H3N2) clearly arose through reassortment between human and avian viruses, the influenza virus causing the '[[Spanish flu]]' in 1918 appears to be entirely derived from an avian source (Belshe 2005)."<ref>Timm C. Harder and Ortrud Werner, ''[http://www.influenzareport.com/ir/ai.htm Avian Influenza]'', ''Influenza Report 2006'', 2006: Chapter two.</ref> |group="nb"}}<ref>{{cite journal |author=Taubenberger JK, Reid AH, Lourens RM, Wang R, Jin G, Fanning TG |title=Characterization of the 1918 influenza virus polymerase genes |journal=Nature |volume=437 |issue=7060 |pages=889–93 |year=2005 |month=October |pmid=16208372 |doi=10.1038/nature04230}}</ref><ref>{{cite journal |author=Antonovics J, Hood ME, Baker CH |title=Molecular virology: was the 1918 flu avian in origin? |journal=Nature |volume=440 |issue=7088 |pages=E9; discussion E9–10 |year=2006 |month=April |pmid=16641950 |doi=10.1038/nature04824}}</ref><ref name="pmid18353690">{{cite journal| author = Vana G, Westover KM| title = Origin of the 1918 Spanish influenza virus: a comparative genomic analysis| journal = Molecular Phylogenetics and Evolution| volume = 47| issue = 3| pages = 1100–10| year = 2008| month = June| pmid = 18353690| doi = 10.1016/j.ympev.2008.02.003}}</ref> पहला मामला 1959 में दर्ज किया गया था, और 1998 में, H5N1 इन्फ्लूएंजा के 18 नए मामलों का निदान किया गया, जिनमें से छः लोगों की मृत्यु हो गयी. 1997 में हांगकांग में H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा के और अधिक मामले मुर्गियों में पाए गये.<ref name="brown"></ref>

तपेदिक की शुरुआत पशुओं में हुई और फिर उसका संक्रमण उनसे मनुष्यों में हुआ, या एक समान पूर्वज से निकली अलग-अलग प्रजातियां संक्रमित हुईं, यह अब तक अस्पष्ट है.<ref name="Pearce-Duvet_2006">{{cite journal |author=Pearce-Duvet J |title=The origin of human pathogens: evaluating the role of agriculture and domestic animals in the evolution of human disease |journal=Biol Rev Camb Philos Soc |volume=81 |issue=3 |pages=369–82 |year=2006 | pmid = 16672105 |doi=10.1017/S1464793106007020}}</ref> खसरा और काली खांसी के मूल में पालतू पशुओं के जिम्मेवार होने के मजबूत साक्ष्य मौजूद हैं, हालांकि डेटा ने गैर-पालतू मूल को इस दायरे से बाहर नहीं किया है.<ref>पियर्स-डुवेट 2006</ref>

'हंटर थ्योरी' के अनुसार, "पजातियों के बीच संक्रमण की सबसे आसन और विश्वसनीय व्याख्या" चिम्पांजी से मानव में [[एड्स|एड्स]] वायरस का संक्रमण है, ऐसा तब हुआ होगा जब किसी जंगल के शिकारी को किसी पशु ने शिकार करते समय या क़त्ल करते समय मारा या काटा होगा.<ref name="Sharp2001">{{cite journal|author=Sharp PM, Bailes E, Chaudhuri RR, Rodenburg CM, Santiago MO, Hahn BH|title=The origins of acquired immune deficiency syndrome viruses: where and when?| journal=Philos Trans R Soc Lond B Biol Sci|year=2001|pages=867–76|volume=356|issue=1410|url=http://journals.royalsociety.org/content/lxtlqmn9urgcvb7x/fulltext.pdf|doi=10.1098/rstb.2001.0863|pmid=11405934|pmc=1088480}}</ref>

इतिहासकार नोर्मन कैंटर की राय में पशुओं के मुरैन (एक प्लेग जैसे रोग), एंथ्रेक्स के एक रूप सहित महामारी का एक संयोजन हो सकती है काली मौत. उन्होंने इस सिलसिले में प्रमाण के कई रूपों का उल्लेख किया, जिनमें यह तथ्य भी शामिल है कि प्लेग के प्रकोप से पहले अंग्रेजी क्षेत्रों में संक्रमित पशुओं के मांस बेचे जाते रहे थे.<ref>{{cite book |title= In the Wake of the Plague: The Black Death and the World It Made |last= Cantor |first= Norman |authorlink= |coauthors= |year= 2001 |publisher= Free Press |location= |isbn= 0684857359 |page= |pages= |url= |accessdate= }}</ref>

=== खान-पान संबंधी गड़बड़ी ===
अमेरिकन डाएटिक एसोसिएशन बताया कि खाने के विकार के साथ किशोरों में शाकाहारी आहार अधिक आम हो सकते हैं, लेकिन प्रमाणों के अनुसार शाकाहारी भोजन अपनाने से खाने के विकार नहीं होते, बल्कि यह कि "मौजूदा खाने के विकार को छिपाने के लिए शाकाहारी भोजन को चुना जा सकता है."<ref name="adajournal">{{cite journal |title=Position of the American Dietetic Association: vegetarian diets. |journal=J Am Diet Assoc |volume=109 |issue=7 |pages=1266–1282 |year=2009 |month=July |pmid=19562864 |doi=10.1016/j.jada.2009.05.027 |url=http://www.eatright.org/cps/rde/xchg/ada/hs.xsl/advocacy_933_ENU_HTML.htm |last1=Craig |first1=WJ |last2=Mangels |first2=AR |last3=American Dietetic |first3=Association }}</ref> अन्य अध्ययनों और डाएटिशियनों व सलाहकारों के बयानों ने इस निष्कर्ष का समर्थन किया.{{#tag:ref|Vesanto Melina, a [[British Columbia]]n registered dietitian and author of ''Becoming Vegetarian'', stresses there is no cause and effect relationship between vegetarianism and eating disorders, although people who have eating disorders may label themselves as vegetarians "so that they won't have to eat."<ref>Katherine Dedyna, ''[http://www.compulsiveeating.com/news/16-healthy-lifestyle-or-politically-correct-eating-disorder Healthy lifestyle, or politically correct eating disorder?]'', ''Victoria Times Colonist'', CanWest MediaWorks Publications Inc., 30 January 2004. Retrieved 10 January 2010.</ref> Indeed, research indicates that the large majority of vegetarian or vegan anorexics and bulimics chose their diets after the onset of their disease. The "restricted" eating patterns of vegetarianism and veganism can legitimize the removal of numerous high-fat, energy-dense foods such as meat, eggs, cheese, &hellip; However, the eating pattern chosen by those with anorexia or bulimia nervosa is far more restrictive than a healthful vegetarian diet, eliminating nuts, seeds, avocados, and limiting overall caloric intake.<ref>Brenda Davis and Vesanto Melina, ''Becoming Vegan: The Complete Guide to Adopting a Healthy Plant-Based Diet'', Healthy Living Publications, 2002: p. 224.</ref>|group="nb"}}<ref name="veganorexianervosa">{{cite journal | author=O'Connor MA, Touyz SW, Dunn SM, Beumont PJ | title=Vegetarianism in anorexia nervosa? A review of 116 consecutive cases | journal=Med J Aust | year=1987 | pages=540–2 | volume=147 | issue=11–12 | pmid=3696039 |quote=In only four (6.3%) of these did meat avoidance predate the onset of their anorexia nervosa.}}</ref>

==शाकाहारी भोजन के अतिरिक्त कारण==
===आचारनीति===
{{Main|Ethics of eating meat}}

विभिन्न नैतिक कारणों से शाकाहार को चुनने के सुझाव दिये गये हैं.

===धर्म===
{{Main|Vegetarianism and religion}}
[[File:Vegetarian Curry.jpeg|thumb|भारतीय खाना शाकाहारी व्यंजनों की एक विस्तृत श्रृंखला की वजह से हिंदू धर्म, भारत की आबादी का बहुमत द्वारा अभ्यास प्रदान करता है, शाकाहारी भोजन प्रोत्साहित करती है.यहां शाकाहारी थाली दिया जाता है.]]
[[जैन धर्म|जैन धर्म]] नैतिक आचरण के रूप में शाकाहार होने की शिक्षा देता है, उसी तरह जैसा कि [[हिन्दू धर्म|हिंदू धर्म]] के कुछ प्रमुख{{Citation needed|date=July 2010}} संप्रदाय करते हैं. सामान्य तौर पर बौद्ध धर्म,मांस खाने का निषेध नहीं करता है, जबकि [[महायान|महायान बौद्ध धर्म]] दया की भावना के लाभप्रद विकास के लिए शाकाहारी होने को प्रोत्साहित करता है. अन्य पंथ जो पूरी तरह शाकाहारी भोजन की वकालत करते हैं उनमें सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट्स, रस्ताफरी आन्दोलन और हरे कृष्णा शामिल हैं.
[[सिख धर्म|सिख धर्म]]<ref>एच.एस. सिंघ द्वारा जूनियर सिंघा सिख धर्म का विश्वकोश 124 ISBN 10: 070692844X / 0-7069-2844-X</ref><ref>{{cite book|title=Punjab Through the Ages|editor=S.R. Bakshi, Rashmi Pathak,|publisher=Sarup and Sons|location=New Delhi|year=2007|edition=1st|volume=4|page=241|chapter=12|isbn=8176257389 (Set)|url=http://books.google.com/?id=-dHzlfvHvOsC&pg=PA7&dq=Punjab+Through+the+Ages+By+S.R.+Bakshi,+Rashmi+Pathak,+Rashmi+Pathak+volume+4#v=onepage&q=Punjab%20Through%20the%20Ages%20By%20S.R.%20Bakshi%2C%20Rashmi%20Pathak%2C%20Rashmi%20Pathak%20volume%204 | first1=S.R. | last1=Kakshi}}</ref><ref>{{cite web|url=http://sgpc.net/sikhism/sikhism4.asp |title=Shiromani Gurudwara Prabhandhak Committee |publisher=Sgpc.net |date= |accessdate=2009-08-29}}</ref> आध्यात्मिकता के साथ आहार को नहीं जोड़ता और शाकाहारी या मांसाहारी आहार निर्दिष्ट नहीं करता है.<ref>{{cite web|url=http://www.sikhs.org/meat.htm |title=The Sikhism Home Page |publisher=Sikhs.org |date=1980-02-15 |accessdate=2009-08-29}}</ref>

====हिंदू धर्म====
{{Main|Vegetarianism in Hinduism|Hindu dietary law}}

[[हिन्दू धर्म|हिंदू धर्म]] के अधिकांश बड़े पंथ शाकाहार को एक आदर्श के रूप में संभाले रखा है. इसके मुख्यतः तीन कारण हैं: पशु-प्राणी के साथ अहिंसा का सिद्धांत;<ref>तःतिनें: अन्टू: अहिंसा.नॉन-वायलेंस इन इन्डियन ट्रेडिशन, लंदन 1976, पृष्ठ 107-109.</ref> आराध्य देव को केवल "शुद्ध" (शाकाहारी) खाद्य प्रस्तुत करने की नीयत और फिर प्रसाद के रूप में उसे वापस प्राप्त करना;<ref>महाभारत 12.257 (नोट के अनुसार महाभारत 12.257 का एक और गिनती 12.265 है); भगवद गीता 9.26, भागवत पुराण 7.15.7.</ref> और यह विश्वास कि मांसाहारी भोजन मस्तिष्क तथा आध्यात्मिक विकास के लिए हानिकारक है. हिंदू शाकाहारी आमतौर पर अंडे से परहेज़ करते हैं लेकिन दूध और डेयरी उत्पादों का उपभोग करते हैं, इसलिए वे लैक्टो-शाकाहारी हैं.

हालांकि, अपने संप्रदाय और क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार हिंदुओं के खानपान की आदतों में भिन्नता होती है. ऐतिहासिक रूप से और वर्तमान में, जो हिंदू मांस खाते हैं वे झटका मांस पसंद करते हैं.<ref>{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/seta/2004/10/21/stories/2004102100111600.htm |title=The Hindu : Sci Tech / Speaking Of Science : Changes in the Indian menu over the ages |publisher=Hinduonnet.com |date=2004-10-21 |accessdate=2010-02-03}}</ref>

====जैन धर्म====
{{Main|Jain vegetarianism}}
[[जैन धर्म|जैन धर्म]] के अनुयायी मानते हैं कि प्राणियों से लेकर निर्जीव पदार्थों में सब चीज में अलग अवस्था का जीवन हुआ करता है और इसीलिए वे इसके नुकसान को न्यूनतम करने के लिए अधिकतम प्रयास करते हैं. अधिकांश जैनी लैक्टो-शाकाहारी होते हैं, लेकिन अधिक धर्मनिष्ठ जैनी कंद-मूल सब्जियां नहीं खाते क्योंकि इससे पौधों की हत्या होती है. इसके बजाय वे फलियां और फल खाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिनकी खेती में पौधों की हत्या शामिल नहीं है. मृत पशुओं से प्राप्त उत्पादों के उपभोग या उपयोग की अनुमति नहीं है. भूखे रहकर आत्म समाप्ति को जैनी एक आदर्श अवस्था मानते हैं और कुछ समर्पित भिक्षु आत्म समाप्ति किया करते हैं. आध्यात्मिक प्रगति के लिए यह उनके लिए एक अपरिहार्य स्थिति है.<ref>जैन स्टडी सर्कल पर "शाकाहार खुद के लिए बहुत अच्छा होता है और पर्यावरण के लिए अच्छा है.</ref><ref>सोसायटी के कोलोराडो शाकाहारी की वेबसाइट पर "आध्यात्मिक परंपराओं और शाकाहार".</ref> कुछ विशेष रूप से समर्पित व्यक्ति फ्रुटेरियन हैं.<ref>मैथ्यू, वॉरेन: वर्ल्ड रिलीजियंस, 4 संस्करण, बेल्मोंट: थॉमसन/वड्सवर्थ 2004, पृष्ठ 180. ISBN 0-534-52762-0</ref> शहद से परहेज किया जाता है, क्योंकि इसके संग्रह को मधुमक्खियों के खिलाफ हिंसा के रूप में देखा जाता है. कुछ जैनी भूमि के अंदर पैदा होने वाले पौधों के भागों को नहीं खाते, जैसे कि मूल और कंद; क्योंकि पौधा उखाड़ते समय सूक्ष्म प्राणी मारे जा सकते हैं.<ref>JainUniversity.org पर "जैन धर्म"</ref>

====बौद्ध धर्म====
[[File:Japanese temple vegetarian dinner.jpg|thumb|175px|एक जापानी बौद्ध मंदिर में एक शाकाहारी भोजन]]
{{Main|Vegetarianism in Buddhism}}
थैरवादी या स्थविरवादी आम तौर पर मांस खाया करते हैं. अगर बौद्ध भिक्षु ने विशेष रूप से उनके खाने के लिए किसी पशु को मारते "देख, सुन या जान लिया" तो वे इससे इंकार कर देंगे या फिर अपराध अपने ऊपर ले लेंगे. हालांकि, इसमें भिक्षा में प्राप्त या वाणिज्यिक रूप से खरीदकर खाया जाने वाला मांस शामिल नहीं है. थैरवाद में बुद्ध ने मांस भक्षण से उन्हें हतोत्साहित करने के लिए कोई टिप्पणी नहीं की है (सिर्फ विशेष प्रकार को छोड़कर, जैसे कि मनुष्य, हाथी, घोड़ा, कुत्ता, सांप, सिंह, बाघ, तेंदुआ, भालू और लकड़बग्घा<ref>महावागा पाली - भेसजजखंडहाका - विनय पिटाका</ref>), लेकिन जब एक सलाह दी गयी तब उन्होंने मठ के नियमों में शाकाहार को स्थापित करने से इंकार कर दिया.

महायान बौद्ध धर्म में, ऐसे अनेक [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] ग्रंथ हैं जिनमे बुद्ध अपने अनुयायियों को मांस से परहेज करने का निर्देश देते हैं. हालांकि, महायान बौद्ध धर्म की प्रत्येक शाखा चयन करती है कि किस सूत्र का पालन करना है. तिब्बत और जापानी बौद्धों के बहुमत सहित महायान की कुछ शाखाएं मांस खाया करती हैं जबकि चीनी बौद्ध मांस नहीं खाते.

====सिख धर्म====
{{Main|Diet in Sikhism}}
[[सिख धर्म|सिख धर्म]] के सिद्धांत शाकाहार या मांसाहार पर अलग से कोई वकालत नहीं करते,<ref name="SHP">द सिखिस्म होम पेज पर "मिस्कंसेप्शन अबाउट इटिंग मीट - कमेंट्स ऑफ़ सिख स्कोलर्स,"</ref><ref> '''सिख और''' ''सिख इतिहास'' '''सिख धर्म द्वारा IJ सिंह, मनोहर''' ''दौरान'' '''ISBN ''9788173040580,'' दिल्ली,''' ''वहाँ शाकाहार समर्थन किया गया है subsects या आंदोलनों की है जो सिख धर्म.'' ''मुझे लगता है कि वहाँ इस तरह के या सिख धर्म में हठधर्मिता अभ्यास के लिए कोई आधार है. '' ''निश्चित रूप से नहीं लगता है कि सिखों में आध्यात्मिकता है कि एक शाकाहारी उपलब्धियों आसान है या अधिक है. '' ''यह आश्चर्य की बात है कि शाकाहार देखने के तथ्य यह है कि पशु बलि उम्र के लिए एक महत्वपूर्ण और अधिक मूल्यवान हिन्दू वैदिक अनुष्ठान किया गया था के प्रकाश में हिंदू अभ्यास के इस तरह के एक महत्वपूर्ण पहलू है. '' ''उनके लेखन में गुरु नानक स्पष्ट तर्क के दोनों पक्षों को अस्वीकार कर दिया - शाकाहार या मांस खाने के गुण पर साधारण रूप में और इतनी बकवास -, और न ही उसने विचार है कि एक गाय से अधिक किसी न किसी तरह पवित्र एक घोड़ा या एक चिकन की तुलना में किया गया था स्वीकार करते हैं. '' ''उन्होंने यह भी मांस और साग के बीच मतभेदों पर एक विवाद में तैयार किया जाना मना कर दिया, उदाहरण के लिए. '' ''इतिहास हमें बताता है यह संदेश देने कि, नानक कुरुक्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार पर मांस पकाया. '' ''इसे पकाया वह निश्चित रूप से इसे बर्बाद नहीं किया बीत रहा है, लेकिन शायद यह अपने अनुयायियों के लिए कार्य किया और खुद खा लिया. '' ''इतिहास बिल्कुल स्पष्ट है कि गुरु Hargobind और गुरु गोबिंद सिंह निपुण थे और avid शिकारी है. '' ''खेल और पकाया प्रयोग अच्छा था डाल करने के लिए, इसे दूर फेंक एक भयानक बर्बादी होती है.'' </ref><ref> '''गुरु ग्रंथ साहिब, एक विश्लेषणात्मक अध्ययन द्वारा ISBN Surindar सिंह कोहली सिंह Bros. अमृतसर: 8172050607''' ''में वैष्णव भक्ति सेवा की और विचारों ग्रंथ आदि द्वारा स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन शाकाहारी आहार पर वैष्णव के आग्रह को अस्वीकार कर दिया गया है.'' </ref><ref name="autogenerated1"> '''ISBN 9788170231394''' ''हालांकि'' '''प्रेस, दिल्ली विश्वविद्यालय के एक इतिहास के सिख लोगों द्वारा डॉ. गोपाल सिंह ''सिख,'' विश्व,''' ''यह अजीब है कि अब सिख मंदिर के लिए एक दिन संलग्न रसोई में समुदाय, और कहा जाता है गुरु रसोई (या, गुरु का लंगर-) मांस व्यंजन सभी सेवा में नहीं हैं.'' ''हो सकता है, यह अपने जा रहा है, शायद, महंगी, या आसान नहीं लंबे समय के लिए रखने के लिए के कारण है. '' ''या, शायद वैष्णव परंपरा भी मजबूत है बंद हो हिल के लिए.'' </ref><ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh"> Randip सिंह, [http://www.sikhphilosophy.net/sikh-sikhi-sikhism/8828-fools-who-wrangle-over-flesh.html ''मूर्ख कौन मांस से अधिक wrangle'' ] , ''सिख दार्शनिक नेटवर्क,'' 7 दिसम्बर 2006. पुनःप्राप्त: 15 जनवरी 2010.</ref> बल्कि भोजन का निर्णय व्यक्ति पर छोड़ दिया गया है. तथापि, दसवें गुरु [[गुरु गोबिन्द सिंह|गुरु गोबिंद सिंह]] ने "अमृतधारी" सिखों, या जो सिख रेहत मर्यादा (आधिकारिक सिख नियम संहिता<ref>{{cite web |url=http://www.sgpc.net/sikhism/sikh-dharma-manual.html |title=Sikh Reht Maryada, The Definition of Sikh, Sikh Conduct & Conventions, Sikh Religion Living, India |publisher=www.sgpc.net |accessdate=2009-08-29 }}</ref>) का पालन करते हैं, उन्हें कुत्था मांस या वो मांस जो कर्मकांड के तहत पशुओं को मारकर प्राप्त किया गया हो, उसे खाने से मना किया है. तत्कालीन नए मुस्लिम आधिपत्य से स्वतंत्रता के लिए इसे राजनीतिक कारण से प्रेरित माना जाता है, क्योंकि मुस्लिम बड़े पैमाने पर कर्मकांडी हलाल आहार का पालन करते हैं.<ref name="SHP"></ref><ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh"></ref>

कुछ सिख संप्रदाय से संबंधित "अमृतधारी" (मसलन, अखंड कीर्तनी जत्था, दमदमी टकसाल, नामधारी<ref> जेन श्रीवास्तव [http://www.hinduismtoday.com/modules/smartsection/item.php?itemid=1541 ''शाकाहार और मांस धर्मों 8 भोजन में'' ] , [[''हिंदू धर्म आज,'' ]] वसंत 2007. पुनःप्राप्त: 15 जनवरी 2010.</ref>, रारियनवाले<ref> '''पीएचडी (सिंह शेर दर्शन के द्वारा सिख धर्म ज्ञानी''' '''डी), शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति. ''' '''अमृतसर''' ''के रूप में एक सच Vaisnavite कबीर बनी एक सख्त शाकाहारी.'' ''मांस खाने के रूप में ब्राह्मण परंपरा से दूर धता कबीर, इतना की अनुमति नहीं है, एक (फूल GGS 479 स्नातकोत्तर की तोड़ के रूप में), जबकि नानक ऐसे सभी संदेह समझा अंधविश्वास हो जाएगा, कबीर Ahinsa या सिद्धांत आयोजित गैर जीवन है, जो कि फूलों का भी विस्तार के विनाश. '' ''इसके विपरीत पर सिख गुरुओं, और अनुमति भी प्रोत्साहित किया, भोजन के रूप में पशु मांस का उपयोग करें. '' ''नानक आसा की (युद्ध में इस अंधविश्वास Ahinsa GGS 472 pg उजागर किया गया है) और malar Ke युद्ध (GGS स्नातकोत्तर. '' ''1288)'' </ref>, आदि) मांस और अंडे के उपभोग का जोरदार विरोध करते हैं (हालांकि वे दूध, मक्खन और चीज के उपभोग को बढ़ावा देते हैं).<ref>[http://www.sikhwomen.com/ http://www.sikhwomen.com] पर "लंगर".</ref> यह शाकाहारी रवैया [[ब्रिटिश राज|ब्रिटिश राज]] के समय से चला आ रहा है, अनेक नए धर्मान्तरित वैष्णवों के आने के बाद से.<ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh"></ref> सिख आबादी के भोजन में भिन्नता की प्रतिक्रिया में, सिख गुरुओं ने आहार पर सिख विचार को स्पष्ट किया, उन्होंने सिर्फ भोजन की सादगी की उनकी प्राथमिकता पर जोर दिया. गुरु नानक ने कहा कि भोजन के अति-उपभोग (लोभ, लालसा) से पृथ्वी के संसाधन समाप्त हो जायेंगे और इस तरह जीवन भी समाप्त हो जायेगा.<ref>{{cite web|url=http://www.sikhs.org/meat_gn.htm |title=The Sikhism Home Page |publisher=Sikhs.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref><ref>{{cite book|last=Singh|first=Prithi Pal |title=The History of Sikh Gurus|publisher=Lotus Press|location=New Delhi|year=2006|page=38|chapter=3 Guru Amar Das|isbn=8183820751|url=http://books.google.com/?id=EhGkVkhUuqoC&printsec=frontcover&dq=The+History+of+Sikh+Gurus+By+Prithi+Pal+Singh#v=onepage&q=}}</ref> [[गुरु ग्रंथ साहिब|गुरु ग्रंथ साहिब]] (सिखों की पवित्र पुस्तक, जिसे आदि ग्रंथ भी कहते हैं) में कहा गया है कि प्राणी जगत की श्रेष्ठता के लिए बहस करना "मूर्खता" है, क्योंकि सभी जीवन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, सिर्फ मानव जीवन अधिक महत्व रखता है.<blockquote>
"केवल मूर्ख ही यह बहस करते हैं कि मांस खाया जाय या नहीं. कौन परिभाषित कर कर सकता है कि कौन-सी चीज मांस और कौन-सी चीज मांस नहीं है? कौन जानता है, जहां पाप किसमें है, शाकाहारी होने में या एक मांसाहारी होने में?"<ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh"></ref></blockquote>
सिख [[लंगर|लंगर]], या मंदिर का मुफ्त भोजन, मुख्यतः लैक्टो-शाकाहारी होता है, हालांकि समझा गया है किसी सिद्धांत के बजाय वहां खाने वाले सभी व्यक्तियों के लिए आदरणीय आहार को ध्यान में रख कर ही ऐसा किया जाता है.<ref name="autogenerated1"></ref><ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh"></ref>

====यहूदी धर्म====
[[यहूदी धर्म|यहूदी धर्म]] के अनेक मध्ययुगीन विद्वानों (मसलन, जोसेफ अल्बो) ने शाकाहार को एक नैतिक आदर्श के रूप में माना, सिर्फ पशुओं के कल्याण के लिए ही नहीं, बल्कि इसलिए भी कि पशुओं की ह्त्या करने से यह कृत्य करने वाले में नकारात्मक चारित्रिक लक्षण विकसित होने लगते हैं. इसलिए, उनकी चिंता पशु कल्याण के बजाय मानवीय चरित्र पर पड़ने वाले संभावित हानिकारक प्रभाव थे. दरअसल, रब्बी जोसेफ अल्बो का कहा कि मांस के उपभोग का त्याग करना इसलिए भी जरुरी है कि यह न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है बल्कि अरुचिकर भी है.<ref name="innernet1">{{cite web|url=http://www.innernet.org.il/article.php?aid=107.html |title=J. David Bleich - Contemporary Halakhic Problems |publisher=Innernet.org.il |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>

एक आधुनिक विद्वान, जिनका उल्लेख अक्सर ही शाकाहार के पक्ष किया जाता है, मैंडेट [[फ़िलस्तीन|पैलेस्टाइन]] के प्रमुख रब्बी स्व. रब्बी अब्राहम इस्साक कूक थे. अपने लेखन में, रब्बी कूक ने शाकाहार को एक आदर्श के रूप में बताया है, और इस तथ्य की ओर इशारा किया है कि आदम पशु मांस नहीं खाया करता था. इस संदर्भ में, हालांकि, रब्बी कूक ने परलोक-सिद्धांत-विषयक (मुक्तिदाता संबंधी) युग के बारे में अपने चित्रण में ये टिप्पणियां की हैं.

कुछ कब्बलावादियों के अनुसार, केवल एक रहस्यवादी ही जो पुनर्जन्म लेने वाली आत्मा और "ईश्वरीय किरण" को समझने तथा उसे उन्नत कर पाने में सक्षम है, उसे ही मांस खाने की अनुमति है, हालांकि पशु मांस खाने से तब भी आत्मा को आध्यात्मिक क्षति पहुँच सकती है. अनेक यहूदी शाकाहार समूह और कार्यकर्ता ऐसे विचारों के प्रचार में लगे हुए हैं और विश्वास करते हैं कि जो फिलहाल शाकाहार को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं, सिर्फ उनके प्रति ही अस्थायी रूप से ढिलाई बरतने की हलाखिक अनुमति प्रदान है.<ref>{{cite web|url=http://www.jewishveg.com/torah.html |title=Judaism & Vegetarianism |publisher=Jewishveg.com |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>

[[यहूदी धर्म|यहूदी धर्म]] और [[ईसाई धर्म|ईसाई धर्म]] दोनों के साथ संबंध रखने वाले प्राचीन एसेंस धार्मिक समूह ने सख्ती से शाकाहार को चल्या, ठीक उसी तरह जिस तरह हिन्दू/जैनी [[अहिंसा|अहिंसा]] या "निष्पाप" विचारों पर यकीन करते हैं.<ref>{{cite web|url=http://www.all-creatures.org/murti/tsnhod-03.html |title="They Shall Not Hurt Or Destroy" and the Essenes |publisher=All-creatures.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>

[[तोरा|टोरा]] के टेन कमांडेंटस के अनुवाद में कहा गया है "तू हत्या नहीं करेगा."<ref>{{cite web|url=http://www.jewishveg.com/schwartz/killormurder.html |title=Judaism and Vegetarianism: Schwartz Collection - Thou Shalt Not "Kill" or "Murder"? |publisher=Jewishveg.com |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.mechon-mamre.org/p/pt/pt0220.htm |title=Exodus 20 / Hebrew - English Bible / Mechon-Mamre |publisher=Mechon-mamre.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref> कुछ लोगों का तर्क है कि इसका मतलब यह भी निकाला जा सकता है कि किसी हत्या न करो, न पशुओं की और न मनुष्यों कि, या कम से कम "कि कोई व्यक्ति बेजरूरत हत्या नहीं करे," यह कुछ वैसी ही बात हुई जैसे कि आधुनिक धर्मशास्त्री गुलामी के अभ्यास पर प्रतिबंध लगाने के लिए बाइबल के गुलामी पर दुर्वह प्रतिबंधों की व्याख्या करते हैं.<ref>फिलिप एल. पिक द्वारा शाकाहार का दर्शन यहूदी का लेख</ref>
टोरा लोगों को यह भी आदेश देता है कि पशुओं की जब हत्या की जाय तो विधिवत उनका क़त्ल किया जाय, और पशु बलि के रिवाज को विस्तार से बताया गया है.

हालांकि यहूदियों के लिए मांस खाना न आवश्यक है और न ही निषिद्ध है, फिर भी यहूदी धर्म की नैतिकता और आदर्शों को देखते हुए चयन किया जाना चाहिए.{{cite web|url=http://www.brook.com/jveg |title=The Vegetarian Mitzvah}}

====परंपरागत ग्रीक और रोमन सोच====
प्राचीन ग्रीक दर्शन में शाकाहार की एक लंबी परंपरा है. कहते हैं [[पाइथागोरस|पाइथागोरस]] शाकाहारी थे (और उसकी शिक्षा-दीक्षा माउंट कार्मेल में हुई थी, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जहां एक शाकाहारी समुदाय था), इसलिए उम्मीद की जाती है कि उनके अनुयायी भी शाकाहारी होंगे. बताया जाता है कि [[सुकरात|सुकरात]] शाकाहारी थे, और एक आदर्श गणतंत्र में लोगों को, कम से कम दार्शनिक-शासकों को क्या खाना चाहिए, इस पर उन्होंने अपने संवाद में इसका वर्णन किया था कि सिर्फ शाकाहारी भोजन करना चाहिए. उन्होंने खासतौर पर कहा कि अगर मांस खाने की अनुमति दी गयी तो समाज को और भी अधिक डॉक्टरों की आवश्यकता होगी.<ref>प्लेटो, गणराज्य.</ref>

रोमन लेखक ओविद ने अपनी महान कृति मेटामोरफोसेज के एक हिस्से में आवेगविहीन तर्क देते हुए कहा है कि और अधिक बेहतरी के लिए मानवता में बदलाव या कायाकल्प और अधिक सुव्यवस्थित प्रजाति होने के लिए हमे ज्यादा से ज्यादा मानवीय प्रवृत्तियों की दिशा में प्रयासरत होना चाहिए. इस कायाकल्प में शाकाहार को महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में उद्धृत करते हुए उन्होंने अपने विचार जाहिर करते हुए कहा है कि मानव जीवन और पशु जीवन परस्पर इतने घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं कि एक पशु की हत्या एक इंसान की हत्या के समान है.

<blockquote>सब कुछ बदलता है, कुछ भी नहीं मरता; आत्मा इधर-उधर घूमती है, अभी यहां है तो अभी वहां, और इंसान से लेकर पशु तक जो भी ढांचा होगा उसीको ओढ़ लेती हैल यही हमारा अपना पशुत्व के रूप में ढल जाता है जो कभी नहीं मरता है ...इसलिए ऐसा न हो कि भूख और लालच प्यार और कर्तव्य के बंधन को नष्ट कर दे, मेरे संदेश पर ध्यान दो! बचो! वध के जरिए आत्मा को कभी नष्ट मत करना, यह रक्त से रक्त के रिश्ते को जोड़ता है और इसकी परवरिश करता है!<ref>ए.डी. मेलविल्ले द्वारा ओविड, मेटामोर्फोसेस, पुस्तक XV, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1986.</ref></blockquote>

====ईसाई धर्म====
{{Main|Christian vegetarianism}}
मौजूदा [[ईसाई|ईसाई]] संस्कृति सामान्य रूप से शाकाहार नहीं है. हालांकि, [[सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट]] और पारंपरिक [[मोनैस्टिक]] शाकाहार पर जोर डालते हैं. इसके अलावा ऑर्थोडॉक्स चर्च के सदस्य 'उपवास' के दौरान शाकाहारी आहार का पालन कर सकते हैं,<ref>{{cite web|url=http://www.orthodoxinfo.com/praxis/pr_fasting.aspx |title=Living an Orthodox Life: Fasting |publisher=Orthodoxinfo.com |date=1997-05-27 |accessdate=2010-02-03}}</ref> शाकाहार की अवधारणा और चलन को आध्यात्मिक और ऐतिहासिक समर्थन प्राप्त है.{{Citation needed|date=June 2010}}

ईसाई धर्म में एक क्वेकर परंपरा जो कि कम से कम 18 वीं सदी से चली आ रही है, के साथ भी शाकाहार का एक मजबूत संबंध रहा है. शराब का सेवन, जीव हत्या और सामाजिक पवित्रता के संबंध में क्वेकर की चिंताएं बढ़ने के साथ 19 वीं शताब्दी के दौरान यह संबंध उल्लेखनीय रूप से फलाफूला है. बहरहाल, 1902 में फ्रेंड्स वेजीटेरियन सोसाइटी की स्थापना मित्रों के सामज में और अधिक सहृदयी जीवनशैली अपनाने के प्रचार के मकसद के साथ शाकाहार और क्वेकर परंपरा के बीच सहयोग और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया.<ref>{{cite web|url=http://www.ivu.org/history/thesis/quakers.html |title=The Great War and the Interwar Period |publisher=ivu.org |date= |accessdate=2009-08-14}}</ref>

====इस्लाम====
{{See also|Islam and animals}}

मुसलमानों या [[इस्लाम|इस्लाम]] के अनुयायियों को चिकित्सकीय कारण या फिर व्यक्तिगत तौर पर मांस का स्वाद पसंद न करने वालों को शाकाहार चुनने की आजादी प्रदान करता है. हालांकि, गैर चिकित्सकीय कारण से शाकाहार बनने का विकल्प कभी-कभी विवादास्पद हो सकता है. हो सकता है और भी कुछ परंपरागत मुसलमान हैं जो अपने शाकाहारी होने के बारे में चुप्पी बनाये रखते हों, तभी शाकाहार मुसलमानों की तादाद बढ़ रही है.<ref name="Muslims can’t be vegetarian">मुसलमान शाखाहरी नहीं हो सकते है? 16/05/2008 को पुनःप्राप्त</ref>

इराकी धर्मशास्त्रियों, महिला रहस्यवादी और बसरा के कवि राबिया अल-अदावियाह, 801 में जिनका इंतकाल हुआ; और श्रीलंका के सुफी संगीतकार बावा मुहैयाद्दीन जिन्होंने फिलाडेलफिया में द बावा मुहैयाद्दीन फेलोशिप ऑफ नॉर्थ अमेरिका की स्थापना की; सहित कुछ प्रभावशाली मुसलमानों में शाकाहार का चलन रहा है.
<ref>बावा मुहैयाडीन से शाकाहारी कोटेशन 16/05/2008 लिया गया</ref>

जनवरी 1996 में, द इंटरनेशनल वेजीटेरियन यूनियन ने मुस्लिम वेजीटेरियन/वेगन सोसाइटी की स्थापना की घोषणा की.<ref>{{cite web|url=http://www.ivu.org/news/1-96/muslim.html |title=IVU News - Islam and Vegetarianism |publisher=Ivu.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>

कई मांसाहारी मुसलमानों जब गैर-हलाली रेस्त्रां में खाना खाने जाते हैं तब वे शाकाहार (या समुद्री खाद्य) का चयन करेंगे. हालांकि, सही तरह का मांस न खाने के बजाए पूरी तरह से मांस खाने को प्राथमिकता देने का मामला है.<ref name="Muslims can’t be vegetarian"></ref>

====रस्ताफरी====
अफ्रीकी कैरेबियन समुदाय में, एक अल्पसंख्यक समुदाय है रस्ताफरी आहार नियमों का पालन बहुत ही कड़ाई से करते हैं. ज्यादातर ऑर्थोडॉक्स केवल इटल या प्राकृतिक खाद्य पदार्थ खाते हैं, जिसमें साग-सब्जियों के साथ हर्ब या मसाले भी होते हैं, रस्ताफरियों की इस पुरानी और कुशल परंपरा है जिसका उत्स अफ्रीकी वंश परंपरा और सांस्कृतिक विरासत के तहत चली आ रही है.<ref>ओसबोर्न, एल (1980), द रास्टा कूकबुक, 3 एड. मैक डोनाल्ड, लंदन.</ref> ज्यादातर रस्ताफरी शाकाहारी हैं.{{Citation needed|date=May 2010}} प्राकृतिक सामग्री मसलन; पत्थर या मिट्टी से निर्मित बर्तन ही पसंद करते हैं.{{Citation needed|date=May 2010}}

===पर्यावरण संबंधी===
{{Main|Environmental vegetarianism}}

पर्यावरण शाकाहार इस विचारधारा पर आधारित है कि जन उपभोग के लिए मांस उत्पाद और पशु उत्पाद विशेष रूप से कारखाने में तैयार खाद्य पर्यावरण की दृष्टि से अरक्षणीय होते हैं. 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से किए गए पहल के अनुसार, दुनिया में पर्यावरण संबंधी की दुर्दशा में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक मवेशी उद्योग है, खाद्य पदार्थों में अंशदान के लिए आधुनिक तरीकों से पशुओं की तादद बढ़ाने से 'बहुत ही बड़े पैमाने पर' वायु और जल प्रदूषण, भूमि क्षरण, जलवायु परिवर्तन जैव विविधता के नुकसान हो रहा है. प्रस्ताव ने निष्कर्ष निकाला कि "स्थानीय से लेकर वैश्विक हर स्तर पर पर्यावरणीय समस्याओं में सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में मवेशी क्षेत्र का स्थान एकदम से शीर्ष पर दूसरा या तीसरा है."<ref>{{cite web|url=http://www.fao.org/docrep/010/a0701e/a0701e00.HTM |title=Livestock's long shadow - Environmental issues and options |publisher=Fao.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>

ग्रीनपीस रिपोर्ट में अमाजोन पशु फार्म के कारण हो रहे विनाश का नजारा दिखाए जाने के एक हफ्ते के बाद, जुलाई 2009 में नाइके और टिंबरलैंड ने वन कटाई वाले अमाजोन वर्षावन से चमड़े की खरीददारी बंद कर दी. अर्नोल्ड न्युमैन के अनुसार हर हैंमबर्गर की बिक्री 6.25m2 वर्षावन के विनाश परिणाम है.<ref>{{cite book|url=http://books.google.com/?id=Z0s3X_vh1_EC&pg=PA93&lpg=PA93&dq=one+hamburger+is+50+rain+forrest |title=ei=3ZKbSoyJOIP6_AbH17TGCQ&sa=X&oi=book_result&ct=result&resnum=8#v=onepage&q=&f=false Hamburger per rain forest |publisher=Books.google.com |date= 1999-06-30|accessdate=2009-10-04 | isbn=9781566397056}}</ref>

इसके अलावा, पशु फार्म ग्रीनहाउस गैसों के बड़े स्रोत हैं और दुनिया भर में 18 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जिसे CO<sub>2</sub> के समकक्ष मापा गया है, के लिए जिम्मेवार है, तुलनात्मक रूप से, दुनिया भर के सभी परिवहनों (जहाजों, सभी की गाड़ियों, ट्रकों, बसों, ट्रेनों, जहाजों और हवाई जहाजों समेत) से उत्सर्जित CO<sub>2</sub> का प्रतिशत 13.5 है. पशु फार्म मानव संबंधित नाइट्रस ऑक्साइड का उत्पादन 65 प्रतिशत करता है और सभी मानव प्रेरित मीथेन का प्रतिशत 37 है. लगभग 21 गुना अधिक मीथेन गैस के ग्लोबल वार्मिंग पोटेंशियल (GWP) की तुलना में कार्बन डाइ ऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड का GWP 296 गुना है.<ref>{{cite web|url=http://www.yogaindailylife.org.au/Articles/Environment/Going-Greenhouse-Gas-Neutral.html |title=Greenhouse gas neutral |publisher=Yogaindailylife.org.au |date= |accessdate=2009-10-04}}</ref>

पशुओं को अनाज खिलाया जाता है, और जो चरते हैं उन्हें अनाज की फसल खानेवालों की तुलना में कहीं अधिक पानी की जरूरत पड़ती है.<ref>कर्बी, बीबीसी न्यूज़ 2004 हंगरी वर्ल्ड 'मस्ट ईट लेस मीट' http://news.bbc.co.uk/1/hi/sci/tech/3559542.stm</ref> यूएसडीए (USDA) के अनुसार, फार्म पशुओं को खिलाने के लिए फसलों की पैदावार के लिए पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका के लगभग आधी जल आपूर्ति और 80 प्रतिशत कृषि भूमि के पानी की जरूरत होती है. इसके अतिरिक्त, अमेरिका में भोजन के लिए पशुओं को बड़ा करने में 90 प्रतिशत सोया की फसल, 80 प्रतिशत मक्के की फसल और 70 प्रतिशत कुल अनाज की खपत हो जाया करती है.<ref>वेस्टरबाई, मार्लो और क्रुपा, केनेथ एस. 2001 मेजर युसेज़ ऑफ़ लैंड इन द युनाइटेड स्टेट्स, 1997 सांख्यिकी बुलेटिन नं. (SB973) सितम्बर 2001 </ref>

जब खाद्य पदार्थों के लिए पशु उत्पादन को चारा खिलाकर तैयार किया जाता है तब मांस, दूध और अंडे के उत्पादन की अक्षमता से उर्जा निवेश से प्रोटीन उत्पाद का अनुपात 4:1 से लेकर 54:1 हो जाता है. सबसे पहले, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मवेशी द्वारा खाये जाने से पहले चारे का बढ़ना जरूरी है, और दूसरा गर्म खूनवाले रीढ़ वाले जीवों (पेड़ों और कीड़े-मकौड़ों के विपरीत) को गर्मी बनाये रखने के लिए बहुत सारी कैलोरी की जरूरत होती है.<ref name="Time"></ref> एक सूचकांक है, जिसका उपयोग अपच खाद्य पदार्थों का शारीरिक तत्व के रूप में रूपांतरण की क्षमता मापने के लिए किया जा सकता है, जो हमें यह बताता है, उदाहरण के लिए गाय के मांस से शरीर तत्व का रूपांतरण केवल 10%, की तुलना में रेशम कीट से 19-31% और जर्मन तिलचट्टे से 44% होता है.[298]
पारिस्थितिकी के प्रोफेसर डेविड पिमेंटल ने दावा किया है, "अगर मौजूदा समय में संयुक्त राज्य अमेरिका में मवेशियों को खिलाये जानेवाले सभी अनाज सीधे लोगों द्वारा खा लिया जाए तो जितने लोगों को खिलाया जा सकता है, उनकी तादाद लगभग 800 मिलियन हो सकती है."<ref>कॉर्नेल विज्ञान समाचार, 7 अगस्त 1997 http://www.news.cornell.edu/releases/Aug97/livestock.hrs.html</ref> इन अध्ययनों के अनुसार, पशु आधारित खाद्य का उत्पादन अनाज, सब्जियों, दलहन, बीज और फलों की फसल की तुलना में आमतौर पर पर बहुत कम होता है. बहरहाल, यह उन जानवरों पर लागू नहीं होता जो चरने के बजाए खिलाये जाते हैं, खासतौर पर उन पर जो ऐसी भूमि में चरते हैं जिसका दूसरा कोई उपयोग नहीं किया जा सकता है. और न खाने के लिए कीड़ों की खेती पर, जो खाद्य पदार्थ खानेवाले मवेशियों की खेती की तुलना में पर्यावरण की दृष्टि से कहीं अधिक दीर्घकालिक होते हैं, पर लागू होती है.<ref name="Time"></ref> प्रयोगशाला में उत्पादित मांस (जो इन विट्रो मांस कहलाता है) भी पर्यावरण की दृष्टि से नियमित रूप से उत्पादित मांस की तुलना में कहीं अधिक टिकाऊ होता है.<ref>{{Cite news |url=http://www.newscientist.com/article/mg19926635.600-comment-growing-m |title=Comment: Lab-grown meat could ease food shortage |last=Olsson |first=Anna |periodical= New Scientist |publication-date=2008-07-08 |accessdate=2008-11-17}}</ref>

पोषण संबंधी गतिशीलता के सिद्धांत के अनुसार, मांस के उत्पादन के लिए पशुओं को पालने में 10 गुना फसल की जरूरत चारे के रूप में उपयोग के लिए होती है, इतने ही खाद्य पदार्थों की जरूरत शाकाहारी भोजन करनेवाले लोगों को होगी. वर्तमान समय में उत्पादित मकई, गेहूं और दूसरे सभी अनाज का 70 प्रतिशत फार्म के पशुओं को खिला दिया जाता है.<ref name="environement">एड आयर्स, "हम क्या अभी भी मीट खा सकते है?"समय, 8 नवम्बर 1999</ref> इससे शाकाहार के बहुत सारे समर्थक यह मानने लगे हैं कि मांस खाना पर्यावरण की दृष्टि से गैर जिम्मेदार होना है.<ref>पारिस्थितिकी भोजन: भोजन के रूप में अगर पृथ्वी मामलों (यह करता है!) http://www.brook.com/veg/</ref> सुरे युनिवसिर्टी के फूड क्लाइमेट रिसर्च नेटवर्क ने पाया कि अपेक्षाकृत कम संख्या में चरनेवाले पशुअओं को पालना अक्सर लाभदायक होता है, इसकी रिपोर्ट कहती है, ''कम संख्या में मवेशियों का उत्पादन पर्यावरण की दृष्टि से अच्छा है.''<ref>व्हाई इटिंग लेस मीट कुड कट ग्लोबल वॉर्मिंग संरक्षक</ref>
{{cquote2|The UN [[Food and Agriculture Organization]] (FAO) has estimated that direct emissions from meat production account for about 18% of the world's total greenhouse gas emissions. So I want to highlight the fact that among options for mitigating climate change, changing diets is something one should consider.|[[Rajendra Pachauri]],<ref>[http://news.bbc.co.uk/2/hi/science/nature/7600005.stm "Shun meat, says UN climate chief"], BBC, September 7, 2008</ref> Chairman|[[Intergovernmental Panel on Climate Change]]}}

मई 2009 में, गेन्ट को दुनिया का पहली ऐसी जगह [शहर] बताया गया जो पर्यावरण कारणों से सप्ताह में कम से कम एक बार पूरी तरह से शाकाहार होता है, स्थानीय अधिकारियों ने ''साप्ताहिक मांसविहीन दिन'' लागू करने का फैसला किया. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को मान्यता देने के लिए जनसेवक हर सप्ताह एक दिन शाकाहारी भोजन करेंगे. पोस्टर को स्थानीय अधिकारियों द्वारा शाकाहारी दिवस में भाग लेने को प्रोत्साहित करने के लिए जगह-जगह पोस्टर लगाये गए और शाकाहारी रेस्त्रांओं को चिह्नित करने के लिए ''शाकाहारी स्ट्रीट मानचित्र'' मुद्रित किए गए. सितंबर 2009 में गेन्ट के स्कूलों में साप्ताहिक वेजेडैग (''शाकाहारी दिवस'') भी मनाया जाता है.<ref>"बेल्जियम सिटी प्लैन्स 'योजना' डेज़", क्रिस मेसन, बीबीसी (बीबीसी), 12 मई 2009</ref>

===श्रमिकों की स्थिति===
पेटा (PETA) जैसे कुछ ग्रुप इन दिनों मांस उद्योग में काम करनेवाले मजदूरों की स्थिति और उनके साथ होनेवाले व्यवहार को समाप्त करने के लिए शाकाहार को बढ़ावा देते हैं.<ref>{{cite web| url=http://www.goveg.com/workerrights.asp|title=Killing for a Living: How the Meat Industry Exploits Workers|accessdate=2009-07-16}}</ref> ये समूह उन अध्ययनों का उल्लेख करते हुए मांस उद्योग में काम करने से मनोवैज्ञानिक क्षति को दर्शाते हैं, खासकर फैक्ट्री और औद्योगीकृत स्थानों में, और शिकायत करते हैं कि बिना पर्याप्त सलाह, प्रशिक्षण और विवरणों की जानकारी दिए कठिन तथा कष्टप्रद कार्य सौंपकर मांस उद्योग श्रमिकों के मानवीय अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है.<ref name="labor">{{cite web|url=http://www.hrw.org/reports/2005/usa0105/4.htm |title=Worker Health and Safety in the Meat and Poultry Industry |publisher=Hrw.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref><ref name="labor2">{{cite web|url=http://www.ncrlc.com/academic-SR-webpages/food_safety.html |title=Food Safety, the Slaughterhouse, and Rights |publisher=Ncrlc.com |date=2004-03-30 |accessdate=2009-08-09}}</ref><ref name="labor3">{{PDFlink|http://www.safework.sa.gov.au/contentPages/docs/meatCultureLiteratureReviewV81.pdf|618&nbsp;KB|—Positive Safety
Culture The key to a safer meat industry}}</ref><ref name="labor4">{{cite web|url=http://www.hfa.org/factory/ |title=Factory Farming—Making People Sick |publisher=Hfa.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref> हालांकि, तमाम खेत मजदूरों के काम की परिस्थिति, विशेष रूप से अस्थायी श्रमिकों की, खराब ही बनी हुई है और अन्य आर्थिक क्षेत्रों की तुलना में बहुत ही नीचे है.<ref>परिस्थितियों में कृषि कार्य अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन</ref> किसानों और बागान श्रमिकों में दुर्घटनाओं सहित कीटनाशक विषाक्तता से स्वास्थ्य के जोखिम बढ़ गये हैं, जिनमें बढती मृत्यु दर भी शामिल है.<ref>परिस्थितियों में कृषि कार्य बर्न घोषणा</ref> वास्तव में, [[अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ|अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन]] के अनुसार, दुनिया के तीन सबसे खतरनाक कामों में एक है कृषि.<ref>विश्व विकास रिपोर्ट 2008: विकास के लिए कृषि, विश्व बैंक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पृष्ठ 207</ref>

===आर्थिक===
शाकाहार पर्यावरण की ही तरह आर्थिक शाकाहार की अवधारणा है. एक आर्थिक शाकाहारी वह है जो शाकाहार का अभ्यास या तो जन स्वास्थ्य तथा विश्व से भुखमरी मिटाने के किसी दार्शनिक विचार के तहत करता है, इस विश्वास से करता है कि मांस का उपभोग आर्थिक रूप से ठीक नहीं है, वह एक सचेत सरल जीवन शैली की रणनीति के हिस्से के रूप में ऐसा करता है, या फिर बस आवश्यकतावश. वर्ल्डवाच इंस्टीट्युट के अनुसार, "औद्योगिक देशों में मांस की खपत में भारी कमी आने से उनके स्वास्थ्य की देखभाल के बोझ में कमी आएगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा; पशु संपदा के झुंड में गिरावट से चरागाहों और खेतों पर से दबाव कम होगा, और कृषी संसाधनों के आधार को नयेपन से भर देगा. चूंकि जनसंख्या वृद्धि जारी है, विश्व स्तर पर मांस की खपत में कमी आने से भूमि और जल संसाधनों की प्रति व्यक्ति इस्तेमाल में आ रही गिरावट को रोक कर इनका अधिक सक्षम उपयोग हो सकेगा, जबकि साथ ही साथ विश्व के दीर्घकालिक भूखे लोगों को अधिक सस्ते में अनाज मिल पायेगा.<ref>वर्ल्डवॉच संस्थान, समाचार 2 जुलाई 1998, संयुक्त राज्य अमेरिका बिक्रीसूत्र विश्व मांस https://www.worldwatch.org/press/news/1998/07/02</ref>

===सांस्कृतिक===
[[File:Chinese-buddhist-cuisine-taiwan-1.jpg|thumb|300px|ताइवान बौद्ध भोजन]]
हो सकता है लोग शाकाहार चुने क्योंकि वे एक शाकाहारी रहे हों या फिर एक शाकाहारी साथी, परिवार के सदस्य या मित्र होने के कारण वे शाकाहार चुनें.

==जनसांख्यिकी==
===लिंग===
अनुसंधान संगठन यंकेलोविच द्वारा 1992 में कराये गए बाजार अनुसंधान अध्ययन द्वारा दावा किया गया‍ कि "12.4 मिलियन लोग [US में], जो खुद को शाकाहारी कहते हैं उनमें से 68 प्रतिशत महिलाएं हैं और 32 प्रतिशत पुरुष हैं."<ref>{{cite web|url=http://findarticles.com/p/articles/mi_m0820/is_n210/ai_16019829 |title=The gender gap: if you're a vegetarian, odds are you're a woman. Why? |accessdate=2007-10-27 |date=2005-02-01 |publisher=Vegetarian Times}}</ref>

कम से कम एक अध्ययन यह बताता है कि शाकाहारी महिलाओं को बच्चे होने की संभावना कहीं अधिक होती है. 1998 में 6,000 गर्भवती महिलाओं पर किए गए अध्ययन में "पाया गया कि 100 लड़कियों के अनुपात में 106 लड़के पैदा होने का ब्रिटेन का राष्ट्रीय औसत है, जबकि शाकाहारी माताओं से 100 लड़कियों के अनुपात में सिर्फ 85 लड़के पैदा हुए.''<ref name="Babies">{{cite news|url=http://news.bbc.co.uk/1/hi/health/869696.stm |title='More girl babies' for vegetarians |publisher=BBC News |date=2000-08-07 |accessdate=2009-08-09}}</ref> ब्रिटिश डायडेटिक एसोसिएशन के कैथरीन कोलिंस इसे "अस्थायी सांख्यिकीय" बताते हुए खारिज कर दिया है.<ref name="Babies"></ref>

===देश-विशेष की जानकारी===
[[File:India vegetarian labels.svg|thumb|right|भारत में इस्तेमाल किया मांसाहारी उत्पादों (दाएं) से शाकाहारी उत्पादों (बाएं) को अलग लेबल.]]
{{Main|Vegetarianism in specific countries}}
शाकाहार को दुनिया भर में अलग अलग तरीकों से देखा जाता है. कुछ क्षेत्रों में {{Which?|date=May 2010}} यह वहां की संस्कृति हैं और यहां तक कि इसे कानूनी समर्थन भी प्राप्त है, लेकिन अन्य में {{Which?|date=May 2010}} आहार के बारे में समझ बहुत खराब है और यहां तक कि इस बारे में नाक-भौं भी सिकोड़ा जाता है.{{Citation needed|date=May 2010}} बहुत सारे देशों में खाद्य का वर्गीकरण किया जाता है जिससे शाकाहारियों के लिए अपने भोजन के साथ खाद्य पदार्थों की अनुकूलता को पहचानना आसान हो जाता है.


भारत में, बाकी दुनिया की तुलना में जहां ज्यादातर शाकाहारी हैं दोनों को मिलाकर (2006 के अनुसार 399 मिलियन),<ref>{{cite web|url=http://www.raw-food-health.net/NumberOfVegetarians.html |title=The Number of Vegetarians In The World |publisher=Raw-food-health.net |date= |accessdate=2010-02-03}}</ref>
न केवल खाद्य पदार्थों की वर्गीकरण होता है, बल्कि बहुत सारे रेस्त्राओं में ''शाकाहारी'' या ''गैर-शाकाहारी'' का निशान भी लगा कर विपणन किया जा रहा है. भारत में जो लोग शाकाहारी हैं आमतौर पर वे दूग्ध-शाकाहारी हैं, और इसलिए, इस बाजार की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, भारत में बहुसंख्यक शाकाहारी रेस्त्रां अंडे से संबंधित उत्पादों को छोड़ कर अन्य दुग्ध उत्पाद मुहैया कराते हैं.
इनकी तुलना में, अधिकांश पश्चिमी शाकाहारी रेस्त्रां अंडा और अंडे पर आधारित उत्पाद मुहैया कराते हैं.

{{Clear}}

==इन्हें भी देखें==
* आहारों की सूची
* [[शाकाहारी महापुरुषों की सूची|शाकाहारियों की सूची]]
* मांस से मुक्त दिन
* शाकाहारी भोजन
* शाकाहारी भोजन पिरामिड
* शाकाहारी या शाकाहारी बिल्ली का खाना

== नोट्स ==
<references group="nb"></references>

==संदर्भ==
{{Reflist|2}}

==बाहरी लिंक्स==
{{Wiktionary|vegetarian}}
{{Wikiquote}}
* [http://www.goveg.com/ शाकाहारी और शाकाहारी जानकारी]
* [http://www.happycow.net/becoming_vegetarian.html शाकाहारियों के लिए संसाधन/सहायता ]
* शैटेरिंग द मीट मिथ: कैथी फेस्टन द्वारा मनुष्य प्राकृतिक शाकाहारी हैं, द हफिंग्टन पोस्ट, 11 जून 2009
{{Vegetarianism}}
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[[sv:Vegetarian]]
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[[ta:தாவர உணவு முறை]]
[[ta:தாவர உணவு முறை]]

13:26, 18 अगस्त 2010 का अवतरण

शाकाहारी खाद्य पदार्थों की किस्मों के लिए, शाकाहारी भोजन देखें. जानवरों में वनस्पति आधारित आहार के लिए {0शाकाहारी{/0} देखें.
Vegetarianism
Description: Generally, the avoidance of meat, poultry, fish, and animal by-products
Origins: Ancient India, Ancient Greece-6th century BCE and earlier
Varieties: Lacto, ovo, ovo-lacto, veganism, raw veganism, fruitarianism, su vegetarianism

दुग्ध उत्पाद और अंडे के साथ या उनके बिना ही फल, सब्जी, अनाज, बादाम आदि, बीज सहित वनस्पति-आधारित भोजन के अभ्यास को शाकाहार कहते हैं. एक शाकाहारी मांस नहीं खाता है, इसमें रेड मीट अर्थात पशुओं के मांस, शिकार मांस, मुर्गे-मुर्गियां, मछली, क्रस्टेशीअ अर्थात केंकड़ा-झींगा आदि और घोंघा आदि सीपदार प्राणी शामिल हैं; और शाकाहारी चीज और जिलेटिन में पाए जाने वाले प्राणी-व्युत्पन्न जामन जैसे मारे गये पशुओं के उपोत्पाद से बने खाद्य से भी दूर रह सकते हैं.[1][2] हालांकि, इन्हें या अन्य अपरिचित पशु सामग्रियों का उपभोग अनजाने में कर सकते हैं.[3]

नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जा सकता है; और अनेक शाकाहारी आहार हैं. एक लैक्टो-शाकाहारी आहार में दुग्ध उत्पाद शामिल हैं लेकिन अंडे नहीं, एक ओवो-शाकाहारी के आहार में अंडे शामिल होते हैं लेकिन गोशाला उत्पाद नहीं, और एक ओवो-लैक्टो शाकाहारी के आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं. एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी आहार में कोई भी प्राणी उत्पाद शामिल नहीं हैं, जैसे कि दुग्ध उत्पाद, अंडे, और सामान्यतः शहद. अनेक वेगन प्राणी-व्युत्पन्न किसी अन्य उत्पादों से भी दूर रहने की चेष्टा करते हैं, जैसे कि कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन.

अर्द्ध-शाकाहारी भोजन में बड़े पैमाने पर शाकाहारी खाद्य पदार्थ हुआ करते हैं, लेकिन उनमें मछली या अंडे शामिल हो सकते हैं, या यदा-कदा कोई अन्य मांस भी हो सकता है. एक पेसेटेरियन आहार में मछली होती है, मगर मांस नहीं.[4] जिनके भोजन में मछली और अंडे-मुर्गे होते हैं वे "मांस" को स्तनपायी के गोश्त के रूप में परिभाषित कर सकते हैं और खुद की पहचान शाकाहार के रूप में कर सकते हैं.[5][6][7] हालांकि, शाकाहारी सोसाइटी जैसे शाकाहारी समूह का कहना है कि जिस भोजन में मछली और पोल्ट्री उत्पाद शामिल हों, वो शाकाहारी नहीं है, क्योंकि मछली और पक्षी भी प्राणी हैं.[8]

शब्द व्युत्पत्ति

1847 में स्थापित शाकाहारी सोसाइटी ने लिखा कि इसने लैटिन "वेजिटस" अर्थात "लाइवली" (सजीव) से "वेजिटेरियन" (शाकाहारी) शब्द बनाया.[9] ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी (OED) और अन्य मानक शब्दकोश कहते हैं कि "वेजिटेबल" शब्द से यह शब्द बनाया गया है और प्रत्यय के रूप में "-एरियन" जोड़ा गया.[10] OED लिखता हैं 1847 में शाकाहारी सोसायटी के गठन के बाद यह शब्द सामान्य उपयोग में आया, हालांकि यह 1839 और 1842 से उपयोग के दो उदाहरण प्रस्तुत करता है. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> टैग के लिए समाप्ति </ref> टैग नहीं मिला दोनों ही उदाहरणों में आहार घनिष्ठ रूप से प्राणियों के प्रति नन-व्योयलेंस के विचार (भारत में अहिंसा कहा जाता है) से जुड़ा हुआ है, और धार्मिक समूह तथा दार्शनिक इसे बढ़ावा देते हैं.[nb 1] प्राचीनकाल में रोमन साम्राज्य के ईसाईकरण के बाद शाकाहार व्यावहारिक रूप से यूरोप से गायब हो गया.[12] मध्यकालीन यूरोप में भिक्षुओं के कई नियमों के जरिये संन्यास के कारणों से मांस का उपभोग प्रतिबंधित या वर्जित था, लेकिन उनमें से किसीने भी मछली को नहीं त्यागा.[13] पुनर्जागरण काल के दौरान यह फिर से उभरा,[14] 19वीं और 20वीं शताब्दी में यह और अधिक व्यापक बन गया. 1847 में, इंग्लैंड में पहली शाकाहारी सोसायटी स्थापित की गयी,[15] जर्मनी, नीदरलैंड, और अन्य देशों ने इसका अनुसरण किया. राष्ट्रीय सोसाइटियों का एक संघ, अंतर्राष्ट्रीय शाकाहारी संघ, 1908 में स्थापित किया गया. पश्चिमी दुनिया में, 20वीं सदी के दौरान पोषण, नैतिक, और अभी हाल ही में, पर्यावरण और आर्थिक चिंताओं के परिणामस्वरुप शाकाहार की लोकप्रियता बढ़ी.

शाकाहार की किस्में

कुल्लू, भारत के पास सड़क के किनारे कैफे.

शाकाहार के अनेक प्रकार हैं, जिनमें विभिन्न खाद्य पदार्थ शामिल हैं या हटा दिए गये हैं.

  • ओवो-लैक्टो-शाकाहार में अंडे, दूध और शहद जैसे प्राणी उत्पाद शामिल हैं.
  • लैक्टो शाकाहार में दूध शामिल हैं, लेकिन अंडे नहीं.
  • ओवो शाकाहार में अंडे शामिल हैं लेकिन दूध नहीं.
  • वेगानिज्म दूध, शहद, अंडे सहित सभी प्रकार के प्राणी मांस तथा प्राणी उत्पादों का वर्जन करता है.[16]
  • रौ वेगानिज्म में सिर्फ ताज़ा तथा बिना पकाए फल, बादाम आदि, बीज और सब्जियां शामिल हैं.[17]
  • फ्रूटेरियनिज्म पेड़-पौधों को बिना नुकसान पहुंचाए सिर्फ फल, बादाम आदि, बीज और अन्य इकट्ठा किये जा सकने वाले वनस्पति पदार्थ के सेवन की अनुमति देता है.[18]
  • सु शाकाहार (जैसे कि बौद्ध धर्म) सभी प्राणी उत्पादों सहित एलिअम परिवार की सब्जियों (जिनमें प्याज और लहसुन की गंध की विशेषता हो): प्याज, लहसुन, हरा प्याज, लीक, या छोटे प्याज को आहार से बाहर रखते हैं.
  • मैक्रोबायोटिक आहार में अधिकांशतः साबुत अनाज और फलियां हुआ करती हैं.

कट्टर शाकाहारी ऐसे उत्पादों का त्याग करते हैं, जिन्हें बनाने में प्राणी सामग्री का इस्तेमाल होता है, या जिनके उत्पादन में प्राणी उत्पादों का उपयोग होता हो, भले ही उनके लेबल में उनका उल्लेख न हो; उदाहरण के लिए चीज में प्राणी रेनेट (पशु के पेट की परत से बनी एंजाइम), जिलेटिन (पशु चर्म, अस्थि और संयोजक तंतु से) का उपयोग होता है. कुछ चीनी को हड्डियों के कोयले से सफ़ेद बनाया जाता है (जैसे कि गन्ने की चीनी, लेकिन बीट चीनी नहीं) और अल्कोहल को जिलेटिन या घोंघे के चूरे और स्टर्जिओन से साफ़ किया जाता है.

कुछ लोग अर्द्ध-शाकाहारी आहार का सेवन करते हुए खुद को "शाकाहारी" के रूप में बताया करते हैं.[19][20] अन्य मामलों में, वे खुद का वर्णन बस "फ्लेक्सीटेरियन" के रूप में किया करते हैं.[19] ऐसे भोजन वे लोग किया करते हैं जो शाकाहारी आहार में संक्रमण के दौर में या स्वास्थ्य, पर्यावरण या अन्य कारणों से पशु मांस का उपभोग घटाते जा रहे हैं. "अर्द्ध-शाकाहारी" शब्द पर अधिकांश शाकाहार समूहों को आपत्ति है, जिनका कहना है कि शाकाहारी को सभी पशु मांस त्याग देना जरुरी है. अर्द्ध-शाकाहारी भोजन में पेसेटेरियनिज्म (pescetarianism) शामिल है, जिसमे मछली और कभी-कभी समुद्री खाद्य शामिल होते हैं; पोलोटेरियनिज्म में पोल्ट्री उत्पाद शामिल हैं; और मैक्रोबायोटिक आहार में अधिकांशतः गोटे अनाज और फलियां शामिल होती हैं, लेकिन कभी-कभार मछली भी शामिल हो सकती है.

स्वास्थ्य संबंधी लाभ और महत्व

अमेरिकन डाएटिक एसोसिएशन और कनाडा के आहारविदों का कहना है कि जीवन के सभी चरणों में अच्छी तरह से योजनाबद्ध शाकाहारी आहार "स्वास्थ्यप्रद, पर्याप्त पोषक है और कुछ बीमारियों की रोकथाम और इलाज के लिए स्वास्थ्य के फायदे प्रदान करता है". बड़े पैमाने पर हुए अध्ययनों के अनुसार मांसाहारियों की तुलना में इस्कीमिक (स्थानिक-अरक्तता संबंधी) ह्रदय रोग शाकाहारी पुरुषों में 30% कम और शाकाहारी महिलाओं में 20% कम हुआ करते हैं.[21][22][23] सब्जियों, अनाज, बादाम आदि, सोया दूध, अंडे और डेयरी उत्पादों में शरीर के भरण-पोषण के लिए आवश्यक पोषक तत्व, प्रोटीन, और अमीनो एसिड हुआ करते हैं.[24] शाकाहारी आहार में संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और प्राणी प्रोटीन का स्तर कम होता है, और कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फोलेट, और विटामिन सी व ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट तथा फाइटोकेमिकल्स का स्तर उच्चतर होता है.[25]

शाकाहारी निम्न शारीरिक मास इंडेक्स, कोलेस्ट्रॉल का निम्न स्तर, निम्न रक्तचाप प्रवृत्त होते हैं; और इनमें ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह टाइप 2, गुर्दे की बीमारी, अस्थि-सुषिरता (ऑस्टियोपोरोसिस), अल्जाइमर जैसे मनोभ्रंश और अन्य बीमारियां कम हुआ करती हैं.[26] खासकर चर्बीदार भारी मांस (Non-lean red meat) को भोजन-नलिका, जिगर, मलाशय और फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते खतरे के साथ सीधे तौर पर जुड़ा पाया गया है.[27] अन्य अध्ययनों के अनुसार प्रमस्तिष्‍कवाहिकीय (cerebrovascular) बीमारी, पेट के कैंसर, मलाशय कैंसर, स्तन कैंसर, या प्रोस्टेट कैंसर से होने वाली मृत्यु के मामले में शाकाहारी और मांसाहारियों के बीच में कोई उल्लेखनीय अंतर नहीं है; हालांकि शाकाहारियों के नमूने कम थे और उनमें पूर्व-धूम्रपान करने वाले ऐसे लोग शामिल रहे जिन्होंने पिछले पांच साल में अपना भोजन बदला है.[22] 2010 के एक अध्ययन में सेवेंथ दे एडवेंटिस्ट्स के शाकाहारियों और मांसाहारियों के एक ग्रुप के बीच तुलना करने पर शाकाहारियों में अवसाद कम पाया गया और उन्हें बेहतर मूड का पाया गया.[28]

पोषक तत्व

एक फल और बार्सिलोना में सब्जी की दुकान

पश्चिमी शाकाहारी आहार कैरोटेनोयड्स में आम तौर पर उन्नत होते हैं, लेकिन अपेक्षाकृत लंबी-श्रृंखला एन-3 फैटी एसिड और विटामिन बी12 में निम्न होते हैं. वेगान्स विशेष रूप से विटामिन बी और कैल्शियम का सेवन कम कर सकते हैं, अगर उन्होंने पर्याप्त मात्रा में कोलार्ड हरे पत्ते, पत्तेदार साग, टेम्पेह और टोफू (सोय) नहीं खाते हैं. फाइबर आहार, फोलिक एसिड, विटामिन सी और ई, और मैग्नेशियम के ऊंचे स्तर तथा संतृप्त वसा अर्थात चर्बी के कम उपभोग को शाकाहारी भोजन का लाभकारी पहलू माना जाता है.[29][30]

प्रोटीन

शाकाहारी भोजन में प्रोटीन का सेवन मांसाहारी आहार से केवल जरा-सा ही कम होता है और व्यक्ति की दैनिक जरूरतों को पूरा कर सकता है. खिलाड़ियों और शरीर को गठीला बनाने वालों की आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकता है.[31] हार्वर्ड विश्वविद्यालय और अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड तथा विभिन्न यूरोपीय देशों में किये गये अध्ययनों से इसकी पुष्टि होती है कि विभिन्न प्रकार के पौधों के स्रोतों से आहार उपलब्ध होते रहें और उनका उपभोग होता रहे तो शाकाहारी भोजन पर्याप्त प्रोटीन मुहैया करता है.[32] प्रोटीन अमीनो एसिड के प्रकृतिस्थ हैं, और वनस्पति स्रोतों से प्राप्त प्रोटीन को लेकर एक आम चिंता आवश्यक अमीनो एसिड के सेवन की है, जो मानव शरीर द्वारा संश्लेषित नहीं किया जा सकता है. जबकि डेयरी उत्पाद और अंडे लैक्टो-ओवो शाकाहारियों को सम्पूर्ण स्रोत उपलब्ध कराते हैं; ये एकमात्र वनस्पति स्रोत हैं जिनमें सभी आठ प्रकार के आवश्यक अमीनो एसिड महत्वपूर्ण मात्रा में हुआ करते हैं. ये हैं लुपिन, सोय, हेम्पसीड, चिया सीड, अमरंथ, बक व्हीट और क़ुइनोआ. हालांकि, आवश्यक अमीनो एसिड विविध प्रकार के पूरक वनस्पति स्रोतों को खाने से प्राप्त किये जा सकते हैं, सभी आठ आवश्यक अमीनो एसिड प्रदान करने वाले वनस्पतियों के संयोजन से ऐसा हो सकता है (जैसे कि भूरे चावल और बीन्स, या ह्यूमस और गोटे गेहूं का पिटा, हालांकि उस भोजन में प्रोटीन का संयोजन होना जरुरी नहीं है. 1994 के एक अध्ययन में पाया गया कि ऐसे विविध स्रोतों का सेवन पर्याप्त हो सकता है.[33]

लौह

शाकाहारी आहार में लौह तत्व आम तौर पर मांसाहारी भोजन के समान स्तर के होते हैं, लेकिन मांस स्रोतों से प्राप्त लौह की तुलना में इसकी बायो-उपलब्धता निम्न होती है, और इसके अवशोषण में कभी-कभी आहार के अन्य घटकों द्वारा रुकावट पैदा की जा सकती है. शाकाहारी खाद्य पदार्थ लौह से भरपूर होते है, इनमें काली सेम, काजू, हेम्पसीड, राजमा, मसूर दाल, जौ का आटा, किशमिश व मुनक्का, लोबिया, सोयाबीन, अनेक नाश्ते में खाये जानेवाला अनाज, सूर्यमुखी के बीज, छोले, टमाटर का जूस, टेमपेह, शीरा, अजवायन और गेहूं के आटे का ब्रेड शामिल हैं.[34] शाकाहारी भोजन की तुलना में संबंधित वेगन या शुद्ध शाकाहारी भोजन में अक्सर लौह की मात्रा अधिक हो सकती है, क्योंकि डेयरी उत्पादों में लौह कम हुआ करता है.[30] मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों में लौह भंडार का प्रवृत्त अक्सर कम होता है, और कुछ छोटे अध्ययनों में शाकाहारियों में लोहे की कमी की उच्च दर पायी गयी है. हालांकि, अमेरिकन डाएटिक एसोसिएशन का कहना है कि मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों में लौह कमी अधिक आम नहीं है (वयस्क पुरुषों में कभी-कभार ही लौह कमी पायी जाती है); लौह कमी रक्ताल्पता कदाचित होती है, आहार से कोई संबंध नहीं.[35][36][37]

विटामिन बी12

पौधे आम तौर पर विटामिन बी12 के महत्वपूर्ण स्रोत नहीं होते हैं.[38] हालांकि, लैक्टो-ओवो शाकाहारी डेयरी उत्पादों और अंडों से बी12 प्राप्त कर सकते हैं, और वेगांस दृढ़ीकृत खाद्य तथा पूरक आहार से प्राप्त कर सकते हैं.[39][40] चूंकि मानव शरीर बी12 को सुरक्षित रखता है और इसके सार को नष्ट किये बिना इसका फिर से उपयोग करता है, इसीलिए बी12 कमी के उदाहरण असामान्य हैं.[41][42] बिना पुनः आपूर्ति के शरीर विटामिन को 30 वर्षों तक सुरक्षित रखे रह सकता है.[38]

बी12 के एकमात्र विश्वसनीय वेगान स्रोत हैं बी12 के साथ दृढीकृत खाद्य (कुछ सोया उत्पादों और कुछ नाश्ता के अनाज सहित) और बी12 के पूरक.[43][44] हाल के वर्षों में विटामिन बी12 के स्रोतों पर शोधों में वृद्धि हुई है.[45]

फैटी एसिड

ओमेगा 3 फैटी एसिड के पौधे-आधारित या शाकाहारी स्रोतों में सोया, अखरोट, कुम्हड़े के बीज, कैनोला तेल (रेपसीड), किवी फल, और विशेषकर हेम्पसीड, चिया सीड, अलसी, इचियम बीज और लोनिया या कुलफा शामिल हैं. किसी भी अन्य ज्ञात सागों की अपेक्षा कुलफा में अधिक ओमेगा 3 हुआ करता है. वनस्पति या पेड़-पौधों से प्राप्त खाद्य पदार्थ अल्फा-लिनोलेनिक एसिड प्रदान कर सकते हैं, लेकिन लंबी-श्रृंखला एन-3 फैटी एसिड ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) प्रदान नहीं करते, जिनका स्तर अंडों और डेयरी उत्पादों में कम हुआ करता है. मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों, और विशेष रूप से वेगांस में ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) का निम्न स्तर होता है. हालांकि ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) के निम्न स्तर का स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव अज्ञात है, लेकिन इसकी संभावना नहीं है कि अल्फा-लिनोलेनिक एसिड के अनुपूरण से इसके स्तर में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी.[46] हाल ही में, कुछ कंपनियों ने समुद्री शैवाल के सत्त से भरपूर शाकाहारी डीएचए अनुपूरण की बिक्री शुरू कर दी है. ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) दोनों उपलब्ध कराने वाले इसी तरह के अन्य अनुपूरण भी आने शुरू हो चुके हैं.[47] पूरा समुद्री शैवाल अनुपूरण के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि उनके उच्च आयोडीन तत्व सुरक्षित उपभोग की मात्रा को सीमित करते हैं. हालांकि, स्पाईरुलिना जैसे कुछ शैवाल गामा-लिनोलेनिक एसिड (जीएलए (GLA)), अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए (ALA)), लिनोलेनिक एसिड (एलए (LA)), स्टीयरिड़ोनिक एसिड (एसडीए (SDA)), आइकोसैपेंटेनोइक एसिड (ईपीए (EPA)), डोकोसहेक्सेनोइक एसिड (डीएचए (DHA)) और अरचिड़ोनिक एसिड (एए (AA)) के अच्छे स्रोत होते हैं.[48][49]

कैल्शियम

शाकाहारियों में कैल्शियम का सेवन मांसाहारियों के ही समान है. वेगांस में अस्थियों की कुछ दुर्बलता पायी गयी है जो हरे-पत्तेदार साग नहीं खाया करते, जिनमे प्रचूर कैल्शियम हुआ करता है.[50] हालांकि, लैक्टो-ओवो शाकाहारियों में यह नहीं पाया जाता.[51] कैल्शियम के कुछ स्रोतों में कोलार्ड साग, बोक चोय, काले (गोभी), शलगम के साग शामिल हैं.[52] पालक रसपालक और चुक़ंदर साग कैल्शियम से भरपूर हैं, लेकिन कैल्शियम ऑक्‍जेलेट होने के लिए बाध्य है और इसलिए अच्छी तरह से अवशोषित नहीं हो पाता है.[53]

विटामिन डी

शाकाहारियों में विटामिन डी का स्तर कम नहीं होना चाहिए (हालांकि अध्ययनों के अनुसार आम आबादी के अधिकांश में इसकी कमी है[54]). पर्याप्त और संवेदी यूवी (UV) सूर्य धूप सेवन से विटामिन डी की आवश्यकताएं मानव शरीर के खुद के उत्पादन के जरिये पूरी हो सकती हैं. दूध सहित सोया दूध और अनाज के दाने जैसे उत्पाद विटामिन डी प्रदान करने के अच्छे दृढीकृत स्रोत हो सकते है;[55] और खुमी (मशरूम) 2700 आईयू से अधिक (लगभग 3 आउंस या आधा कप) विटामिन डी2 प्रदान करता है, अगर एकत्र करने के बाद 5 मिनट यूवी प्रकाश में खुला छोड़ दिया जाय;[56] जो पर्याप्त धूप का सेवन नहीं करते हैं और/या जिन्हें खाद्य पदार्थों से प्राप्त नहीं होता है, उन्हें विटामिन डी के अनुपूरण की जरूरत पड सकती है.

दीर्घायु

पश्चिमी देशों के पांच अध्ययनों के एक 1999 के मेटाअध्ययन[57] के संयुक्त डेटा. मेटाअध्ययन ने मृत्यु दर अनुपात के बारे में बताया कि निम्न संख्या कम मौतों की सूचक है; मछली खाने वालों के लिए .82, शाकाहारियों के लिए .84, कभी-कभार मांस खाने वालों के लिए .84 की संख्या बतायी गयी. नियमित रूप से मांस खाने वाले और वेगांस सर्वाधिक 1.00 मृत्यु दर अनुपात की साझेदारी करते हैं. अध्ययन ने प्रत्येक श्रेणी में होने वाली मौतों की संख्या के बारे में बताया, और प्रत्येक अनुपात के लिए अपेक्षित त्रुटि अनुक्रम को देखते हुए, डेटा में समायोजन किया. हालांकि, "इस (शाकाहारी) आबादी वर्ग में मुख्य रूप से धूम्रपान की आदत अपेक्षाकृत कम होने कारण मृत्यु दर कम रही". मृत्यु के प्रमुख कारणों का अध्ययन करने पर आहार में अंतर की वजह से मृत्यु दर में फर्क का केवल एक ही कारण जिम्मेदार पाया गया, निष्कर्ष में कहा गया: "स्थानिक रक्ताल्पता संबंधी ह्रदय रोग से मृत्यु दर में मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों की संख्या 24% कम है; लेकिन मृत्यु के अन्य प्रमुख कारणों में शाकाहारी आहार का कोई जुड़ाव स्थापित नहीं किया गया."[57]

"मोर्टेलिटी इन ब्रिटिश वेजिटेरीयंस" में,[58] एक समान निष्कर्ष निकाला गया है: "ब्रिटिश शाकाहारियों में आम आबादी की तुलना में मृत्यु दर कम है. उनकी मृत्यु दर उन लोगों के समान हैं जो मांसाहारियों के साथ तुलनीय हैं, कहा गया कि धूम्रपान के कम प्रचलन और आम तौर पर उच्च सामजिक-आर्थिक स्थिति जैसे गैर-आहारीय जीवनशैली के कारकों या मांस और मछली के परहेज से भिन्न आहार के अन्य पहलुओं के कारण यह लाभ मिलता हो सकता है."[59]

सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट्स में एड्वेंटिस्ट स्वास्थ्य अध्ययन दीर्घायु जीवन का एक सतत अध्ययन है. दूसरों के बीच में यह एकमात्र अध्ययन है जिसमें वही कार्य पद्धति अपनायी गयी है जिससे शाकाहार के लिए अनुकूल लक्षण प्राप्त हुए. शोधकर्ताओं ने पाया कि अलग-अलग जीवन शैली विकल्पों का संयोजन दीर्घायु जीवन पर अधिक से अधिक दस साल का प्रभाव डाल सकता है. जीवन शैली विकल्पों की जांच में पाया गया कि शाकाहारी भोजन जीवन को अतिरिक्त 1-1/2 से 2 साल तक बढ़ा सकता है. शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि "कैलिफोर्निया एड्वेंटिस्ट पुरुषों और महिलाओं के जीवन की प्रत्याशा किसी भी अन्य भली-भांति वर्णित प्राकृतिक आबादी की तुलना में अधिक है"; पुरुषों के लिए 78.5 साल और महिलाओं के लिए 82.3 साल. 30 वर्ष के कैलिफोर्निया एड्वेंटिस्टस के जीवन की प्रत्याशा पुरुषों के लिए 83.3 साल और महिलाओं के लिए 85.7 साल आंकी गयी.[60]

एड्वेंटिस्ट स्वास्थ्य अध्ययन को फिर से एक मेटाअध्ययन में शामिल किया गया है, जिसका शीर्षक है "क्या मांस का कम सेवन मानव जीवन को दीर्घायु बनाता है?" यह अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित हुआ, जिसका निष्कर्ष है कि अधिक मात्रा में मांस खाने वाले समूह की तुलना में, कम मांस भक्षण (सप्ताह में एक बार से कम) और अन्य जीवनशैली विकल्पों से उल्लेखनीय रूप से आयु बढ़ जाती है.[61] अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि "स्वस्थ वयस्कों के एक आबादी वर्ग में पाए गये निष्कर्षों ने यह संभावना बढ़ा दी कि एक लंबी अवधि (≥ 2 दशक) तक शाकाहारी भोजन के अवलम्बन से आयु में एक उल्लेखनीय 3.6-वाई (3.6-y) की वृद्धि हो सकती है." हालांकि, अध्ययन ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि "कनफाउंडर्स के अध्ययनों के बीच संयोजन में चिह्नित अंतर, शाकाहारी की परिभाषा, माप त्रुटि, आयु वितरण, स्वस्थ स्वयंसेवी प्रभाव, और शाकाहारियों द्वारा कोई ख़ास प्रकार की वनस्पति खाद्य का सेवन करने के कारण शाकाहारियों में उत्तरजीविता लाभ में कुछ भिन्नता हो सकती है." यह आगे कहता है कि "इससे यह संभावना बढती है कि कम मांस व अधिक शाकाहारी भोजन पैटर्न सही मायने में प्रेरणार्थक सुरक्षात्मक कारक हो सकता है, बजाय इसके कि भोजन से मांस को बस निकाल दिया जाय." सभी कारण से मृत्यु दर के लिए कम-मांस आहार से सबंधित हाल के एक अध्ययन में सिंह ने पाया कि "5 अध्ययनों में से 5 में ही यह जाहिर होता है कि जिन वयस्कों ने कम मांस और अधिक शाकाहारी आहार के पैटर्न का अनुसरण किया, उन्होंने सेवन के अन्य पैटर्न की तुलना में, महत्वपूर्ण या जरा कम महत्वपूर्ण रूप से मृत्यु के जोखिम में कमी को महसूस किया."

यूरोप में क्षेत्रीय तथा स्थानीय आहार के साथ दीर्घायु होने की तुलना जैसे सांख्यिकी अध्ययनों में भी पाया गया कि अधिक मांसाहारी उत्तरी फ़्रांस की तुलना में दक्षिणी फ्रांस में लोगों की आयु बहुत अधिक है, जहां कम मांस और अधिक शाकाहारी भूमध्यसागरीय भोजन आम है.[62]

इंस्टीटयूट ऑफ़ प्रिवेंटिव एंड क्लिनिकल मेडिसिन, तथा इंस्टीटयूट ऑफ़ सायक्लोजिक्ल केमिस्ट्री द्वारा किये गये अध्ययन में 19 शाकाहारियों (लैक्टो-ओवो) के एक समूह की तुलना उसी क्षेत्र के 19 सर्वभक्षी समूह से की गयी. अध्ययन में पाया गया कि शाकाहारियों (लैक्टो-ओवो) के इस समूह में इस मांसाहारी समूह की तुलना में प्लाज्मा कार्बोक्सीमिथेलीसाइन और उन्नत ग्लिकेशन एंडोप्रोडक्ट्स (AGEs) की मात्रा बहुत अधिक है.[63] कार्बोक्सीमिथेलीसाइन एक ग्लिकेशन उत्पाद है जो "ओक्सीडेटिव तनाव प्रौढावस्था, धमनीकलाकाठिन्य (atherosclerosis) और मधुमेह में प्रोटीन की क्षति के एक आम चिह्नक' का प्रतिनिधित्व करता है." "उन्नत ग्लिकेशन एंड उत्पाद (AGEs) धमनीकलाकाठिन्य, मधुमेह, प्रौढ़ावस्था और जीर्ण गुर्दे की खराबी की प्रक्रिया के मामले में एक महत्वपूर्ण प्रतिकूल भूमिका निभा सकता है."

आहार बनाम दीर्घायु तथा पश्चिमी रोगों के पोषक पर सबसे बड़ा अध्ययन चीनी परियोजना थी; यह एक "2,400 से अधिक काउंटी के उनके 880 मिलियन (96%) नागरिकों पर विभिन्न प्रकार के कैंसर से मृत्यु दर का सर्वेक्षण" था, इसका संयोजन विभिन्न मृत्यु दरों और अनेक प्रकार के आहार, जीवन शैली और पर्यावरणीय विशेषताओं के साथ संबंध के अध्ययन के साथ किया गया, यह अध्ययन चीन के 65 अधिकांशतः ग्रामीण काउंटियों में संयुक्त रूप से कोर्नेल विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और प्रिवेंटिव मेडिसिन की चीनी अकादमी द्वारा 20 वर्षों तक किया गया. चीन अध्ययन में भोजन में मांसाहार की मात्रा तथा पश्चिम में मौत के प्रमुख कारणों के बीच एक मजबूत खुराक-अनुक्रिया संबंध पाया गया है; पश्चिम में मृत्यु के कारण हृदय रोग, मधुमेह, और कैंसर हैं.

खाद्य सुरक्षा

यूएसए टुडे (USA Today) के ब्लॉग में लिब्बी सांडे ने कहा है कि शाकाहार ई. कोली (E. coli) संक्रमण को कम करता है,[64] और द न्यू यॉर्क टाइम्स के एक आलेख में खाद्य में ई. कोली दूषण को औद्योगिक पैमाने के मांस और डेयरी फ़ार्म के साथ जोड़ा.[65] 2006 के दौरान अमेरिका में ई. कोली संक्रमण के लिए पालक और प्याज को जिम्मेवार पाया गया.[66][मृत कड़ियाँ][67]

रोगजनक ई. कोली का प्रसार मलाशय-मुख संचरण के जरिये हुआ करता है.[68][69][70] संचरण के आम मार्गों में अस्वास्थ्यकर तरीके से भोजन बनाना[69] और फार्म संदूषण शामिल हैं.[71][72][73] डेयरी और बीफ मांस पशु मुख्य रूप से ई. कोली प्रजाति O157:H7 के खजाना हैं,[74] और वे इसे स्पर्शोन्मुख रूप से वहां कर सकते हैं और उनके मल में इसे बहा देते हैं.[74] ई. कोली प्रकोप के साथ जुड़े खाद्य उत्पादों में जमीन पर पड़ा कच्चा बीफ,[75] कच्चे अंकुरित बीज या पालक,[71] कच्चा दूध, बिना पैशच्युरैज्ड जूस, और मलाशय-मुख के जरिये संक्रमित खाद्य कर्मियों द्वारा दूषित खाद्य शामिल हैं.[69] 2005 में, कुछ लोग जिन्होंने तिहरे-धोये पैक होने से पहले लेटस का सेवन किया था, वे ई. कोली से संक्रमित हो गये थे.[76] 2007 में, पैक लेटस सलाद को वापस ले लिया गया था, जब उन्हें ई. कोली से संदूषित पाया गया.[77] ई. कोली प्रकोप पैशच्युरैज्ड नहीं किये गये सेब,[78] संतरे के रस, दूध, रिजका या अल्फाल्फा के अंकुरों,[79] और पानी में पाया गया.[80]

साल्मोनेला का प्रकोप मूंगफली के मक्खन, जमे हुए पॉट पाई और कुरमुरे सब्जी अल्पाहार में पाया गया.[81] बीएसई, जिसे गाय रोग के नाम से भी जाना जाता है, को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मानव में क्रुत्ज़फेल्ट-जैकोब रोग से जोड़ा है.[82]

भेड़ों में पांव-और-मुंह की बीमारी, फ़ार्म की सालमन मछली में पीसीबी, मछली में पारा, पशु उत्पादों में डायोक्सिन की मात्रा, कृत्रिम हारमोन वृद्धि, एंटीबायोटिक, सीसा, और पारा,[83] सब्जी और फल में कीटनाशकों की मात्रा, फलों को पकाने के लिए प्रतिबंधित रसायनों के इस्तेमाल की रिपोर्ट आ रही हैं.[84][85][86]

चिकित्सकीय प्रयोग

पश्चिमी दवा में, कभी-कभी मरीजों को शाकाहारी भोजन का पालन करने की सलाह दी जाती है.[87] रुमेटी गठिया के लिए एक इलाज के रूप में शाकाहारी आहार का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह कारगर है या नहीं, इसके प्रमाण अनिर्णायक हैं.[88] डॉ.डीन ओर्निश, एमडी, ने यूसीएसएफ (UCSF) में अनेक अच्छी तरह से नियंत्रित अध्ययन किये, जिसने कम वसा वाले शाकाहारी भोजन सहित जीवन शैली में हस्तक्षेप के जरिये कोरोनरी धमनी रोग को वास्तव में ठीक कर दिया. आयुर्वेद और सिद्ध जैसी कुछ वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में शाकाहारी भोजन की सलाह देती हैं.[nb 2]

शरीर विज्ञान

इंसान सर्वभक्षी होते हैं, मांस और शाकाहारी खाद्य पचाने की मानव क्षमता पर यह आधारित है.[90][91] तर्क दिया जाता है कि शरीर रचना की दृष्टि से मनुष्य शाकाहारियों के अधिक समान हैं, क्योंकि इनकी लंबी आंत होती है, जो अन्य सर्वभक्षियों और मांसाहारियों में नहीं होती हैं.[92] पोषण संबंधी विशेषज्ञों का मानना है कि प्रारंभिक होमिनिड्स ने तीन से चार मिलियन वर्ष पहले भारी जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप मांस खाने की प्रवृत्ति विकसित की, जब जंगल सूख गये और उनकी जगह खुले घास के मैदानों ने ले लिया, तब शिकार तथा सफाई के अवसर खुल गये.[93][94]

जानवर-से-मानव रोग संक्रमण

मांस का उपभोग पशुओं से मनुष्यों में अनेक रोगों के संक्रमण का कारण हो सकता है.[95] साल्मोनेला के मामले में संक्रमित जानवर और मानव बीमारी के बीच संबंध की जानकारी अच्छी तरह स्थापित हो चुकी है; एक अनुमान के अनुसार एक संयुक्त राज्य अमेरिका में बिक रहे मुर्गे की एक तिहाई से आधा तक साल्मोनेला से संदूषित है.[95] हाल ही में, वैज्ञानिकों ने संदेह करना शुरू किया है कि पशु मांस और मानव कैंसर, जन्म दोष, उत्परिवर्तन तथा मानवों की अनेक बिमारियों के बीच इसी तरह का संबंध है.[95][96][97][98][99][100][101] 1975 में, एक अध्ययन में सुपर मार्केट के गाय के दूध के नमूनों में 75 फीसदी और अंडों के नमूनों में 75 फीसदी ल्यूकेमिया (कैंसर) के वायरस पाए गये.[96] 1985 तक, जांच किये गये अंडों का लगभग 100 फीसदी, या जिन मुर्गियों से वे निकले हैं, में कैंसर के वायरस मिले.[95][96] मुर्गे-मुर्गियों में बीमारी की दर इतनी अधिक है कि श्रम विभाग ने पोल्ट्री उद्योग को सबसे अधिक खतरनाक व्यवसायों में एक घोषित कर दिया.[95] सभी गायों का २० फीसदी गोजातीय ल्यूकेमिया वायरस (BLV) नाम से ज्ञात विभिन्न प्रकार के कैंसर से पीड़ित है.[95] अध्ययन तेजी से HTLV-1 के साथ BLV को जोड़ रहे हैं, यह खोजा गया पहला मानव रेट्रोवायरस है जिससे कैंसर होता है.[95] वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक गोजातीय रोगक्षम-अपर्याप्तता वायरस (BIV), जो गायों में एड्स के वायरस के समान है, भी मानव कोशिकाओं को संक्रमित कर सकते हैं.[95] यह माना जाता है कि मानव में अनेक घातक और धीमी गति के वायरस के विकास में BIV की भूमिका हो सकती है.[95]

औद्योगिक पैमाने के पशु फार्मिंग में पशुओं की निकटता से रोग संक्रमण की दर में वृद्धि हुई है.[उद्धरण चाहिए] मानव में इन्फ्लूएंजा के वायरस के संक्रमण के प्रमाण दर्ज हो चुके हैं, लेकिन ऐसे मामलों में हुई बीमारियों की तुलना अब मानव द्वारा अनुकूलित हो चुके आम पुराने इन्फ्लूएंजा वायरस के साथ कभी-कभार ही होती है,[102] जो बिमारी बहुत पहले भूतकाल में पशुओं से मनुष्यों में संक्रमित हुई.[nb 3][104][105][106] पहला मामला 1959 में दर्ज किया गया था, और 1998 में, H5N1 इन्फ्लूएंजा के 18 नए मामलों का निदान किया गया, जिनमें से छः लोगों की मृत्यु हो गयी. 1997 में हांगकांग में H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा के और अधिक मामले मुर्गियों में पाए गये.[102]

तपेदिक की शुरुआत पशुओं में हुई और फिर उसका संक्रमण उनसे मनुष्यों में हुआ, या एक समान पूर्वज से निकली अलग-अलग प्रजातियां संक्रमित हुईं, यह अब तक अस्पष्ट है.[107] खसरा और काली खांसी के मूल में पालतू पशुओं के जिम्मेवार होने के मजबूत साक्ष्य मौजूद हैं, हालांकि डेटा ने गैर-पालतू मूल को इस दायरे से बाहर नहीं किया है.[108]

'हंटर थ्योरी' के अनुसार, "पजातियों के बीच संक्रमण की सबसे आसन और विश्वसनीय व्याख्या" चिम्पांजी से मानव में एड्स वायरस का संक्रमण है, ऐसा तब हुआ होगा जब किसी जंगल के शिकारी को किसी पशु ने शिकार करते समय या क़त्ल करते समय मारा या काटा होगा.[109]

इतिहासकार नोर्मन कैंटर की राय में पशुओं के मुरैन (एक प्लेग जैसे रोग), एंथ्रेक्स के एक रूप सहित महामारी का एक संयोजन हो सकती है काली मौत. उन्होंने इस सिलसिले में प्रमाण के कई रूपों का उल्लेख किया, जिनमें यह तथ्य भी शामिल है कि प्लेग के प्रकोप से पहले अंग्रेजी क्षेत्रों में संक्रमित पशुओं के मांस बेचे जाते रहे थे.[110]

खान-पान संबंधी गड़बड़ी

अमेरिकन डाएटिक एसोसिएशन बताया कि खाने के विकार के साथ किशोरों में शाकाहारी आहार अधिक आम हो सकते हैं, लेकिन प्रमाणों के अनुसार शाकाहारी भोजन अपनाने से खाने के विकार नहीं होते, बल्कि यह कि "मौजूदा खाने के विकार को छिपाने के लिए शाकाहारी भोजन को चुना जा सकता है."[111] अन्य अध्ययनों और डाएटिशियनों व सलाहकारों के बयानों ने इस निष्कर्ष का समर्थन किया.[nb 4][114]

शाकाहारी भोजन के अतिरिक्त कारण

आचारनीति

विभिन्न नैतिक कारणों से शाकाहार को चुनने के सुझाव दिये गये हैं.

धर्म

भारतीय खाना शाकाहारी व्यंजनों की एक विस्तृत श्रृंखला की वजह से हिंदू धर्म, भारत की आबादी का बहुमत द्वारा अभ्यास प्रदान करता है, शाकाहारी भोजन प्रोत्साहित करती है.यहां शाकाहारी थाली दिया जाता है.

जैन धर्म नैतिक आचरण के रूप में शाकाहार होने की शिक्षा देता है, उसी तरह जैसा कि हिंदू धर्म के कुछ प्रमुख[उद्धरण चाहिए] संप्रदाय करते हैं. सामान्य तौर पर बौद्ध धर्म,मांस खाने का निषेध नहीं करता है, जबकि महायान बौद्ध धर्म दया की भावना के लाभप्रद विकास के लिए शाकाहारी होने को प्रोत्साहित करता है. अन्य पंथ जो पूरी तरह शाकाहारी भोजन की वकालत करते हैं उनमें सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट्स, रस्ताफरी आन्दोलन और हरे कृष्णा शामिल हैं. सिख धर्म[115][116][117] आध्यात्मिकता के साथ आहार को नहीं जोड़ता और शाकाहारी या मांसाहारी आहार निर्दिष्ट नहीं करता है.[118]

हिंदू धर्म

हिंदू धर्म के अधिकांश बड़े पंथ शाकाहार को एक आदर्श के रूप में संभाले रखा है. इसके मुख्यतः तीन कारण हैं: पशु-प्राणी के साथ अहिंसा का सिद्धांत;[119] आराध्य देव को केवल "शुद्ध" (शाकाहारी) खाद्य प्रस्तुत करने की नीयत और फिर प्रसाद के रूप में उसे वापस प्राप्त करना;[120] और यह विश्वास कि मांसाहारी भोजन मस्तिष्क तथा आध्यात्मिक विकास के लिए हानिकारक है. हिंदू शाकाहारी आमतौर पर अंडे से परहेज़ करते हैं लेकिन दूध और डेयरी उत्पादों का उपभोग करते हैं, इसलिए वे लैक्टो-शाकाहारी हैं.

हालांकि, अपने संप्रदाय और क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार हिंदुओं के खानपान की आदतों में भिन्नता होती है. ऐतिहासिक रूप से और वर्तमान में, जो हिंदू मांस खाते हैं वे झटका मांस पसंद करते हैं.[121]

जैन धर्म

जैन धर्म के अनुयायी मानते हैं कि प्राणियों से लेकर निर्जीव पदार्थों में सब चीज में अलग अवस्था का जीवन हुआ करता है और इसीलिए वे इसके नुकसान को न्यूनतम करने के लिए अधिकतम प्रयास करते हैं. अधिकांश जैनी लैक्टो-शाकाहारी होते हैं, लेकिन अधिक धर्मनिष्ठ जैनी कंद-मूल सब्जियां नहीं खाते क्योंकि इससे पौधों की हत्या होती है. इसके बजाय वे फलियां और फल खाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिनकी खेती में पौधों की हत्या शामिल नहीं है. मृत पशुओं से प्राप्त उत्पादों के उपभोग या उपयोग की अनुमति नहीं है. भूखे रहकर आत्म समाप्ति को जैनी एक आदर्श अवस्था मानते हैं और कुछ समर्पित भिक्षु आत्म समाप्ति किया करते हैं. आध्यात्मिक प्रगति के लिए यह उनके लिए एक अपरिहार्य स्थिति है.[122][123] कुछ विशेष रूप से समर्पित व्यक्ति फ्रुटेरियन हैं.[124] शहद से परहेज किया जाता है, क्योंकि इसके संग्रह को मधुमक्खियों के खिलाफ हिंसा के रूप में देखा जाता है. कुछ जैनी भूमि के अंदर पैदा होने वाले पौधों के भागों को नहीं खाते, जैसे कि मूल और कंद; क्योंकि पौधा उखाड़ते समय सूक्ष्म प्राणी मारे जा सकते हैं.[125]

बौद्ध धर्म

एक जापानी बौद्ध मंदिर में एक शाकाहारी भोजन

थैरवादी या स्थविरवादी आम तौर पर मांस खाया करते हैं. अगर बौद्ध भिक्षु ने विशेष रूप से उनके खाने के लिए किसी पशु को मारते "देख, सुन या जान लिया" तो वे इससे इंकार कर देंगे या फिर अपराध अपने ऊपर ले लेंगे. हालांकि, इसमें भिक्षा में प्राप्त या वाणिज्यिक रूप से खरीदकर खाया जाने वाला मांस शामिल नहीं है. थैरवाद में बुद्ध ने मांस भक्षण से उन्हें हतोत्साहित करने के लिए कोई टिप्पणी नहीं की है (सिर्फ विशेष प्रकार को छोड़कर, जैसे कि मनुष्य, हाथी, घोड़ा, कुत्ता, सांप, सिंह, बाघ, तेंदुआ, भालू और लकड़बग्घा[126]), लेकिन जब एक सलाह दी गयी तब उन्होंने मठ के नियमों में शाकाहार को स्थापित करने से इंकार कर दिया.

महायान बौद्ध धर्म में, ऐसे अनेक संस्कृत ग्रंथ हैं जिनमे बुद्ध अपने अनुयायियों को मांस से परहेज करने का निर्देश देते हैं. हालांकि, महायान बौद्ध धर्म की प्रत्येक शाखा चयन करती है कि किस सूत्र का पालन करना है. तिब्बत और जापानी बौद्धों के बहुमत सहित महायान की कुछ शाखाएं मांस खाया करती हैं जबकि चीनी बौद्ध मांस नहीं खाते.

सिख धर्म

सिख धर्म के सिद्धांत शाकाहार या मांसाहार पर अलग से कोई वकालत नहीं करते,[127][128][129][130][131] बल्कि भोजन का निर्णय व्यक्ति पर छोड़ दिया गया है. तथापि, दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह ने "अमृतधारी" सिखों, या जो सिख रेहत मर्यादा (आधिकारिक सिख नियम संहिता[132]) का पालन करते हैं, उन्हें कुत्था मांस या वो मांस जो कर्मकांड के तहत पशुओं को मारकर प्राप्त किया गया हो, उसे खाने से मना किया है. तत्कालीन नए मुस्लिम आधिपत्य से स्वतंत्रता के लिए इसे राजनीतिक कारण से प्रेरित माना जाता है, क्योंकि मुस्लिम बड़े पैमाने पर कर्मकांडी हलाल आहार का पालन करते हैं.[127][131]

कुछ सिख संप्रदाय से संबंधित "अमृतधारी" (मसलन, अखंड कीर्तनी जत्था, दमदमी टकसाल, नामधारी[133], रारियनवाले[134], आदि) मांस और अंडे के उपभोग का जोरदार विरोध करते हैं (हालांकि वे दूध, मक्खन और चीज के उपभोग को बढ़ावा देते हैं).[135] यह शाकाहारी रवैया ब्रिटिश राज के समय से चला आ रहा है, अनेक नए धर्मान्तरित वैष्णवों के आने के बाद से.[131] सिख आबादी के भोजन में भिन्नता की प्रतिक्रिया में, सिख गुरुओं ने आहार पर सिख विचार को स्पष्ट किया, उन्होंने सिर्फ भोजन की सादगी की उनकी प्राथमिकता पर जोर दिया. गुरु नानक ने कहा कि भोजन के अति-उपभोग (लोभ, लालसा) से पृथ्वी के संसाधन समाप्त हो जायेंगे और इस तरह जीवन भी समाप्त हो जायेगा.[136][137] गुरु ग्रंथ साहिब (सिखों की पवित्र पुस्तक, जिसे आदि ग्रंथ भी कहते हैं) में कहा गया है कि प्राणी जगत की श्रेष्ठता के लिए बहस करना "मूर्खता" है, क्योंकि सभी जीवन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, सिर्फ मानव जीवन अधिक महत्व रखता है.

"केवल मूर्ख ही यह बहस करते हैं कि मांस खाया जाय या नहीं. कौन परिभाषित कर कर सकता है कि कौन-सी चीज मांस और कौन-सी चीज मांस नहीं है? कौन जानता है, जहां पाप किसमें है, शाकाहारी होने में या एक मांसाहारी होने में?"[131]

सिख लंगर, या मंदिर का मुफ्त भोजन, मुख्यतः लैक्टो-शाकाहारी होता है, हालांकि समझा गया है किसी सिद्धांत के बजाय वहां खाने वाले सभी व्यक्तियों के लिए आदरणीय आहार को ध्यान में रख कर ही ऐसा किया जाता है.[130][131]

यहूदी धर्म

यहूदी धर्म के अनेक मध्ययुगीन विद्वानों (मसलन, जोसेफ अल्बो) ने शाकाहार को एक नैतिक आदर्श के रूप में माना, सिर्फ पशुओं के कल्याण के लिए ही नहीं, बल्कि इसलिए भी कि पशुओं की ह्त्या करने से यह कृत्य करने वाले में नकारात्मक चारित्रिक लक्षण विकसित होने लगते हैं. इसलिए, उनकी चिंता पशु कल्याण के बजाय मानवीय चरित्र पर पड़ने वाले संभावित हानिकारक प्रभाव थे. दरअसल, रब्बी जोसेफ अल्बो का कहा कि मांस के उपभोग का त्याग करना इसलिए भी जरुरी है कि यह न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है बल्कि अरुचिकर भी है.[138]

एक आधुनिक विद्वान, जिनका उल्लेख अक्सर ही शाकाहार के पक्ष किया जाता है, मैंडेट पैलेस्टाइन के प्रमुख रब्बी स्व. रब्बी अब्राहम इस्साक कूक थे. अपने लेखन में, रब्बी कूक ने शाकाहार को एक आदर्श के रूप में बताया है, और इस तथ्य की ओर इशारा किया है कि आदम पशु मांस नहीं खाया करता था. इस संदर्भ में, हालांकि, रब्बी कूक ने परलोक-सिद्धांत-विषयक (मुक्तिदाता संबंधी) युग के बारे में अपने चित्रण में ये टिप्पणियां की हैं.

कुछ कब्बलावादियों के अनुसार, केवल एक रहस्यवादी ही जो पुनर्जन्म लेने वाली आत्मा और "ईश्वरीय किरण" को समझने तथा उसे उन्नत कर पाने में सक्षम है, उसे ही मांस खाने की अनुमति है, हालांकि पशु मांस खाने से तब भी आत्मा को आध्यात्मिक क्षति पहुँच सकती है. अनेक यहूदी शाकाहार समूह और कार्यकर्ता ऐसे विचारों के प्रचार में लगे हुए हैं और विश्वास करते हैं कि जो फिलहाल शाकाहार को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं, सिर्फ उनके प्रति ही अस्थायी रूप से ढिलाई बरतने की हलाखिक अनुमति प्रदान है.[139]

यहूदी धर्म और ईसाई धर्म दोनों के साथ संबंध रखने वाले प्राचीन एसेंस धार्मिक समूह ने सख्ती से शाकाहार को चल्या, ठीक उसी तरह जिस तरह हिन्दू/जैनी अहिंसा या "निष्पाप" विचारों पर यकीन करते हैं.[140]

टोरा के टेन कमांडेंटस के अनुवाद में कहा गया है "तू हत्या नहीं करेगा."[141][142] कुछ लोगों का तर्क है कि इसका मतलब यह भी निकाला जा सकता है कि किसी हत्या न करो, न पशुओं की और न मनुष्यों कि, या कम से कम "कि कोई व्यक्ति बेजरूरत हत्या नहीं करे," यह कुछ वैसी ही बात हुई जैसे कि आधुनिक धर्मशास्त्री गुलामी के अभ्यास पर प्रतिबंध लगाने के लिए बाइबल के गुलामी पर दुर्वह प्रतिबंधों की व्याख्या करते हैं.[143] टोरा लोगों को यह भी आदेश देता है कि पशुओं की जब हत्या की जाय तो विधिवत उनका क़त्ल किया जाय, और पशु बलि के रिवाज को विस्तार से बताया गया है.

हालांकि यहूदियों के लिए मांस खाना न आवश्यक है और न ही निषिद्ध है, फिर भी यहूदी धर्म की नैतिकता और आदर्शों को देखते हुए चयन किया जाना चाहिए."The Vegetarian Mitzvah".

परंपरागत ग्रीक और रोमन सोच

प्राचीन ग्रीक दर्शन में शाकाहार की एक लंबी परंपरा है. कहते हैं पाइथागोरस शाकाहारी थे (और उसकी शिक्षा-दीक्षा माउंट कार्मेल में हुई थी, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जहां एक शाकाहारी समुदाय था), इसलिए उम्मीद की जाती है कि उनके अनुयायी भी शाकाहारी होंगे. बताया जाता है कि सुकरात शाकाहारी थे, और एक आदर्श गणतंत्र में लोगों को, कम से कम दार्शनिक-शासकों को क्या खाना चाहिए, इस पर उन्होंने अपने संवाद में इसका वर्णन किया था कि सिर्फ शाकाहारी भोजन करना चाहिए. उन्होंने खासतौर पर कहा कि अगर मांस खाने की अनुमति दी गयी तो समाज को और भी अधिक डॉक्टरों की आवश्यकता होगी.[144]

रोमन लेखक ओविद ने अपनी महान कृति मेटामोरफोसेज के एक हिस्से में आवेगविहीन तर्क देते हुए कहा है कि और अधिक बेहतरी के लिए मानवता में बदलाव या कायाकल्प और अधिक सुव्यवस्थित प्रजाति होने के लिए हमे ज्यादा से ज्यादा मानवीय प्रवृत्तियों की दिशा में प्रयासरत होना चाहिए. इस कायाकल्प में शाकाहार को महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में उद्धृत करते हुए उन्होंने अपने विचार जाहिर करते हुए कहा है कि मानव जीवन और पशु जीवन परस्पर इतने घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं कि एक पशु की हत्या एक इंसान की हत्या के समान है.

सब कुछ बदलता है, कुछ भी नहीं मरता; आत्मा इधर-उधर घूमती है, अभी यहां है तो अभी वहां, और इंसान से लेकर पशु तक जो भी ढांचा होगा उसीको ओढ़ लेती हैल यही हमारा अपना पशुत्व के रूप में ढल जाता है जो कभी नहीं मरता है ...इसलिए ऐसा न हो कि भूख और लालच प्यार और कर्तव्य के बंधन को नष्ट कर दे, मेरे संदेश पर ध्यान दो! बचो! वध के जरिए आत्मा को कभी नष्ट मत करना, यह रक्त से रक्त के रिश्ते को जोड़ता है और इसकी परवरिश करता है![145]

ईसाई धर्म

मौजूदा ईसाई संस्कृति सामान्य रूप से शाकाहार नहीं है. हालांकि, सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट और पारंपरिक मोनैस्टिक शाकाहार पर जोर डालते हैं. इसके अलावा ऑर्थोडॉक्स चर्च के सदस्य 'उपवास' के दौरान शाकाहारी आहार का पालन कर सकते हैं,[146] शाकाहार की अवधारणा और चलन को आध्यात्मिक और ऐतिहासिक समर्थन प्राप्त है.[उद्धरण चाहिए]

ईसाई धर्म में एक क्वेकर परंपरा जो कि कम से कम 18 वीं सदी से चली आ रही है, के साथ भी शाकाहार का एक मजबूत संबंध रहा है. शराब का सेवन, जीव हत्या और सामाजिक पवित्रता के संबंध में क्वेकर की चिंताएं बढ़ने के साथ 19 वीं शताब्दी के दौरान यह संबंध उल्लेखनीय रूप से फलाफूला है. बहरहाल, 1902 में फ्रेंड्स वेजीटेरियन सोसाइटी की स्थापना मित्रों के सामज में और अधिक सहृदयी जीवनशैली अपनाने के प्रचार के मकसद के साथ शाकाहार और क्वेकर परंपरा के बीच सहयोग और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया.[147]

इस्लाम

मुसलमानों या इस्लाम के अनुयायियों को चिकित्सकीय कारण या फिर व्यक्तिगत तौर पर मांस का स्वाद पसंद न करने वालों को शाकाहार चुनने की आजादी प्रदान करता है. हालांकि, गैर चिकित्सकीय कारण से शाकाहार बनने का विकल्प कभी-कभी विवादास्पद हो सकता है. हो सकता है और भी कुछ परंपरागत मुसलमान हैं जो अपने शाकाहारी होने के बारे में चुप्पी बनाये रखते हों, तभी शाकाहार मुसलमानों की तादाद बढ़ रही है.[148]

इराकी धर्मशास्त्रियों, महिला रहस्यवादी और बसरा के कवि राबिया अल-अदावियाह, 801 में जिनका इंतकाल हुआ; और श्रीलंका के सुफी संगीतकार बावा मुहैयाद्दीन जिन्होंने फिलाडेलफिया में द बावा मुहैयाद्दीन फेलोशिप ऑफ नॉर्थ अमेरिका की स्थापना की; सहित कुछ प्रभावशाली मुसलमानों में शाकाहार का चलन रहा है. [149]

जनवरी 1996 में, द इंटरनेशनल वेजीटेरियन यूनियन ने मुस्लिम वेजीटेरियन/वेगन सोसाइटी की स्थापना की घोषणा की.[150]

कई मांसाहारी मुसलमानों जब गैर-हलाली रेस्त्रां में खाना खाने जाते हैं तब वे शाकाहार (या समुद्री खाद्य) का चयन करेंगे. हालांकि, सही तरह का मांस न खाने के बजाए पूरी तरह से मांस खाने को प्राथमिकता देने का मामला है.[148]

रस्ताफरी

अफ्रीकी कैरेबियन समुदाय में, एक अल्पसंख्यक समुदाय है रस्ताफरी आहार नियमों का पालन बहुत ही कड़ाई से करते हैं. ज्यादातर ऑर्थोडॉक्स केवल इटल या प्राकृतिक खाद्य पदार्थ खाते हैं, जिसमें साग-सब्जियों के साथ हर्ब या मसाले भी होते हैं, रस्ताफरियों की इस पुरानी और कुशल परंपरा है जिसका उत्स अफ्रीकी वंश परंपरा और सांस्कृतिक विरासत के तहत चली आ रही है.[151] ज्यादातर रस्ताफरी शाकाहारी हैं.[उद्धरण चाहिए] प्राकृतिक सामग्री मसलन; पत्थर या मिट्टी से निर्मित बर्तन ही पसंद करते हैं.[उद्धरण चाहिए]

पर्यावरण संबंधी

पर्यावरण शाकाहार इस विचारधारा पर आधारित है कि जन उपभोग के लिए मांस उत्पाद और पशु उत्पाद विशेष रूप से कारखाने में तैयार खाद्य पर्यावरण की दृष्टि से अरक्षणीय होते हैं. 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से किए गए पहल के अनुसार, दुनिया में पर्यावरण संबंधी की दुर्दशा में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक मवेशी उद्योग है, खाद्य पदार्थों में अंशदान के लिए आधुनिक तरीकों से पशुओं की तादद बढ़ाने से 'बहुत ही बड़े पैमाने पर' वायु और जल प्रदूषण, भूमि क्षरण, जलवायु परिवर्तन जैव विविधता के नुकसान हो रहा है. प्रस्ताव ने निष्कर्ष निकाला कि "स्थानीय से लेकर वैश्विक हर स्तर पर पर्यावरणीय समस्याओं में सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में मवेशी क्षेत्र का स्थान एकदम से शीर्ष पर दूसरा या तीसरा है."[152]

ग्रीनपीस रिपोर्ट में अमाजोन पशु फार्म के कारण हो रहे विनाश का नजारा दिखाए जाने के एक हफ्ते के बाद, जुलाई 2009 में नाइके और टिंबरलैंड ने वन कटाई वाले अमाजोन वर्षावन से चमड़े की खरीददारी बंद कर दी. अर्नोल्ड न्युमैन के अनुसार हर हैंमबर्गर की बिक्री 6.25m2 वर्षावन के विनाश परिणाम है.[153]

इसके अलावा, पशु फार्म ग्रीनहाउस गैसों के बड़े स्रोत हैं और दुनिया भर में 18 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जिसे CO2 के समकक्ष मापा गया है, के लिए जिम्मेवार है, तुलनात्मक रूप से, दुनिया भर के सभी परिवहनों (जहाजों, सभी की गाड़ियों, ट्रकों, बसों, ट्रेनों, जहाजों और हवाई जहाजों समेत) से उत्सर्जित CO2 का प्रतिशत 13.5 है. पशु फार्म मानव संबंधित नाइट्रस ऑक्साइड का उत्पादन 65 प्रतिशत करता है और सभी मानव प्रेरित मीथेन का प्रतिशत 37 है. लगभग 21 गुना अधिक मीथेन गैस के ग्लोबल वार्मिंग पोटेंशियल (GWP) की तुलना में कार्बन डाइ ऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड का GWP 296 गुना है.[154]

पशुओं को अनाज खिलाया जाता है, और जो चरते हैं उन्हें अनाज की फसल खानेवालों की तुलना में कहीं अधिक पानी की जरूरत पड़ती है.[155] यूएसडीए (USDA) के अनुसार, फार्म पशुओं को खिलाने के लिए फसलों की पैदावार के लिए पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका के लगभग आधी जल आपूर्ति और 80 प्रतिशत कृषि भूमि के पानी की जरूरत होती है. इसके अतिरिक्त, अमेरिका में भोजन के लिए पशुओं को बड़ा करने में 90 प्रतिशत सोया की फसल, 80 प्रतिशत मक्के की फसल और 70 प्रतिशत कुल अनाज की खपत हो जाया करती है.[156]

जब खाद्य पदार्थों के लिए पशु उत्पादन को चारा खिलाकर तैयार किया जाता है तब मांस, दूध और अंडे के उत्पादन की अक्षमता से उर्जा निवेश से प्रोटीन उत्पाद का अनुपात 4:1 से लेकर 54:1 हो जाता है. सबसे पहले, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मवेशी द्वारा खाये जाने से पहले चारे का बढ़ना जरूरी है, और दूसरा गर्म खूनवाले रीढ़ वाले जीवों (पेड़ों और कीड़े-मकौड़ों के विपरीत) को गर्मी बनाये रखने के लिए बहुत सारी कैलोरी की जरूरत होती है.[157] एक सूचकांक है, जिसका उपयोग अपच खाद्य पदार्थों का शारीरिक तत्व के रूप में रूपांतरण की क्षमता मापने के लिए किया जा सकता है, जो हमें यह बताता है, उदाहरण के लिए गाय के मांस से शरीर तत्व का रूपांतरण केवल 10%, की तुलना में रेशम कीट से 19-31% और जर्मन तिलचट्टे से 44% होता है.[298] पारिस्थितिकी के प्रोफेसर डेविड पिमेंटल ने दावा किया है, "अगर मौजूदा समय में संयुक्त राज्य अमेरिका में मवेशियों को खिलाये जानेवाले सभी अनाज सीधे लोगों द्वारा खा लिया जाए तो जितने लोगों को खिलाया जा सकता है, उनकी तादाद लगभग 800 मिलियन हो सकती है."[158] इन अध्ययनों के अनुसार, पशु आधारित खाद्य का उत्पादन अनाज, सब्जियों, दलहन, बीज और फलों की फसल की तुलना में आमतौर पर पर बहुत कम होता है. बहरहाल, यह उन जानवरों पर लागू नहीं होता जो चरने के बजाए खिलाये जाते हैं, खासतौर पर उन पर जो ऐसी भूमि में चरते हैं जिसका दूसरा कोई उपयोग नहीं किया जा सकता है. और न खाने के लिए कीड़ों की खेती पर, जो खाद्य पदार्थ खानेवाले मवेशियों की खेती की तुलना में पर्यावरण की दृष्टि से कहीं अधिक दीर्घकालिक होते हैं, पर लागू होती है.[157] प्रयोगशाला में उत्पादित मांस (जो इन विट्रो मांस कहलाता है) भी पर्यावरण की दृष्टि से नियमित रूप से उत्पादित मांस की तुलना में कहीं अधिक टिकाऊ होता है.[159]

पोषण संबंधी गतिशीलता के सिद्धांत के अनुसार, मांस के उत्पादन के लिए पशुओं को पालने में 10 गुना फसल की जरूरत चारे के रूप में उपयोग के लिए होती है, इतने ही खाद्य पदार्थों की जरूरत शाकाहारी भोजन करनेवाले लोगों को होगी. वर्तमान समय में उत्पादित मकई, गेहूं और दूसरे सभी अनाज का 70 प्रतिशत फार्म के पशुओं को खिला दिया जाता है.[160] इससे शाकाहार के बहुत सारे समर्थक यह मानने लगे हैं कि मांस खाना पर्यावरण की दृष्टि से गैर जिम्मेदार होना है.[161] सुरे युनिवसिर्टी के फूड क्लाइमेट रिसर्च नेटवर्क ने पाया कि अपेक्षाकृत कम संख्या में चरनेवाले पशुअओं को पालना अक्सर लाभदायक होता है, इसकी रिपोर्ट कहती है, कम संख्या में मवेशियों का उत्पादन पर्यावरण की दृष्टि से अच्छा है.[162]

The UN Food and Agriculture Organization (FAO) has estimated that direct emissions from meat production account for about 18% of the world's total greenhouse gas emissions. So I want to highlight the fact that among options for mitigating climate change, changing diets is something one should consider.
 

मई 2009 में, गेन्ट को दुनिया का पहली ऐसी जगह [शहर] बताया गया जो पर्यावरण कारणों से सप्ताह में कम से कम एक बार पूरी तरह से शाकाहार होता है, स्थानीय अधिकारियों ने साप्ताहिक मांसविहीन दिन लागू करने का फैसला किया. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को मान्यता देने के लिए जनसेवक हर सप्ताह एक दिन शाकाहारी भोजन करेंगे. पोस्टर को स्थानीय अधिकारियों द्वारा शाकाहारी दिवस में भाग लेने को प्रोत्साहित करने के लिए जगह-जगह पोस्टर लगाये गए और शाकाहारी रेस्त्रांओं को चिह्नित करने के लिए शाकाहारी स्ट्रीट मानचित्र मुद्रित किए गए. सितंबर 2009 में गेन्ट के स्कूलों में साप्ताहिक वेजेडैग (शाकाहारी दिवस) भी मनाया जाता है.[164]

श्रमिकों की स्थिति

पेटा (PETA) जैसे कुछ ग्रुप इन दिनों मांस उद्योग में काम करनेवाले मजदूरों की स्थिति और उनके साथ होनेवाले व्यवहार को समाप्त करने के लिए शाकाहार को बढ़ावा देते हैं.[165] ये समूह उन अध्ययनों का उल्लेख करते हुए मांस उद्योग में काम करने से मनोवैज्ञानिक क्षति को दर्शाते हैं, खासकर फैक्ट्री और औद्योगीकृत स्थानों में, और शिकायत करते हैं कि बिना पर्याप्त सलाह, प्रशिक्षण और विवरणों की जानकारी दिए कठिन तथा कष्टप्रद कार्य सौंपकर मांस उद्योग श्रमिकों के मानवीय अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है.[166][167][168][169] हालांकि, तमाम खेत मजदूरों के काम की परिस्थिति, विशेष रूप से अस्थायी श्रमिकों की, खराब ही बनी हुई है और अन्य आर्थिक क्षेत्रों की तुलना में बहुत ही नीचे है.[170] किसानों और बागान श्रमिकों में दुर्घटनाओं सहित कीटनाशक विषाक्तता से स्वास्थ्य के जोखिम बढ़ गये हैं, जिनमें बढती मृत्यु दर भी शामिल है.[171] वास्तव में, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, दुनिया के तीन सबसे खतरनाक कामों में एक है कृषि.[172]

आर्थिक

शाकाहार पर्यावरण की ही तरह आर्थिक शाकाहार की अवधारणा है. एक आर्थिक शाकाहारी वह है जो शाकाहार का अभ्यास या तो जन स्वास्थ्य तथा विश्व से भुखमरी मिटाने के किसी दार्शनिक विचार के तहत करता है, इस विश्वास से करता है कि मांस का उपभोग आर्थिक रूप से ठीक नहीं है, वह एक सचेत सरल जीवन शैली की रणनीति के हिस्से के रूप में ऐसा करता है, या फिर बस आवश्यकतावश. वर्ल्डवाच इंस्टीट्युट के अनुसार, "औद्योगिक देशों में मांस की खपत में भारी कमी आने से उनके स्वास्थ्य की देखभाल के बोझ में कमी आएगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा; पशु संपदा के झुंड में गिरावट से चरागाहों और खेतों पर से दबाव कम होगा, और कृषी संसाधनों के आधार को नयेपन से भर देगा. चूंकि जनसंख्या वृद्धि जारी है, विश्व स्तर पर मांस की खपत में कमी आने से भूमि और जल संसाधनों की प्रति व्यक्ति इस्तेमाल में आ रही गिरावट को रोक कर इनका अधिक सक्षम उपयोग हो सकेगा, जबकि साथ ही साथ विश्व के दीर्घकालिक भूखे लोगों को अधिक सस्ते में अनाज मिल पायेगा.[173]

सांस्कृतिक

ताइवान बौद्ध भोजन

हो सकता है लोग शाकाहार चुने क्योंकि वे एक शाकाहारी रहे हों या फिर एक शाकाहारी साथी, परिवार के सदस्य या मित्र होने के कारण वे शाकाहार चुनें.

जनसांख्यिकी

लिंग

अनुसंधान संगठन यंकेलोविच द्वारा 1992 में कराये गए बाजार अनुसंधान अध्ययन द्वारा दावा किया गया‍ कि "12.4 मिलियन लोग [US में], जो खुद को शाकाहारी कहते हैं उनमें से 68 प्रतिशत महिलाएं हैं और 32 प्रतिशत पुरुष हैं."[174]

कम से कम एक अध्ययन यह बताता है कि शाकाहारी महिलाओं को बच्चे होने की संभावना कहीं अधिक होती है. 1998 में 6,000 गर्भवती महिलाओं पर किए गए अध्ययन में "पाया गया कि 100 लड़कियों के अनुपात में 106 लड़के पैदा होने का ब्रिटेन का राष्ट्रीय औसत है, जबकि शाकाहारी माताओं से 100 लड़कियों के अनुपात में सिर्फ 85 लड़के पैदा हुए.[175] ब्रिटिश डायडेटिक एसोसिएशन के कैथरीन कोलिंस इसे "अस्थायी सांख्यिकीय" बताते हुए खारिज कर दिया है.[175]

देश-विशेष की जानकारी

भारत में इस्तेमाल किया मांसाहारी उत्पादों (दाएं) से शाकाहारी उत्पादों (बाएं) को अलग लेबल.

शाकाहार को दुनिया भर में अलग अलग तरीकों से देखा जाता है. कुछ क्षेत्रों में [which?] यह वहां की संस्कृति हैं और यहां तक कि इसे कानूनी समर्थन भी प्राप्त है, लेकिन अन्य में [which?] आहार के बारे में समझ बहुत खराब है और यहां तक कि इस बारे में नाक-भौं भी सिकोड़ा जाता है.[उद्धरण चाहिए] बहुत सारे देशों में खाद्य का वर्गीकरण किया जाता है जिससे शाकाहारियों के लिए अपने भोजन के साथ खाद्य पदार्थों की अनुकूलता को पहचानना आसान हो जाता है.


भारत में, बाकी दुनिया की तुलना में जहां ज्यादातर शाकाहारी हैं दोनों को मिलाकर (2006 के अनुसार 399 मिलियन),[176] न केवल खाद्य पदार्थों की वर्गीकरण होता है, बल्कि बहुत सारे रेस्त्राओं में शाकाहारी या गैर-शाकाहारी का निशान भी लगा कर विपणन किया जा रहा है. भारत में जो लोग शाकाहारी हैं आमतौर पर वे दूग्ध-शाकाहारी हैं, और इसलिए, इस बाजार की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, भारत में बहुसंख्यक शाकाहारी रेस्त्रां अंडे से संबंधित उत्पादों को छोड़ कर अन्य दुग्ध उत्पाद मुहैया कराते हैं.

इनकी तुलना में, अधिकांश पश्चिमी शाकाहारी रेस्त्रां अंडा और अंडे पर आधारित उत्पाद मुहैया कराते हैं.

इन्हें भी देखें

  • आहारों की सूची
  • शाकाहारियों की सूची
  • मांस से मुक्त दिन
  • शाकाहारी भोजन
  • शाकाहारी भोजन पिरामिड
  • शाकाहारी या शाकाहारी बिल्ली का खाना

नोट्स

  1. Indian emperor Ashoka has asserted protection to fauna , from his edicts we could understand, i.e. "Twenty-six years after my coronation various animals were declared to be protected -- parrots, mainas, //aruna//, ruddy geese, wild ducks, //nandimukhas, gelatas//, bats, queen ants, terrapins, boneless fish, //vedareyaka//, //gangapuputaka//, //sankiya// fish, tortoises, porcupines, squirrels, deer, bulls, //okapinda//, wild asses, wild pigeons, domestic pigeons and all four-footed creatures that are neither useful nor edible. Those nanny goats, ewes and sows which are with young or giving milk to their young are protected, and so are young ones less than six months old. Cocks are not to be caponized, husks hiding living beings are not to be burnt and forests are not to be burnt either without reason or to kill creatures. One animal is not to be fed to another."—Edict of Ashoka on Fifth Pillar[11]
  2. Maya Tiwara notes that Ayurveda recommends small portions of meat for some people, though "the rules of hunting and killing the animal, practiced by the native peoples, were very specific and detailed. Now, that such methods of hunting and killing are not observed, she does not recommend the use of "any animal meat as food, not even for the Vata types."[89]
  3. Sometimes a virus contains both avian adapted genes and human adapted genes. Both the H2N2 and H3N2 pandemic strains contained avian flu virus RNA segments. "While the pandemic human influenza viruses of 1957 (H2N2) and 1968 (H3N2) clearly arose through reassortment between human and avian viruses, the influenza virus causing the 'Spanish flu' in 1918 appears to be entirely derived from an avian source (Belshe 2005)."[103]
  4. Vesanto Melina, a British Columbian registered dietitian and author of Becoming Vegetarian, stresses there is no cause and effect relationship between vegetarianism and eating disorders, although people who have eating disorders may label themselves as vegetarians "so that they won't have to eat."[112] Indeed, research indicates that the large majority of vegetarian or vegan anorexics and bulimics chose their diets after the onset of their disease. The "restricted" eating patterns of vegetarianism and veganism can legitimize the removal of numerous high-fat, energy-dense foods such as meat, eggs, cheese, … However, the eating pattern chosen by those with anorexia or bulimia nervosa is far more restrictive than a healthful vegetarian diet, eliminating nuts, seeds, avocados, and limiting overall caloric intake.[113]

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