"नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति": अवतरणों में अंतर
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7. '''उद््य:''' के देश भर फैले हुए ालयों/उपक्रमों/बैंं में के प्रगामी को बढ़ावा देने राजभाषा के कार्यान्वयन के आ रही कठिनाइयों को ने संयुक्त की आवश्यकता महसूस की गई वे मिल बैठकर सभी कार्यालय/उपक्रम/बैंक आदि कर सकें । फलत: राजभाषा कार्यान्वयन समितियों के का लिया गया । इन समितियों के गठन का उद्देश्य केंद्रीय सरकार के कार्यालयों/उपक्रमों/बैंकों आदि में राजभाषा नीति के कार्यान्वयन की समीक्षा , इसे बढ़ावा और इसके मार्ग में आई कठिनाइयों को है । |
7. '''उद््य:''' के देश भर फैले हुए ालयों/उपक्रमों/बैंं में के प्रगामी को बढ़ावा देने राजभाषा के कार्यान्वयन के आ रही कठिनाइयों को ने संयुक्त की आवश्यकता महसूस की गई वे मिल बैठकर सभी कार्यालय/उपक्रम/बैंक आदि कर सकें । फलत: राजभाषा कार्यान्वयन समितियों के का लिया गया । इन समितियों के गठन का उद्देश्य केंद्रीय सरकार के कार्यालयों/उपक्रमों/बैंकों आदि में राजभाषा नीति के कार्यान्वयन की समीक्षा , इसे बढ़ावा और इसके मार्ग में आई कठिनाइयों को है । |
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'''नगर कार्यान्वयन संबंधी संसदीय राजभाषा समिति की सिफारिशों पर आदेश''' |
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नराकास पर संसदीय की सिफारिशों पर पिछले खण्डों की संस्तुतियां उन पर निम्न प्रकार हैं :- |
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|'''संस्तुति सं0''' |
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|'''संस्तुति''' |
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|छठे खण्ड की संस्तुति सं0 11.5.17 |
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|ों नगर ान्वयन यों के सदस्यों की संख्या है । समिति का सुझाव है कि इन्हें इनके सदस्यों की संख्या 40 रखी जाएं दो या इससे अधिक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों गठित की जाएं । |
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|की यह इन के साथ स्वीकार ली गई है कि जिन समितियों की सदस्य संख् 150 या इससे हो, उन्हें दो भागों जाए । इस के निदेश किए जाएं । |
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|सातवें खण्ड की संस्तुति सं0 16.5(ज) |
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|कार्यान्वयन की बैठं कार्यालय प्रधान को स्वयं चाहिए । |
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|यह संस्तुति स्वीकार ली गई है कि सभी मंत्रालयों/विों अपने संबद्/अधीनस्थ कार्यालयों, स्वायत्त निकायों, उपक्रमों कार्यालयों के प्रमुखों बैंं को निदेश दें कि वे कार्यान्वयन की बैठकों स्वयं भाग लें । |
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|सातवें खण्ड की संस्तुति सं0 16.5(ज) |
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|कार्यान्वयन की बैठं कार्यालय प्रधान को स्वयं चाहिए । |
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|यह संस्तुति स्वीकार ली गई है कि सभी मंत्रालयों/विों अपने संबद्/अधीनस्थ कार्यालयों, स्वायत्त निकायों, उपक्रमों कार्यालयों के प्रमुखों बैंं को निदेश दें कि वे कार्यान्वयन की बैठकों स्वयं भाग लें । |
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|सातवें खण्ड की संस्तुति सं016.5 (झ) |
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|कार्यान्वयन की बैठं लिए गए निर्णयों पर अनुवर्ती कार्रवाई को उच्च स्तर पर निष्ठा निगरानी समीक्षा की जानी चाहिए । |
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|यह संस्तुति स्वीकार ली गई है । कार्यान्न के सदस्य कार्यालयों के समिति के निर्णयों पर कार्यवाही की निगरानी व समीक्षा सुनिश्चित करें। |
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|सातवें खण्ड की संस्तुति सं016.5 (ट) |
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|ान्वयन की बैठकें आयोजित की जाएं वर्ष आयोजित होने वाली चार बैठकों में से दो बैठकों में कार्यालय के अध्यक्ष रूप से स्वयं लें बैठकों में लिए गए निर्णयों का अपने कार्यालयों में कराएं । |
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|कार्यान्वयन की वर्ष दो बैठकें हैं । इन बैठकों में कार्यालय लें । इस संबंध में राजभाषा समुचित करें । |
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|सातवें खण्ड की संस्तुति सं016.5(ड) |
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|कार्यान्वयन की वर्ष तीन बैठकें समिति के अध्यक्ष की अध्यक्षता में अलग-अलग कार्यालयों में आयोजित की जाए बैठक समिति के अध्यक्ष के कार्यालय में ही आयोजित की जाएं उसमें राजभाषा के वरिष्ठ उपस्थित रहें वर्ष भर की गतिविधियों और की समीक्षा की जा सके और पाई गई कमियों सभी संबंधितों के ध्यान में लाया जाए और उन्हें लिया जाए । |
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|यह संस्तुति स्वीकार्य पाई गई है । कार्यान्न की बैठकें अलग-अलग स्थानों पर आयोजित करना, बैठक स्थान व अन्य संसाधनों की उपलब्धता की व्यारिक नहीं है । |
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|सातवें खण्ड की संस्तुति सं016.5(ढ) |
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|कार्यान्वयन समितियों प्रत्येक वर्ष राजभाषा समारोह/संगोष्ठी आयोजित की जानी चाहिए राजभाषा के के जागरूकता पैदा हो बने । |
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|यह संस्तुति स्वीकार ली गई है । |
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|आठवें खण्ड की संस्तुति सं0 16 |
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|कार्यान्वयन समितियों की बैठं के आयोजन व्यय होने वाली की रू0 3000/- बढ़ा रू0 10,000/- कर चाहिए सदस्य कार्यालयों लिए जाने वाले को संहिताबद्ध (कोडिफाई) किया जाए सदस्य कार्यालयों को इस राशि की मंत्रालयों/मुख्यालयों से स्वीकृति प्राप्त करने में कोई न हो । |
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|इस के साथ स्वीकार की जाती है कि कार्यान्वयन की बैठकों होने वाले व्यय की समय-समय पर समीक्षा करके आवश्यकतानुसार की जाए । |
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|आठवें खण्ड की संस्तुति सं0 17 |
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|कार्यान्वयन समितियों के प्रभावी नराकास सचिवालय स्थाई तौर पर अतिरिक्त एवं अन्य सुविधाओं से युक्त बनाया चाहिए । |
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|इस के साथ स्वीकार की जाती है कि व्यवस्था के अंतर्गत ही कार्यान्वयन समितियां अपने सदस्य-कार्यालयों के उनके उपलब्ध आंतरिक संसाधनों से ही समितियों के प्रभावी आवश्यक सुविधाएं जुटाएं । |
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|आठवें खण्ड की संस्तुति सं0 18 |
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|प्रत्येक गतिविधियों बढ़ाने के उद्देश्य हर ्ष नरा अध्यक्षों का सम्मेलन आयोजित किया चाहिए राजभाषा व लक्ष्यों के निर्धारण के मामले में इनकी भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए । |
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|इस के साथ स्वीकार की जाती है कि इस प्रकार की बैठकें पर क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित की जाएं । |
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|आठवें खण्ड की संस्तुति सं0 20 |
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|नरा की बैठकों विभाग, नई दिल्ली के वरिष्ठ का प्रतिनिधित्व किया जाए । |
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|इस के साथ स्वीकार की जाती है कि नरा की बैठकों के वरिष्ठ अधिकारियों का प्रतिनिधित्व यथासंभव सुनिश्चित किया जाए । |
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|आठवें खण्ड की संस्तुति सं0 22 |
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|अध्यक्ष, नराकास, मंडी, अध्यक्ष, नराकास (बैंक), इंदौर, अध्यक्ष, नराकास, शिमला, अध्यक्ष, नराकास (कार्यालय), चंडीगढ़, अध्यक्ष,नराकास (उपक्रम), मुंबई, अध्यक्ष, नराकास(बैंक), बड़ौदा, अध्यक्ष, नराकास(कार्यालय), त्रिवेंद्रम, अध्यक्ष, नराकास(कार्यालय), कोचिन, अध्यक्ष, नराकास, मदुरै, अध्यक्ष, नराकास,कोयम्बतूर, अध्यक्ष, नराकास(बैंक), बेंगलोर(अध्याय 8के पैरा 8.33.8.45 में) दिए गए कार्यान्वयन के अध्यक्षों से प्राप्त सुझावों पर राजभाषा विभागउचित कार्यवाही करें । |
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|सिफारिशों पर अधि, राजभाषा नियम इस संबंध समय-समय पर आदेशों के परिप्रेक्ष्य में यथासंभव किया जाए । |
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09:47, 14 अगस्त 2018 का अवतरण
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भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत राजभाषा विभाग द्वारा नगर राजभाषा कार्यान्वय समितियों (नराकास) की व्यवस्था पूरे देश के विभिन्न स्थानों पर की गई है।
1. “नराकास : जहां 10 इस कार्यालय हों, नगर राजभाषा कार्यान्वयन यों का गठन किया जा सकता है । समिति का गठन राजभाषा विभाग के क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालयों से प्राप्त प्रस्तावों के पर भारत सरकार के सचिव(राजभाषा) की से किया जाता है ।
2. अध्यक्षता: इन यों की अध्यक्षता के कार्यालयों/उपक्रमों/बैंं के वरिष्ठतम अधिकारियों में किसी के की जाती है । अध्यक्ष को द्वारा नामित किया जाता है । नामित किए जाने से प्रस्तावित अध्यक्ष से समिति की अध्यक्षता प्राप्त की जाती है ।
3. सदस्यता: के कार्यालय/उपक्रम/बैंक इस के सदस्य होते हैं । उनके वरिष्ठतम अधिकारियों(प्रशासनिक प्रधानों) से यह की जाती है कि वे समिति की बैठकों में नियमित रूप से लें ।
4. सदस्य- सचिव: के सचिवालय के समिति के अध्यक्ष अपने कार्यालय के किसी सदस्य कार्यालय से हिंदी उसकी से समिति का सदस्य-सचिव किया जाता है । अध्यक्ष की से समिति के कार्यकलाप सदस्य-सचिव द्वारा किए जाते हैं ।
5. बैठकें: इन यों की वर्ष दो बैठकें आयोजित की जाती हैं । प्रत्येक समिति की बैठकें आयोजित करने रखा जाता है जिसमें प्रत्येक समिति की बैठक एक किया जाता है । इन बैठं के आयोजन संबंधी समिति के के समय दी जाती है निर्धारित महीनों में समिति को अपनी बैठकें करनी होती हैं ।
6. त्व: इन समितियों की बैठं में के ालयों/उपक्रमों/बैंकों के प्रधान लेते हैं । (मुख्यालय) एवं इसके क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय के इन बैठकों में राजभाषा विभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं । नगर स्थित केंद्रीय सचिवालय हिंदी की शाखाओं में किसी निधि एवं हिंदी के किसी एक अधिकारी को भी बैठक में आमंत्रित किया जाता है ।
7. उद््य: के देश भर फैले हुए ालयों/उपक्रमों/बैंं में के प्रगामी को बढ़ावा देने राजभाषा के कार्यान्वयन के आ रही कठिनाइयों को ने संयुक्त की आवश्यकता महसूस की गई वे मिल बैठकर सभी कार्यालय/उपक्रम/बैंक आदि कर सकें । फलत: राजभाषा कार्यान्वयन समितियों के का लिया गया । इन समितियों के गठन का उद्देश्य केंद्रीय सरकार के कार्यालयों/उपक्रमों/बैंकों आदि में राजभाषा नीति के कार्यान्वयन की समीक्षा , इसे बढ़ावा और इसके मार्ग में आई कठिनाइयों को है ।