हेल्महोल्त्स कुण्डली
हेल्महोल्त्स कुण्डली (Helmholtz coil) दो वृत्ताकार कुण्डलियों से बना एक उपकरण है जो लगभग एकसमान (युनिफॉर्म) चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के काम आता है। इसका नामकरण जर्मन भौतिक विज्ञानी हरमन फॉन हेल्महोल्त्स के नाम पर हुआ है। इसमें एक ही अक्ष पर दो विद्युतचुम्बक होते हैं जो दो वृत्ताकार कुण्डलियों से बनाए जाते हैं। एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करने अलावा, बाहरी चुम्बकीय क्षेत्रों ( जैसे पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र ) को रद्द करने के लिए हेल्महोल्त्स कुण्डली का उपयोग किया जाता है।
सामने के चित्र के अनुसार, यदि दोनों कुण्डलियों में समान दिशा में समान विद्युत धारा प्रवाहित की जाय, तथा हो, तो दोनों कुण्डलियों के केन्द्र को जोड़ने वाली रेखा पर पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिवर्तन न्यूनतम मिलता है।
अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र
[संपादित करें]यदि दोनों कुण्डलियाँ क्रमशः z = -d/2 एवं z = d/2 पर स्थित हों (अर्थात दोनों के बीच कीदूरी d हो) तो कुण्डलियों के अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र
यह z का सम-फलन (even function) है।
हेल्मोल्त्स कुण्डली इसका एक विशेष रूप है जब होता है। इस स्थिति में z=0 पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान:
उदाहरण के लिए, और अक्ष पर मध्य-बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र .
इसके अलावा इस स्थिति में z=0 पर चुम्बकीय क्षेत्र की प्रवणता (प्रथम अवकलज) शून्य है तथा इसका द्वितीय अवकल भी शून्य होगा।
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उपयोग
[संपादित करें]- स्थायी चुम्बकों का गुणवत्ता का मापन
- हॉल प्रभाव का अध्ययन
- पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के बराबर एवं विपरीत क्षेत्र उत्पन्न करके शून्य-चुम्बकीय-क्षेत्र वाला आयतन (जगह) बनाना
- मैग्नेटोमीटर का अंशांकन (कैलिब्रेशन)
- चुम्बकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) के लिए उच्च आवृत्ति का चुम्बकीय क्षेत्र
- एमआरआई के लिए ग्रैडिएंट कॉइल (मैक्सवेल कुण्डली के रूप में)
- चुम्बकीय चिकित्सा
- टोकामक में प्लाज्मा के चुम्बकीय परिसीमन के लिए
तीन कुण्डलियों के चुम्बकीय क्षेत्रों की तुलना
[संपादित करें]-
मैक्सवेल कुण्डली
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ब्राउनबेक कुण्डली
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बार्कर कुण्डली
प्रति-हेल्महोल्त्स कुण्डली
[संपादित करें]यदि दोनों कुंडलियों से विपरीत दिशा में धारा प्रवाहित होती है, तो केंद्र में उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होता है। केंद्र के आसपास के क्षेत्र में, अक्षीय दिशा में क्षेत्र रैखिक रूप से (linearly) बढ़ता है अर्थात यह दोनों कुण्डलियाँ मिलकर एक ऐसा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करतीं है जिसमें चुम्बकीय क्षेत्र की प्रवणता नियत (constant) है। इस कुंडल व्यवस्था को मैक्सवेल कुण्डली कहा जाता है, और कभी-कभी प्रति-हेल्महोल्ट्ज़ कुण्डली (anti-Helmoltz coil) भी कहा जाता है। दोनों कुण्डलियों के बीच इष्टतम दूरी d वांछित क्षेत्र गुणों पर निर्भर करती है: बीचोबीच में चुम्बकीय क्षेत्र की प्रवणता अधिकतम पाने के लिए होना चाहिए। इसी प्रकार यदि रखा जाय तो जो चुम्बकीय क्षेत्र प्राप्त होता है वह दोनों कुण्डलियों के मध्य बिन्दु पर अधिकतम एकसमान प्रवणता (uniform gradient) वाला होता है और इसका द्वितीय एवं तृतीय अवकलज (derivative) भी शून्य होता है , किन्तु क्षेत्र की प्रवणता लगभग 25% कम होती है।
सममिति अक्ष (z-अक्ष) के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र की गणना ऊपर की तरह की जा सकती है। यदि दोनों कुण्डलियों में फेरों की संख्या समान (N) हो तथा धाराएँ विपरीत दिशा में हों तो
यदि हो तो कुण्डलियों के बीचोबीच में अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र की प्रवणता
और यदि हो तो