"पाक जलसंधि": अवतरणों में अंतर

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== भौगोलिक महत्व ऐतिहासिक दृष्टिकोण से पाक जलसंधि का भी महत्व है। हिंदू धर्मग्रंथ के अनुसार इसे रामसेतु भी कहा जाता है। माना जाता है कि त्रेता युग में भगवना श्रीराम अपनी वानर सेना के साथ इस पुल का निर्माण किया था और लंका में रावण का वध करके माता सीता को ले आए थे। नासा ने भी सेटेलाइट की मदद से कुछ साल पहले इस सेतु के बारे में जानकारी दी थी। ==
== भौगोलिक महत्व ऐतिहासिक दृष्टिकोण से पाक जलसंधि का भी महत्व है। हिंदू धर्मग्रंथ के अनुसार इसे रामसेतु भी कहा जाता है। माना जाता है कि त्रेता युग में भगवना श्रीराम अपनी वानर सेना के साथ इस पुल का निर्माण किया था और लंका में रावण का वध करके माता सीता को ले आए थे। नासा ने भी सेटेलाइट की मदद से कुछ साल पहले इस सेतु के बारे में जानकारी दी थी। ==


== व्यापारिक महत =इसके द्वारा स्पषट होता है।मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम के सेना द्वारा। इस सेतु का निर्माण हुआ। इसके प्रमाण है।जिसको कई देशो के द्वारा इसको तोड़ने की कोशिश की गई सफल नही हुआ।
== व्यापारिक महत ==

== बाहरी कड़ियाँ ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
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17:12, 10 अक्टूबर 2019 का अवतरण

मन्नार की खाड़ी, रामसेतु, पाक खाड़ी, पाक जलडमरूमध्य, बंगाल की खाड़ी

पाक जलडमरूमध्य (अंग्रेजी: Palk Strait), भारत के राज्य तमिलनाडु और द्वीप राष्ट्र श्रीलंका के उत्तरी भाग के बीच स्थित एक जलसंयोगी है। यह बंगाल की खाड़ी को पूर्वोत्तर में पाक खाड़ी और दक्षिणपश्चिम में मन्नार की खाड़ी के साथ को जोड़ता है। इस जलडमरूमध्य की चौड़ाई 53-80 किमी (33-50 मील) है। इसमें कई नदियों विसर्जित होती हैं जिसमें तमिलनाडु के वैगई नदी प्रमुख है।

इस जलडमरूमध्य का नाम रॉबर्ट पाक (अंग्रेजी: Robert Palk) जो ब्रिटिश राज के दौरान मद्रास प्रेसीडेंसी (1755-1763) का एक गवर्नर था, के नाम पर है।

अवस्थिति

पाक जलडमरूमध्य की भौगोलिक स्थिति

भौगोलिक महत्व ऐतिहासिक दृष्टिकोण से पाक जलसंधि का भी महत्व है। हिंदू धर्मग्रंथ के अनुसार इसे रामसेतु भी कहा जाता है। माना जाता है कि त्रेता युग में भगवना श्रीराम अपनी वानर सेना के साथ इस पुल का निर्माण किया था और लंका में रावण का वध करके माता सीता को ले आए थे। नासा ने भी सेटेलाइट की मदद से कुछ साल पहले इस सेतु के बारे में जानकारी दी थी।

== व्यापारिक महत =इसके द्वारा स्पषट होता है।मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम के सेना द्वारा। इस सेतु का निर्माण हुआ। इसके प्रमाण है।जिसको कई देशो के द्वारा इसको तोड़ने की कोशिश की गई सफल नही हुआ।

बाहरी कड़ियाँ