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[[चित्र:Kfar Masaryk 6699.JPG|right|300px|thumb|किबूत कफर मसार्यक]]
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'''किबूत''', [[इस्रायल]] में एक प्रकार का संगठित ग्रामजीवन जिसमें सैकड़ों नरनारी एक साथ रहकर अन्नादि उपजाते हैं। उनके आहार विहार सामान और एकस्थ हैं, लेन देन एकस्थ। उनकी भूमि जायदाद एकजाई होती है, बँटी नहीं। एक ही साथ सैकड़ों लोग जमीन का पट्टा लेकर खेती आदि करते हैं और आवश्यकता के अनुसार अन्न आदि बाँट लिया करते हैं। रुपए-पैसे या जरूरत से अधिक वस्त्रादि भी वे नहीं रखते। जिनके पास धन अथवा आधुनिक सभ्यता के उपकरण रेडियो आदि होते हैं वे उनको सर्वार्थ अपर्ण कर देते हैं।
'''किबूत''', [[इज़राइल]] में एक प्रकार का संगठित ग्रामजीवन जिसमें सैकड़ों नरनारी एक साथ रहकर अन्नादि उपजाते हैं। उनके आहार विहार सामान और एकस्थ हैं, लेन देन एकस्थ। उनकी भूमि जायदाद एकजाई होती है, बँटी नहीं। एक ही साथ सैकड़ों लोग जमीन का पट्टा लेकर खेती आदि करते हैं और आवश्यकता के अनुसार अन्न आदि बाँट लिया करते हैं। रुपए-पैसे या जरूरत से अधिक वस्त्रादि भी वे नहीं रखते। जिनके पास धन अथवा आधुनिक सभ्यता के उपकरण रेडियो आदि होते हैं वे उनको सर्वार्थ अपर्ण कर देते हैं।


किबूत आदिम [[साम्यवाद]] की दिशा में संकेत करते हैं। किबूतों में पति पत्नी तो साथ रहते और काम करते हैं पर बच्चे नर्सरियों में रख दिए जाते हैं जहाँ भली प्रकार उसकी देखभाल होती है। आठ नौ वर्ष के हो जाने के बाद यदि वे चाहें तो, अपने माता-पिता के साथ रहकर उनके काम में हाथ बँटा सकते हैं या स्वयं अपनी मेहनत का लाभ अपने प्रिय किबूत को दे सकते हैं। इसी परंपरा पर आधारित इस्रायल में एक और संस्था है, '''मोशाब'''। मोशाब में ऐसे लोग रहते हैं जो [[खेती]] आदि तो सामूहिक रूप से करते हैं पर परिणाम में उपज या लाभ अन्नादि अपने पावने के अनुपात के अनुसार बाँट लेते हैं। उन्हें अपना धन आदि वैयक्तिक रूप से बढ़ाने का अधिकार और अवसर होता है। इस्रायल में इसी प्रकार का एक तीसरा संगठन और है जिसे कुसा कहते हैं। यह किबूत और मोशाब के बीच का संगठन है।
किबूत आदिम [[साम्यवाद]] की दिशा में संकेत करते हैं। किबूतों में पति पत्नी तो साथ रहते और काम करते हैं पर बच्चे नर्सरियों में रख दिए जाते हैं जहाँ भली प्रकार उसकी देखभाल होती है। आठ नौ वर्ष के हो जाने के बाद यदि वे चाहें तो, अपने माता-पिता के साथ रहकर उनके काम में हाथ बँटा सकते हैं या स्वयं अपनी मेहनत का लाभ अपने प्रिय किबूत को दे सकते हैं। इसी परंपरा पर आधारित इस्रायल में एक और संस्था है, '''मोशाब'''। मोशाब में ऐसे लोग रहते हैं जो [[खेती]] आदि तो सामूहिक रूप से करते हैं पर परिणाम में उपज या लाभ अन्नादि अपने पावने के अनुपात के अनुसार बाँट लेते हैं। उन्हें अपना धन आदि वैयक्तिक रूप से बढ़ाने का अधिकार और अवसर होता है। इस्रायल में इसी प्रकार का एक तीसरा संगठन और है जिसे कुसा कहते हैं। यह किबूत और मोशाब के बीच का संगठन है।

14:55, 25 सितंबर 2014 का अवतरण

किबूत कफर मसार्यक

किबूत, इज़राइल में एक प्रकार का संगठित ग्रामजीवन जिसमें सैकड़ों नरनारी एक साथ रहकर अन्नादि उपजाते हैं। उनके आहार विहार सामान और एकस्थ हैं, लेन देन एकस्थ। उनकी भूमि जायदाद एकजाई होती है, बँटी नहीं। एक ही साथ सैकड़ों लोग जमीन का पट्टा लेकर खेती आदि करते हैं और आवश्यकता के अनुसार अन्न आदि बाँट लिया करते हैं। रुपए-पैसे या जरूरत से अधिक वस्त्रादि भी वे नहीं रखते। जिनके पास धन अथवा आधुनिक सभ्यता के उपकरण रेडियो आदि होते हैं वे उनको सर्वार्थ अपर्ण कर देते हैं।

किबूत आदिम साम्यवाद की दिशा में संकेत करते हैं। किबूतों में पति पत्नी तो साथ रहते और काम करते हैं पर बच्चे नर्सरियों में रख दिए जाते हैं जहाँ भली प्रकार उसकी देखभाल होती है। आठ नौ वर्ष के हो जाने के बाद यदि वे चाहें तो, अपने माता-पिता के साथ रहकर उनके काम में हाथ बँटा सकते हैं या स्वयं अपनी मेहनत का लाभ अपने प्रिय किबूत को दे सकते हैं। इसी परंपरा पर आधारित इस्रायल में एक और संस्था है, मोशाब। मोशाब में ऐसे लोग रहते हैं जो खेती आदि तो सामूहिक रूप से करते हैं पर परिणाम में उपज या लाभ अन्नादि अपने पावने के अनुपात के अनुसार बाँट लेते हैं। उन्हें अपना धन आदि वैयक्तिक रूप से बढ़ाने का अधिकार और अवसर होता है। इस्रायल में इसी प्रकार का एक तीसरा संगठन और है जिसे कुसा कहते हैं। यह किबूत और मोशाब के बीच का संगठन है।

किबुत्ज़ बरकाई का विहंगम दृष्य

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