प्राचल | मूल्य |
सदस्य की सम्पादन गिनती (user_editcount) | 1 |
सदस्यखाते का नाम (user_name) | 'Shoaib Tech Tips' |
समय जब ई-मेल पते की पुष्टि की गई थी (user_emailconfirm) | '20210623054314' |
सदस्य खाते की आयु (user_age) | 109168 |
समूह (अंतर्निहित जोड़कर) जिसमें सदस्य है (user_groups) | [
0 => '*',
1 => 'user'
] |
अधिकार जो सदस्य रखता है (user_rights) | [
0 => 'createaccount',
1 => 'read',
2 => 'edit',
3 => 'createpage',
4 => 'createtalk',
5 => 'writeapi',
6 => 'viewmywatchlist',
7 => 'editmywatchlist',
8 => 'viewmyprivateinfo',
9 => 'editmyprivateinfo',
10 => 'editmyoptions',
11 => 'abusefilter-log-detail',
12 => 'centralauth-merge',
13 => 'abusefilter-view',
14 => 'abusefilter-log',
15 => 'vipsscaler-test',
16 => 'reupload-own',
17 => 'move-rootuserpages',
18 => 'move-categorypages',
19 => 'minoredit',
20 => 'editmyusercss',
21 => 'editmyuserjson',
22 => 'editmyuserjs',
23 => 'purge',
24 => 'sendemail',
25 => 'applychangetags',
26 => 'changetags',
27 => 'spamblacklistlog',
28 => 'mwoauthmanagemygrants'
] |
Whether the user is editing from mobile app (user_app) | false |
सदस्य मोबाइल इंटरफ़ेस की मदद से संपादित कर रहे हैं या नहीं (user_mobile) | true |
पृष्ठ आइ॰डी (page_id) | 570509 |
पृष्ठ नामस्थान (page_namespace) | 0 |
पृष्ठ शीर्षक (बिना नामस्थान) (page_title) | 'संसाधन' |
पूर्ण पृष्ठ शीर्षक (page_prefixedtitle) | 'संसाधन' |
पृष्ठ पर योगदान देने वाले अंतिम दस सदस्य (page_recent_contributors) | [
0 => 'रोहित साव27',
1 => 'Shoaib Tech Tips',
2 => '2409:4052:E07:F71B:1539:CF53:FEBC:55DC',
3 => 'Rzuwig',
4 => '2409:4055:84:2DF6:9F23:ADAA:56C6:62A2',
5 => '2409:4064:4D08:80F1:13D8:5A75:5181:CF8A',
6 => 'सौरभ तिवारी 05',
7 => '2401:4900:3628:B48E:373B:EBEF:F6E5:F6CA',
8 => '45.249.84.68',
9 => 'Dipender1234'
] |
Page age (in seconds) (page_age) | 221505134 |
कार्य (action) | 'edit' |
सम्पादन सारांश/कारण (summary) | '' |
Old content model (old_content_model) | 'wikitext' |
New content model (new_content_model) | 'wikitext' |
पुराने पृष्ठ विकिलेख, सम्पादन से पहले (old_wikitext) | ''''संसाधन''' (resource) एक ऐसा स्रोत है जिसका उपयोग मनुष्य अपने इच्छाओं की पूर्ति के लिए के लिए करता है। कोई वस्तु [[प्रकृति अभिप्रेरित निर्माण|प्रकृति]] में हो सकता है हमेशा से मौज़ूद रही हो लेकिन वह संसाधन नहीं कहलाती है, जब तक की मनुष्यों का उसमें हस्तक्षेप ना हो।
हमारे पर्यावरण में उपलब्ध हर वह वस्तु संसाधन कहलाती है जिसका इस्तेमाल हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये कर सकते हैं, जिसे बनाने के लिये हमारे पास प्रौद्योगिकी है और जिसका इस्तेमाल सांस्कृतिक रूप से मान्य है।
प्रकृति का कोई भी [[तत्त्व|तत्व]] तभी संसाधन बनता है जब वह मानवीय सेवा करता है। इस संदर्भ में 1933 में जिम्मरमैन ने यह तर्क दिया था कि, ‘अपने आप में न तो [[पर्यावरण]], और न ही उसके अंग, संसाधन हैं, जब तक वह मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में सक्षम न हो।
संसाधन शब्द का अभिप्राय साधारणतः मानव उपयोग की वस्तुओं से है। ये प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हैं। मनुष्य प्रकृति के अपने अनुरूप उपयोग के लिए तकनीकों का विकास करता है। प्राकृतिक तंत्र में किसी तकनीक का जनप्रिय प्रयोग उसे एक सभ्यता में परिणित करता है, यथा जीने का तरीका या जीवन निर्वाह। इस प्रकार यह सांस्कृतिक संसाधन की स्थिति प्राप्त करता है।
संसाधन राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के आधार का निर्माण करते हैं। भूमि, जल, वन, वायु, खनिज के बिना कोई भी कृषि व उद्योग का विकास नहीं कर सकता। ये प्राकृतिक पर्यावरण जैसे कि वायु, जल, वन और विभिन्न जैव रूपों का निर्माण करते हैं, जो कि मानवीय जीवन एवं विकास हेतु आवश्यक है।
इन प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से मनुष्य ने घरों, भवनों, परिवहन एवं संचार के साधनों, उद्योगों आदि के अपने संसार का निर्माण किया है। ये मानव निर्मित संसाधन प्राकृतिक संसाधनों के साथ काफी उपयोगी भी हैं और मानव के विकास के लिए आवश्यक भी।
'''संसाधन की परिभाषा:-'''
स्मिथ एवं फिलिप्स के अनुसार- ''' "भौतिक रूप से संसाधन वातावरण की वे प्रक्रियायें हैं जो मानव के उपयोग में आती हैं। " '''
जेम्स फिशर के शब्दों में-''' " संसाधन वह कोई भी वस्तु हैं जो मानवीय आवश्यकतों और इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। "'''
जिम्मर मैन के अनुसार-'''"संसाधन पर्यावरण की वे विशेषतायें हैं जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम मानी जाती हैं, जैसे ही उन्हे मानव की आवश्यकताओं और क्षमताओं द्वारा उपयोगिता प्रदान की जाती हैं। " '''
==संसाधन का वर्गीकरण==
संसाधन को विभिन्न आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
# उत्पत्ति के आधार पर :- जैव और अजैव
# समाप्यता के आधार पर :- नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य
# स्वामित्व के आधार पर :- व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय
# विकास के स्तर के आधार पर : संभावी, विकसित भंडार और संचित कोष
===उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण===
संसाधनों को उत्पत्ति के आधार पर दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:-
* जैव (Biotic) संसाधन
* अजैव (Abiotic) संसाधन
'''जैव संसाधन :-''' हमारे पर्यावरण में उपस्थित वैसी सभी वस्तुएँ जिनमें जीवन है, जैव संसाधन कहलाती है। जैव संसाधन हमें जीवमंडल से मिलती हैं।
उदाहरण-मनुष्य सहित सभी प्राणि। इसके अंतर्गत मत्स्य जीव, पशुधन, मनुष्य, पक्षी आदि आते हैं।
'''अजैव संसाधन:-''' हमारे वातावरण में उपस्थित वैसे सभी संसाधन जिनमें जीवन व्याप्त नहीं हैं अर्थात निर्जीव हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं।
उदाहरण-चट्टान, पर्वत, नदी, तालाब, समुद्र, धातुएँ, हवा, सभी गैसें, सूर्य का प्रकाश, आदि।
===समाप्यता के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण===
समाप्यता के आधार पर हमारे वातावरण में उपस्थित सभी वस्तुओं को जो दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:-
* नवीकरण योग्य (Renewable)
* अनवीकरण योग्य (Non-renewable)
'''नवीकरण योग्य संसाधन''' वैसे संसाधन जिन्हे फिर से निर्माण किया जा सकता है, नवीकरण योग्य संसाधन कहलाते है।
जैसे- सौर उर्जा, पवन उर्जा, जल, वन तथा वन्य जीव। इस संसाधनों को इनके सतत प्रवाह के कारण नवीकरण योग्य संसाधन के अंतर्गत रखा गया है।
'''अनवीकरण योग्य संसाधन '''वातावरण में उपस्थित वैसी सभी वस्तुएँ, जिन्हें उपयोग के बाद निर्माण नहीं किया जा सकता है या उनके विकास अर्थात उन्हें बनने में लाखों करोड़ों वर्ष लगते हैं, अनवीकरण योग्य संसाधन कहलाते हैं।
उदाहरण -
* [[जीवाश्म ईंधन]] जैसे पेट्रोल, कोयला, आदि। जीवाश्म ईंधन का विकास एक लम्बे भू वैज्ञानिक अंतराल में होता है। इसका अर्थ यह है कि एक बार पेट्रोल, कोयला आदि ईंधन की खपत कर लेने पर उन्हें किसी भौतिक या रासायनिक क्रिया द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। अत: इन्हें अनवीकरण योग्य संसाधन के अंतर्गत रखा गया है।
* [[धातु]] हमें खनन के द्वारा [[खनिज]] के रूप में मिलता है। हालाँकि धातु का एक बार उपयोग के बाद उन्हें फिर से प्राप्त किया जा सकता है। जैसे लोहे के एक डब्बे से पुन: लोहा प्राप्त किया जा सकता है। परंतु फिर से उसी तरह के धातु को प्राप्त करने के लिए खनन की ही आवश्यकता होती है। अत: धातुओं को भी अनवीकरण योग्य संसाधन में रखा जा सकता है।
===स्वामित्व के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण===
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है:-
# व्यक्तिगत संसाधन
# सामुदायिक संसाधन
# राष्ट्रीय संसाधन
# अंतर्राष्ट्रीय संसाधन।
'''व्यक्तिगत संसाधन''' वैसे संसाधन, जो व्यक्तियों के निजी स्वामित्व में हों, व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं। जैसे घर, व्यक्तिगत तालाब, व्यक्तिगत निजी चारागाह, व्यक्तिगत कुँए आदि।
तत्वों या वस्तुओं के निर्माण में सहायक कारकों के आधार पर संसाधनों को दो वर्गों में विभाजित करते हैं-
* प्राकृतिक संसाधन
* मानव संसाधन
'''सामुदायिक संसाधन'''वैसे संसाधन, जो गाँव या शहर के समुदाय अर्थात सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हों, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन कहलाते हैं। जैसे- सार्वजनिक पार्क, सार्वजनिक खेल का मैदान, सार्वजनिक चरागाह, श्मशान, सार्वजनिक तालाब, नदी, आदि ।
'''राष्ट्रीय संसाधन''' वैसे सभी संसाधन जो राष्ट्र की संपदा हैं, राष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं। जैसे सड़कें, नदियाँ, तालाब, बंजर भूमि, खनन क्षेत्र, तेल उत्पादन क्षेत्र, राष्ट्र की सीमा से 12 नॉटिकल मील तक समुद्री तथा महासागरीय क्षेत्र तथा उसके अंतर्गत आने वाले संसाधन आदि।
वैसे तो देश के अंदर आने वाली सभी वस्तुओं पर राष्ट्र का ही अधिकार होता है। चाहे वह कोई भूमि हो या कोई तालाब। सभी प्रकार की संसाधनों को राष्ट्र लोक हित में अधिग्रहित कर सकती है। जैसे कि सड़क, नहर, रेल लाईन आदि बनाने के लिए निजी भूमि का भी अधिग्रहण किया जाता है। भारत में '''1978 में 44 वें संविधान संशोधन''' के द्वारा मौलिक अधिकारों में से सम्पत्ति के अधिकार को हटा दिया गया। इस संशोधन के अनुसार सरकार लोकहित में किसी भी सम्पत्ति को अधिग्रहित कर सकती है। भूमि अधिग्रहण का अधिकार शहरी विकास प्राधिकरणों को प्राप्त है।
'''अंतर्राष्ट्रीय संसाधन''' तटरेखा से 200 समुद्री मील के बाद खुले महासागर तथा उसके अंतर्गत आने वाले संसाधन अंतर्राष्ट्रीय संसाधन के अंतर्गत आते हैं। इनके प्रबंधन का अधिकार कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को दिये गये हैं। अंतर्राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग बिना अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की सहमति के नहीं किया जा सकता है।
===विकास के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण===
विकास के आधार पर संसाधनों को चार भाग में बाँटा गया है।
# संभावी संसाधन
# विकसित संसाधन
# भंडार
# संचित कोष।
'''सम्भावी संसाधन''' - वैसे संसाधन जो विद्यमान तो हैं परंतु उनके उपयोग की तकनीकि का सही विकास नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं किया गया है, संभावी संसाधन कहलाते हैं। जैसे- राजस्थान तथा गुजरात में पवन और सौर उर्जा की अपार संभावना है, परंतु उनका उपयोग पूरी तरह नहीं किया जा रहा है। कारण कि उनके उपयोग की सही एवं प्रभावी तकनिकी अभी विकसित नहीं हुई है।
''' विकसित संसाधन''' - वैसे संसाधन जिनके उपयोग के लिए प्रभावी तकनीकि उपलब्ध हैं तथा उनके उपयोग के लिए सर्वेक्षण, गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं।
'''भंडार''' - वैसे संसाधन जो प्रचूरता में उपलब्ध हैं परंतु सही तकनीकि के विकसित नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है, भंडार कहलाते हैं। जैसे- वायुमंडल में हाइड्रोजन उपलब्ध है, जो कि उर्जा का एक अच्छा श्रोत हो सकता है, परंतु सही तकनीकि उपलब्ध नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
'''संचित कोष''' - वैसे संसाधन जिनके उपयोग के लिए तकनीकि उपलब्ध हैं, लेकिन उनका उपयोग अभी आरंभ नहीं किया गया है, तथा वे भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित रखे गये हैं, संचित कोष कहलाते हैं। संचित कोष भंडार के भाग हैं। जैसे- भारत के कई बड़ी नदियों में अपार जल का भंडार है, परंतु उन सभी से विद्युत का उत्पादन अभी प्रारंभ नहीं किया गया है। भविष्य में उनके उपयोग की संभावना है। अत: बाँधों तथा नदियों का जल, वन सम्पदा आदि संचित कोष के अंतर्गत आने वाले संसाधन हैं।
==संसाधनों का संरक्षण==
बिना संसाधन के विकास संभव नहीं है। लेकिन संसाधन का विवेकहीन उपभोग तथा अति उपयोग कई तरह के सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरणीय समस्या उत्पन्न कर देते हैं। अत: संसाधन का संरक्षण अति आवश्यक हो जाता है। संसाधन के संरक्षण के लिए विभिन्न जननायक, चिंतक, तथा वैज्ञानिक आदि का प्रयास विभिन्न स्तरों पर होता रहा है। जैसे- महात्मा गाँधी के शब्दों में ''' "हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति के लिए बहुत कुछ है, लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के लिए नहीं। अर्थात हमारे पेट भरने के लिए बहुत है लेकिन पेटी भरने के लिए नहीं।" '''
[[महात्मा गाँधी]] के अनुसार विश्व स्तर पर संसाधन ह्रास के लिए लालची और स्वार्थी व्यक्ति के साथ ही आधुनिक तकनीकि की शोषणात्मक प्रवृत्ति जिम्मेदार है। महात्मा गाँधी मशीनों द्वारा किए जाने वाले अत्यधिक उत्पादन की जगह पर अधिक बड़े जनसमुदाय द्वारा उत्पादन के पक्ष में थे। यही कारण है कि महात्मा गाँधी कुटीर उद्योग की वकालत करते थे। जिससे बड़े जनसमुदाय द्वारा उत्पादन हो सके।
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
== इन्हें भी देखें==
*[[प्राकृतिक संसाधन]]
*[[मानव संसाधन]]
*[[उत्पादन के कारक]]
*[[नवीकरणीय संसाधन]] - ऐसे संसाधन जिसको मानव के द्वारा प्रयासों से दोबारा स्थापित किया जा सकता है उसे नवीकरणीय संसाधन कहते हैं अर्थात जिसको दोबारा उत्पन्न किया जा सकता है।
==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://www.scotbuzz.org/2017/06/sansaadhan.html संसाधन किसे कहते हैं?]
[[श्रेणी:संसाधन भूगोल]]
[[श्रेणी:पारितंत्र]]
[[श्रेणी:पर्यावरण विज्ञान]]
[[श्रेणी:संसाधन प्रबंधन]]' |
नया पृष्ठ विकिलेख, सम्पादन के बाद (new_wikitext) | ''''संसाधन''' (resource) एक ऐसा स्रोत है जिसका उपयोग मनुष्य अपने इच्छाओं की पूर्ति के लिए के लिए करता है। कोई वस्तु [[प्रकृति अभिप्रेरित निर्माण|प्रकृति]] में हो सकता है हमेशा से मौज़ूद रही हो लेकिन वह संसाधन नहीं कहलाती है, जब तक की मनुष्यों का उसमें हस्तक्षेप ना हो।
हमारे पर्यावरण में उपलब्ध हर वह वस्तु संसाधन कहलाती है जिसका इस्तेमाल हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये कर सकते हैं, जिसे बनाने के लिये हमारे पास प्रौद्योगिकी है और जिसका इस्तेमाल सांस्कृतिक रूप से मान्य है।
प्रकृति का कोई भी [[तत्त्व|तत्व]] तभी संसाधन बनता है जब वह मानवीय सेवा करता है। इस संदर्भ में 1933 में जिम्मरमैन ने यह तर्क दिया था कि, ‘अपने आप में न तो [[पर्यावरण]], और न ही उसके अंग, संसाधन हैं, जब तक वह मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में सक्षम न हो।
संसाधन शब्द का अभिप्राय साधारणतः मानव उपयोग की वस्तुओं से है। ये प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हैं। मनुष्य प्रकृति के अपने अनुरूप उपयोग के लिए तकनीकों का विकास करता है। प्राकृतिक तंत्र में किसी तकनीक का जनप्रिय प्रयोग उसे एक सभ्यता में परिणित करता है, यथा जीने का तरीका या जीवन निर्वाह। इस प्रकार यह सांस्कृतिक संसाधन की स्थिति प्राप्त करता है।
संसाधन राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के आधार का निर्माण करते हैं। भूमि, जल, वन, वायु, खनिज के बिना कोई भी कृषि व उद्योग का विकास नहीं कर सकता। ये प्राकृतिक पर्यावरण जैसे कि वायु, जल, वन और विभिन्न जैव रूपों का निर्माण करते हैं, जो कि मानवीय जीवन एवं विकास हेतु आवश्यक है।
इन प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से मनुष्य ने घरों, भवनों, परिवहन एवं संचार के साधनों, उद्योगों आदि के अपने संसार का निर्माण किया है। ये मानव निर्मित संसाधन प्राकृतिक संसाधनों के साथ काफी उपयोगी भी हैं और मानव के विकास के लिए आवश्यक भी।
'''संसाधन की परिभाषा:-'''
स्मिथ एवं फिलिप्स के अनुसार- ''' "भौतिक रूप से संसाधन वातावरण की वे प्रक्रियायें हैं जो मानव के उपयोग में आती हैं। " '''
जेम्स फिशर के शब्दों में-''' " संसाधन वह कोई भी वस्तु हैं जो मानवीय आवश्यकतों और इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। "'''
जिम्मर मैन के अनुसार-'''"संसाधन पर्यावरण की वे विशेषतायें हैं जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम मानी जाती हैं, जैसे ही उन्हे मानव की आवश्यकताओं और क्षमताओं द्वारा उपयोगिता प्रदान की जाती हैं। " '''
==संसाधन का वर्गीकरण==
संसाधन को विभिन्न आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
# उत्पत्ति के आधार पर :- जैव और अजैव
# समाप्यता के आधार पर :- नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य
# स्वामित्व के आधार पर :- व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय
# विकास के स्तर के आधार पर : संभावी, विकसित भंडार और संचित कोष
===उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण===
संसाधनों को उत्पत्ति के आधार पर दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:-
* जैव (Biotic) संसाधन
* अजैव (Abiotic) संसाधन
'''जैव संसाधन :-''' हमारे पर्यावरण में उपस्थित वैसी सभी वस्तुएँ जिनमें जीवन है, जैव संसाधन कहलाती है। जैव संसाधन हमें जीवमंडल से मिलती हैं।
उदाहरण-मनुष्य सहित सभी प्राणि। इसके अंतर्गत मत्स्य जीव, पशुधन, मनुष्य, पक्षी आदि आते हैं।
'''अजैव संसाधन:-''' हमारे वातावरण में उपस्थित वैसे सभी संसाधन जिनमें जीवन व्याप्त नहीं हैं अर्थात निर्जीव हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं।
उदाहरण-चट्टान, पर्वत, नदी, तालाब, समुद्र, धातुएँ, हवा, सभी गैसें, सूर्य का प्रकाश, आदि।
===समाप्यता के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण===
समाप्यता के आधार पर हमारे वातावरण में उपस्थित सभी वस्तुओं को जो दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:-
* नवीकरण योग्य (Renewable)
* अनवीकरण योग्य (Non-renewable)
'''नवीकरण योग्य संसाधन''' वैसे संसाधन जिन्हे फिर से निर्माण किया जा सकता है, नवीकरण योग्य संसाधन कहलाते है।
जैसे- सौर उर्जा, पवन उर्जा, जल, वन तथा वन्य जीव। इस संसाधनों को इनके सतत प्रवाह के कारण नवीकरण योग्य संसाधन के अंतर्गत रखा गया है।
'''अनवीकरण योग्य संसाधन '''वातावरण में उपस्थित वैसी सभी वस्तुएँ, जिन्हें उपयोग के बाद निर्माण नहीं किया जा सकता है या उनके विकास अर्थात उन्हें बनने में लाखों करोड़ों वर्ष लगते हैं, अनवीकरण योग्य संसाधन कहलाते हैं।
उदाहरण -
* [[जीवाश्म ईंधन]] जैसे पेट्रोल, कोयला, आदि। जीवाश्म ईंधन का विकास एक लम्बे भू वैज्ञानिक अंतराल में होता है। इसका अर्थ यह है कि एक बार पेट्रोल, कोयला आदि ईंधन की खपत कर लेने पर उन्हें किसी भौतिक या रासायनिक क्रिया द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। अत: इन्हें अनवीकरण योग्य संसाधन के अंतर्गत रखा गया है।
* [[धातु]] हमें खनन के द्वारा [[खनिज]] के रूप में मिलता है। हालाँकि धातु का एक बार उपयोग के बाद उन्हें फिर से प्राप्त किया जा सकता है। जैसे लोहे के एक डब्बे से पुन: लोहा प्राप्त किया जा सकता है। परंतु फिर से उसी तरह के धातु को प्राप्त करने के लिए खनन की ही आवश्यकता होती है। अत: धातुओं को भी अनवीकरण योग्य संसाधन में रखा जा सकता है।
===स्वामित्व के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण===
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है:-
# व्यक्तिगत संसाधन
# सामुदायिक संसाधन
# राष्ट्रीय संसाधन
# अंतर्राष्ट्रीय संसाधन।
'''व्यक्तिगत संसाधन''' वैसे संसाधन, जो व्यक्तियों के निजी स्वामित्व में हों, व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं। जैसे घर, व्यक्तिगत तालाब, व्यक्तिगत निजी चारागाह, व्यक्तिगत कुँए आदि।
तत्वों या वस्तुओं के निर्माण में सहायक कारकों के आधार पर संसाधनों को दो वर्गों में विभाजित करते हैं-
* प्राकृतिक संसाधन
* मानव संसाधन
'''सामुदायिक संसाधन'''वैसे संसाधन, जो गाँव या शहर के समुदाय अर्थात सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हों, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन कहलाते हैं। जैसे- सार्वजनिक पार्क, सार्वजनिक खेल का मैदान, सार्वजनिक चरागाह, श्मशान, सार्वजनिक तालाब, नदी, आदि ।
'''राष्ट्रीय संसाधन''' वैसे सभी संसाधन जो राष्ट्र की संपदा हैं, राष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं। जैसे सड़कें, नदियाँ, तालाब, बंजर भूमि, खनन क्षेत्र, तेल उत्पादन क्षेत्र, राष्ट्र की सीमा से 12 नॉटिकल मील तक समुद्री तथा महासागरीय क्षेत्र तथा उसके अंतर्गत आने वाले संसाधन आदि।
वैसे तो देश के अंदर आने वाली सभी वस्तुओं पर राष्ट्र का ही अधिकार होता है। चाहे वह कोई भूमि हो या कोई तालाब। सभी प्रकार की संसाधनों को राष्ट्र लोक हित में अधिग्रहित कर सकती है। जैसे कि सड़क, नहर, रेल लाईन आदि बनाने के लिए निजी भूमि का भी अधिग्रहण किया जाता है। भारत में '''1978 में 44 वें संविधान संशोधन''' के द्वारा मौलिक अधिकारों में से सम्पत्ति के अधिकार को हटा दिया गया। इस संशोधन के अनुसार सरकार लोकहित में किसी भी सम्पत्ति को अधिग्रहित कर सकती है। भूमि अधिग्रहण का अधिकार शहरी विकास प्राधिकरणों को प्राप्त है।
'''अंतर्राष्ट्रीय संसाधन''' तटरेखा से 200 समुद्री मील के बाद खुले महासागर तथा उसके अंतर्गत आने वाले संसाधन अंतर्राष्ट्रीय संसाधन के अंतर्गत आते हैं। इनके प्रबंधन का अधिकार कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को दिये गये हैं। अंतर्राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग बिना अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की सहमति के नहीं किया जा सकता है।
===विकास के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण===
विकास के आधार पर संसाधनों को चार भाग में बाँटा गया है।
# संभावी संसाधन
# विकसित संसाधन
# भंडार
# संचित कोष।
'''सम्भावी संसाधन''' - वैसे संसाधन जो विद्यमान तो हैं परंतु उनके उपयोग की तकनीकि का सही विकास नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं किया गया है, संभावी संसाधन कहलाते हैं। जैसे- राजस्थान तथा गुजरात में पवन और सौर उर्जा की अपार संभावना है, परंतु उनका उपयोग पूरी तरह नहीं किया जा रहा है। कारण कि उनके उपयोग की सही एवं प्रभावी तकनिकी अभी विकसित नहीं हुई है।
''' विकसित संसाधन''' - वैसे संसाधन जिनके उपयोग के लिए प्रभावी तकनीकि उपलब्ध हैं तथा उनके उपयोग के लिए सर्वेक्षण, गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं।
'''भंडार''' - वैसे संसाधन जो प्रचूरता में उपलब्ध हैं परंतु सही तकनीकि के विकसित नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है, भंडार कहलाते हैं। जैसे- वायुमंडल में हाइड्रोजन उपलब्ध है, जो कि उर्जा का एक अच्छा श्रोत हो सकता है, परंतु सही तकनीकि उपलब्ध नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
'''संचित कोष''' - वैसे संसाधन जिनके उपयोग के लिए तकनीकि उपलब्ध हैं, लेकिन उनका उपयोग अभी आरंभ नहीं किया गया है, तथा वे भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित रखे गये हैं, संचित कोष कहलाते हैं। संचित कोष भंडार के भाग हैं। जैसे- भारत के कई बड़ी नदियों में अपार जल का भंडार है, परंतु उन सभी से विद्युत का उत्पादन अभी प्रारंभ नहीं किया गया है। भविष्य में उनके उपयोग की संभावना है। अत: बाँधों तथा नदियों का जल, वन सम्पदा आदि संचित कोष के अंतर्गत आने वाले संसाधन हैं।
==संसाधनों का संरक्षण==
बिना संसाधन के विकास संभव नहीं है। लेकिन संसाधन का विवेकहीन उपभोग तथा अति उपयोग कई तरह के सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरणीय समस्या उत्पन्न कर देते हैं। अत: संसाधन का संरक्षण अति आवश्यक हो जाता है। संसाधन के संरक्षण के लिए विभिन्न जननायक, चिंतक, तथा वैज्ञानिक आदि का प्रयास विभिन्न स्तरों पर होता रहा है। जैसे- महात्मा गाँधी के शब्दों में ''' "हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति के लिए बहुत कुछ है, लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के लिए नहीं। अर्थात हमारे पेट भरने के लिए बहुत है लेकिन पेटी भरने के लिए नहीं।" '''
[[महात्मा गाँधी]] के अनुसार विश्व स्तर पर संसाधन ह्रास के लिए लालची और स्वार्थी व्यक्ति के साथ ही आधुनिक तकनीकि की शोषणात्मक प्रवृत्ति जिम्मेदार है। महात्मा गाँधी मशीनों द्वारा किए जाने वाले अत्यधिक उत्पादन की जगह पर अधिक बड़े जनसमुदाय द्वारा उत्पादन के पक्ष में थे। यही कारण है कि महात्मा गाँधी कुटीर उद्योग की वकालत करते थे। जिससे बड़े जनसमुदाय द्वारा उत्पादन हो सके।
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
== इन्हें भी देखें==
*[[प्राकृतिक संसाधन]]
*[[मानव संसाधन]]
*[[उत्पादन के कारक]]
*[[नवीकरणीय संसाधन]] - ऐसे [https://www.shoaibtechtips.com/sansadhan-kise-kahate-hain/ संसाधन] जिसको मानव के द्वारा प्रयासों से दोबारा स्थापित किया जा सकता है उसे नवीकरणीय संसाधन कहते हैं अर्थात जिसको दोबारा उत्पन्न किया जा सकता है।
==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://www.scotbuzz.org/2017/06/sansaadhan.html संसाधन किसे कहते हैं?]
[[श्रेणी:संसाधन भूगोल]]
[[श्रेणी:पारितंत्र]]
[[श्रेणी:पर्यावरण विज्ञान]]
[[श्रेणी:संसाधन प्रबंधन]]' |
सम्पादन से हुए बदलावों का एकत्रित अंतर देखिए (edit_diff) | '@@ -92,5 +92,5 @@
*[[मानव संसाधन]]
*[[उत्पादन के कारक]]
-*[[नवीकरणीय संसाधन]] - ऐसे संसाधन जिसको मानव के द्वारा प्रयासों से दोबारा स्थापित किया जा सकता है उसे नवीकरणीय संसाधन कहते हैं अर्थात जिसको दोबारा उत्पन्न किया जा सकता है।
+*[[नवीकरणीय संसाधन]] - ऐसे [https://www.shoaibtechtips.com/sansadhan-kise-kahate-hain/ संसाधन] जिसको मानव के द्वारा प्रयासों से दोबारा स्थापित किया जा सकता है उसे नवीकरणीय संसाधन कहते हैं अर्थात जिसको दोबारा उत्पन्न किया जा सकता है।
==बाहरी कड़ियाँ==
' |
नया पृष्ठ आकार (new_size) | 22718 |
पुराना पृष्ठ आकार (old_size) | 22657 |
संपादन में आकार बदलाव (edit_delta) | 61 |
सम्पादन में जोड़ी गई लाइनें (added_lines) | [
0 => '*[[नवीकरणीय संसाधन]] - ऐसे [https://www.shoaibtechtips.com/sansadhan-kise-kahate-hain/ संसाधन] जिसको मानव के द्वारा प्रयासों से दोबारा स्थापित किया जा सकता है उसे नवीकरणीय संसाधन कहते हैं अर्थात जिसको दोबारा उत्पन्न किया जा सकता है।'
] |
सम्पादन में हटाई गई लाइनें (removed_lines) | [
0 => '*[[नवीकरणीय संसाधन]] - ऐसे संसाधन जिसको मानव के द्वारा प्रयासों से दोबारा स्थापित किया जा सकता है उसे नवीकरणीय संसाधन कहते हैं अर्थात जिसको दोबारा उत्पन्न किया जा सकता है।'
] |
सम्पादन में जोड़ी गई सभी बाहरी कड़ियाँ (added_links) | [
0 => 'https://www.shoaibtechtips.com/sansadhan-kise-kahate-hain/'
] |
सम्पादन में हटाई गई सभी बाहरी कड़ियाँ (removed_links) | [] |
नए टेक्स्ट में सभी बाहरी कड़ियाँ (all_links) | [
0 => 'https://www.shoaibtechtips.com/sansadhan-kise-kahate-hain/',
1 => 'https://www.scotbuzz.org/2017/06/sansaadhan.html'
] |
सम्पादन से पहले पृष्ठ में कड़ियाँ (old_links) | [
0 => 'https://www.scotbuzz.org/2017/06/sansaadhan.html'
] |
Whether or not the change was made through a Tor exit node (tor_exit_node) | false |
Database name of the wiki (wiki_name) | 'hiwiki' |
Language code of the wiki (wiki_language) | 'hi' |
बदलाव की Unix timestamp (timestamp) | 1624535778 |