"लंबन": अवतरणों में अंतर
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) नया पृष्ठ: {{आधार}} [[चित्र:Parallax Example.svg|300px|right|thumb|लंबन की समस्या का सरल उदाहरण : दो स्था... |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{आधार}} |
|||
[[चित्र:Parallax Example.svg|300px|right|thumb|लंबन की समस्या का सरल उदाहरण : दो स्थानों से देखने पर एक ही वस्तु का पृष्ठभाग भिन्न-भिन्न दिखता है।]] |
[[चित्र:Parallax Example.svg|300px|right|thumb|लंबन की समस्या का सरल उदाहरण : दो स्थानों से देखने पर एक ही वस्तु का पृष्ठभाग भिन्न-भिन्न दिखता है।]] |
||
[[चित्र:Parallax.gif|300px|right|thumb|लंबन का चलित चित्रण : प्रेक्षण बिन्दु की दायें-बायें गति के फलस्वरूप वस्तुएं भी चलती हुई दिख रही हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि दूर की वस्तुएं, नजदीक की वस्तुओं की अपेक्षा धीमे चलती हुई प्रतीत होतीं हैं।]] |
|||
दो विभिन्न बिंदुओं से किसी वस्तु की ओर देखने पर जो कोणीय विचलन (angular shift) प्रतीत होता है, उसे '''लंबन''' (Parallax) कहते हैं और इन बिंदुओं को मिलानेवाली आधार रेखा उस दूरस्थ वस्तु पर जो कोण बनाती है, उससे लंबन का निरूपण होता है। आधार रेखा जितनी ही बड़ी होगी (अर्थात् प्रेक्षण के बिंदु जितने ही दूर होंगे) वस्तु पर कोण उतना ही बड़ा होगा और परिणाम में यथार्थता की संभावना भी उतनी ही होगी। |
दो विभिन्न बिंदुओं से किसी वस्तु की ओर देखने पर जो कोणीय विचलन (angular shift) प्रतीत होता है, उसे '''लंबन''' (Parallax) कहते हैं और इन बिंदुओं को मिलानेवाली आधार रेखा उस दूरस्थ वस्तु पर जो कोण बनाती है, उससे लंबन का निरूपण होता है। आधार रेखा जितनी ही बड़ी होगी (अर्थात् प्रेक्षण के बिंदु जितने ही दूर होंगे) वस्तु पर कोण उतना ही बड़ा होगा और परिणाम में यथार्थता की संभावना भी उतनी ही होगी। |
||
12:51, 14 अक्टूबर 2010 का अवतरण
दो विभिन्न बिंदुओं से किसी वस्तु की ओर देखने पर जो कोणीय विचलन (angular shift) प्रतीत होता है, उसे लंबन (Parallax) कहते हैं और इन बिंदुओं को मिलानेवाली आधार रेखा उस दूरस्थ वस्तु पर जो कोण बनाती है, उससे लंबन का निरूपण होता है। आधार रेखा जितनी ही बड़ी होगी (अर्थात् प्रेक्षण के बिंदु जितने ही दूर होंगे) वस्तु पर कोण उतना ही बड़ा होगा और परिणाम में यथार्थता की संभावना भी उतनी ही होगी।
लंबन, मापन ज्यामिति की एक सरल समस्या है, जिसका सर्वेक्षण में व्यापक उपयोग होता है। स्थलीय वस्तुओं की दूरी का अत्यंत यथार्थ मापन हो सकता है, किंतु इसी सिद्धांत की प्रयुक्ति खगोलीय वस्तुओं पर करने पर वस्तुओं की दूरी मापने की समस्या जटिल हो जाती है। चंद्र और ग्रहों के संदर्भ में निर्देश के तौर पर जिस आधार रेखा को प्रयुक्त किया जाता है, उसे पृथ्वी के व्यास से निरूपित करते हैं, जो मानक मापनों के लिए प्राय: विषुवत् व्यास होता है। किंतु तारों का लंबन (नाक्षत्र लंबन) मापने के लिए इतनी लंबी आधार रेखा भी पर्याप्त उपयोगी नहीं ठहरती। एतदर्थ सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा को आधार रेखा बनाते हैं, जो पर्याप्त लंबी होती है। पृथ्वी की कक्षा का व्यास मापने के लिए, छह महीने के अंतराल में, किसी तारे का प्रतीत कोणीय विस्थापन (angular displacement) मापते हैं और वास्तविक निजी गति की शुद्धि के लिए पुन: दस महीने बाद दूसरा पठन लेते हैं।
साधारणत: लंबन अंतरित (subtended) कोण से निर्दिष्ट होता है, किंतु ज्योतिर्विज्ञान में इस कोण के आधे को लंबन कहते हैं। दूसरे शब्दों में पृथ्वी का अर्धव्यास, या पृथ्वी की कक्षा का औसत अर्धव्यास निर्देशित है। पृथ्वी की कक्षा के औसत अर्धव्यास (९ करोड़ ३० लाख मील) जितनी बड़ी आधार रेखा को लेकर भी किसी भी तारे का नाक्षत्र लंबन चाप के एक सेकंड तक की यथार्थता में नहीं आ पाता।
बाहरी कड़ियाँ
- Instructions for having background images on a web page use parallax effects
- Actual parallax project measuring the distance to the moon within 2.3%
- BBC's Sky at Night programme: Patrick Moore demonstrates Parallax using Cricket. (Requires RealPlayer)
- Berkely Center for Cosmological Physics Parallax
- Parallax on an educational website, including a quick estimate of distance based on parallax using eyes and a thumb only