समय के मानक

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समय के मापन के लिए प्रयुक्त विनिर्देश (स्पेसिफेकेशन) को समय का मानक (time standard) कहते हैं। यह मानक या तो समय के व्यतीत होने की गति (दर) को मापता है, या समय के प्रवाह में आने वाले 'बिन्दुओं' को मापता है, या दोनों को ही मापता है। आधुनिक काल में समय के मानक के रूप में आधिकारिक रूप से अनेक विनिर्देश मान्य किए गए हैं, जबकि पहले जब मानकों का चलन नहीं था तब जो कुछ प्रचलन में था (किन्तु ठीक प्रकार पारिभाषित नहीं था), उसी से समय का मापन किय जाता था।

ऐतिहासिक रूप से देखें तो समय के मानक सूर्योदय और सूर्यास्त पर आधारित थे, अर्थात् पृथ्वी की घूर्णी गति पर आधारित। १८वीं शताब्दी से १९वीं शताब्दी तक यह माना जाता था कि पृथ्वी की दैनिक घूर्णन गति नियत (या अपरिवर्ती) है। २०वीं शताब्दी में यह स्पष्ट हो गया कि यह गति नियत नहीं है बल्कि यह गति धीरे-धीरे कम होती जा रही है और छॉते-स्तर पर इस गति में अनियमितताएँ भी हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए १९५२ के बाद से खगोलीय उपयोग के लिए समय मापन के लिए धरती के घूर्णन गति के बजाय पृथ्वी की कक्षीय गति को समय के मानक के लिए प्रयुक्त किया जाने लगा। १९५५ में सीजियम परमाणु घड़ी का विकास हुआ जिसने पूर्ववर्ती समय-मानकों का स्थान ले लिया।

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]