"मीनेष भगवान": अवतरणों में अंतर

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चाक्षुषमन्वन्तर में [[सम्पूर्ण]] [[पृथ्वी]] के [[जलमग्न]] हो जाने पर पृथ्वी को [[नौका]] बना कर वैवश्वत [[मनु]] की [[रक्षा]] करने हेतु दसवीं बार [[भगवान]] [[विष्णु]] ने [[मत्स्यावतार]] लिया।
चाक्षुषमन्वन्तर में [[सम्पूर्ण]] [[पृथ्वी]] के [[जलमग्न]] हो जाने पर पृथ्वी को [[नौका]] बना कर वैवश्वत [[मनु]] की [[रक्षा]] करने हेतु [[प्रथम]] बार [[भगवान]] [[विष्णु]] ने [[मत्स्यावतार]] लिया।

17:06, 14 मई 2007 का अवतरण

मीनेष भगवान
मीनेष भगवान

चाक्षुषमन्वन्तर में सम्पूर्ण पृथ्वी के जलमग्न हो जाने पर पृथ्वी को नौका बना कर वैवश्वत मनु की रक्षा करने हेतु प्रथम बार भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया।