'''यांगून''' [[म्यानमार]] [[देश]] की पुराना राजधानी है। इसका पुराना नाम [[रंगून]] था।
'''यांगून''' [[म्यानमार]] [[देश]] की पुराना राजधानी है। इसका पुराना नाम '''[[रंगून]]''' था। (आधुनिक बर्मी में 'र' के स्थान पर 'य' का उच्चारण होता है।)। [[बहादुर शाह ज़फ़र]] यहीं दफ़न हैं। [[आजाद हिन्द फौज]] का मुख्यालय यहीं था।
रंगून दक्षिणी [[वर्मा]] के मध्यवर्ती भाग में, [[रंगून नदी]] के किनारे, [[मर्तबान की खाड़ी]] तथा [[इरावदी नदी]] के मुहाने से ३० किमी उत्तर, सागरतल से केवल २० फुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह बर्मा की [[राजधानी]], सबसे बड़ा नगर तथा प्रमुख [[बंदरगाह]] है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा १०० इंच होती है। समीपवर्ती क्षेत्र में [[धान]] की कृषि अधिक होती है। बंदरगाह से चावल, टीक तथा अन्य लकड़ियाँ, खालें, पेट्रोलियम से निर्मित पदार्थ तथा चाँदी, सीसा, जस्ता, ताँबे की वस्तुओं का निर्यात होता है। वायुमार्ग, नदीमार्ग तथा रेलमार्ग यातायात के प्रमुख साधन हैं। विद्युत् संस्थान, रेशमी एवं ऊनी कपड़े, लकड़ी चिराई का काम, रेलवे के सामान, जलयाननिर्माण तथा मत्स्य उद्योग में काफी उन्नति हो गई है। यहाँ पर सभी आधुनिक वस्तुएँ जैसे बड़े बड़े होटल, सिनेमाघर, भंडार (storage), पगोडा, गिरजाघर, पार्क, वनस्पतिक उद्यान, अजायबघर तथा विश्वविद्यालय आदि हैं। यहाँ की सबसे प्रमुख इमारत [[श्वेड्रैगन पगोडा]] है, जो सागरतल से १६८ फुट की ऊँचाई पर बना है। यह पगोडा ३६८ फुट ऊँचा, ९०० फुट लंबा तथा ६८५ फुट चौड़ा है तथा इसके ऊपर सोने की पन्नी चढ़ी हुई है। नगर को युद्ध तथा ज्वालामुखी से काफी हानि उठानी पड़ी है।
[[बर्मा]] का दरालहुकूमत और अहम बंदरगाह । दरयाऐ अरोती के दहाने पर आबाद है। और बर्मा का सब से बड़ा शहर और अहम तिजारती और सक़ाफ़ती मरकज़ है। यहां चावल छिड़ने , लकड़ी चीरने , तेल साफ़ करने और जहाज़ साज़ी के कारख़ाने हैं। आठारवीं सदी तक ये एक छोटा सा गांव था । 1753ए में बर्मा का दरालसल़्तनत बिना । 1842 में अंग्रेज़ओ-ं के ज़ेरतसल्लुत रहा । 1930ए के भूंचाल में निस्फ़ से ज़्यादा शहर तबाह होगया । [[जंग अज़ीम दोम]] में जापानी क़ब्ज़े के दौरान भी उसे काफ़ी नुक़्सान पहुंचा । [[बहादुर शाह ज़फर]] यहीं दफ़न हैं।
== More photos ==
== चित्रावली ==
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14:41, 24 जुलाई 2014 का अवतरण
यांगूनम्यानमारदेश की पुराना राजधानी है। इसका पुराना नाम रंगून था। (आधुनिक बर्मी में 'र' के स्थान पर 'य' का उच्चारण होता है।)। बहादुर शाह ज़फ़र यहीं दफ़न हैं। आजाद हिन्द फौज का मुख्यालय यहीं था।
रंगून दक्षिणी वर्मा के मध्यवर्ती भाग में, रंगून नदी के किनारे, मर्तबान की खाड़ी तथा इरावदी नदी के मुहाने से ३० किमी उत्तर, सागरतल से केवल २० फुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह बर्मा की राजधानी, सबसे बड़ा नगर तथा प्रमुख बंदरगाह है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा १०० इंच होती है। समीपवर्ती क्षेत्र में धान की कृषि अधिक होती है। बंदरगाह से चावल, टीक तथा अन्य लकड़ियाँ, खालें, पेट्रोलियम से निर्मित पदार्थ तथा चाँदी, सीसा, जस्ता, ताँबे की वस्तुओं का निर्यात होता है। वायुमार्ग, नदीमार्ग तथा रेलमार्ग यातायात के प्रमुख साधन हैं। विद्युत् संस्थान, रेशमी एवं ऊनी कपड़े, लकड़ी चिराई का काम, रेलवे के सामान, जलयाननिर्माण तथा मत्स्य उद्योग में काफी उन्नति हो गई है। यहाँ पर सभी आधुनिक वस्तुएँ जैसे बड़े बड़े होटल, सिनेमाघर, भंडार (storage), पगोडा, गिरजाघर, पार्क, वनस्पतिक उद्यान, अजायबघर तथा विश्वविद्यालय आदि हैं। यहाँ की सबसे प्रमुख इमारत श्वेड्रैगन पगोडा है, जो सागरतल से १६८ फुट की ऊँचाई पर बना है। यह पगोडा ३६८ फुट ऊँचा, ९०० फुट लंबा तथा ६८५ फुट चौड़ा है तथा इसके ऊपर सोने की पन्नी चढ़ी हुई है। नगर को युद्ध तथा ज्वालामुखी से काफी हानि उठानी पड़ी है।
चित्रावली
Shwedagon Pagoda
Sule Pagoda
Downtown Yangon, facing Sule Pagoda and Hlaing River