"हंगपन दादा": अवतरणों में अंतर

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हवलदार '''हंगपन दादा''' [[भारतीय सेना]] के एक जवान थे जो 23 मई 2016 को उत्तरी कश्मीर के शमसाबाड़ी में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए।<ref>{{cite web | url=http://m.navbharattimes.indiatimes.com/photomazza/national-international-photogallery/martyred-hangpan-dada-of-assam-regiment-awarded-ashok-chakra/photomazaashow/53695628.cms | title=अशोक चक्र से सम्मानित हुए शहीद हंगपन दादा | publisher=नवभारत टाइम्स | accessdate=17 अगस्त 2016}}</ref> वीरगति प्राप्त करने से पूर्व उन्होंने 4 हथियारबंद आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा। इस शौर्य के लिए 15 अगस्त 2016 को उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। अशोक चक्र शांतिकाल में दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।
हवलदार '''हंगपन दादा''' [[भारतीय सेना]] के एक जवान थे जो 23 मई 2016 को उत्तरी कश्मीर के शमसाबाड़ी में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए।<ref>{{cite web | url=http://m.navbharattimes.indiatimes.com/photomazza/national-international-photogallery/martyred-hangpan-dada-of-assam-regiment-awarded-ashok-chakra/photomazaashow/53695628.cms | title=अशोक चक्र से सम्मानित हुए शहीद हंगपन दादा | publisher=नवभारत टाइम्स | accessdate=17 अगस्त 2016}}</ref> वीरगति प्राप्त करने से पूर्व उन्होंने 4 हथियारबंद आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा। इस शौर्य के लिए 15 अगस्त 2016 को उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। अशोक चक्र शांतिकाल में दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।
==सन्दर्भ==
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[[श्रेणी:अशोक चक्र विजेता]]
[[श्रेणी:अशोक चक्र विजेता]]

03:27, 17 अगस्त 2016 का अवतरण

हवलदार हंगपन दादा भारतीय सेना के एक जवान थे जो 23 मई 2016 को उत्तरी कश्मीर के शमसाबाड़ी में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए।[1] वीरगति प्राप्त करने से पूर्व उन्होंने 4 हथियारबंद आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा। इस शौर्य के लिए 15 अगस्त 2016 को उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। अशोक चक्र शांतिकाल में दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।

सन्दर्भ

  1. "अशोक चक्र से सम्मानित हुए शहीद हंगपन दादा". नवभारत टाइम्स. अभिगमन तिथि 17 अगस्त 2016.