"बीटिंग ऑफ रिट्रीट": अवतरणों में अंतर
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: आंशिक वर्तनी सुधार। |
→top: {{अनेक समस्याएँ}} → {{Multiple issues}} एवं सामान्य सफाई |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{Multiple issues| |
|||
{{अनेक समस्याएँ|एकाकी=जनवरी 2018|निबंध=जनवरी 2018|बन्द सिरा=जनवरी 2018|भाग=जनवरी 2018|भूमिका नहीं=जनवरी 2018|विकिफ़ाइ=जनवरी 2018|स्रोतहीन=जनवरी 2018}} |
|||
{{एकाकी|date=जनवरी 2018}} |
|||
⚫ | • बीटिंग ऑफ रिट्रीट विजय चौक पर यह हर साल गणतंत्र दिवस के तीसरे दिन अर्थात 29, जनवरी को आयोजित किया जाता है। 26 जनवरी की तरह इसमें जादा भींड़ तो नहीं होती पर यही कोई 08 से 10 हजार लोगों के मौजूदगी में सम्पन्न होता है। इसकी अध्यक्षता माननीय राट्रपति जी के द्वारा की जाती है। हालांकि, उनके साथ प्रधान मंत्री और अन्य वरिष्ठ मंत्री और देश के महत्वपूर्ण लोग भी इसमें शामिल होते है। बीटिंग ऑप रिट्रीट की तैयारी भी लगभग एक महीने पहले ही 26 जनवरी की तैयारी के साथ शुरु हो जाती है। |
||
{{निबंध|date=जनवरी 2018}} |
|||
{{बन्द सिरा|date=जनवरी 2018}} |
|||
{{भाग|date=जनवरी 2018}} |
|||
{{भूमिका नहीं|date=जनवरी 2018}} |
|||
{{विकिफ़ाइ|date=जनवरी 2018}} |
|||
{{स्रोतहीन|date=जनवरी 2018}} |
|||
}} |
|||
⚫ | • '''बीटिंग ऑफ रिट्रीट''' विजय चौक पर यह हर साल गणतंत्र दिवस के तीसरे दिन अर्थात 29, जनवरी को आयोजित किया जाता है। 26 जनवरी की तरह इसमें जादा भींड़ तो नहीं होती पर यही कोई 08 से 10 हजार लोगों के मौजूदगी में सम्पन्न होता है। इसकी अध्यक्षता माननीय राट्रपति जी के द्वारा की जाती है। हालांकि, उनके साथ प्रधान मंत्री और अन्य वरिष्ठ मंत्री और देश के महत्वपूर्ण लोग भी इसमें शामिल होते है। बीटिंग ऑप रिट्रीट की तैयारी भी लगभग एक महीने पहले ही 26 जनवरी की तैयारी के साथ शुरु हो जाती है। |
||
• ये तो कहने की एक बात है कि भारत के राष्ट्रीय पर्वों की एक तय तारीख है, पर इनकी व्यवस्था में लगने वाले साजो सामान और सुरक्षा निरंतर सालों साल से होती चली आ रही है। |
• ये तो कहने की एक बात है कि भारत के राष्ट्रीय पर्वों की एक तय तारीख है, पर इनकी व्यवस्था में लगने वाले साजो सामान और सुरक्षा निरंतर सालों साल से होती चली आ रही है। |
||
• बीटिंग ऑफ रिट्रीट मुख्य रूप से तीनों सेनाओं के वाद्ययंत्रो को समेकित कर, एक साथ तरह तरह के करतब और अलग अलग धुनो का बड़ा ही अद्भुत समारोह है। इसमे जहां ड्रम, बैकपाईपर, ब्रास, ट्रम्पेट, आदि बैंडो की आधुनिक चमक देखने को मिलती है वही एक तरफ वींणा, तबला, पखावज, शहनाई और बांसुरी आदि की मीठी मीठी धुन वातावरण में एक अध्यात्म का रस घोलते है। देश भक्ति गांनो को बिना गाए ही पारंपरिक धुन में उतार दिया जाता है। झांझ की छन छन से कभी मन में आकर्षण पैदा होता है तो कभी ड्रम की धमक से गर्दन हिलने पर मजबूर हो जाती है। |
• बीटिंग ऑफ रिट्रीट मुख्य रूप से तीनों सेनाओं के वाद्ययंत्रो को समेकित कर, एक साथ तरह तरह के करतब और अलग अलग धुनो का बड़ा ही अद्भुत समारोह है। इसमे जहां ड्रम, बैकपाईपर, ब्रास, ट्रम्पेट, आदि बैंडो की आधुनिक चमक देखने को मिलती है वही एक तरफ वींणा, तबला, पखावज, शहनाई और बांसुरी आदि की मीठी मीठी धुन वातावरण में एक अध्यात्म का रस घोलते है। देश भक्ति गांनो को बिना गाए ही पारंपरिक धुन में उतार दिया जाता है। झांझ की छन छन से कभी मन में आकर्षण पैदा होता है तो कभी ड्रम की धमक से गर्दन हिलने पर मजबूर हो जाती है। |
08:21, 10 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण
इस लेख में अनेक समस्याएँ हैं। कृपया इसे सुधारने में मदद करें या वार्ता पृष्ठ पर इन समस्याओं पर चर्चा करें।
|
• बीटिंग ऑफ रिट्रीट विजय चौक पर यह हर साल गणतंत्र दिवस के तीसरे दिन अर्थात 29, जनवरी को आयोजित किया जाता है। 26 जनवरी की तरह इसमें जादा भींड़ तो नहीं होती पर यही कोई 08 से 10 हजार लोगों के मौजूदगी में सम्पन्न होता है। इसकी अध्यक्षता माननीय राट्रपति जी के द्वारा की जाती है। हालांकि, उनके साथ प्रधान मंत्री और अन्य वरिष्ठ मंत्री और देश के महत्वपूर्ण लोग भी इसमें शामिल होते है। बीटिंग ऑप रिट्रीट की तैयारी भी लगभग एक महीने पहले ही 26 जनवरी की तैयारी के साथ शुरु हो जाती है। • ये तो कहने की एक बात है कि भारत के राष्ट्रीय पर्वों की एक तय तारीख है, पर इनकी व्यवस्था में लगने वाले साजो सामान और सुरक्षा निरंतर सालों साल से होती चली आ रही है। • बीटिंग ऑफ रिट्रीट मुख्य रूप से तीनों सेनाओं के वाद्ययंत्रो को समेकित कर, एक साथ तरह तरह के करतब और अलग अलग धुनो का बड़ा ही अद्भुत समारोह है। इसमे जहां ड्रम, बैकपाईपर, ब्रास, ट्रम्पेट, आदि बैंडो की आधुनिक चमक देखने को मिलती है वही एक तरफ वींणा, तबला, पखावज, शहनाई और बांसुरी आदि की मीठी मीठी धुन वातावरण में एक अध्यात्म का रस घोलते है। देश भक्ति गांनो को बिना गाए ही पारंपरिक धुन में उतार दिया जाता है। झांझ की छन छन से कभी मन में आकर्षण पैदा होता है तो कभी ड्रम की धमक से गर्दन हिलने पर मजबूर हो जाती है। • घोड़ो पर भाला और उंट पर हथियार लिए देश के बहादुर रक्षक धीरे धीरे जब माननीय राष्ट्रपति जी की अगवानी करते हुए बाहर की ओर निकलते आते हुए दिखते है ऐसे लगता है आंखें तृप्त हो गयी। रायसीना हिल के पहला द्वार पूरी तरह से खुला है। और विल्डिंग के सामने का हिस्सा काफी उंचा होने के कारण ऐसा लगता है कि जैसे वह समस्त भवनों की ड्योढ़ी बनाई गयी हो। उन उंचाई पर रंग विरंग परिधान से सजे धजे उंटो का समूह कभी आपको राजस्थान की झलक दिखाते है तो मुख्य द्वार से विजय चौक तक सड़क की दोनों तरफ शांत चित्त में खड़े आठ आठ घोड़े आपको भारत की अहमियत बताते मिलेंगे। • पेड़ पौधों और फूल पत्तियों में जान होती है या नहीं इसके लिए आपको किसी प्रयोगशाला जाने की जरूरत नहीं है। आप अपने राष्ट्रीय तीर्थों में शामिल हो कर तो देखिए, दुनिया वाले जिसे निर्जीव या केवल सजावटी सामग्री के तौर पर जानते है, वो भी इन दिनों खिलखिलाते और जवान मालूम पड़ेंगे। • खुले आसमान के नीचे देश का सबसे महत्वपूर्ण संसद का जमावड़ा किसी परिचय का मोहताज नहीं है। पर वो भी बीटिंग रिट्रीट में अपनी मौजूदगी को भाग्य का सहारा मानते है। अपनी पहचान को धन्य करते है। • बीटिंग रिट्रीट मूलतः चार हिस्सो में बंटा होता है। पहला, A बाक्स और B बाक्स सामान्य जनमानस के लिए होता है, दूसरा V-I और V-II में महत्वपूर्ण व्यक्ति को स्थान दिया जाता है, तीसरा बहुत ही महत्वपूर्ण लोगों के लिए बनाया गया और अंत में जो भी इनसे भी उपर का है उसका हिसाब किताब रहता है। • सभी श्रेणी के लोगों के आने के उपरांत शाम को लगभग पाँच बजे मुख्य अतिथि माननीय राष्ट्रपति का आगमन होता है। उनके पहुंचने की सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद वो राष्ट्रीय ध्वजारोहण करते है। और ध्वज के सम्मान में मौजूद सभी लोग खड़े होते है साथ ही बैंड पर राष्ट्रीयगान की धुन बजाई जाती है। • इसके बाद सभी कलाकार अपनी अपनी उच्चतम प्रतिभा का परिचय अपने वाद्य यंत्रो से देते है। शाम लगभग छेः बजे तक खूब धुआंधार प्रोग्राम होता है। बहुत मजा आता है। और सबसे अंत में राष्ट्रपति भवन के साथ साउथ ब्लाक और नॉर्थ ब्लाक में रंगीन रोशनी फैल जाती है। उसका भी कोई पर्याय नहीं सब कुछ बहुत सुंदर और सुखद लगता है। सारा सुख लूटने के बाद आगंतुक इसी की चर्चा करते हुए अपने अपने घरों के लिए चले जाते है।
यह पृष्ठ किसी भी श्रेणी में नहीं डाला गया है। कृपया इसमें श्रेणियाँ जोड़कर सहायता करें ताकि यह सम्बन्धित पृष्ठों के साथ सूचीबद्ध हो सके। (जनवरी 2018) |
- लेख जो जनवरी 2018 से एकाकी हैं
- लेख जिनमें जनवरी 2018 से शैली के लिए संपादन की आवश्यकता है
- लेख जो जनवरी 2018 से बन्द सिरा हैं
- लेख जिन्हें जनवरी 2018 से विभाजन की आवश्यकता है
- लेख जिनकी जनवरी 2018 से भूमिका ठीक नहीं है
- लेख जिन्हें जनवरी 2018 से विकिफ़ाइ करने की आवश्यकता है
- पृष्ठ जो जनवरी 2018 से श्रेणीहीन हैं