"सूर्यवंशम (1999 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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it's remake of haqdar south indian movie
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'''सूर्यवंशम''' 1999 में बनी [[हिन्दी|हिन्दी भाषा]] की फिल्म है।
'''सूर्यवंशम''' 1999 में बनी [[हिन्दी|हिन्दी भाषा]] की फिल्म है।
it's remake of haqdar south indian movie


== कहानी ==
== कहानी ==

06:53, 11 सितंबर 2020 का अवतरण

सूर्यवंशम
चित्र:सूर्यवंशम.jpg
सूर्यवंशम का पोस्टर
निर्माता gbbb
अभिनेता अमिताभ बच्चन,
जयासुधा,
अनुपम खेर,
मुकेश ऋषि,
शिवाजी साटम,
आहूति प्रसाद,
बिन्दू,
नीलिमा,
कादर ख़ान,
ब्रह्मनन्दम,
संगीतकार it's remake of haqdar south indian movie
प्रदर्शन तिथि
1999
देश भारत
भाषा हिन्दी

सूर्यवंशम 1999 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। it's remake of haqdar south indian movie

कहानी

ये कहानी बहुत पुराने समय के भरतपुर गाँव की है। ठाकुर भानुप्रताप सिंह (अमिताभ बच्चन) उस गाँव का सरपंच होता है। उसके तीन बच्चे होते हैं। गाँव के सभी लोग उसकी इज्जत करते हैं। गौरी (रचना बेनर्जी) के माता-पिता के मौत के बाद वो उसे अपने ही घर में ले आते हैं और उसकी शिक्षा और अन्य जरूरतें पूरी करते हैं।

ठाकुर भानुप्रताप का सबसे छोटा बेटा, हीरा (अमिताभ बच्चन, दोहरी भूमिका) अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़ कर सारा दिन बस उस लड़की, गौरी के आगे पीछे घूमता रहता है। पढ़ाई में उसे अंक के नाम पर बस शून्य ही मिलता है, पर वो इतना गंवार होता है कि उसे सौ में कितने शून्य होते हैं, उतना भी पता नहीं होता है और वो कभी चार तो कभी पाँच शून्य लगाकर अपने माता-पिता को धोका देने की कोशिश करते रहता है, पर हमेशा पकड़ा जाता है।

एक दिन जब गौरी की शिक्षिका उसे उसकी गलती की सजा देते रहती है, तब हीरा बीच में आते हुए शिक्षिका के साथ ही मारपीट शुरू कर देता है। जब ठाकुर भानुप्रताप को अपने बेटे की घटिया हरकतों के बारे में पता चलता है तो वो उसे अपना बेटा मानने से भी इंकार कर देते हैं और गौरी के अच्छे भविष्य के लिए उसे शहर में पढ़ने भेज देते हैं। गौरी के जाने के बाद हीरा कभी विद्यालय में कदम तक नहीं रखता है और गंवार का गंवार ही रह जाता है।

बड़े होने के बाद

गौरी अपनी पढ़ाई पूरी कर वापस आ जाती है। एक दिन जब गौरी अपना इलाज अस्पताल में कराने जाती है, तब उसके साथ हीरा भी जाता है। अस्पताल में डॉक्टर उसे इंजेक्शन लगाता है, और उससे गौरी को कुछ खास दर्द नहीं होता, लेकिन हीरा उस डॉक्टर के ऊपर गुस्सा हो जाता है और उसके साथ मारपीट करने लगता है और उसके इंजेक्शन को उसी को लगा देता है। जब ये बात हीरा के पिता को पता चलती है तो वो बहुत गुस्सा होते हैं, तब उनकी पत्नी कहती है कि हीरा शादी के बाद सुधर जाएगा। इसी के साथ वो ये भी कहती है कि गौरी को हीरा बहुत पसंद करता है।

ठाकुर भानुप्रताप उन दोनों से बिना पूछे ही उन दोनों की शादी तय कर देता है। जब ये बात गौरी को पता चलती है तो वो ठाकुर भानुप्रताप के द्वारा किए अहसान के कारण उन्हें कुछ बोल नहीं पाती, पर उस घटिया और गंवार लड़के से शादी करने से अच्छा मरना पसंद करती है और नदी में डूब कर ख़ुदकुशी करने की कोशिश करती है। हीरा उसे देख कर बचा लेता है, और तब गौरी उसे सारी बात बताती है। जिसके बाद हीरा शादी से इंकार कर देता है। भानुप्रताप इसके बाद उसकी शादी एक अच्छे और पढ़े-लिखे लड़के से करा देता है।

एक दिन राधा (सौन्दर्या) और उसके साथ मेजर रंजीत सिंह (कादर खान) उसके गाँव आते हैं। राधा के भाई की शादी हीरा की बहन से तय हो चुकी होती है। वे दोनों हीरा और धर्मेन्द्र (अनुपम खेर) को देख कर घर के नौकर समझते हैं। जब राधा का पिता (शिवाजी साटम) आता है, तो वो हीरा के ठाकुर भानुप्रताप के चेहरे से मिलता चेहरा होने के कारण ये बात उससे पूछता है, तब उन्हें पता चलता है कि वो ठाकुर भानुप्रताप का बेटा है। राधा को ये जान कर हैरानी होती है कि इतने अमीर पिता का बेटा इस तरह नौकर बना क्यों काम कर रहा है। जब वो ये बात जानने के लिए उसके दोस्त धर्मेन्द्र से बात करती है तो धर्मेन्द्र उसे कहानी इस तरह सुनाता है कि जैसे हीरा कोई महान त्यागी किस्म का इंसान है। उसके त्याग से भरे किस्से सुन कर राधा को उससे प्यार हो जाता है।

देशराज ठाकुर अपने बेटे का रिश्ता राधा के लिए लाता है और उसकी माँ तुरंत इस रिश्ते के लिए मान जाती है और उसकी शादी तय हो जाती है। राधा अपने घर वालों को बताती है कि वो हीरा से प्यार करती है, पर उससे कुछ नहीं बदलता, बल्कि उसकी माँ जा कर ठाकुर भानुप्रताप से इस बारे में शिकायत करती है। ठाकुर भानुप्रताप अब हीरा से कहता है कि वो अपने पिता या राधा में से किसी एक को चुन ले। अगर वो अपने पिता को चुनता है तो वो उसे अपना बेटा मान लेगा।

राधा के शादी के दिन वो उसे वहाँ से भगा कर ले जाता है और मंदिर में शादी कर लेता है। जब वो दोनों शादी कर के घर आते हैं तो भानुप्रताप उन दोनों के ऊपर बहुत ज्यादा गुस्सा हो जाता है और घर से बाहर कर देता है। बेघर हुए राधा और हीरा को धर्मेन्द्र अपने घर में रहने देता है। घर चलाने के लिए हीरा मजदूरी करने लगता है। जब ये बात राधा को पता चलती है तो वो उसे कोई और ढंग के काम करने को बोलती है। मेजर रंजीत उसे लोन लेकर बस चलाने बोलता है। हीरा अब बस ड्राइवर बन जाता है। एक दिन जब राधा की मुलाक़ात गौरी से होती है तो गौरी उसे ताने मारते है और ताना मारते हुए हीरा उसे सुन लेता है। वो राधा को अपनी पढ़ाई पूरी करने को कहता है।

कुछ सालों के बाद

अब राधा अपनी पढ़ाई पूरी कर कलेक्टर बन जाती है और हीरा कई बसों का मालिक बन चुका है। उनका एक बेटा भी है। एक दिन उनका बेटे की मुलाक़ात ठाकुर भानुप्रताप से होती है। वो गलती से स्याही उस बच्चे के शर्ट में गिरा देता है, पर वो बच्चा उसके ऊपर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं करता, ये देख कर वो बोलता है कि इसके कितने अच्छे संस्कार है। तभी उसका नौकर बोलता है कि ये आपका ही पोता है, तो संस्कार तो अच्छे होंगे ही।

इसके बाद से ठाकुर भानुप्रताप उस बच्चे से मिलने लगता है। वे दोनों काफी अच्छे दोस्त बन जाते हैं। हीरा और राधा को अपने बच्चे से पता चलता है कि वो हीरा की तरह दिखने वाले किसी व्यक्ति का दोस्त बन चुका है। वे दोनों समझ जाते हैं कि वो और कोई नहीं, बल्कि ठाकुर भानुप्रताप है। हीरा अपने पिता के लिए अपने बेटे के हाथ से खीर भेजता है। वहीं मीरा की माँ को भी पता चल जाता है कि ठाकुर भानुप्रताप अपने पोते से छुप छुप कर मिलते हैं। घर में आने के बाद जब ठाकुर भानुप्रताप को पता चलता है कि उसकी पत्नी को भी ये सब पता है तो अंत में वो हीरा को माफ कर अपने बेटे के रूप में स्वीकार करने को तैयार हो जाता है। वो उसे फोन करता है, पर बोलने से पहले ही उसके मुंह से खून निकलता है। उसे अस्पताल में भर्ती कर लिया जाता है।

अस्पताल के सामने भीड़ लग जाता है। केवड़ा ठाकुर आ कर कहता है कि हीरा अपने घर से निकाल दिये जाने का बदला लेने के लिए अपने पिता को खीर में जहर देकर मारने की कोशिश किया था। जब केवड़ा ठाकुर और उसके आदमी मिल कर हीरा को मारते रहते हैं, तभी ठाकुर भानुप्रताप वहाँ आ जाता है। वो बताता है कि जब वो खीर लेकर घर जा रहा था, तो बीच में गाड़ी रुकी हुई थी, तब वो वापस गाड़ी में गया तो उसे केवड़ा ठाकुर से आने वाली खुशबू वहाँ आई थी, लेकिन वो उसे अनदेखा कर चले गया था। हीरा और उसके पिता अब केवड़ा ठाकुर को मारने लगते हैं। अंत में केवड़ा ठाकुर मान लेता है कि उसी ने जहर मिलाया था और उससे माफी मांगता है।

फिल्म के अंत में दिखाया जाता है कि हीरा का बेटा "कोरे कोरे सपने मेरे" गाना गाते रहता है, और तभी ठाकुर भानुप्रताप आ जाता है, और आगे का गाना पूरा करता है। "वादा है वादा, चाहेंगे तुमको, जीवन से ज्यादा" गाने के साथ कहानी खत्म होती है।

कलाकार

संगीत

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ